शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

मीडिया पर निर्भरता

सचिन स्वतंत्र
मीडिया पर निर्भरता का सिं़द्धात( मीडिया ंिडपेंडेंसी थ्योरी)
यह सिंद्धात इस बात की व्याख्या करता है कि दर्षक,श्रोता और पाठक(आडियंस) किस सीमा तक जनमाध्यमों पर निर्भर रहतें हैं। सन् 1976 में दिए गए इस सिं़द्धात पर बाल रोकी और डिफ्ल्यूर का मानना है कि समाज में जितनी अनिष्चितता होती है लोगों की संदर्भ संरचना उतनी ही कम स्पष्ट होती है। जिसके परिणामस्वरूप आंडियस की माध्यमों पर निर्भरता अधिक होती है।
माध्यम विष्लेषकों का मानना है कि जनमाध्यमों के संदेषों की प्रभावोत्पादकता तब बढ़ जाती है जब वह कई विषिष्ट एवं केन्द्रित सूचना के रूप में कार्य करते हैं। माध्यम जगत में सूचना के जितनें ही कम स्रोत होगें, माध्यमों सें हमारें मस्तिष्क के चिन्तन और दृष्टिकोण को प्रभावित करनें की सम्भावना उतनी ही अधिक होगी जैसें जिस समय यह सिंद्धात दिया गया था उस भारत में उतनें मीडिया इतनी अ्रगणी भूमिका में नहीं था। जबकि आज एक सूचना को आडियंस तक पहुँचानें के लिए सैकड़ों अलग-अलग जनमाध्यम हैं। साथ ही आडियंस के मस्तिष्क पर विकासात्मक प्रभाव डालने में सदेषों की गुणवत्ता महत्वपूर्ण होती है न कि उनकी मात्रा।
माध्यम , आडियंस को प्रभावित करते हैं यह सत्य है । साथ ही यह एक एकतरफा प्रक्रिया(वन वे प्रोसेज) है। माध्यम भी आडियंस की प्रतिक्रिया से प्रभावित होते हैं। संज्ञात्मक संरचना में माध्यमों की भूमिका तथा उस पर पड़नें वाले प्रभावों को निम्नलिखित रूप से स्पष्ट किया जा सकता हैः
 अस्पष्टता का समाधान और परिस्थितियों की व्याख्या दृष्टिकोण का निर्माण  लोगों की आस्थाओं का विस्तार करना एजेन्डा तय करना मूल्यों का स्पष्टीकरण इसकें अतिरिक्त मीडिया का आडियंस तथा सामाजिक प्रणाली के साथ गहरा रिष्ता रहता है, रोकी और डिफ्ल्यूर के ष्षब्दों में- मीडिया व उनकें श्रोता समाज का एक महत्वपूर्ण न खंडित होने वाला हिस्सा है। सामाजिक सांस्कृतिक परिवेष न केवल मीडिया के संदेषों पर प्रभाव डालता है वरन् मीडिया से श्रोताओं पर पड़नें वाले प्रभाव पर भी असर डालता है।
इस सिंद्धात की मुख्य धारणा यह है कि आडिंयस अपनी जरूरतों व उद्देष्यों की पूर्ति के लिए मीडिया पर निर्भर करते हैं। यह सिंद्वात मीडिया, आडियंस और समाज के बीच एक तीन तरफा सम्बन्ध है।
पहला है सामजिक व्यवस्था में स्थिरता और दूसरा है मीडिया से दिए जानें वालें संदेषों की संख्या व महत्ता।मीडिया के अनेक कार्य हैं, किसी विषेष समूह के लिए इनमें से कुछ ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। किसी माध्यम के प्रति उस समूह की निर्भरता बढ़ जाती है। जैसे कोई एक वर्ग सिर्फ समाचारों के लिए निर्भर है तो दूसरा मनोरंजन के कार्यक्रमों के लिए पर साथ में एक वर्ग ऐसा भी होगा जो सिर्फ विज्ञापन या उनके प्रस्तुतिकरण पर निर्भर होगा। मीडिया पर निर्भरता परिवर्तन की पहली सीढ़ी है। जब सामाजिक परिवर्तन होता है, टकराव ज्यादा होतें हैं। संस्थाओं, विचारों ,रीति-रिवाजों, को किसी प्रकार की चुनौती मिलती है, तब ऐसे समय में सूचना प्राप्ति के लिए लोगों की मीडिया पर निर्भरता और अधिक बढ़ जाती है।
यह सिंद्धात जनसंचार के तीन प्रभावों की चर्चा करता है। ज्ञान संबंधी भावनात्मक और व्यावहारिक। ये प्रभाव इस बात पर निर्भर करते हैं कि श्रोता किस हद तक मीडिया पर निर्भर है। मीडिया स्वयं ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं। जब ऐसी स्थिति बन जाती है, लोगों की मीडिया पर निर्भरता बढ जाती है।
ऽ पहला प्रभाव मीडिया के संदेषों से स्थिति को स्पष्ट करनें में और श्रोताओं की सोच को एक क्रम देनें में बहुत मदद मिलती है और जब अस्पष्टता कम हो जाती है, तो यह प्रभाव भी कम हो जाता है। ऽ ज्ञान संबंधी दूसरा प्रभाव है दृष्टिकोण निर्माण। चुनाव करनें की क्षमताएं, रवैया बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। ऽ तीसरा प्रभाव है मीडिया का एंजेडा तय करना। लोग मीडिया का चुनाव यह जानने के लिए करते हैं कि कौन से मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। ऽ चैया प्रभाव है लोगों की आस्थाओं का विस्तार करना। सूचना से कई क्षेत्रों जैसे धर्म या राजनीति आदि में विचारों या विष्वासों बढ़ाया जाता है। ऽ पाँचवा प्रभाव है मूल्यों का स्पष्टीकरण। जब मूल्यों में विरोधाभास पैदा होता है तो मीडिया पैदा होता है तो मीडिया इसे दूर करने की कोषिष करते हैं।
इस सिंद्धात का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि मीडिया के संदेष लोगों को उस हद तक ही प्रभावित करते हैं जिस हद तक वे मीडिया पर निर्भर करते हैं। दरअसल, संचार अपने हर रूप में समाज को एकजुट रखनें में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समाज में संबंध रहने, उसकों बढ़ावा दिया है और इसका अर्थ है कि मीडिया कुछ हद तक ष्षक्तिषाली है। जैसा कि लोग समझते हैं।
इस प्रकार निर्भरता का सिंद्धात एक मुख्य सिंद्धात है जो व्यक्तिगत विभिन्नताओं और मीडिया के प्रभावों की चर्चा करता है। इस सिंद्धात की मुख्य कमी यह है कि यह समाज और संस्कृति पर मीडिया के नकारात्मक प्रभावों की अनदेखी करता है। यह मीडिया के सकारात्मक प्रभावों की ही चर्चा करता है। मीडिया पर निर्भरता कैसे एक आदत बन जाती है, इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं, जैसे आज भी व्यक्ति मौसम का हाल जानने के लिए मीडिया पर निर्भर रहता है जबकि मौसम का हाल मीडिया को समाज से ही पता चलता है। उसी तरह व्यापार संबंधी खबरों के लिए लोग मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर निर्भर रहते हैं क्योंकि सभी प्रकार की व्यापर से संम्बंधित खबरें व्यक्ति अपनें स्तर पर प्राप्त नहीं कर सकता। दिल्ली में बैठे व्यक्ति को मुंबई ष्षेयर बाजार में घटनें वाली मीडिया से ही पता चलती है। अगर वह मीडिया पर निर्भर नहीं रहेगा तों उसें यह खबर प्राप्त करनें के लिए मुम्बई तक जाना होगा।

सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

गठबंधन की राजनीती आएगी काम

अरूणाचल प्रदेश को छोड़कर कांग्रेस महाराष्ट्र और हरियाणा में अपना परचम नहीं लहरा पायी है। सन् 2005 के चुनावों की तुलना में इस वर्ष उसे छः सीटों का नुकसान हुआ है। सिर्फ़ अरूणाचल प्रदेश में ही अपनें बूतें पर सरकार बनानें मंें सफल होगी जबकि महाराष्ट्र में 13 सीटों के फायदे ंके बावजूद फिर गंठबधन की राजनीति का सहारा लेना पड़ेगा। और हरियाणा में अगर विधायकों की खरीद-फरोख्त ही भूपेन्द्र सिंह हुंडा या दूसरें प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर सकती है। ए0पी0बर्घन नें कहा कि चुनावों में सांप्रदायिक ताकतों की हार हुई है। तो दूसरी तरफ महाराष्ट्रमें गैर मराठी भाषी लोगों के लिए मुसीबत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 13 सीटों पर अपना सूर्योदय करती दिखायी पड़़ती हैं। क्या सांप्रदायिक ताकतों को क्षेत्रीयवादी ताकतों से हार का सामना करना पड़ा है। कुछ भी हों कांग्रेस अभी भी पूरें तौर पर े जनमानस के साथ नहीं जुड़ पायी है। भविष्य में कहीं गठबंधन की राजनीति कांग्रेस के वोट बैंक के साथ-साथ गैर हिंदी भाषी राज्यों से कांग्रेस का सफाया भी न कर दें।

बुधवार, 26 अगस्त 2009

dimaag की baati jaloun अपनी akl lago.

मीडिया में एथिक्स विषय पर बात कर- कर और बात करने वालों के विचार सुन-सुन के मेरे कान दर्द करने लगे हैं। एक समय गांधीजी ने देश की आजदी के लिए कहा था करो या मरो। स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात अब सभी प्राइवेट काम करने वालो के लिए भी यही हालत हैं, जो कंपनी का मालिक कहता हैं करो वरना मरो।
भारतीय जनसंचार संसथान में जब से पढने आया हूँ पता नही क्यों लगता हैं। आख़िर सब मीडिया के peechey हाथ dhokar kyon pad gaye hai. yeh ek professional course hain aur hume yaha professional muddo ko aur aachi tarah se samaghne ka mauka milta hain. abhi tak ek mahine ki class mein kai gante toh media ke ethics par baatien kar ke nikal gaye. bilkul comman man ka sochna yahi hain ki media mein ethices kaha hain aur iske bina media kaise survive karega. samay ke hisaab se sab theek ho jayega. aur content aur concept bhi news mein space bana legne. agar koi media channel mujhe job dega aur acchi salary toh wah muhjse umeed karega ki maine uske liye kaam karu na ki khud ke liye. aur agar aap ko khu ke liye kaam karna hain toh pahle woh mukaam paana hoga jahna aap ki baat sunne wale jaroor ho. jab aapki baat sunne wale hoge toh un baaton ko follow karne walo ki sankya par jaroor dhayn dena hoga. yeh nahi ki taav mein aakar job chor di aur phir daar daar ki thokare kha rahe ho. bahut bade naamo par dhayn na diya kare kyoki woh apna mukaam pa chuke hain aur woh jab bhi job change karte hain toh dusari jagagh pakki rahti hain. isliye dimag ki baati jaloun aur apni akal lago.

बुधवार, 22 जुलाई 2009

टी आर पी के लिए साला कुछ भी करेगा.

टेलिविज़न का इतिहास बदलता जा रहा है. हम लोग जैसे प्रोग्राम की बुनियाद ख़तम होती जा रही है. टी आर पी के लिए साला कुछ भी करेगा, समय बदल गया साथ ही लोगो की सोच के साथ पसंद भी बदल गयी है. आज राखी का विवाह दिखाया जा रहा है, कल राखी का विवाह पार्ट -२ दिखाया जायेगा, फिर राखी का हनीमून, फिर राखी की डिलिवरी, फिर राखी के बच्चे ,भविष्य में यही प्रोग्राम टीवी पर छाए रहेगे, भाई लोगो की ग्रोथ हो रही है. लोगो के लिए उनके लिए क्या हो रहा है इससे लेना देना ही नही है. वह राखी का विवाह देखने में मस्त है. क्योकि सच का सामना होना अभी भी उनकी जिन्दगी मीलो दूर है, जिन प्रोग्राम की स्क्रिप्ट पहले तैयार है उनके विषय में क्यों नहीं सोच रहे हैं. लोगो को पता नही क्या हो गया है . वह जैसे सब कुछ भूल गए है. मैंने यह भी सुना हैकी उस प्रोग्राम में शामिल होने वाले लड़को के घर वालो की काफी शर्मिंदा होना पड़ता है. आज मीडिया का यूज़ किस तरह से किया जाये, यह भी पता है. कुछ बदलने वाला नही है लगता यही है आप गाँधी जी या भगात सिंह न बने, क्योकि बन भी जायेगे तब भी आपकी मूर्ति पर माला नहीं होगी, बस कौवों और चिडियों की ......................................................

सोमवार, 29 जून 2009

"दिल्ली पर भारी- पानी की मारा मारी"

कहा जा रहा है कि तीसरा विश्व युद्घ पानी के लिए होगा. और इसका एहसास इस गर्मी में सभी भारत वाशियों ने कर भी लिया होगा. हाँ कुछ मुट्ठी भर लोग अभी भी इसको भयानक हालात नहीं मानते है. अभी में २७ जून को दिल्ली अपना भारतीय जनसंचार संस्थान का साछात्कार देने गया था. मैंने तो जेएनयू कैम्पस में रुका था. पर जब २८ तारीख का पेपर नवभारत टाईम्स पढ़ा, तो मेरे रोगंटे खड़े हो गए. नेहा लालचंदानी नाम कि रिपोर्टर ने पानी कि समस्या पर एक रिपोर्ट लिखी थी. जिसमे पानी कि खरीददारी देख कर दीमाग घूम गया. किस तरह से एक आदमी पानी के लिए ३०० रुपये देकर महीने भर का पानी खरीदता था. और उसको टेंकर में भर कर रखता था, और सिर्फ ६ लीटर पानी सप्ताह में अपने ऊपर खर्च करता था. और यहाँ लखनऊ में हम सिर्फ दिन भर में ६ लीटर पानी पी जाते हैं. पानी का आसामान्य वितरण भी एक मुख्या कारन है. फिर भी दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान के एक कर्मचारी की भूमिका पानी बचाने में बहुत महतवपूर्ण थी. वह कई बार संस्थान में घूमते थे और जहाँ कही भी पानी खुला मिलता था उससे बंद कर देते थे. वह वास्तव में एक सच्चे भारतीय है.
iimc mein likhi woh kuch is tarah thi
past is a waste paper
present is news paper
future is a question paper
and life is an answer paper, so carefully read and write. यह हमारे लिए कुछ ख़ास है

मंगलवार, 9 जून 2009

मेरा नाम पिंकू श्रीवास्तव है और आप


नमस्कार दोस्तों आज मैं आप को एक मित्र से मिलवाता हूँ , जो इंसान नहीं फिर भी इंसान से बढ़कर है. आज से दो साल पहले जब भारत ने अपना पहला ट्वेंटी ट्वेंटी वर्ल्ड कप जीता था . तब वह पहली बार मेरे सामने आया था. तब वह बहुत छोटा सा था . उसकी उम्र २ या तीन महीने ही होगी. जिसकी बात मैं कर रहा हूँ उनका नाम पिंकू श्रीवास्तव है और वह एक कुत्ता है. यह नाम रखने का एक कारन यह है की जो उस कुत्ते को घर लाये थे उनका नाम पिंकू श्रीवास्तव है और पहले उनके अंदर बहुत जोश था उसको पालने का, पर अचानक सारा जोश काफूर हो गया. और उन्होंने उसे सड़क पर आवारा कुत्ते की तरह छोड़ दिया. आज वह दो साल का चूका है. मुझे ख़राब यह लगा की उन्होंने किसी बच्चे को उसकी माँ से अलग किया और फिर उससे सड़क पर भटकने के लिए छोड़ दिया था. आज वह हमारी कालोनी में काफी मशहूर हो चूका है. क्योकि उसने कुछ दिन पहले ही हमारे घर के पास ही रहने वाले दुसरे श्रीवास्तव जी के घर होने वाली चोरी को रोका था और चोरो को भगा दिया था. आज भी वह अपनी इमानदारी और स्वामिभक्ति नहीं भूला है. और अपने पहले वाले मालिक के साथ मेरे और बाकि सभी के घरो की सुरक्षा करता हैं. उसके अन्दर किसी भी प्रकार का घमंड नही है. वह अब पूरी कालोनी में मशहूर हो चूका है. जो पिंकू श्रीवास्तव उसको लाये थे वह मेरे भैया लगते है. शायद उन्हें इस बात का अंदाजा तक नही है जब वह अपना घर छोड़ कर कही बहार जाते हैं तब वह लगातार उनके घर की सुरक्षा करता है. बस अपना फ़र्ज़ निभाता चला जा रहा है. मैंने बहुत पहले एक हॉलीवुड की फिल्म बीथोवेन देखि थी तब मुझे वह कुत्ता बहुत प्यारा लगा था, बस अब पूरी तरह से पिंकू श्रीवास्तव बीथोवेन की भूमिका निभा रहे है. और अब मुझे भी उससे प्यार हो गया है. जब हम घर पहुचते हैं तब पता नही कैसे पता चल जाता है और वह घर आ जाता है. जब सुबह मैं साइकिल से घर निकलता हूँ तब वह मुझे छोड़ने काफी दूर तक आता है. अब मेरे पापा कहते हैं, तुम इसको जयादा प्यार मत करो वरना जब इसको कुछ हो जायेगा. उस समय तुम्हे काफी पीडा होगी.
बस में यही दुआ करता हु भगवन उसे कोई दर्द न दे और उसे हमेशा ठीक रखे, तुम जियो हजारो साल, और तुम्हारी जैसी इमानदारी सभी को मिले.

गुरुवार, 4 जून 2009

बाप अंधरे में बेटा हो गया पॉवर हाउस

लखनऊ यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता और जनसंचार डिपार्टमेन्ट का अब भगवान् ही मालिक है।करीब १८ वर्ष पहले शुरू हुआ यह विभाग अपने हाल पर रो रहा है। आज जिस डिपार्टमेन्ट को पूरे देश भर में अपना परचम फैलाना चाहिए, आज वही विभाग काफ़ी निचले निर्णय ले रहा है। सन २००५ में शुरू हुआ बी जे म सी कौर्से रोक दिया गया है । बचेलोर इन जौर्नाल्सिम एंड मॉस कम्युनिकेशन कौर्से आज भारत देश में अधिकतर यूनिवर्सिटी शुरू कर रही है ऐसे समय में डिपार्टमेन्ट ऑफ़ जौर्नालिस्म एंड मॉस कम्युनिकेशन लखनऊ यूनिवर्सिटी का यह फ़ैसला छात्रों के भविष्य से साफ़ साफ़ मजाक जान पड़ता है। अगर विभाग कहता है की उसके पास प्रोफ़ेसर, रीडर और स्पेसिअलिस्ट नही हैं, तोह यह पुरी तरह से बेमानी होगी। क्योकि जब विभाग ने २००५ में इस कौर्से को शुरू किया तब डिपार्टमेन्ट के पास सिर्फ़ एक परमानेंट फेकल्टी थी। जो की डॉ रमेश चंद्र त्रिपाठी जी थे। बाकी सब गेस्ट फेकल्टी थे। अब डिपार्टमेन्ट में डॉ मुकुल श्रीवास्तव के रूप में एक अन्य परमानेंट फेकल्टी भी विभाग में है। आख़िर क्यो यह कौर्से बंद किया गया इसका कोई जवाब अभी तक नही मिल पाया है। जबकि गोमती नगर में माडर्न कॉलेज इस बार भी बीजेमसी में दाखिले लेगा। यह कॉलेज सिर्फ़ लड़कियों के लिए है और सिर्फ़ उन्हें ही दाखिला मिल पायेगा। भविष्य में लखनऊ यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग में भी सिर्फ़ माडर्न कॉलेज की लड़किया ही पढ़ पायेगी, क्योकि यहाँ मेरिट पर दाखिला होता है और माडर्न कॉलेज की लड़कियों के परसेंटेज भी ७० से ७८ तक होते है। यह कैसा नियम कानून है की जिस बाप ने बेटे को पैदा किया आज और पाला पोषा आज उस बाप की वाट लग गई है। पत्रकारिता विभाग में जिस तरह की राजनीती हो रही है , उससे एक तरफ़ जो छात्र पत्रकारिता में अपना भविष्य सर्च कर रहे थे , आज वोह लोग इस दोड़ से तरह अलग जान पड़ते है। दूसरी तरफ़ छोटे सहरो में किस तरह की पत्रकारिता होती होगी, उसका अंदाजा इससे ही लग जाता है। एक तरफ़ छात्र और छात्रा की बराबरी की वकालत की जाती है और दूसरी तरफ़ छात्रों को शूली पर लटकाने की तयारी की जा रही है। जो लोग छात्रों के भविष्य से खेल रहे हैं उन्हें जवाब देना होगा। और अब समय आ गया है की लखनऊ यूनिवर्सिटी अपना स्टैण्डर्ड भी चेक कर ले , क्योकि जिस कौर्से को वह पढ़ा रहे है वोह काफी पुराना हो गया है, अब बारी हैं कौर्से को अपडेट एंड नया करने की।

गुरुवार, 14 मई 2009

मंगल पर भारी पड़ेगा शनि

वैसे मैं ज्योतिष शास्त्र में विश्वास नही करता हूँ, फिर भी भारतीय राजनीती मुझे इसे अपनाने पर मजबूर कर देती है । मेरा एक अनुमान है की १५ वे लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ़ होने में अभी २४ घंटो से अधिक का समय है।
आइये अब आते हैं मुद्दे पर कल १६ मई,२००९ दिन शनिवार है और २ जून २००९ को दिन मंगलवार है। कई ज्योतिषशास्त्र अपने मत दे चुके है और कई स्वयम सेवी संगठन के अनुसार सरकारे भी बन चुकी है। पर असलियत सामने आने में अभी कुछ वक्त है और यह वक्त अच्छे अच्छे को पानी पिलाने के लिए काफ़ी है। वास्तव में इस बार शनि लोगो के होश उड़ा देगा और लोगो को पता भी नही चल पायेगा की वास्तव में उनके साथ क्या हो गया।
कुल मिला कर सातवी बार गठबंधन की सरकार बनेगी और भगवान् भी भारतीय राजनीती में इस करिश्मे को नही रोक सकते हैं । यह करिश्मा सिर्फ़ भारत जैसे देश में ही हो सकता है। चार मोर्चे बन चुके है। भारतीय जनता पार्टी , कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया इन पार्टियों की भूमिका होगी।
२ जून वह दिन हैं जब सबसे बड़ी पार्टी अपने बहुमत साबित कर देश को नया pradanmantri देगी । सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाड़ी शनिवार को मंदिरों, मस्जिदों गुरुद्वारों और चर्च में जाकर अपने लिए इबादत करेगे की इस लोकतंत्र के महासमर में उनकी नाव भी नदी के उस पार पहुच जाए।
यह महासमर युवा वर्ग की भूमिका के लिए भी जाना जाएगा। अनुमानों की राजनीती जोरो पर है और सब अपनी सरकार बनने में लगे है। फिर आप किस बात का इंतज़ार कर रहे है आप भी अपनी सरकार बना डालिए क्या पता आप भी कभी प्रधान मंत्री बन जाए । वैसे यह जरूर धयान कर लीजिएगा का शनि और मंगल दोनों आप के साथी हो।
क्योकि पता नही कब जय हो और कब भय हो .

शनिवार, 2 मई 2009

बान ने की पत्रकारों पर हमलों की निंदा

आज अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने दुनिया भर में पत्रकारों की मौतों, उनकी गिरफ़्तारी और डराए धमकाए जाने की कड़ी निंदा की है.

बान ने अपने वक्तव्य में कहा है कि पत्रकारों पर हमलों की संख्या दहलाने वाले स्तर तक ऊंची बनी हुई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने वैश्विक समस्याओं के समाधान में मीडिया की भूमिका पर बल दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्रेस की आज़ादी का सख्ती से पालन करने की अपील की है.

संस्था 'कमिटी टू प्रोटैक्ट जर्नलिस्ट्स' सी पी जे के अनुसार 2008 में 41 पत्रकारों की हत्या कर दी गई और 2009 में अब तक 11 पत्रकारों को मार दिया गया है. पैरिस स्थित संगठन 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने 2008 में मार दिए गए पत्रकारों की संख्या 60 बताई है. संगठन ने कहा है कि पिछले वर्ष 929 पत्रकारों पर हमले किए गए या उन्हें धमकियां दी गईं.Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift:

संगठन सी पी जे के अनुसार, पहली दिसंबर, 2008 को 125 पत्रकार जेल में थे, जिनमें से कुछ वर्षों से क़ैद हैं, और कुछ एक दशक से भी अधिक समय से.

बान ने कहा है कि उनमें से आधे क़ैदी तीन देशों में हैं - चीन, क्यूबा और एरिट्रिया में. संगठन 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' का कहना है कि इन तीन देशों को मिलाकर, प्रेस स्वाधीनता की दृष्टि से सबसे अधिक ख़तरे वाले दस देशों में उत्तर कोरिया, बर्मा, लाओस, वियतनाम, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं.

बान ने अपने वक्तव्य में कहा है, "मैं उन सभी सरकारों से, जिन्होंने पत्रकारों को क़ैद कर रखा है, आग्रह करता हूं कि वे सुनिश्चित करें कि पत्रकारों के अधिकारों का पूरा सम्मान किया जाए, जिनमें अपील करने और आरोपों के ख़िलाफ़ अपने बचाव के अधिकार भी शामिल हैं."

क़ैद रखे जा रहे पत्रकारों में, इस समय एक बहुचर्चित मामला अमरीकी-ईरानी पत्रकार रुख़्साना साबरी का है, जिन्हें पिछले महीने तेहरान में 8 वर्ष की क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.

विश्व प्रेस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर एक वक्तव्य में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह विदेशों में क़ैद अमरीकी नागरिकों के बारे में विशेष रूप से चिंतित हैं. ओबामा ने कहा कि यह उन पत्रकारों की बढ़ती संख्या के बारे में अलख जगाने का अवसर है, जिन्हें मौत या क़ैद के रास्ते ख़ामोश कर दिया जाता है, जबकि वे जनता को रोज़मर्रा के समाचार पहुंचाने की कोशिश कर रहे होते हैं."रोक्साना साबरी को ईरान ने क़ैद कर रखा है रोक्साना साबरी को ईरान ने क़ैद कर रखा है

अमरीकी विदेशमंत्री हिलरी क्लिंटन ने अपने लिखित संदेश में कहा कि अमरीका, विश्व प्रेस स्वाधीनता दिवस, और पत्रकारों द्वारा मानव के आत्मसम्मान, स्वाधीनता और समृद्धि के उन्नयन में अंशदान को मनाने में शामिल होकर गर्वित महसूस कर रहा है. क्लिंटन ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता को राष्ट्रसंघ की मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का संरक्षण प्राप्त है.

फ़्रीडम हाउस संगठन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि लगातार सातवें साल प्रेस स्वतंत्रता की बाधाएं बढ़ी हैं. निरंकुश देशों के अलावा इटली, इस्राएल और हांगकांग जैसे देश भी पत्रकारों के काम को मुश्किल बना रहे हैं. बर्लिन में रिपोर्टर विदाउट बोर्डर्स ने एक विरोध प्रदर्शन कर रिपोर्टिंग को दबाए जाने के परिणामों की ओर ध्यान दिलाया है और कहा है कि रिपोर्टिंग के बिना पीड़ित अदृश्य रहते हैं.

राष्ट्रसंघ के शिक्षा और संस्कृति संगठन यूनेस्को ने श्रीलंकाई पत्रकार लसंथा विक्रमतुंग को मरणोपरांत 2009 के प्रैस स्वाधीनता पुरस्कार से सम्मानित करने का फ़ैसला किया है. यूनेस्को के महानिदेशक कोइचीरो मतसूरा यह पुरस्कार आज क़तर में एक आयोजन में विधिवत प्रस्तुत करेंगे. विक्रमतुंग की जनवरी में हत्या कर दी गई थी.

साबेरी मामले की समीक्षा करेगा ईरान

अमेरिकी ईरानी पत्रकार ऱुख़्साना साबेरी को सुनाई गई सज़ा की समीक्षा करने के लिए ईरान सरकार तैयार है. जापानी विदेश मंत्री हिरोफ़ूमी नाकासोने के साथ एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में ईरानी विदेश मंत्री ने इस बात के संकेत दिए.

साबेरी की मां जापान की हैं और जापान ने भी इस मामले में चिंता जताई है. पिछले दिनों साबेरी के पिता के हवाले से कहा गया था कि साबेरी जेल में भूख हड़ताल पर है. उन्हें ईरानी सरकार ने अमेरिका के लिए जासूसी करने के आरोपों में पांच साल जेल की सज़ा सुनाई है.

अमेरिका और यूरोपीय देशो ने ईरान से साबेरी की रिहाई की अपील की थी. इस बीच जापान ने भी अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं. जापानी विदेश मंत्री हिरोफूमी नाकासोने ने तेहरान में ईरानी विदेश मंत्री मनोशेर मुतक्क़ी के साथ साझा कांफ्रेंस में इस बारे में अपनी राय ज़ाहिर की. समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक मुतक्क़ी ने पत्रकारों को बताया कि साबेरी मामले की समीक्षा के लिए सरकार के पास आग्रह आए हैं और सरकार इन पर विचार कर रही है.रुख़्साना साबेरी के पिता रज़ा साबेरी

ईरानी विदेश मंत्री के मुताबिक़ मामले की समीक्षा न्याय और मानवीय और इस्लामी दयालुता के आधार पर की जाएगी. समाचार एजेंसी रायटर्स ने ईरानी न्यायिक अधिकारियों के हवाले से बताया कि साबेरी का स्वास्थ्य बेहतर है और वह अनशन पर भी नहीं है. साबेरी के पिता रज़ा साबेरी ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी कमज़ोर हो गई है.

साबेरी स्वतंत्र पत्रकार हैं और कुछ अमेरिकी और ब्रिटिश टीवी चैनलों के लिए ईरान से रिपोर्टिग करती रही हैं. उनके पास ईरान और अमेरिका दोनों देशों की नागरिकता है. उन्हें जनवरी महीने के आखिर में उस वक़्त गिरफ़्तार किया गया था जब उनके प्रेस दस्तावेज़ों की मियाद ख़त्म हो चुकी थी. ईरान का आरोप है कि साबेरी अपने काम की आड़ में अमेरिका के लिए जासूसी करती थी. अमेरिका ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है.


रविवार, 29 मार्च 2009

वर्तमान समय में संसद में राजनितिक पार्टियों की स्तिथि और उनके नेता


Indian National Congress(INC)
150
Shri Pranab Mukherjee

२.Bharatiya Janata Party(BJP).११३.
Shri L.K. Advani
3
Communist Party of India (Marxist)(CPI(M))
42
Shri Basudeb Acharia
4
Samajwadi Party(SP)
34
Prof. Ram Gopal Yadav
5
Rashtriya Janata Dal(RJD)
24
Shri Lalu Prasad
6
Bahujan Samaj Party(BSP)
16
Shri Rajesh Verma
7
Dravida Munnetra Kazhagam(DMK)
16
Shri C. Kuppusami
8
Shiv Sena(SS)
12
Shri Anant Geete
9
Nationalist Congress Party(NCP)
11
-
10
Biju Janata Dal(BJD)
10
Shri Braja Kishore Tripathy
11
Communist Party of India(CPI)
10
Shri Gurudas Dasgupta
12
Shiromani Akali Dal(SAD)
8
Shri Sukhdev Singh Dhindsa
13
Independent(Ind.)
6
.
14
Pattali Makkal Katchi(PMK)
6
Prof. M. Ramadass
15
Jharkhand Mukti Morcha(JMM)
5
Shri Shibu Soren
16
Lok Jan Shakti Party(LJSP)
4
Shri Ram Vilas Paswan
17
Marumalarchi Dravida Munnetra Kazhagam(MDMK)
4
Shri L. Ganesan
18
Telugu Desam Party(TDP)
4
Shri K. Yerrannaidu
19
All India Forward Bloc(AIFB)
3
-
20
Rashtriya Lok Dal(RLD)
3
.
21
Revolutionary Socialist Party(RSP)
3
Shri Joachim Baxla
22
Telangana Rashtra Samithi(TRS)
3
Shri Kalva Kuntla Chandrasekhar
23
Asom Gana Parishad(AGP)
2
Dr. Arun Kumar Sarma
24
Janata Dal (Secular)(JD(S))
2
Shri M.P. Veerendra Kumar
25
Kerala Congress(KEC)
2
Shri P.C. Thomas
26
All India Majlis-E-Ittehadul Muslimmen(AIMIM)
1
Shri Asaduddin Owaisi
27
All India Trinamool Congress(AITC)
1
Km. Mamata Banerjee
28
Bharatiya Navshakti Party(BNP)
1
Shri Delkar Mohanbhai Sanjibhai
29
Jammu and Kashmir National Conference(J&KNC)
1
.
30
Janata Dal (United)(JD(U))
1
-
31
Mizo National Front(MNF)
1
Shri Vanlalzawma
32
Muslim League Kerala State Committee(MLKSC)
1
Shri E. Ahmed
33
Nagaland Peoples Front(NPF)
1
Shri W. Wangyuh
34
National Loktantrik Party(NLP)
1
Shri Baleshwar Yadav
35
Republican Party of India(A)(RPI(A))
1
Shri Athawale Ramdas Bandu
36
Sikkim Democratic Front(SDF)
1
Shri Nakul Das Rai
डेट २९:०३:2009

शनिवार, 28 मार्च 2009

लोकतंत्र की सबसे बड़ी लडाई कौन जीतेगा?



लोकतंत्र की सबसे बड़ी लडाई कौन जीतेगा? देश भर में ५४३ सीटो के लिए राजनेतिक पार्टियों के बीच युद्ध शुरू हो चुका है। इस बात का फैसला भारत देश की जनता को करना है । अभी पहले चरण का मतदान भी नहीं समाप्त नहीं हो पाया है. और अनुमान लगाये जाने लगे है की इस दल की सरकार बन जायेगी.

१।अडवाणी जी मनमोहन जी को टीवी पर बहस के लिए बुला रहे हैं.

२। वरुण कोड ऑफ़ कंडक्ट की अवमानना कर रहे है.

३। कांग्रेस को मुद्दे नहीं मिल पा रहे है.

४।लालू, मुलायम, पासवान साथ-साथ लालटेन लिए साईकिल पर सवार हो चुके हैं.

५। बीजद, राजग का साथ छोड़ चुका है.

६। अबुमणि रामदास, जयललिता के आगन में पहुच चुके हैं.

७। राहुल बाबा समझ नहीं पा रहे हैं कौन से मुद्दे हैं और कौन से नहीं? अपने तरकश से कौन से कौन सा तीर निकाल कर दूसरी पार्टियों पर वार करे?

८। अभिनेता से नेता बने मुन्ना भाई अभी भी कोर्ट के इंतज़ार का फैसला कर रहे हैं.

९। मुलायम कभी कहते हैं कल्याण साथ हैं और दुसरे पल कहते हैं वही दोषी हैं बाबरी विध्वंश के लिए.

१० हाथी की सवारी कर उत्तर परदेश की मुख्यमंत्री मायावती दिल्ली पहुचने की तैयारी कर रही हैं।

ये सब पचाने वाली चीज़ नहीं हैं. अभी इसपर अनुमानों की बारिश होने के आसार हैं. क्या होगा आप भी अनुमान लगाइए और यह विषय जारी रहेगा और २ जून जब तक सरकार बन नहीं जाती और एक नयी राजनीती नहीं देखने को नहीं मिलती हैं तब तक हम आप से होतें रहेगे रूबरू


सचिन स्वतंत्र