शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

वोकेशनल कोर्स से 50 करोड़ लोग होंगे स्किल्ड

वोकेशनल कोर्स से 50 करोड़ लोग होंगे स्किल्ड http://business.bhaskar.com/article/vocational-courses-will-be-50-million-skilled-3851749-NOR.html

सचिन यादव नई दिल्ली | Sep 29, 2012,
 
 

50 करोड़ स्किल्ड लोग तैयार होंगे एनवीईक्यूएफ कार्यक्रम में 2022 तक
10 क्षेत्रों का चुनाव हुआ है एआईसीटीई ने वोकेशनल कोर्सेज के लिए
1-7 लेवल तक सर्टिफिकेशन देने की योजना है फ्रेमवर्क में छात्रों को

नेशनल वोकेशनल एजुकेशन क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत वर्ष 2013-14 में वोकेशनल कोर्सेज को बढ़ावा देने के लिए 200 इंस्टीट्यूट खोलने की योजना है। यह जानकारी उच्च शिक्षा में वोकेशनल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यूजीसी चेयरमैन वेद प्रकाश ने सभी राज्य और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर बताया है उन्होंने कहा कि वोकेशनल कोर्सेज के बारे में छात्रों को जागरूक किया जाए और इस शिक्षा से होने वाले लाभ के विषय में बताएं।   

यूजीसी चेयरमैन ने अपने पत्र में लिखा है कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय नेशनल वोकेशनल एजुकेशन क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क के वर्ष 2022 तक 50 करोड़ स्किल्ड लोगों की तादाद को तैयार करना चाहता है जिससे उद्योग जगत और अन्य क्षेत्रों जिनमें रोजगार पैदा होते है कि भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

इस प्रोग्राम के तहत अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा समिति (एआईसीटीई) ने वोकेशनल कोर्सेज के लिए 10 क्षेत्रों का चुनाव किया है। इन क्षेत्रों में ऑटोमोबाइल, एंटरटेनमेंट, इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, टेलीकम्युनिकेशन, मार्केटिंग, एग्रीकल्चर, कंस्ट्रक्शन, एप्लाइड आर्ट, टूरिज्म, प्रिंटिंग और पब्लिकेशन सेक्टर के हर एक क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर विशेषज्ञता दी जाएगी।

यूजीसी ने वोकेशनल शिक्षा को उच्च शिक्षा में शामिल करने के लिए एक योजना भी बनाई है। यूजीसी इसके लिए बैचलर ऑफ वोकेशनल देने की योजना भी बनाई है। यह डिग्री उन छात्रों को दी जाएगी जो सर्टिफिकेशन लेवल 5,6,7 को पास कर लेंगे। बैचलर ऑफ वोकेशनल डिग्री के दौरान प्रस्तावित वोकेशनल प्रोग्राम में एआईटीसीई द्वारा मान्यता प्राप्त स्किल नॉलेज प्रोवाइडर की मदद से इसका पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।

इस फ्रेमवर्क में छात्रों को 1-7 लेवल तक सर्टिफिकेशन देने की योजना है। वोकेशनल प्रोग्राम के सर्टिफिकेशन लेवल 1-4 तक को स्कूली शिक्षा में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। यूजीसी चेयरमैन वेद प्रकाश ने अपने सभी कुलपतियों को निर्देश दिया है कि सभी विश्वविद्यालयों अपने यहां वोकेशनल शिक्षा को उच्च शिक्षा महत्वपूर्ण अंग बनाकर अपने छात्रों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। इसके अलावा, हर विश्वविद्यालय एनवीईक्यूएफ कार्यक्रम को अपने तरीके से लागू करके खुद एक नया ट्रेंड तय कर सकते हैं।

Key Words UGC 
 

रविवार, 16 सितंबर 2012

छतों पर भी होगा सौर ऊर्जा का उत्पादन

छतों पर भी होगा सौर ऊर्जा का उत्पादन

सचिन यादव नई दिल्ल� | Sep 17, 2012, 02:35AM IST
 
 

प्रोजेक्ट - एक किलोवाट का ऑफ ग्रिड बिना बैटरी का सौर ऊर्जा पैनल लगाने पर 2 लाख रुपये का खर्च आता है जबकि बैटरी वाले पैनल पर खर्च50,000 रुपये और बढ़ जाता है। इस पॉयलट प्रोजेक्ट का खर्च करीब 15  करोड़ रुपये है। इसमें से 30 फीसदी पैसा सब्सिडी के जरिए केंद्र देगा जबकि बाकी पैसा दिल्ली सरकार को देना होगा।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार के एनर्जी एफिशिएंसी एंड रिन्यूवल एनर्जी मैनेजमेंट (आरईएम) विभाग ने दिल्ली सरकार को रूफ टॉप पॉलिसी के सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के तहत दिल्ली सरकार के 25 स्कूलों में 250 किलोवाट, 10 हॉस्पिटल में 250 किलोवाट का, विकास भवन-2 में 100 किलोवाट और दिल्ली सचिवालय में 30 किलोवाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का प्रस्ताव भेजा है।

दिल्ली सरकार के एनर्जी एफिशिएंसी एंड रिन्यूवल एनर्जी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रस्ताव दिलली सरकार के पर्यावरण विभाग को भेजा जा चुका है। जल्द ही इस पर काम शुरू होगा। अधिकारी ने बताया कि अभी यह पॉयलट प्रोजेक्ट है और इस प्रोजेक्ट के तहत 630 किलोवाट से ज्यादा सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए पैनल लगाने होंगे।

अधिकारी ने बताया कि एक किलोवाट का ऑफ ग्रिड बिना बैटरी का सौर ऊर्जा पैनल लगाने पर 2 लाख रुपये का खर्च आता है। जबकि बैटरी वाला पैनल लगाने पर इसकी लागत 50,000 रुपये और बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस पॉयलट प्रोजेक्ट की लागत करीब 15 करोड़ रुपये आएगी। इसमें से 30 फीसदी पैसा सब्सिडी के जरिए केन्द्र सरकार देगी जबकि बाकी पैसा दिल् ली सरकार को देना होगा।

सौर ऊर्जा के जरिए उत्पादन होने वाली सारी बिजली को संबंधित विभाग खुद के प्रयोग में लाएंगे। सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत 16 रुपये से घटकर 12 रुपये प्रति यूनिट के स्तर पर आ गई है। पेट्रोलियम पदार्थ और कोल पदार्थ जिस तरह से महंगे हो रहे हैं, आने वाले समय में सौर ऊर्जा के  से मिलने वाली बिजली और अन्य तरीकों से मिलने वाली बिजली के कीमतों में काफी समानता आ जाएगी।

इसके अलावा ईईआरईएम ने दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम को दिल्ली में रूफ टॉप पॉलिसी के लिए कितनी छत उपलब्ध हैं इसका अध्ययन करने को कहा है। इस अध्ययन के बाद ही दिल्ली में रूफ टॉप के  जरिए कितनी सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकेगा। उन्होंने बताया कि इंडो जर्मन एनर्जी प्रोग्राम के तहत जीआईजेड ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली में 700 वर्ग किलोमीटर बिल्टअप एरिया है और अगर कुल क्षेत्रफल में से सिर्फ 25 फीसदी क्षेत्र का ही प्रयोग किया जाए तो बहुत अधिक मात्रा में बिजली का उत्पादन हो सकता है।
 

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

सरकार की एक भी हिंदी साइट दुरुस्त नहीं


सरकार की एक भी हिंदी साइट दुरुस्त नहीं


हिंदी दिवस विशेष
एमएसजी का सर्वेक्षण- किसी से लिंक गायब तो कहीं हिंदी को जगह नहीं 
दिल्ली के मीडिया स्टडीज ग्रुप (एमएसजी) के हालिया सर्वेक्षण में सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है. हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं...

सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों की एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट नहीं हैं. अंग्रेजी के मुकाबले तो हिंदी की वेबसाइट कहीं नहीं टिकती है. हिंदी के नाम पर जो वेबसाइट है भी, वे भाषागत अशुद्धियों से आमतौर पर भरी हैं. हिंदी के नाम पर अंग्रेजी का देवनागरीकरण मिलता हैं. हिंदी की वेबसाइट या तो खुलती नहीं है. बहुत मुश्किल से कोई वेबसाइट खुलती है तो ज्यादातर में अंग्रेजी में ही सामग्री मिलती है.
website-government
मीडिया स्टडीज ग्रुप ने सरकारी हिंदी बेवसाइट का नियमित आधार पर अध्ययन करने का निर्णय किया है. हिंदी वेबसाइट का एक एक कर अध्ययन किया जाएगा और उसकी जानकारी सार्वजनिक किए जाने के साथ संबंधित विभाग व अधिकारियों को भी भेजी जाएगी. मीडिया स्टडीज ग्रुप ने इस अध्ययन के लिए एक टीम का गठन किया है. मीडिया स्टडीज ग्रुप संप्रेषण (कम्युनिकेशन), मीडिया और पत्रकारिता विषयों पर सर्वे, शोध व अध्ययन करता है और अपनी दो मासिक शोध पत्रिकाओं ‘जन मीडिया’ (हिंदी) और अंग्रेजी में ‘मास मीडिया’ में सर्वे, शोध व अध्ययन प्रकाशित करता है.
यह ग्रुप किसी भी तरह की सहायता किसी तरह की संस्था व व्यक्ति से नहीं लेता है. यह पत्रकारों व मीडियाकर्मियों के सहयोग से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करता है. हिंदी की वेबसाइट के सर्वेक्षण का प्रारूप ग्रुप के चेयरमैन अनिल चमड़िया ने तैयार किया और विनीत उत्पल, विजय प्रताप, अवनीश कुमार व पूर्णिमा उरांव ने आंकड़ा संकलन और विश्लेषण किया है.
सर्वे में शामिल वेबसाइटों का विश्लेषण
प्रधानमंत्री कार्यालय
प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट मूल रूप से अंग्रेजी में है, जिसे हिंदी में भी देखने का विकल्प मौजूद है. हिंदी की वेबसाइट पर अंग्रेजी की साइट जितने ही लिंक मौजूद हैं, लेकिन उसमें दी गई जानकारियां अंग्रेजी के मुकाबले कम हैं. कई सारे लिंकों में कोई जानकारी नहीं और वो खाली पड़ी हैं जबकि उसी लिंक पर अंग्रेजी की वेबसाइट पर कई सारी जानकारियां दी गई हैं. हिंदी की वेबसाइट पर वर्तनी और भाषा की ढेरों अशुद्धियां हैं.
गृह मंत्रालय
'नया क्या है" विकल्प अपडेट नहीं है, जबकि अंग्रेजी साइट लगातार अपडेट हो रही है. 2010 के बाद यहां हिंदी में कोई प्रेस रिलीज नहीं है जबकि अंग्रेजी में सात सितम्बर, 2012 को भी प्रेस रिलीज अपडेट की गई है. हालांकि ये अपडेट पीआईबी के लिंक से जुड़ा हुआ है.
लोकसभा
लोकसभा की वेबसाइट में अंग्रेजी की वेबसाइट हिंदी की तुलना में बहुत समृद्ध है. उदाहरण के तौर पर लोकसभा के अधीन विभागों से संबंद्ध स्थायी 16 समितियों के प्रतिवेदन को ले सकते हैं. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग से संबंद्ध स्थायी सीमित के चौहदवीं लोकसभा के दौरान 37 प्रतिवेदन अंग्रेजी की वेबसाइट पर है जबकि हिंदी में तेरहवीं, चौदहवी और 15वीं लोकसभा के प्रतिवेदन के बारे में हिंदी की वेबसाइट पर लिखा आता है कि Report is awaited 
पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस समिति के प्रतिवेदन के संबंध में भी हिंदी की वेबसाइट पर लिखा है - Report is awaited
कृषि- वही
रसायन एवं उर्वरक- वही
रक्षा –वही (Report is awaited)
कोयला व इस्पात समिति के 15वीं लोकसभा के दौरान के तीन प्रतिवेदन हिंदी की वेबसाइट पर है जबकि तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा के प्रतिवेदन के संबंध में आता है- Report is awaited. 15वीं लोकसभा के दौरान के 26 प्रतिवेदन अंग्रेजी के वेबसाइट पर हैं.
उर्जा –हिंदी की साइट पर 15 वीं लोकसभा के 6 प्रतिवेदन है लेकिन नंबर में दस दिखते हैं.1,2,3 के बाद 4,5,6 की जगह 8,9,10 की संख्या दिखती है. अंग्रेजी में रिपोर्ट की संख्या 30 हैं.
विदेश- अंग्रेजी की वेबसाइट पर 17 रिपोर्ट हैं जबकि हिंदी में आठ प्रतिवेदन हैं. जो प्रतिवेदन हैं वे अनुदान की मांग हैं.
(दूसरी समितियों के प्रतिवदेन के बारे में ये कहा जा सकता है कि हिंदी की साइट पर जो प्रतिवेदन है वे आमतौर पर अनुदान की मांगों के ही प्रतिवेदन हैं.)
वित्त- वही (Report is awaited)
खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण- वही
श्रम- वही
रेल –वही
ग्रामीण विकास विभाग- वही
शहरी विकास- वही
जल संसाधन- हिंदी की वेबसाइट पर एक प्रतिवेदन है और अंग्रेजी की वेबसाइट पर 14 प्रतिवेदन है.
साइट मैप, एफएक्यू, आरटीआई, डिस्किलेमर जैसे शब्दों का हिंदी में अर्थ नहीं है लोकसभा के पास. हिंदी साइट अपडेट भी नहीं है.
राज्यसभा
हिंदी में प्रेस रिलीज की संख्या कम है. इस साल अंग्रेजी की साइट पर 9 जनवरी, 17 अप्रैल, 30 अप्रैल, 18 मई और 6 जून को प्रेस रिलीज अपलोड की गई जबकि हिंदी में 19 मार्च, 17 अप्रैल, 18 मई, 6 जून को प्रेस रिलीज अपडेट की गई.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
मंत्रालय की हिंदी वेबसाइट पर हिंदी में प्रेस विज्ञप्तियों का स्क्रॉल नहीं चल रहा है जबकि अंग्रेजी में इसकी स्थिति ठीक है. कई कॉलम केवल अंग्रेजी साइट पर है हिंदी में नहीं है. जैसे अंग्रेजी की साइट पर पब्लिक ग्रीवांसेस़ इंडिया डॉट गोव डॉट इन, इनवेस्ट इंडिया, बिजनेस प्लॉनिंग, और विजिटर समरी ( ये शब्द अंग्रेजी में वेबसाइट पर लिखे हैं. ) का लिंक दिखाई देता है. हिंदी की साइट पर सिर्फ इंडिया डॉट गोव डॉट इन और 'व्यापार योजना" का लिंक है.
अंग्रेजी की साइट पर जहां होम, कांटेक्ट अस, फोटो गैलरी, ग्लॉसी जैसे विकल्प हैं, वहीं हिंदी में ये नदारद हैं. अंग्रेजी साइट पर टर्म एंड कंडीशन्स, कॉपीराइट पॉलिसी, हाइपरलिंक पॉलिसी, प्राइवेसी पॉलिसी, साइटमैप आदि हैं लेकिन हिंदी वेबसाइट पर ये नहीं दिखते.
कृषि एवं सहकारिता विभाग, अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय, परिवार व स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय, विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय डाक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, भारत सांस्कृतिक संबंध परिषद की हिंदी वेबसाइट ही नहीं है.
कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय
अंग्रेजी की साइट पर जो हाइलाइटर और नई सामग्री है वह हिंदी साइट पर भी अंग्रेजी में ही है. कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की हिंदी साइट पर 'सीएलबी", 'सीएटी6", आईसीएआई, आईसीएसआई, आईसीडब्ल्यूएआई, एसएफआईओ, सीसीआई, आईआईसीए, एनएफसीजी आदि के लिंक हैं जिसमें से आईसीडब्ल्यूएआई, आईसीएआई, एनएफसीजी, सीआईएम,, एससीएसआई आदि की हिंदी साइट है ही नहीं.
वित्त मंत्रालय
मंत्रालय की हिंदी साइट पर सभी प्रेस विज्ञप्तियां अंग्रेजी में है. ताजा घटनाक्रम के तहत जो स्क्रॉल चल रहा है वह सभी अंग्रेजी में है.
सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय
इसकी हिंदी साइट 7 सितम्बर, 2009 के बाद अपडेट नहीं हुई है. यह तारीख साइट में सबसे नीचे दिख रही है जबकि अंग्रेजी की अपडेट साइट हो रही है.
ग्रामीण विकास मंत्रालय
अंग्रेजी साइट पर साइट के डेवलप और डिजाइन का अनुवाद हिंदी साइट पर 'और डिजाइन द्वारा विकसित की साइट राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सामग्री प्रदान की ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बनाए रखा, भारत का" किया गया है. यह अनुवाद है उस मंत्रालय की साइट पर जो भारत के गांवों की विकास की बात करता है. ग्रामीण भारत के लिए कई तरह की योजनाएं भारत सरकार चलाती हैं लेकिन अधिकतर योजनाओं मसलन, पूरा (PURA), इंदिरा आवास योजना, भारत निर्माण, एसईसीसेंसस-2011, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि की साइट हिंदी में नहीं है.
रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय की हिंदी साइट गूगल ट्रांसलेटर पर लोड है और आप जब इस साइट पर जाएंगे तो आप जिस भाषा में जानकारी हासिल करना चाहते हैं, उसके लिए गूगल ट्रांसलेटर की मदद लेनी पड़ेगी. गूगल ट्रांसलेटर हिंदी में सही अनुवाद नहीं कर रहा है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
कहने के लिए इस मंत्रालय की हिंदी वेबसाइट है लेकिन यहां सिर्फ ऊपर के कंटेंट के नाम को छोड़कर हिंदी में कुछ भी उपलब्ध नहीं है. चाहे प्रेस रिलीज हो या निविदा सूचना, हिंदी में नहीं है. साइट में सबसे ऊपर जो भी हिंदी में शब्द लिखे गए हैं, उनके हिज्जे गलत हैं.
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)
यह साइट पूरी तरह अंग्रेजी में है. हिंदी का कोई विकल्प नहीं है.
संचार एवं सूचना प्रॉद्योगिकी विभाग
इसकी हिंदी साइट पर भी अधिकतर जानकारी अंग्रेजी में है.
दूरसंचार विभाग
'नया क्या है" नामक विकल्प में 23 अगस्त, 2010 की नियुक्तियां हैं. निविदाएं 23 जून, 2011 के बाद की नहीं है. हिंदी की वेबसाइट कई मामलों में अपडेट नहीं है. राष्ट्रीय में 'ष" अक्षर बदला हुआ है. अंग्रेजी साइट की तुलना में हिंदी साइट पर कम सामग्री है.
पर्यावरण एंव वन मंत्रालय
मंत्रालय की मूल अंग्रेजी वेबसाइट को हिंदी में भी देखने का विकल्प है. लेकिन हिंदी वेबसाइट महज दिखावटी है.
जनजातीय कार्य मंत्रायल
हिंदी की वेबसाइट के पहले पेज पर हाईलाइट, विज्ञापनों और हेल्प डेस्क की सूचना अंग्रेजी में आती है. साइडबार में मौजूद 11 लिंक पर संबंधित जानकारियां हिंदी में आती हैं. हिंदी वेबसाइट पर वर्तनी की ढेर सारी अशुद्धियां हैं.
साहित्य अकादमी
अंग्रेजी वेबसाइट पर जहां लेटेस्ट अवार्ड के तहत बाल साहित्य पुरस्कार, 2012, साहित्य अकादमी ट्रांसलेशन प्राइज 2011, साहित्य अकादमी अवार्ड 2011 और साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2012 अंग्रेजी में लिखा हुआ है, वहीं हिंदी वेबसाइट में बाल पुरस्कार 2011 का सिर्फ विकल्प है. इस पर क्लिक करने पर बाल साहित्य बाल पुरस्कार 2011 की पूरी जानकारी अंग्रेजी में है. हिंदी वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ के नीचे संपर्क और सूचना का अधिकार का विकल्प है और इन दोनों विकल्पों पर जाने पर तमाम जानकारी अंग्रेजी में उपलब्ध हैं क्योंकि हिंदी के इस पृष्ठ को अंग्रेजी वेबसाइट से जोड़ दिया गया है. हमारी 24 भाषाओं के प्रकाशन की जानकारी के लिए क्लिक करें", यहां भी पुस्तकों की पूरी सूची अंग्रेजी में है.
एम्स
एम्स की हिंदी साइट पर प्रेस रिलीज अंग्रेजी में. कोई भी लिंक आसानी से नहीं खुलता और सर्वर उन कागजातों को ढूंढ नहीं पाता.
राजभाषा विभाग
इसकी अंग्रेजी और हिंदी साइट एक ही है. जहां अंग्रेजी के लिंक की सामग्री तो आसानी से खुल जाती है लेकिन हिंदी की साइट नहीं खुलती. हिंदी की सामग्रियों में काफी अशुद्धियां है.
आईआरसीटीसी
ऑन लाइन पैसंजर के होम पेज में अंग्रेजी शब्दों का देवनागरीकरण है. होम पेज के बाद आरटीआई के तहत दी गई जानकारी अंग्रेजी में हैं.

बिजली नेटवर्क दुरुस्त करने पर 1,700 करोड़ होंगे खर्च

बिजली नेटवर्क दुरुस्त करने पर 1,700 करोड़ होंगे खर्च

सचिन यादव नई दिल्ली | Sep 13, 2012, 01:45AM IST
 

 

567.64 करोड़ का निवेश किया जाएगा बिजली ट्रांसमिशन लाइन को दुरूस्त करने और केबल में तब्दीली करने पर
2016-17  तक पूरा कर लिया जाएगा इन सभी प्रमुख कामों को
666 करोड़ का निवेश किया जाएगा 220 केवी की ट्रांसमिशन लाइन को बढ़ाने और उसका अपलोड सही करने पर

जबरदस्त निवेश
डीटीएल ने तीन साल में खर्च की योजना बनाई है। डीटीएल 2012-13 में 701.97 करोड़, 2013-14 में 650.72 करोड़ रुपये और वर्ष 2014-15 के लिए 372.2 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह खर्च दिल्ली के तमाम इलाकों में बिजली ढांचों को मजबूत करने पर किया जाएगा।
ये हैं इलाके
पप्पनकलां, तुगलकाबाद, राजघाट पॉवर हाउस, आनंद विहार, संजय गांधी ट्रांसपोर्टनगर, पंजाबी बाग, बुड़ेला, कश्मीरी गेट, ईस्ट ऑफ हर्ष विहार, बामनौली, नारायणा में एआईएस स्टेशन को जीआईएस स्टेशन में तब्दील किया जाएगा जिससे बिजली सप्लाई का ढांचा मजबूत होगा।

तीन साल तक बिजली पर जमकर होगा खर्च

राजधानी में बिजली की बढ़ती मांग और बिजली की आपूर्ति को लगातार बनाए रखने के लिए दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड (डीटीएल) अगले तीन साल के दौरान अपने नेटवर्क को दुरूस्त करने पर 1,700 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश करेगी। इसके लिए इस बिजली संस्थान ने अगले तीन साल में खर्च की योजना बनाई है।

डीटीएल वर्ष 2012-13 में 701.97 करोड़ रुपये, वर्ष 2013-14 में 650.72 करोड़ रुपये, वर्ष 2014-15 के लिए 372.2 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह निवेश दिल्ली शहर के तमाम इलाकों में सब स्टेशन के अपग्रेडेशन, ट्रांसमिशन लाइन को बढ़ाने पर किया जाएगा।
दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'बिजनेस भास्कर' को बताया कि मध्य दिल्ली में आबादी का घनत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही यहां के व्यावसायिक क्षेत्र कनॉट प्लेस, करोल बाग, पटेलनगर, पहाडग़ंज, कमला मार्केट, अजमेरी गेट क्षेत्र जैसे इलाकों में भी जनसंख्या का घनत्व तेजी से बढ़ा है।

यहां बिजली की आपूर्ति को दुरुस्त करने के साथ-साथ भविष्य की दिक्कतों से निपटने के लिए पार्क स्ट्रीट स्थित 220 केवी के स्टेशन को अपग्रेड करके 400 केवी का गैस पर आधारित स्टेशन तैयार किया जाएगा। इस पर डी टीएल 320 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसी तरह ओखला के 220 केवी के सबस्टेशन को अपग्रेड करके 400 केवी जीआईएस सबस्टेशन में बदला जाएगा। इस सब स्टेशन पर 220 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।

डीटीएल के अधिकारी ने बताया कि पप्पनकलां, तुगलकाबाद, राजघाट पॉवर हाउस, आनंद विहार, संजय गांधी ट्रांसपोर्टनगर, पंजाबी बाग, बुड़ेला, पुरानी दिल्ली के इलाकों, कश्मीरी गेट, ईस्ट ऑफ हर्ष विहार, बामनौली, नारायणा में एआईएस स्टेशन को जीआईएस स्टेशन में तब्दील किया जाएगा। इससे बिजली सप्लाई के ढांचे में मजबूती आएगी।

इसके अलावा बिजली ट्रांसमिशन लाइन को दुरूस्त करने और केबल में तब्दीली करने के लिए तमाम जगहों पर 567.64 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके अलावा 220 केवी की ट्रांसमिशन लाइन को बढ़ाने और उसका अपलोड सही करने के लिए भी 666 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। यह प्लान डीईआरसी में भी जमा किया चुका है। दावा किया गया कि इन सभी प्रमुख कामों को वर्ष 2016-17 तक पूरा कर लिया जाएगा।

http://business.bhaskar.com/article/1700-crore-to-be-spent-to-repair-the-electricity-network-3777647-NOR.htmlhttp://business.bhaskar.com/article/1700-crore-to-be-spent-to-repair-the-electricity-network-3777647-NOR.html

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

हरी-भरी दिल्ली के नाम पर भी एक घोटाला


दिल्ली सरकार को यह नहीं पता है कि राजधानी दिल्ली में कौन सा ऐसा क्षेत्र जहां सबसे कम हरित क्षेत्र बचा है। ऐसा तब है जब दिल्ली सरकार का पर्यावरण विभाग एक पौधे को लगाने और उसकी देखभाल में ९५० रुपये खर्च कर रहा है। यह जानकारी ४ जून, २०१२ को लगाई हमारी आरटीआई का जबाव देते हुए दी है। दिल्ली सरकार हर साल करोड़ो रुपये नए पौधों को लगाने में खर्च कर रही है लेकिन वर्ष २००१ से २००६ तक पौधों को लगाने में उसने कितने पैसे खर्च किए इसका कोई हिसाब उसके पास नहीं है। हरी-भरी दिल्ली के नाम पर भी एक घोटाला हो रहा है। दिल्ली सरकार ने आरटीआई के तहत हमें क्या जानकारी दी है, नीचे दिए लिंक पर नजर डालें-
http://dailypioneer.com/home/online-channel/top-story/91838-in-delhi-government-spends-rs950-on-every-plant.html