सोमवार, 26 नवंबर 2012

पाकिस्तानी व्यापारियों के साथ कारोबार की पहल

  Sachin Yadav | Nov 23, 2012, 00:20AM IST
 

 

व्यापार मेले में पाकिस्तानी मंडप में जूट के खास कुर्ते
मैं तीसरी बार ट्रेड फेयर में आई हूं। इससे पहले2005 और 2008 में आई थी। इस बार फ्रेबिक की क्वालिटी के साथ ही विशेष डिजाइन भी पसंद की जा रही है। 1,400-1,500 से लेकर 6,000-7,000 रुपये की रेंज में सूट उपलब्ध हैं लेकिन लोग उत्पादों पर छूट बहुत मांगते हैं जो संभव नहीं हैं। -मोना नियाज, कराची की

आशा-निराशा - पाकिस्तानी मंडप में जूट के कुर्ते इस बार खास उत्पाद है। जूट के कुर्तों की विभिन्न डिजाइन उपलब्ध हैं और उसकी कीमत 500 रुपये है। मेले में नुमाइश ज्यादा है और खरीदारी कम, इसके चलते पाक व्यापारी थोड़े से निराश हैं। पर इस बार पंजाब और राजस्थान के कारोबारियों ने साथ कारोबार करने   की बात की है।

यहां प्रगति मैदान में लगे इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में आए पाकिस्तान के कारोबारियों को साथ मिलकर कारोबार करने के प्रस्ताव भारतीय व्यापारी दे रहे हैं। इन प्रस्तावों से जहां पाकिस्तान के कारोबारी खुश हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रेड फेयर में सिर्फ नुमाइश होने के कारण बिजनेस न बढऩे से कारोबारियों के चेहरे पर शिकन भी है।

पाकिस्तान के कराची शहर में लेडीज सूट का कारोबार करने वाली मोना नियाज ने बताया, मैं तीसरी बार ट्रेड फेयर में आई हूं। इससे पहले वर्ष 2005-2008 में आई थी। इस बार फ्रेबिक की क्वालिटी के साथ ही उस पर किए जाने वाले विशेष डिजाइन को लोग पसंद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1,400-1,500 की रेंज से 6,000-7,000 रुपये की रेंज में सूट उपलब्ध हैं। लेकिन लोग मेले में खरीदारी करने कम आ रहे हैं। और उत्पादों पर छूट बहुत मांग रहे हैं। जोकि संभव नहीं हैं।

नियाज ने बताया कि मेले में राजस्थान, जम्मू कश्मीर, पंजाब और दिल्ली के कारोबारियों व कई बुटीक ने हमारे साथ कारोबार करने की इच्छा जताई है। सैंपल के तौर पर कई कारोबारी 100-150 पीस अपने साथ ले गए हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पाकिस्तान में बने सूट कई बुटीक और शॉप्स पर जल्द ही उपलब्ध होंगे।

लाहौर के उर्दू बाजार में कुर्तों का कारोबार करने वाले मास्क प्रमोटर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बहजाद कासिम ने बताया कि जूट के कुर्ते इस बार खास उत्पाद है। महिलाओं की तरफ से इसकी मांग ज्यादा आ रही है। जूट के कुर्तों की विभिन्न डिजाइन उपलब्ध हैं और उसकी कीमत 500 रुपये रखी है।

मेले में नुमाइश ज्यादा है और खरीदारी कम, इसके चलते हम थोड़े से निराश हैं। पर इस बार पंजाब और राजस्थान के कारोबारियों ने अपने साथ कारोबार करने की बात की है। इसको लेकर अभी बात चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही कई कारोबारियों के साथ हम अपना कारोबार शुरू करेंगे।

कराची के पाक कला में मंगोपुरी रोड में स्टोन हैंडीक्राफ्ट का कारोबार करने वाले मोइनुद्दीन ने बताया कि इस बार स्टोन के हैंडीक्राफ्ट में विभिन्न वैरायटी हम लाएं हैं। इसमें एप्पल और घड़ी टू इन वन, कप-प्लेट सेट, टेलीफोन सेट, अंगूर, फूल दान, ज्वैलरी बॉक्स इत्यादि विभिन्न वैरायटी में उपलब्ध हैं। यह सभी उत्पाद स्पेशल स्टोन से बने हुए हैं। इनकी कीमत 1000-15,000 रुपये के बीच में है।
http://business.bhaskar.com/article/pakistani-businessmen-with-business-initiatives-4070576-NOR.html

सोमवार, 19 नवंबर 2012

दिल्ली में सिर्फ 40% राजस्व वसूली हो पाई

दिल्ली में सिर्फ 40% राजस्व वसूली हो पाई

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 19, 2012, 01:02AM IST
 
पूरे वित्त वर्ष में 26,150 के लक्ष्य के मुकाबले 11,885 करोड़ रुपये की वसूली

दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष की २०१२-१३ की पहली छमाही के दौरान11,885 करोड़ का राजस्व वसूल किया है, जबकि बजट अनुमान में से 15,094 करोड़ रुपये का खर्च किया है। वित्त वर्ष २०१२-१३ के लिए दिल्ली सरकार ने ३३,४३६ करोड़ रुपये का बजट अनुमान लगाया था। इस बजट अनुमान में से १५,००० करोड़ रुपये योजनागत व्यय के लिए, १८,२६८ करोड़ रुपये गैर योजनागत व्यय के लिए निर्धारित किया गया था।

बजट में ९४ फीसदी फंड सरकार अपने संसाधनों के जरिए जुटाती है, जबकि बाकी ६ फीसदी फंड केंद्र सरकार से अनुदान के तौर पर मिलते हैं। वित्त वर्ष २०१२-१३ के दौरान योजनागत व्यय के लिए प्रस्तावित १५,००० करोड़ रुपये में से ९,७९६ करोड़ रुपये का खर्च सामाजिक क्षेत्र की सुविधाओं के लिए किया जाना है। यह खर्च वित्त वर्ष २०११-१२ की तुलना में ६ फीसदी अधिक है।

दिल्ली सरकार का सकल राज्य घरेलू उत्पादन (जीएसडीपी)  ३,१३,९३४ करोड़ रुपये का है। वित्त वर्ष २०११-१२ के अनुसार दिल्ली के जीएसडीपी की वृद्धि दर ११.३ फीसदी थी जबकि देश में जीडीपी की विकास दर ६.९ प्रतिशत थी। देश के कुल जीडीपी में ३.८ फीसदी का योगदान दिल्ली करती है जबकि देश की कुल जनसंख्या के अनुपात में यहां मात्र १.४ फीसदी लोग ही रहते हैं।


वित्त वर्ष २०१२-१३ के दिल्ली सरकार ने कर संग्रह के जरिये २६,१५० करोड़ रुपये वसूल करने का  लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष २०११-१२ की तुलना में यह ३१ फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष २०११-१२ में १९,९७२ करोड़ रुपये का कर संग्रह किया गया था। दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग, मनोरंजन कर विभाग, वैट विभाग, राजस्व विभाग कर वसूल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


वित्त वर्ष २०१२-१३ में बिक्रीकर के जरिए १७,००० करोड़ रुपये, वाहनों पर कर के जरिए १,३७० करोड़ रुपये, स्टाम्प और पंजीकरण शुल्क के जरिए ४२९९ करोड़ रुपये, राज्य उत्पाद शुल्क के जरिए ३,००० करोड़ रुपये का वसूली का लक्ष्य रखा गया था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही यानि अप्रैल-सितंबर के दौरान 11,885 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह हुआ। इस हिसाब से पहली छमाही में पूरे वर्ष के राजस्व संग्रह लक्ष्य के मुकाबले करीब 40 फीसदी वसूली हुई है।
http://business.bhaskar.com/article/bevind-dat-slegs-40-van-die-inkomste-in-nieu-delhi-4054850.html

श्रमिकों के काम के घंटे नए सिरे से तय होंगे

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 19, 2012, 00:34AM IST
 

 

कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी

शोषण - श्रमिकों से कार्यावधि के बाद अतिरिक्त समय में काम कराने पर अतिरिक्त भुगतान को लेकर उद्यमियों को परेशानी है। कई बार आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने के बाद भी श्रमिक को आधे से एक घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इसके लिए श्रमिकों को दोगुना भुगतान करने का प्रावधान है।

औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के काम के घंटे नए सिरे से तय करने के लिए दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने एक स्पेशल कमेटी बनाई है जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस कमेटी में श्रम विभाग के अधिकारी, औद्योगिक संगठनों और श्रमिकों के प्रतिनिधि होंगे।

राजधानी दिल्ली के औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के काम करने के समय को लेकर अपैक्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ एनसीटी से जुड़े लोग श्रम मंत्री डा.ए.के.वालिया से 16 नवंबर को मिले थे। इस चैंबर ने श्रमिकों को होने वाली दिक्कतों को लेकर एक ज्ञापन भी श्रम मंत्री को सौंपा है।

अपैक्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ एनसीटी के उपप्रमुख रघुवंश अरोड़ा ने बताया कि श्रमिकों के काम करने के समय और अतिरिक्त समय में काम कराने पर पैसे के भुगतान को लेकर उद्यमियों को काफी दिक्कत है। कई बार आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने के बाद श्रमिक को आधे से एक घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता है।

इसके लिए श्रमिकों को दोगुना भुगतान करने का प्रावधान है। ऐसे नियमों को आज भी व्यवहारिक रूप से लागू नहीं किया जा सका है इसलिए हमने श्रम मंत्री से कहा है कि ऐसे नियम बनाएं जिनका पालन किया जा सके।

उन्होंने बताया कि श्रमिकों के काम करने के समय को बढ़ाने को लेकर श्रम विभाग ने 28 अगस्त को हुई बैठक पर अपनी सिफारिश दी थी। उन्होंने अफसोस जताया कि दिल्ली में श्रमिकों की तनख्वाह भी व्यावहारिक तरीके से लागू नहीं है। क्या जितनी तनख्वाह सरकार ने लागू की है, वह श्रमिकों को मिल रही है ? अगर नहीं मिल रही है तो ऐसे निर्णय से क्या फायदा? श्रमिकों की तनख्वाह में बढ़ोतरी से संबंधित मामला हाईकोर्ट भी अभी विचाराधीन है। अरोड़ा ने बताया कि औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के काम के घंटे निर्धारित करने के लिए दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने एक स्पेशल कमेटी बनाई है।

उम्मीद है कि कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। इस कमेटी में दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के अधिकारी, औद्योगिक संगठन और श्रमिकों के प्रतिनिधि होंगे। चैंबर में लेबर रिलेशन कमेटी के चेयरमैन रामानंद गुप्ता ने श्रमिकों और उद्यमियों के बीच आपसी तालमेल बैठाने के लिए श्रम विभाग से नियमों में ढील देने के लिए कहा है। इससे सरकारी निर्णयों को लागू करने में आसानी होगी और बिना कानून तोड़े सभी उद्यमी नियमों का पालन कर सकेंगे।
http://business.bhaskar.com/article/working-hours-of-workers-will-be-renewed-4054901.html

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

मैनेजमेंट संस्थानों में प्रवेश परीक्षा पर रोक

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 16, 2012, 00:35AM IST
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एआईसीटीई का नया नियम अगले सत्र से लागू

चेतावनी - एआईसीटीई के इस निर्णय का पालन सभी संबंधित संस्थानों के लिए जरूरी है अन्यथा ऐसे पाठ्यक्रमों पर एआईसीटीई की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। बिना प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थी ही इसके जिम्मेदार होंगे।

कार्रवाई - मान्य प्रवेश परीक्षाओं के अलावा किसी अन्य परीक्षा के जरिए मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों को अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे डिप्लोमा को भी अमान्य घोषित किया जाएगा।

मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में बिना प्रवेश परीक्षा के एडमिशन लेने वाले छात्रों आल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने आगाह किया है। एआईसीटीई ने मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेने वाले छात्रों को सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सूचित करते हुए कहा है कि मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में कैट, मैट, एक्स-ऐट, जी-मैट प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही प्रवेश लिया जा सकता है।

एआईसीटीई के इस निर्णय का पालन करना सभी सभी संबंधित संस्थानों के लिए जरूरी है अन्यथा ऐसे पाठ्यक्रमों को लेकर एआईसीटीई की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। साथ ही, बिना प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थी ही इसके जिम्मेदार होंगे।

उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के अलावा किसी अन्य परीक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों को अयोग्य घोषित किया जाएगा। साथ ही, संस्थान द्वारा दिए जाने वाला डिप्लोमा को भी अमान्य घोषित किया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने वाले संस्थानों के खिलाफ एआईसीटीई के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

एआईसीटीई के चेयरमैन एस.एस.मंथा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि वर्ष 2013-14 के लिए मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों जैसे पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एक्जीक्यूटिव मैनजेमेंट , पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कॉरपोरेट मैनेजमेंट में प्रवेश के लिए कई संस्थानों ने विज्ञापन दिए हैं जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 1 मार्च, 2012 के निर्णय में सभी संस्थानों को उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से ही मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए कहा है।

ऐसे में इस समय जो भी संस्थान अपनी प्रवेश परीक्षा का आयोजन कर रहे है, वह सीधे तौर पर सुप्कीम कोर्ट के निर्णय की अवमानना कर रहे हैं।  मंथा ने कहा कि 2013-14 के सत्र में मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेने के इच्छुक छात्रों को एआईसीटीई के नियम मानने होंगे। एआईसीटीई के नियमों को न मानने वाले छात्र और संस्थान खुद ही इसके जिम्मेदार होंगे।
http://business.bhaskar.com/article/management-institutions-entrance-test-ban-4043485.html

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

महंगे बेचे जा रहे हैं ड्राई फ्रूट

आकर्षक पैकिंग में महंगे बेचे जा रहे हैं ड्राई फ्रूट

सचिन यादव नई दिल्ली | Nov 06, 2012, 01:10AM IST
 
 

इस कारोबार में नामी ब्रांड भी बाजार में उतरे

फिर भी भीड़ - बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष ड्राई फ्रूट की कीमतों में 15-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बावजूद बाजार में ड्राईफ्रूट  के प्रति लोगों की चाहत बढ़ती जा रही है। पिछले एक सप्ताह से इसके ग्राहकों को अच्छी खासी भीड़ है बाजारों में। सोमवार को भी ग्राहकों की अच्छी भीड़ थी।

पैकेजिंग का खेल - पैकेजिंग के सहारे 2.50 किलोग्राम तक ड्राई फ्रूट के पैक को 2,800 रुपये की लागत में बेचा जा रहा है जबकि बाजार में इस पैकेजिंग वाले ड्राई फ्रूट पैक की कीमत 1,500 रुपये से अधिक नहीं है। एक किलो ड्राई फ्रूट के नामी ब्रांड 1,230 रुपये ग्राहकों से वसूल कर रहा है।

पैकेजिंग के सहारे एनसीआर में कुछ नामी ब्रांड सस्ते ड्राई फ्रूट को महंगा कर बाजार में ग्राहकों को बेच रहे हैं। पैकेजिंग के सहारे 2.50 किलोग्राम तक ड्राई फ्रूट के पैक को 2,800 रुपये की लागत में बेचा जा रहा है जबकि बाजार में इस पैकेजिंग वाले ड्राई फ्रूट पैक की कीमत 1,500 रुपये से अधिक नहीं है। एक किलो ड्राई फ्रूट के नामी ब्रांड 1,230 रुपये ग्राहकों से वसूल कर रहा है। चांदनी चौके में हल्दीराम के स्टोर पर ऐसे पैकेजिंग पैक की भरमार है। मजेदार की बाते है कि ग्राहकों को छला जा रहा है मगर वे इस पर अपनी आपत्ति भी दर्ज नहीं करा रहे।

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ड्राई फ्रूट की कीमतों में 15-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बावजूद बाजार में ड्राईफ्रूट  के प्रति लोगों की चाहत बढ़ती ही जा रही है। पिछले एक सप्ताह के दौरान खारी बावली में ग्राहकों को अच्छी खासी भीड़ उमड़ी है। खारी बावली में लाहौर ड्राई फ्रूट के प्रोपराइटर राकेश चावला ने बताया कि सोमवार का दिन होने के बावजूद आज बाजार में ग्राहकों की अच्छी भीड़ देखने को मिल रही है।

ग्राहकों का रुझान भी मिठाई से हटकर ड्राईफ्रूट की तरफ हुआ है। खारी बावली थोक बाजार में अमेरिकन बादाम का भाव 460-500 रुपये प्रति किलो के स्तर पर है जो पिछले साल दीवाली पर 400-425 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिका था।

इसके अलावा, काजू का भाव भी पिछले साल की तरह 850 रुपये प्रति किलो के स्तर पर चल रहा है। पिस्ता के भाव में भी 150 रुपये प्रति किलो की तेजी आ गई है। दिल्ली ड्राई फ्रूट बाजार में ईरानी पिस्ता का भाव पिछले साल के 600 रुपये के स्तर पर बढ़कर 750 रुपये प्रति किलो हो गया है।
अमेरिकी पिस्ता 500 रुपये से बढ़कर 650 रुपये प्रति किलो में बिक्री की जा रही है। किशमिश का भाव पिछले एक महीने में 220-250 रुपये से बढ़कर 200-325 रुपये प्रति किलो हो गया है।

खारी बावली थोक बाजार में ड्राई फ्रूट्स के थोक कारोबारी रमेश शर्मा ने बताया कि पिछले दो सालों से लगातार ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है। अभी बाजार में ड्राई फ्रूट की मांग अच्छी आ रही है। उम्मीद है कि आगे के दिनों भी मांग अच्छी रहेगी क्योंकि सर्दियों में अक्सर मांग बढ़ जाती है।
http://business.bhaskar.com/article/dry-fruits-are-sold-in-attractive-packing-expensive-4013037-NOR.html

शनिवार, 3 नवंबर 2012

सिर्फ19% इंजीनियरिंग कॉलेज ही निकले मानकों पर खरे

सिर्फ19% इंजीनियरिंग कॉलेज ही निकले मानकों पर खरे

  Sachin Yadav नई दिल्ली | Nov 03, 2012, 01:18AM IST
 
 
 
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 ''ये आंकड़े देखकर वाकई मैं खुश नहीं हूं। लेकिन देश में अब तक इस तरह का कोई भी सर्वेक्षण नहीं किया गया है। इस सर्वेक्षण की जरिए हम यह जान पाएंगे कि हमें इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में कहां पर हस्तक्षेप करना है। अभी देश में 3,600 इंजीनियरिंग संस्थान हैं जबकि पिछले पांच वर्षों के दौरान इस संख्या में से 50 फीसदी संस्थान खुले हैं।
एस.एस.मंथा एआईसीटीई चेयरमैन

शुरुआती नतीजे - इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 156 इंजीनियरिंग कॉलेज में से 28 कॉलेजों ने उच्च स्तर इंडेक्स स्कोर 46 से अधिक प्राप्त किया है। मध्यम स्तर इंडेक्स स्कोर 15-46 प्राप्त करने वालों की संख्या 99 है जबकि लो लेवल इंडेक्स स्कोर 15 से कम प्राप्त करने वाले संस्थानों की संख्या 29 है। अभी यह शुरुआती चरण के नतीजे है ।

सर्वेक्षण क्यों - सर्वेक्षण से पता चला कि देश भर में दस वर्ष से पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या सिर्फ1,070 है जबकि सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले संस्थानों की संख्या मात्र 156 थी जोकि मौजूदा इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या का मात्र 14.6 फीसदी है। बहरहाल, सर्वेक्षण से इन संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता का पता चला।

क्या दे शके पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों की शिक्षा में गिरावट आ रही है?एक सर्वेक्षण से पता चला है कि दस वर्ष से पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों में मात्र 19 फीसदी संस्थान ही उच्च स्तर के हैं। देश भर में इंजीनियरिंग शिक्षा को लेकर कॉलेजों की गुणवत्ता जानने के लिए एआईसीटीई और सीआईआई की और से आयोजित ऑनलाइन सर्वेक्षण के नतीजों में यह बात सामने आई है ।

इस सर्वेक्षण में 31 अगस्त, 2012 की अवधि तक 10 वर्ष पुराने और इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, केमिकल, सिविल और कंप्यूटर व आईटी में से कम से कम तीन ट्रेड में दाखिला देने वाले इंजीनियरिंग संस्थान हिस्सा ले सकते थे। एआईसीटीई और सीआईआई दोनों ने इंडस्ट्री लिंक्ड इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूशन 2012 सर्वेक्षण का आयोजन किया था। इस सर्वेक्षण की जानकारी सभी संस्थानों को पहले ही दे दी गई थी।

एआईसीटीई और सीआईआई की ओर से आयोजित इस सर्वेक्षण में ऑनलाइन हिस्सा लेने के लिए इंजीनियरिंग संस्थानों को 7 जून से 7 सितंबर के दौरान गवर्नेंस, पाठ्यक्रम, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विसेज, प्लेसमेंट, सोशल डेवलपमेंट से संबंधित जानकारी ऑनलाइन अपलोड करनी थी।

सर्वेक्षण के मुताबिक पता चला कि देश भर में दस वर्ष से पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या संख्या 1,070 है जबकि सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले संस्थानों की संख्या मात्र 156 है जोकि मौजूदा इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या का मात्र 14.6 फीसदी है। सर्वेक्षण में पूरे देश में सेंट्रल जोन जिसके अंदर मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्य आते है, वहां इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या 76 है जबकि इस सर्वेक्षण में मात्र 11 इंजीनियरिंग संस्थानों ने हिस्सा लिया।

इसी तरह पूर्वी जोन में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड में 79 संस्थान है जिसमें से 10 संस्थानों ने प्रतिभाग किया। इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 156 इंजीनियरिंग कॉलेज में से 28 कॉलेजों ने उच्च स्तर इंडेक्स स्कोर 46 से अधिक को प्राप्त किया है। मध्यम स्तर इंडेक्स स्कोर 15-46 प्राप्त करने वालों की संख्या 99 है जबकि लो लेवल इंडेक्स स्कोर 15 से कम प्राप्त करने वालों की संख्या 29 है। अभी यह पहले चरण के नतीजे है । इस सर्वेक्षण की फाइनल रिपोर्ट 8 नवंबर को सीआईआई द्वारा आयोजित चौथी ग्लोबल हायर एजुकेशन समिट दिल्ली में पेश की जाएगी।

''यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षेत्र में 16 लाख इंजीनियर कार्यरत हैं जबकि भारत में मात्र 3.6 लाख इंजीनियर ही इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। योग्य इंजीनियर्स की कमी देश में है। इस सर्वेक्षण के जरिए 156 इंजीनियरिंग संस्थान की अच्छाई और खामियां सामने आएंगी। आजादी के बाद से पहली बार देश में ऐसा सर्वेक्षण हुआ है। इस सर्वेक्षण में आगे बहुत सी नई चींजे जोड़ी जाएंगी।
पी.राजेन्द्रन-एनआईआईटी सह-संस्थापक, चेयरमैन नेशनल कमेटी हायर एजुकेशन सीआईआई



http://business.bhaskar.com/article/only-19-engineering-colleges-live-up-to-the-standards-set-out-4001624-NOR.html