सोमवार, 31 दिसंबर 2012

Vishal Bhardwaj-Anuska Sharma.............. Kya Dekhe Magar Pyar Se.

अगले साल आने वाली फिल्म मटरू की बिजली का मंडोला का ट्रेलर यूट्यूब पर लोग खुद देख रहे हैं तो  सिनेमा हॉल से लेकर टेलीविजन पर बहुत तेजी से दिखाया जा रहा है। शायद इसलिए भी क्योंकि यह फिल्म वर्ष २०१३ की पहली फिल्म होगी। इस फिल्म के ट्रेलर में एक सीन में अनुष्का शर्मा पीठ के निचले हिस्से में लिखे शब्दों को दिखाती हैं जिसमें लिखा है- देखो मगर प्यार से. अक्सर यह शब्द देश की सडक़ पर दौड़ते ट्रकों के पीछे लिखा मिल जाता है। अनुष्का- क्या देंखे मगर प्यार से. अक्सर यह दोष लगाया जाता है कि लोगों की नजरें खराब हो गई हैं। लेकिन वास्तव में नजरें खराब कौन कर रहा है। जब सिनेमा देखने कोई व्यक्ति घर से मल्टीप्लेक्स से लेकर सिनेमाहॉल तक सफर तय करता है तो सिनेमा में वह कुछ भी अपनी तरफ से नहीं देख रहा होता है। जो निर्देशक उसे दिखाता है, वहीं वह देख रहा होता है। निर्देशक ही तय करता है कहां पर कैसा सीन होगा। सिनेमा में लड़कियों से लेकर महिलाओं तक पर फिल्माएं जाने वाले सीन की समीक्षा करनी होगी। और सबसे पहले ऐसे सीन का विरोध भी करना होगा।  महिलाओं को चमेली, मुन्नी और शीला बनाना बंद करना होगा। मनोरंजन के नाम पर कुछ भी परोसा नहीं जा सकता है। पर क्या ये बात हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को समझ में आएगी। इससे भी आगे बढक़र क्या सेंसर बोर्ड कुछ रफ एंड टफ निर्णय ले पाएगा। या फिर कुछ दिनों या माह के बाद इससे भी आगे बढक़र सीन हिन्दी सिनेमा में देखने को मिलेंगे। 

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

Justice Usha Mehra commission for women safety issue

बलात्कार जैसे सामाजिक अपराध पर कानून में बदलाव के लिए जस्टिस जे.एस.वर्मा समिति के बाद अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या उचित कदम उठाए जा सकते हैं, को लेकर जस्टिस ऊषा मेहरा आयोग का गठन किया गया है। यह आयोग महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या महत्वपूर्ण कदम उठाएं जा सकते हैं, इसको लेकर अपनी राय देगा। आप सभी अपनी राय १० जनवरी तक  ushamehracommission@nic.in
 पर मेल और 011-023093750 पर फैक्स कर सकते हैं। आपके  पास एक मौका है, अपनी महत्वपूर्ण राय को वास्तविक रूप देने का। हो सकता है कि आपकी राय ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए नया कदम तय करें।

गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

The best TVCs of 2012

http://www.firstpost.com/business/the-best-tvcs-of-2012-570321.html

Via First Post.




As we come to the end of 2012, it’s time to take stock of the most entertaining TV commercials of the year.
Without a doubt, The Hindu TVC walks away with the honours.
Screengrab from the Hindu advertisement. Image courtesy: 

“Today, we’ll have a political discussion on the Rural Development Bill. Those on my left will speak in favour of the motion and those on my right will speak against it and I want proper parliamentary behaviour. So let’s start,” says the lecturer to a classroom full of students in a television commercial for The Hindu.
See the rest of the commercial here:
If The Hindu is in a zone of it’s own, here is a dekko at the top ten (and this is not a ranking, this is a listing of commercials that consumers and industry professionals seem to have found a connect to) other than The Hindu.

Still with newspapers – and it’s fitting that this is made by The Hindu’s biggest competitor, The Times of India, in a southern market. Here’s ‘A day in the life of Kerala’.  How can someone from Kerala not like it? How can someone from outside Kerala not be enchanted?

This was a toss up. The Tanishq diwali ad or the 10th anniversary one? I plumped for the Diwali one. It’s soft, it’s natural, it’s got a delightful twist and makes you smile.

Vodafone’s ‘tailor made’ commercial tells us precisely how difficult the mobile services category is. A great film which shows us, entertainingly, that each consumer has different needs and wants. Can the product deliver? That’s another story – and let’s forget that one. Bask in the film. Sit back. Watch. Smile.

There are two TVCs I include because they build so beautifully on the investments that the brand has made in the past. The first is Nike’s parallel lives, which is so reminiscent of Nike’s cricket based communication of thee past in India.

The other is Airtel’s Jo tera hai woh mera hai. Lovely casting, great feel-good, clear focus on their target audience in look and feel. Here you go.

Cadbury’s ‘No umar for’ gets my vote. How do you maximise sales beyond what was a narrow defined audience? Change the definition – that’s what these commercials do.Why does this get my vote? Because it works, and it’s captured popular imagination. How does it matter if I want to throw something at the TV whenever it airs, when everyone in India, from Kashmir to Kanyakumari, seems to love it? Here’s Hunny Bunny.

And while on Kashmir, let’s see what Visa found there. They figured they could change the lives of people, all with the convenience of swiping a debit card.
When you make a brand into a verb, that’s huge. Are people shopping online or Flipkarting it? The e commerce brands hopes that you will, over time, say you’ll Flipkart it, not shop online. As always, the Flipkart story is told disruptively and entertainingly.
And finally, the IPL ad. I’ve never been a great fan of the IPL, because it’s a tamasha, a carnival, a circus. It’s not cricket. And that’s what this commercial says – and it says it so well.
Tell us in the comments which of these was your favourite commercial for this year.

मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

Justice J.S.Verma Committee on Rape issue, लिखित में अपनी राय देने एक मौका

दिल्ली में 16 December ko हुए एक हादसे के बाद बलात्कार आरोपियों को फांसी की मांग को लेकर कानून में बदलाव की मांग करने वाले लोगों के पास लिखित में अपनी राय देने एक मौका है। जस्टिस जे.एस.वर्मा की अध्यक्षता में बनी समिति ने 5 जनवरी, 2012 तक आप सभी से इस बड़े सामाजिक -अपराधिक मुद्दे पर आपकी राय मांगी है। एक मौका है, आप के पास। अधिक से अधिक संख्या में अपनी राय ईमेल करने के साथ-साथ फैक्स भी कर सकते हैं। कहीं आप चूक न जाए अपनी बात लिखित में समिति तक पहुंचाने के लिए , तो जल्दी कीजिए और भेजिए अपनी महत्वपूर्ण राय। कमेटी को ३० दिन के अंदर बलात्कार को लेकर मौजूदा कानून की समीक्षा विषय पर अपनी रिपोर्ट जमा करेगी। अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई पिक्चर पर क्लिक कीजिए या फिर ०११-२३०९२६७५ पर फैक्स करे या फिर मेल करें-justice.verma@nic.in 
अपनी राय देने वालों से एक विनम्र अनुरोध यह भी है कि जोश में आकर राय देने से पहले होश में भी रहें। क्योंकि आप सभी की राय महत्वपूर्ण होगी। साथ ही अगर कानून में कोई बदलाव होता है, वास्तव में बेकसूर लोगों को न्याय मिल सके और अपरधी को ही सजा मिले।

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

जिन्दगी मेरी छोटी सी मोतियों की माला टूट गई....

ये जिस्म सुन सा पड़ गया
आखों में अँधेरा छा ही गया
कुछ घुटन सी अन्दर बाकी है
मन घबराया ज्यादा आज ही है.
शब्द बहुत से हैं मेरे
पर बोल नहीं पाती आज हूँ मैं
कैसे कहूँ, और किससे कहूँ
ये पीड़ा दर्द भयानक सी
जिन्दगी छोटी मेरी सी
ये मोतियों की माला टूट गई
खूब मेहनत से बनाई थी माला
खूब ख्वाब सजोयें थे मैंने
अब कौन खोजेगा बिखरे मोतियों  को
और कौन बनाएगा माला
जिन्दगी मेरी छोटी सी
मोतियों की माला टूट गई....

रविवार, 16 दिसंबर 2012

Private School, Government School and Primary and Highr Secondary Education System in India

निजी स्कूलों की लॉबी समूची व्यवस्था पर हावी

सचिन यादव नई दिल्ली | Dec 17, 2012, 02:41AM IST
  Comment
 

दिल्ली
: फीस पर काबू पाने के लिए केन्द्रीय कानून बनाने की वकालत
: निजी स्कूल अड़ंगा डालते हैं सरकारी स्कूलों के प्रदर्शन में
: स्कूल फीस का मुद्दा कई बार अदालतों में उठाया अभिभावकों ने
: हाईकोर्ट ने स्कूलों के खातों की जांच के लिए कमेटी बनाई
: कमेटी अभी स्कूलों के खातों की जांच कर रही है

निजी स्कूलों में फीस को नियंत्रित करने को लेकर सिर्फ दो ही राज्यों में प्रावधान है जबकि दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में निजी स्कूलों में फीस को नियंत्रित करने को लेकर ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है। आज भी निजी स्कूल अपनी मनमर्जी के मुताबिक फीस बढ़ाते रहते हैं। देश में सिर्फ तमिलनाडु और महाराष्ट्र में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाया गया है।

महाराष्ट्र में भी यह कानून सही तरीके से लागू नहीं किया गया है जबकि तमिलनाडु में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सही तरीके से कानून को लागू किया गया है। इसके बावजूद तमिलनाडु सरकार स्कूल बनाने में खर्च और वीआईपी क्षेत्र में स्थित स्कूलों को फीस बढ़ाने का अधिकार देती है।

दिल्ली में निजी स्कूलों में बच्चों की फीस को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मामले उठाने वाले एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में अभी तक निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है। स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक सलाहकार समिति का गठन किया है।

इस सलाहकार समिति में 12 सदस्य हैं जिसमें से 11 सदस्य प्राइवेट स्कूलों के और एक सदस्य सरकारी स्कूल से है। इसके अलावा अन्य सदस्यों में भी सारे सदस्य प्राइवेट स्कूलों के ही शामिल है। ऐसे में फीस से लेकर अन्य मुद्दे तय करने में प्राइवेट स्कूल के मालिक हावी रहते हैं। निजी स्कूलों की लॉबी इतनी हावी रहती है कि सरकारी स्कूलों को आगे बढऩे नहीं देती है और खुद इतनी फीस बढ़ा देते हैं कि अभिभावक के पास परेशान होने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता है।

राजधानी दिल्ली में हर निजी स्कूल बच्चों की फीस से चल रहा है, ऐसे में निजी स्कूलों की मैनेजिंग कमेटी में 50 फीसदी तक प्रतिनिधित्व बच्चों के अभिभावकों को मिलना चाहिए।
इसके अलावा निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने के लिए पूरे देश में एक कानून बनना चाहिए।  जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि छठा वेतनमान लागू होने के बाद राजधानी दिल्ली के निजी स्कूलों ने बहुत अधिक फीस बढ़ा दी थी।

इसको लेकर दिल्ली अभिभावक संघ हाईकोर्ट तक गया था । इसके बाद हाईकोर्ट ने 200 से अधिक निजी स्कूलों के खातों की जांच करने के लिए जस्टिस अनिल देव सिंह की देखरेख में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया था। इस कमेटी में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट और दिल्ली के शिक्षा विभाग के रिटायर्ड अधिकारी शामिल हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कमेटी का 90 फीसदी खर्च निजी स्कूलों पर और 10 फीसदी खर्च सरकार से वहन करने को कहा है। यह कमेटी अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करेगी।
http://business.bhaskar.com/article/private-schools-dominate-the-lobby-of-the-entire-system-4114687.html

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

Implementation of Foreign Students Information System in India

विदेशी विद्यार्थियों का डाटाबेस बनेगा देश में

सचिन यादव नई दिल्ली | Dec 15, 2012, 01:42AM IST
 
 
31 मार्च, 2013 तक यह लागू हो जाएगी देश के हर जिले में

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन - सभी शैक्षिक संस्थानों को अपने विदेशी विद्यार्थियों की जानकारी देनी होगी, जहां उन्हें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और इसे फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन अधिकारी मंजूरी देगा। हर संस्थान को एफएसआईएस सिस्टम में एक यूनिक आईडी नंबर मिलेगा और उन्हें हर विदेशी के एडमिशन के लिए सी फॉर्म भरना होगा।

बाहरी देशों से आने वाले विद्यार्थी पढ़ाई के बहाने अब कोई गड़बड़ी करेंगे तो डाटाबेस के जरिए उन पर केंद्र सरकारी की नजर रहेगी। इसी को ध्यान में रखकर देश भर में पढ़ रहे तमाम विदेशी छात्र-छात्राओं का डाटाबेस तैयार करने की योजना शुरू की जा रही है।

नेशनल ई गवर्नेंस प्लान के तहत गृह मंत्रालय देश भर में पढ़ रहे विदेशी छात्रों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह डाटाबेस तैयार कर रहा है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के जरिए यूजीसी और एआईसीटीई समेत अन्य शैक्षिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों को इस योजना के बाबत पत्र लिखे हैं।

शुरूआत में इस प्रोजेक्ट को देश के चुनिंदा 12 शहरों में ही लागू किया जा रहा है। इन शहरों में चेन्नई, बेंगलुरू, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, अमृतसर, कोलकत्ता, हैदराबाद, अमृतसर, कोलकत्ता, कोच्चि, कोझिकोड़, तिरूवनंतपुरम, लखनऊ, गोवा को शामिल किया गया है। इन शहरों में स्थित शैक्षिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों से फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन सेंटर से संपर्क करने के लिए कहा गया है।

इसके लिए एनआईसी ने एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर डेवलप किया है। इस ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के जरिए विदेशी छात्रों की पढ़ाई, उनकी सुरक्षा और गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। इसे 31 मार्च, 2013 तक देश के सभी जिलों में लागू करने की योजना है। इस दौरान फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को संबंधित सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
http://business.bhaskar.com/article/database-of-foreign-students-in-the-country-will-4112788-NOR.html

Chori ki Barfi "OSCAR" ko Nahi hui Hazam.

The 70th Annual Golden Globe Awards

Nominations announced Thursday, December 13th; winners announced on Sunday, January 13th, broadcast at 8pm ET/5pm PT on NBC.
image of Argo image of Les Miserables image of Lincoln image of Django Unchained image of Life of Pi image of The Master image of Silver Linings Playbook image of Zero Dark Thirty

Best Motion Picture - Drama

Nominees:

Argo (2012)
Life of Pi (2012)
Lincoln (2012)

Best Motion Picture - Musical or Comedy

Best Performance by an Actor in a Motion Picture - Drama

Nominees:

Best Performance by an Actress in a Motion Picture - Drama

Best Performance by an Actor in a Motion Picture - Musical or Comedy

Best Performance by an Actress in a Motion Picture - Musical or Comedy

Best Performance by an Actor in a Supporting Role in a Motion Picture

Best Performance by an Actress in a Supporting Role in a Motion Picture

Nominees:

Amy Adams for The Master (2012)
Sally Field for Lincoln (2012)

Best Director - Motion Picture

Best Screenplay - Motion Picture

Best Original Song - Motion Picture

Nominees:

Skyfall (2012): Adele, Paul Epworth("Skyfall")
Stand Up Guys (2012): Jon Bon Jovi("Not Running Anymore")

Best Original Score - Motion Picture

Best Animated Film

Nominees:

Brave (2012)

Best Foreign Language Film

Nominees:

Amour (2012)
Kon-Tiki (2012)

Best Television Series - Drama

Nominees:

"Homeland" (2011)

Best Television Series - Musical or Comedy

Nominees:

"Episodes" (2011)
"Girls" (2012)
"Smash" (2012)

Best Mini-Series or Motion Picture Made for Television

Nominees:

Game Change (2012) (TV)
The Girl (2012) (TV)
"The Hour" (2011)

Best Performance by an Actor in a Television Series - Drama

Best Performance by an Actress in a Television Series - Drama

Best Performance by an Actor in a Television Series - Musical or Comedy

Best Performance by an Actress in a Television Series - Musical or Comedy

Best Performance by an Actor in a Mini-Series or a Motion Picture Made for Television

Best Performance by an Actress in a Mini-Series or a Motion Picture Made for Television

Best Performance by an Actor in a Supporting Role in a Series, Mini-Series or Motion Picture Made for Television

Best Performance by an Actress in a Supporting Role in a Series, Mini-Series or Motion Picture Made for Television

Nominees:

Sarah Paulson for Game Change (2012) (TV)
Sofía Vergara for "Modern Family" (2009)     via IMDB.

मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

जब मिल बैठे हम और आकाश-2







आकाश-2 को कुछ वक़्त हमारे साथ बिताने के वक़्त मिला। आकाश-2 पहले से बेहतर है। पर अब भी इससे चार्ज करने का काम चीन में बनी डिवाइस ही करेगी। भले ही कहा जाए कि आकाश-2 पूरी तरह से भारत में बना है लेकिन इसका चार्जर मेड इन चाइना ही है।

रविवार, 9 दिसंबर 2012

जासूसी के शगल से खुफिया यंत्रों की मांग बढ़ी

सचिन यादव नई दिल्ली | Dec 10, 2012, 01:24AM IST
 
 

मांग की वजह - खुफिया उपकरणों का कारोबार संगठित नहीं है इसलिए सही आंकड़े मिलना मुश्किल है। बाजार में बल्क डिमांड नहीं है। कई लोग अपने व्यक्तिगत मसलों को निपटाने के लिए ऐसे उपकरणों को खरीद रहे हैं। कई लोग अपने घरों में ही ऐसे उपकरणों को लगाने के लिए खरीद करते हैं तो कुछ लोग फैशन में भी खरीदारी कर लेते हैं।

3,000 से लेकर 2.50 लाख रुपये तक के उपकरण की विस्तृत रेंज है खुफिया उपकरणों में
50 करोड़ रुपये तक कारोबार पहुंचा चौकरफा मांग बढऩे से द्ल्लिी में जासूसी उपकरणों का

दीवारों के कान होते हैं, यह तो पता नहीं लेकिन दीवार पर टंगी घड़ी के कान जरूर हो सकते हैं। कुछ ऐसे ही जासूसी उपकरणों की मांग राजधानी दिल्ली के बाजार में बढ़ती जा रही है। राजधानी दिल्ली में ऐसे जासूसी उपकरणों में अब सीसीटीवी कैमरे के अलावा मल्टीफंक्शनल वॉच रिकार्डर, रिस्ट वॉच कैमरा, की-चैन कैमरा, सनग्लासेज कैमरा, मोबाइल फोन स्पाई कैमरा जैसे उपकरणों की मांग ज्यादा है।

ऐसे डिवाइसेज का कारोबार करने वालों के मुताबिक अभी यह बाजार पूरी तरह से असंगठित है। दिल्ली में ही इसका कारोबार 50 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। ऐसे उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग अलग-अलग देशों में उपकरणों के हिसाब से होती है। बाजार में छोटी सी लेकर बड़ी कंपनी तक और व्यक्तिगत तौर पर भी लोग ऐसी डिवाइस की मांग कर रहे हैं।

पटेलनगर स्थित स्पाई-स्टोर के प्रोपराइटर परमिंदर सिंह ने बताया कि पूरे देश भर से ऐसे उपकरणों की अच्छी मांग आ रही है। ऐसे उपकरणों के अच्छे और बुरे दोनों तरह के इस्तेमाल किए जा सकते है। बाजार में ऐसे उपकरणों की विस्तृत रेंज उपलब्ध है। दिल्ली में ही सिर्फ खुफिया उपकरणों का कारोबार 50 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है क्योंकि संगठित क्षेत्र नहीं है इसलिए एकदम सटीक आंकड़े मिलना मुश्किल है।

बाजार में बल्क डिमांड नहीं है। कई लोग अपने व्यक्तिगत मसलों को निपटाने के लिए ऐसे उपकरणों को खरीद रहे हैं। परमिंदर ने बताया कि 3,000 रुपये से लेकर 2.50 लाख रुपये तक के उपकरण की विस्तृत रेंज हमारे पास मौजूद है।

न्यू लाजपत राय मार्केट में स्पाई उपकरणों का कारोबार कर रहे गुड्डू मखीजा ने बताया कि कई लोग अपने घरों में ही ऐसे उपकरणों को लगाने के लिए खरीद करते हैं तो कुछ लोग फैशन में भी खरीदारी कर लेते हैं। निजी खुफिया एजेंसी भी ऐसे उपकरणों की मांग कर रही हैं। सीसीटीवी कैमरों के अलावा अब घर-घर निजी तौर पर ऐसे उपकरणों की मांग बढ़ रही है क्योंकि अधिकतर लोग जो भी ऐसे डिवाइस खरीदने आते हैं, खुदरा में ही खरीदारी करते हैं।
http://business.bhaskar.com/article/demand-pastime-espionage-and-intelligence-equipment-4106216-NOR.html

सोमवार, 26 नवंबर 2012

पाकिस्तानी व्यापारियों के साथ कारोबार की पहल

  Sachin Yadav | Nov 23, 2012, 00:20AM IST
 

 

व्यापार मेले में पाकिस्तानी मंडप में जूट के खास कुर्ते
मैं तीसरी बार ट्रेड फेयर में आई हूं। इससे पहले2005 और 2008 में आई थी। इस बार फ्रेबिक की क्वालिटी के साथ ही विशेष डिजाइन भी पसंद की जा रही है। 1,400-1,500 से लेकर 6,000-7,000 रुपये की रेंज में सूट उपलब्ध हैं लेकिन लोग उत्पादों पर छूट बहुत मांगते हैं जो संभव नहीं हैं। -मोना नियाज, कराची की

आशा-निराशा - पाकिस्तानी मंडप में जूट के कुर्ते इस बार खास उत्पाद है। जूट के कुर्तों की विभिन्न डिजाइन उपलब्ध हैं और उसकी कीमत 500 रुपये है। मेले में नुमाइश ज्यादा है और खरीदारी कम, इसके चलते पाक व्यापारी थोड़े से निराश हैं। पर इस बार पंजाब और राजस्थान के कारोबारियों ने साथ कारोबार करने   की बात की है।

यहां प्रगति मैदान में लगे इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में आए पाकिस्तान के कारोबारियों को साथ मिलकर कारोबार करने के प्रस्ताव भारतीय व्यापारी दे रहे हैं। इन प्रस्तावों से जहां पाकिस्तान के कारोबारी खुश हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रेड फेयर में सिर्फ नुमाइश होने के कारण बिजनेस न बढऩे से कारोबारियों के चेहरे पर शिकन भी है।

पाकिस्तान के कराची शहर में लेडीज सूट का कारोबार करने वाली मोना नियाज ने बताया, मैं तीसरी बार ट्रेड फेयर में आई हूं। इससे पहले वर्ष 2005-2008 में आई थी। इस बार फ्रेबिक की क्वालिटी के साथ ही उस पर किए जाने वाले विशेष डिजाइन को लोग पसंद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1,400-1,500 की रेंज से 6,000-7,000 रुपये की रेंज में सूट उपलब्ध हैं। लेकिन लोग मेले में खरीदारी करने कम आ रहे हैं। और उत्पादों पर छूट बहुत मांग रहे हैं। जोकि संभव नहीं हैं।

नियाज ने बताया कि मेले में राजस्थान, जम्मू कश्मीर, पंजाब और दिल्ली के कारोबारियों व कई बुटीक ने हमारे साथ कारोबार करने की इच्छा जताई है। सैंपल के तौर पर कई कारोबारी 100-150 पीस अपने साथ ले गए हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पाकिस्तान में बने सूट कई बुटीक और शॉप्स पर जल्द ही उपलब्ध होंगे।

लाहौर के उर्दू बाजार में कुर्तों का कारोबार करने वाले मास्क प्रमोटर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बहजाद कासिम ने बताया कि जूट के कुर्ते इस बार खास उत्पाद है। महिलाओं की तरफ से इसकी मांग ज्यादा आ रही है। जूट के कुर्तों की विभिन्न डिजाइन उपलब्ध हैं और उसकी कीमत 500 रुपये रखी है।

मेले में नुमाइश ज्यादा है और खरीदारी कम, इसके चलते हम थोड़े से निराश हैं। पर इस बार पंजाब और राजस्थान के कारोबारियों ने अपने साथ कारोबार करने की बात की है। इसको लेकर अभी बात चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही कई कारोबारियों के साथ हम अपना कारोबार शुरू करेंगे।

कराची के पाक कला में मंगोपुरी रोड में स्टोन हैंडीक्राफ्ट का कारोबार करने वाले मोइनुद्दीन ने बताया कि इस बार स्टोन के हैंडीक्राफ्ट में विभिन्न वैरायटी हम लाएं हैं। इसमें एप्पल और घड़ी टू इन वन, कप-प्लेट सेट, टेलीफोन सेट, अंगूर, फूल दान, ज्वैलरी बॉक्स इत्यादि विभिन्न वैरायटी में उपलब्ध हैं। यह सभी उत्पाद स्पेशल स्टोन से बने हुए हैं। इनकी कीमत 1000-15,000 रुपये के बीच में है।
http://business.bhaskar.com/article/pakistani-businessmen-with-business-initiatives-4070576-NOR.html

सोमवार, 19 नवंबर 2012

दिल्ली में सिर्फ 40% राजस्व वसूली हो पाई

दिल्ली में सिर्फ 40% राजस्व वसूली हो पाई

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 19, 2012, 01:02AM IST
 
पूरे वित्त वर्ष में 26,150 के लक्ष्य के मुकाबले 11,885 करोड़ रुपये की वसूली

दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष की २०१२-१३ की पहली छमाही के दौरान11,885 करोड़ का राजस्व वसूल किया है, जबकि बजट अनुमान में से 15,094 करोड़ रुपये का खर्च किया है। वित्त वर्ष २०१२-१३ के लिए दिल्ली सरकार ने ३३,४३६ करोड़ रुपये का बजट अनुमान लगाया था। इस बजट अनुमान में से १५,००० करोड़ रुपये योजनागत व्यय के लिए, १८,२६८ करोड़ रुपये गैर योजनागत व्यय के लिए निर्धारित किया गया था।

बजट में ९४ फीसदी फंड सरकार अपने संसाधनों के जरिए जुटाती है, जबकि बाकी ६ फीसदी फंड केंद्र सरकार से अनुदान के तौर पर मिलते हैं। वित्त वर्ष २०१२-१३ के दौरान योजनागत व्यय के लिए प्रस्तावित १५,००० करोड़ रुपये में से ९,७९६ करोड़ रुपये का खर्च सामाजिक क्षेत्र की सुविधाओं के लिए किया जाना है। यह खर्च वित्त वर्ष २०११-१२ की तुलना में ६ फीसदी अधिक है।

दिल्ली सरकार का सकल राज्य घरेलू उत्पादन (जीएसडीपी)  ३,१३,९३४ करोड़ रुपये का है। वित्त वर्ष २०११-१२ के अनुसार दिल्ली के जीएसडीपी की वृद्धि दर ११.३ फीसदी थी जबकि देश में जीडीपी की विकास दर ६.९ प्रतिशत थी। देश के कुल जीडीपी में ३.८ फीसदी का योगदान दिल्ली करती है जबकि देश की कुल जनसंख्या के अनुपात में यहां मात्र १.४ फीसदी लोग ही रहते हैं।


वित्त वर्ष २०१२-१३ के दिल्ली सरकार ने कर संग्रह के जरिये २६,१५० करोड़ रुपये वसूल करने का  लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष २०११-१२ की तुलना में यह ३१ फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष २०११-१२ में १९,९७२ करोड़ रुपये का कर संग्रह किया गया था। दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग, मनोरंजन कर विभाग, वैट विभाग, राजस्व विभाग कर वसूल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


वित्त वर्ष २०१२-१३ में बिक्रीकर के जरिए १७,००० करोड़ रुपये, वाहनों पर कर के जरिए १,३७० करोड़ रुपये, स्टाम्प और पंजीकरण शुल्क के जरिए ४२९९ करोड़ रुपये, राज्य उत्पाद शुल्क के जरिए ३,००० करोड़ रुपये का वसूली का लक्ष्य रखा गया था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही यानि अप्रैल-सितंबर के दौरान 11,885 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह हुआ। इस हिसाब से पहली छमाही में पूरे वर्ष के राजस्व संग्रह लक्ष्य के मुकाबले करीब 40 फीसदी वसूली हुई है।
http://business.bhaskar.com/article/bevind-dat-slegs-40-van-die-inkomste-in-nieu-delhi-4054850.html

श्रमिकों के काम के घंटे नए सिरे से तय होंगे

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 19, 2012, 00:34AM IST
 

 

कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी

शोषण - श्रमिकों से कार्यावधि के बाद अतिरिक्त समय में काम कराने पर अतिरिक्त भुगतान को लेकर उद्यमियों को परेशानी है। कई बार आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने के बाद भी श्रमिक को आधे से एक घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इसके लिए श्रमिकों को दोगुना भुगतान करने का प्रावधान है।

औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के काम के घंटे नए सिरे से तय करने के लिए दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने एक स्पेशल कमेटी बनाई है जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस कमेटी में श्रम विभाग के अधिकारी, औद्योगिक संगठनों और श्रमिकों के प्रतिनिधि होंगे।

राजधानी दिल्ली के औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के काम करने के समय को लेकर अपैक्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ एनसीटी से जुड़े लोग श्रम मंत्री डा.ए.के.वालिया से 16 नवंबर को मिले थे। इस चैंबर ने श्रमिकों को होने वाली दिक्कतों को लेकर एक ज्ञापन भी श्रम मंत्री को सौंपा है।

अपैक्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ एनसीटी के उपप्रमुख रघुवंश अरोड़ा ने बताया कि श्रमिकों के काम करने के समय और अतिरिक्त समय में काम कराने पर पैसे के भुगतान को लेकर उद्यमियों को काफी दिक्कत है। कई बार आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने के बाद श्रमिक को आधे से एक घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता है।

इसके लिए श्रमिकों को दोगुना भुगतान करने का प्रावधान है। ऐसे नियमों को आज भी व्यवहारिक रूप से लागू नहीं किया जा सका है इसलिए हमने श्रम मंत्री से कहा है कि ऐसे नियम बनाएं जिनका पालन किया जा सके।

उन्होंने बताया कि श्रमिकों के काम करने के समय को बढ़ाने को लेकर श्रम विभाग ने 28 अगस्त को हुई बैठक पर अपनी सिफारिश दी थी। उन्होंने अफसोस जताया कि दिल्ली में श्रमिकों की तनख्वाह भी व्यावहारिक तरीके से लागू नहीं है। क्या जितनी तनख्वाह सरकार ने लागू की है, वह श्रमिकों को मिल रही है ? अगर नहीं मिल रही है तो ऐसे निर्णय से क्या फायदा? श्रमिकों की तनख्वाह में बढ़ोतरी से संबंधित मामला हाईकोर्ट भी अभी विचाराधीन है। अरोड़ा ने बताया कि औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के काम के घंटे निर्धारित करने के लिए दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने एक स्पेशल कमेटी बनाई है।

उम्मीद है कि कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। इस कमेटी में दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के अधिकारी, औद्योगिक संगठन और श्रमिकों के प्रतिनिधि होंगे। चैंबर में लेबर रिलेशन कमेटी के चेयरमैन रामानंद गुप्ता ने श्रमिकों और उद्यमियों के बीच आपसी तालमेल बैठाने के लिए श्रम विभाग से नियमों में ढील देने के लिए कहा है। इससे सरकारी निर्णयों को लागू करने में आसानी होगी और बिना कानून तोड़े सभी उद्यमी नियमों का पालन कर सकेंगे।
http://business.bhaskar.com/article/working-hours-of-workers-will-be-renewed-4054901.html

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

मैनेजमेंट संस्थानों में प्रवेश परीक्षा पर रोक

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 16, 2012, 00:35AM IST
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एआईसीटीई का नया नियम अगले सत्र से लागू

चेतावनी - एआईसीटीई के इस निर्णय का पालन सभी संबंधित संस्थानों के लिए जरूरी है अन्यथा ऐसे पाठ्यक्रमों पर एआईसीटीई की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। बिना प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थी ही इसके जिम्मेदार होंगे।

कार्रवाई - मान्य प्रवेश परीक्षाओं के अलावा किसी अन्य परीक्षा के जरिए मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों को अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे डिप्लोमा को भी अमान्य घोषित किया जाएगा।

मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में बिना प्रवेश परीक्षा के एडमिशन लेने वाले छात्रों आल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने आगाह किया है। एआईसीटीई ने मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेने वाले छात्रों को सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सूचित करते हुए कहा है कि मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में कैट, मैट, एक्स-ऐट, जी-मैट प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही प्रवेश लिया जा सकता है।

एआईसीटीई के इस निर्णय का पालन करना सभी सभी संबंधित संस्थानों के लिए जरूरी है अन्यथा ऐसे पाठ्यक्रमों को लेकर एआईसीटीई की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। साथ ही, बिना प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थी ही इसके जिम्मेदार होंगे।

उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के अलावा किसी अन्य परीक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों को अयोग्य घोषित किया जाएगा। साथ ही, संस्थान द्वारा दिए जाने वाला डिप्लोमा को भी अमान्य घोषित किया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने वाले संस्थानों के खिलाफ एआईसीटीई के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

एआईसीटीई के चेयरमैन एस.एस.मंथा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि वर्ष 2013-14 के लिए मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों जैसे पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एक्जीक्यूटिव मैनजेमेंट , पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कॉरपोरेट मैनेजमेंट में प्रवेश के लिए कई संस्थानों ने विज्ञापन दिए हैं जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 1 मार्च, 2012 के निर्णय में सभी संस्थानों को उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से ही मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए कहा है।

ऐसे में इस समय जो भी संस्थान अपनी प्रवेश परीक्षा का आयोजन कर रहे है, वह सीधे तौर पर सुप्कीम कोर्ट के निर्णय की अवमानना कर रहे हैं।  मंथा ने कहा कि 2013-14 के सत्र में मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेने के इच्छुक छात्रों को एआईसीटीई के नियम मानने होंगे। एआईसीटीई के नियमों को न मानने वाले छात्र और संस्थान खुद ही इसके जिम्मेदार होंगे।
http://business.bhaskar.com/article/management-institutions-entrance-test-ban-4043485.html

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

महंगे बेचे जा रहे हैं ड्राई फ्रूट

आकर्षक पैकिंग में महंगे बेचे जा रहे हैं ड्राई फ्रूट

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 06, 2012, 01:10AM IST
 
 

इस कारोबार में नामी ब्रांड भी बाजार में उतरे

फिर भी भीड़ - बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष ड्राई फ्रूट की कीमतों में 15-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बावजूद बाजार में ड्राईफ्रूट  के प्रति लोगों की चाहत बढ़ती जा रही है। पिछले एक सप्ताह से इसके ग्राहकों को अच्छी खासी भीड़ है बाजारों में। सोमवार को भी ग्राहकों की अच्छी भीड़ थी।

पैकेजिंग का खेल - पैकेजिंग के सहारे 2.50 किलोग्राम तक ड्राई फ्रूट के पैक को 2,800 रुपये की लागत में बेचा जा रहा है जबकि बाजार में इस पैकेजिंग वाले ड्राई फ्रूट पैक की कीमत 1,500 रुपये से अधिक नहीं है। एक किलो ड्राई फ्रूट के नामी ब्रांड 1,230 रुपये ग्राहकों से वसूल कर रहा है।

पैकेजिंग के सहारे एनसीआर में कुछ नामी ब्रांड सस्ते ड्राई फ्रूट को महंगा कर बाजार में ग्राहकों को बेच रहे हैं। पैकेजिंग के सहारे 2.50 किलोग्राम तक ड्राई फ्रूट के पैक को 2,800 रुपये की लागत में बेचा जा रहा है जबकि बाजार में इस पैकेजिंग वाले ड्राई फ्रूट पैक की कीमत 1,500 रुपये से अधिक नहीं है। एक किलो ड्राई फ्रूट के नामी ब्रांड 1,230 रुपये ग्राहकों से वसूल कर रहा है। चांदनी चौके में हल्दीराम के स्टोर पर ऐसे पैकेजिंग पैक की भरमार है। मजेदार की बाते है कि ग्राहकों को छला जा रहा है मगर वे इस पर अपनी आपत्ति भी दर्ज नहीं करा रहे।

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ड्राई फ्रूट की कीमतों में 15-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बावजूद बाजार में ड्राईफ्रूट  के प्रति लोगों की चाहत बढ़ती ही जा रही है। पिछले एक सप्ताह के दौरान खारी बावली में ग्राहकों को अच्छी खासी भीड़ उमड़ी है। खारी बावली में लाहौर ड्राई फ्रूट के प्रोपराइटर राकेश चावला ने बताया कि सोमवार का दिन होने के बावजूद आज बाजार में ग्राहकों की अच्छी भीड़ देखने को मिल रही है।

ग्राहकों का रुझान भी मिठाई से हटकर ड्राईफ्रूट की तरफ हुआ है। खारी बावली थोक बाजार में अमेरिकन बादाम का भाव 460-500 रुपये प्रति किलो के स्तर पर है जो पिछले साल दीवाली पर 400-425 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिका था।

इसके अलावा, काजू का भाव भी पिछले साल की तरह 850 रुपये प्रति किलो के स्तर पर चल रहा है। पिस्ता के भाव में भी 150 रुपये प्रति किलो की तेजी आ गई है। दिल्ली ड्राई फ्रूट बाजार में ईरानी पिस्ता का भाव पिछले साल के 600 रुपये के स्तर पर बढ़कर 750 रुपये प्रति किलो हो गया है।
अमेरिकी पिस्ता 500 रुपये से बढ़कर 650 रुपये प्रति किलो में बिक्री की जा रही है। किशमिश का भाव पिछले एक महीने में 220-250 रुपये से बढ़कर 200-325 रुपये प्रति किलो हो गया है।

खारी बावली थोक बाजार में ड्राई फ्रूट्स के थोक कारोबारी रमेश शर्मा ने बताया कि पिछले दो सालों से लगातार ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है। अभी बाजार में ड्राई फ्रूट की मांग अच्छी आ रही है। उम्मीद है कि आगे के दिनों भी मांग अच्छी रहेगी क्योंकि सर्दियों में अक्सर मांग बढ़ जाती है।
http://business.bhaskar.com/article/dry-fruits-are-sold-in-attractive-packing-expensive-4013037-NOR.html

शनिवार, 3 नवंबर 2012

सिर्फ19% इंजीनियरिंग कॉलेज ही निकले मानकों पर खरे

सिर्फ19% इंजीनियरिंग कॉलेज ही निकले मानकों पर खरे

  Sachin Yadav नई दिल्ली | Nov 03, 2012, 01:18AM IST
 
 
 
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 ''ये आंकड़े देखकर वाकई मैं खुश नहीं हूं। लेकिन देश में अब तक इस तरह का कोई भी सर्वेक्षण नहीं किया गया है। इस सर्वेक्षण की जरिए हम यह जान पाएंगे कि हमें इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में कहां पर हस्तक्षेप करना है। अभी देश में 3,600 इंजीनियरिंग संस्थान हैं जबकि पिछले पांच वर्षों के दौरान इस संख्या में से 50 फीसदी संस्थान खुले हैं।
एस.एस.मंथा एआईसीटीई चेयरमैन

शुरुआती नतीजे - इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 156 इंजीनियरिंग कॉलेज में से 28 कॉलेजों ने उच्च स्तर इंडेक्स स्कोर 46 से अधिक प्राप्त किया है। मध्यम स्तर इंडेक्स स्कोर 15-46 प्राप्त करने वालों की संख्या 99 है जबकि लो लेवल इंडेक्स स्कोर 15 से कम प्राप्त करने वाले संस्थानों की संख्या 29 है। अभी यह शुरुआती चरण के नतीजे है ।

सर्वेक्षण क्यों - सर्वेक्षण से पता चला कि देश भर में दस वर्ष से पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या सिर्फ1,070 है जबकि सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले संस्थानों की संख्या मात्र 156 थी जोकि मौजूदा इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या का मात्र 14.6 फीसदी है। बहरहाल, सर्वेक्षण से इन संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता का पता चला।

क्या दे शके पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों की शिक्षा में गिरावट आ रही है?एक सर्वेक्षण से पता चला है कि दस वर्ष से पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों में मात्र 19 फीसदी संस्थान ही उच्च स्तर के हैं। देश भर में इंजीनियरिंग शिक्षा को लेकर कॉलेजों की गुणवत्ता जानने के लिए एआईसीटीई और सीआईआई की और से आयोजित ऑनलाइन सर्वेक्षण के नतीजों में यह बात सामने आई है ।

इस सर्वेक्षण में 31 अगस्त, 2012 की अवधि तक 10 वर्ष पुराने और इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, केमिकल, सिविल और कंप्यूटर व आईटी में से कम से कम तीन ट्रेड में दाखिला देने वाले इंजीनियरिंग संस्थान हिस्सा ले सकते थे। एआईसीटीई और सीआईआई दोनों ने इंडस्ट्री लिंक्ड इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूशन 2012 सर्वेक्षण का आयोजन किया था। इस सर्वेक्षण की जानकारी सभी संस्थानों को पहले ही दे दी गई थी।

एआईसीटीई और सीआईआई की ओर से आयोजित इस सर्वेक्षण में ऑनलाइन हिस्सा लेने के लिए इंजीनियरिंग संस्थानों को 7 जून से 7 सितंबर के दौरान गवर्नेंस, पाठ्यक्रम, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विसेज, प्लेसमेंट, सोशल डेवलपमेंट से संबंधित जानकारी ऑनलाइन अपलोड करनी थी।

सर्वेक्षण के मुताबिक पता चला कि देश भर में दस वर्ष से पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या संख्या 1,070 है जबकि सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले संस्थानों की संख्या मात्र 156 है जोकि मौजूदा इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या का मात्र 14.6 फीसदी है। सर्वेक्षण में पूरे देश में सेंट्रल जोन जिसके अंदर मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्य आते है, वहां इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या 76 है जबकि इस सर्वेक्षण में मात्र 11 इंजीनियरिंग संस्थानों ने हिस्सा लिया।

इसी तरह पूर्वी जोन में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड में 79 संस्थान है जिसमें से 10 संस्थानों ने प्रतिभाग किया। इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 156 इंजीनियरिंग कॉलेज में से 28 कॉलेजों ने उच्च स्तर इंडेक्स स्कोर 46 से अधिक को प्राप्त किया है। मध्यम स्तर इंडेक्स स्कोर 15-46 प्राप्त करने वालों की संख्या 99 है जबकि लो लेवल इंडेक्स स्कोर 15 से कम प्राप्त करने वालों की संख्या 29 है। अभी यह पहले चरण के नतीजे है । इस सर्वेक्षण की फाइनल रिपोर्ट 8 नवंबर को सीआईआई द्वारा आयोजित चौथी ग्लोबल हायर एजुकेशन समिट दिल्ली में पेश की जाएगी।

''यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षेत्र में 16 लाख इंजीनियर कार्यरत हैं जबकि भारत में मात्र 3.6 लाख इंजीनियर ही इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। योग्य इंजीनियर्स की कमी देश में है। इस सर्वेक्षण के जरिए 156 इंजीनियरिंग संस्थान की अच्छाई और खामियां सामने आएंगी। आजादी के बाद से पहली बार देश में ऐसा सर्वेक्षण हुआ है। इस सर्वेक्षण में आगे बहुत सी नई चींजे जोड़ी जाएंगी।
पी.राजेन्द्रन-एनआईआईटी सह-संस्थापक, चेयरमैन नेशनल कमेटी हायर एजुकेशन सीआईआई



http://business.bhaskar.com/article/only-19-engineering-colleges-live-up-to-the-standards-set-out-4001624-NOR.html



सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

बिल्डिंग प्लान मंजूर न होने से फिर अटका बपरौला का केबीआई पार्क

सचिन यादव नई दिल्ल� | Oct 12, 2012, 02:12AM IST
 

 

 डीएसआईडीसी ने इस पार्क के निर्माण पर 1,800 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगा रखा है। इससे 100,000 लोगों को सीधे जबकि 170,000 लोगो को अपरोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

कई इंडस्ट्रीज - डीएसआईआईडीसी की ओर से शुरूआत में 1,450 करोड़ की लागत से वाले बहुप्रतिक्षित बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण करने की योजना थी। दिल्ली सरकार ने इस पार्क में आईटी, आईटीईएस और मीडिया समेत कई अन्य इंडस्ट्रीज को लगाने की योजना बना रखी है।

बिल्डिंग प्लान पास न होने के चलते एक बार फिर दिल्ली सरकार की बहुप्रतीक्षित बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क बनाने की योजना अधर में पड़ गई है। बपरौला नॉलेज बेस्ड इंड्रस्ट्रियल पार्क का काम जुलाई 2012 में शुरू होना था लेकिन बिल्डिंग प्लान पास न होने से इस योजना का निर्माण कार्य अभी नहीं शुरू हो पाया है।

दिल्ली राज्य औद्योगिक व अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) के इस प्रोजेक्ट का ले आउट प्लान पास हो चुका है। लेकिन बिल्डिंग प्लान को मंजूरी न मिलने के चलते अभी इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

डीएसआईआईडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केबीआई पार्क के लिए 26 मीटर ऊंची बिल्डिंग बनाने की अनुमति मांगी है। पर नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों के मुताबिक 18 मीटर से ज्यादा बड़ी बिल्डिंग बनाने की अनुमति ने होने के कारण मामला केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय में पहुंच गया है। इस परियोजना के लिए मंत्रालय ने अभी एक कमेटी का गठन किया है।

अब इस पर लोगों के सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे और उसके बाद जाकर इस परियोजना को मंजूरी मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि कम से कम छह से सात माह बाद ही यह प्रोजेक्ट शुरू हो पाएगा। इससे पहले दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा बनवाए जाने वाले बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के मॉडल का चयन तय भी समय सीमा तक नहीं हो पाया था।

डीएसआईआईडीसी द्वारा शुरूआत में 1,450 करोड़ की लागत से वाले बहुप्रतिक्षित बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण करने की योजना थी। दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में इस नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण के लिए 1,800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस पार्क में आईटी, आईटीईएस और मीडिया समेत कई अन्य इंडस्ट्रीज को लगाने की योजना है। 

डीएसआईआईडीसी ने वर्ष 2006 में दिल्ली सरकार के ग्रामीण विकास निदेशालय से बपरौला में 130.7 एकड़ जमीन का अधिग्रहण 99 साल की लीज पर बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क को स्थापित करने के लिए किया था। डीएसआईआईडीसी के बपरौला में नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क को स्थापित करने के प्रस्ताव को दिल्ली सरकार की मंजूरी भी मिल चुकी है। डीएसआईआईडीसी ने इसके लिए 70.6 एकड़ जमीन के दो भागों क्रमश 65.62 एकड़ व 4.99 एकड़ में नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क का नांगलोई-नजफगढ़ रोड पर निर्माण करने का निर्णय किया है।

इस पार्क के पहले फेज में होने वाले डेवलपमेंट वर्क को अगस्त 2012 ,बिल्डिंग वर्क को दिसंबर 2012, दूसरे फेज में होने वाले बिल्डिंग वर्क को अप्रैल 2014 व  तीसरे फेज में बिल्डिंग वर्क व बचे हुए काम को करने को पूरा करने की अंतिम तिथि दिसंबर 2014 थी लेकिन अब परियोजना की रफ्तार देखते हुए समय पर इस पार्क निर्माण कार्य पूरा होना संभव नहीं है।

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

औद्योगिक इलाकों में होने चाहिए हाउसिंग प्रोजेक्ट

सचिन यादव नई दिल्ल� | Oct 10, 2012,
 
जमीन की कमी से निपटने के साथ-साथ औद्योगिक इलाकों में एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं लोगों को उपलब्ध हो जाएं, इसके लिए दिल्ली राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) ने डीडीए को औद्योगिक इलाकों में हाउसिंग प्रोजेक्ट होने चाहिए। डीएसआईआईडीसी ने बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू करने के साथ औद्योगिक इलाकों की कनेक्टिविटी को भी मेट्रो से जोडऩे संबंधित प्रस्ताव डीडीए को दिया है।

डीएसआईआईडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में जमीन की कमी से निपटने के लिए अभी से ही इंतजाम करने होंगे। इसके लिए औद्योगिक इलाकों को सर्विस इंडस्ट्री के तौर पर भी विकसित किया जाएं।

अधिकारी ने बताया कि अगर औद्योगिक इलाकों में आईटी, बीपीओ और केपीओ सेंटर स्थापित किया जाए, साथ ही हाउसिंग प्रोजेक्ट भी शुरू किए जाएं तो वहां लोगों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। लोग अपनी सुविधा अनुसार इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में शुरू हुई हाउसिंग प्रोजेक्ट में भी रह सकेंगे। इससे शहर में बढ़ते अधिक जनसंख्या घनत्व को कम करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा औद्योगिक इलाकों में इमारतों की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर भी मास्टर प्लान-2021 में संशोधन करने को कहा गया है।

इमारतों की ऊंचाई के कारण कई प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान पारित नहीं हो पाते हैं। इससे प्रोजेक्ट के पूरे होने की अवधि बढ़ जाती है। इसके साथ ही बसों के अलावा दूसरे ट्रांसपोर्ट के साधनों के जरिए औद्योगिक इलाकों का यातायात बढिय़ा हो, इसको भी मास्टर प्लान-2021 में शामिल करने के लिए कहा गया है। दिल्ली विकास प्राधिकरण मास्टर प्लान-2021 को पिछले कई वर्षों से तैयार कर रही है लेकिन अभी तक मास्टर प्लान तैयार नहीं हो पाया है।
इनका भी सुझाव
औद्योगिक इलाकों में इमारतों की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर भी मास्टर प्लान-2021 में संशोधन करने को कहा गया है। इमारतों की ऊंचाई के कारण कई प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान पारित नहीं हो पाते हैं। इससे प्रोजेक्ट के पूरे होने की अवधि बढ़ जाती है। इसके साथ ही बसों के अलावा दूसरे ट्रांसपोर्ट के साधनों के जरिए औद्योगिक इलाकों का यातायात बढिय़ा हो, इसको भी मास्टर प्लान-2021 में शामिल करने के लिए कहा गया है।
http://business.bhaskar.com/article/housing-projects-in-industrial-areas-should-be-3900859.html

दिल्ली में कम बिजली खपत करने वालों को राहत संभव


सचिन यादव नई दिल्ल� | Oct 09, 2012,
 
 

छूट संभव - बिजली यूनिट के स्लैब में बढ़ोतरी की जा सकती है। इस बढ़ोतरी के बाद अब तक 200 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के बिल में अधिकतम 20 फीसदी तक और 300 यूनिट से अधिक प्रयोग करने वाले लोगों को 5 फीसदी तक बिजली बिल कम आ सकता है।

महंगी बिजली और मनमाने बिजली बिलों से जूझती दिल्ली की जनता को जल्द ही थोड़ी राहत मिल सकती है। बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए बिजली टैरिफ स्लैब में निश्चित यूनिट की संख्या में बढ़ोतरी की जा सकती है।

अगर दिल्ली सरकार 200 यूनिट से ऊपर उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी देती है तो और भी अधिक राहत मिल सकती है। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन पी.डी.सुधाकर ने सोमवार को बताया कि बिजली यूनिट के स्लैब में बढ़ोतरी की जा सकती है।

इस बढ़ोतरी के बाद अब तक 200 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के बिल में अधिकतम 20 फीसदी तक और 300 यूनिट से अधिक प्रयोग करने वाले लोगों को 5 फीसदी तक बिजली बिल कम आ सकता है।

सुधाकर ने बताया कि इस बाबत आयोग बाद में एक बैठक बुलाकर फैसला करेगा। उन्होंने बताया कि पॉवर परचेज के तहत हर तीन महीने बाद होने वाली बढ़ोतरी भी शायद इस बार न हो क्योंकि अब तक पॉवर परचेज का रुझान देखते हुए यही कहा जा सकता है। पॉवर परचेज के हिसाब से बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी करने को लेकर डिस्कॉम कंपनियों ने अब तक कोई आवेदन नहीं किया है।

सोमवार को बिजली यूनिट के स्लैब को लेकर होने वाली मीटिंग विरोध-प्रदर्शन के कारण टल जाने पर उन्होंने कहा कि आयोग के सभी सदस्यों के सलाह मशविरा के बाद अगली जनसुनवाई कब आयोजित की जाए, इस पर फैसला किया जाएगा। इस बात पर भी उन्होंने जोर दिया कि दिल्ली में घरेलू बिजली की दरें आज भी काफी सस्ती हैं।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, भाजपा को सब पता था
बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी को लेकर डीईआरसी के बाहर प्रदर्शन करते हुए अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली टैरिफ से संबंधित सारी जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता के पास थी।

डीईआरसी ने यह जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को मई 2010 में ही मिल गई थी जिसमें बिजली टैरिफ घटाने का प्रस्ताव था। ऐसे में जब दो साल से भी अधिक का समय बीत गया तब भाजपा अब नींद से जागी है।

बिजली टैरिफ पर भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीति कर रही हैं। शायद डीईआरसी के अधिकारियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन करेंगे। आईएसी के समर्थक तिरंगों के साथ डीईआरसी हाय-हाय, चेयरमैन हाय-हाय करते रहे।

इस दौरान कई बार आईएसी के समर्थकों ने पुलिस को चकमा देकर अंदर घुस गए। करीब सौ से अधिक लोगों ने गलत बिजली बिलों के बारे में सड़क पर ही लोगों को जानकारी दी। पुलिस वीडियो ग्राफी :दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के पहुंचने के बाद दिल्ली पुलिस से जुड़ा कर्मचारी सिविल ड्रेस में वीडियोग्राफी में लगा रहा।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऐसे आयोजनों के समय कई बार कुछ उपद्रवी बवाल करते हैं। ऐसे अराजक तत्वों से निपटने के लिए वीडियोग्राफी की जा रही है। जिन सड़क पर ट्रैफिक पुलिस का कभी नामोनिशां नहीं होता था आज वहां ट्रैफिक पुलिस की लगी हुई थी। मालवीयनगर में अरविंदो कॉलेज से लेकर शिवालिक तक की रोड पूरी तरह से ट्रैफिक जाम में फंस गई।

http://business.bhaskar.com/article/low-power-consumption-possible-relief-to-those-in-delhi-3896038.html