गुरुवार, 14 मई 2009

मंगल पर भारी पड़ेगा शनि

वैसे मैं ज्योतिष शास्त्र में विश्वास नही करता हूँ, फिर भी भारतीय राजनीती मुझे इसे अपनाने पर मजबूर कर देती है । मेरा एक अनुमान है की १५ वे लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ़ होने में अभी २४ घंटो से अधिक का समय है।
आइये अब आते हैं मुद्दे पर कल १६ मई,२००९ दिन शनिवार है और २ जून २००९ को दिन मंगलवार है। कई ज्योतिषशास्त्र अपने मत दे चुके है और कई स्वयम सेवी संगठन के अनुसार सरकारे भी बन चुकी है। पर असलियत सामने आने में अभी कुछ वक्त है और यह वक्त अच्छे अच्छे को पानी पिलाने के लिए काफ़ी है। वास्तव में इस बार शनि लोगो के होश उड़ा देगा और लोगो को पता भी नही चल पायेगा की वास्तव में उनके साथ क्या हो गया।
कुल मिला कर सातवी बार गठबंधन की सरकार बनेगी और भगवान् भी भारतीय राजनीती में इस करिश्मे को नही रोक सकते हैं । यह करिश्मा सिर्फ़ भारत जैसे देश में ही हो सकता है। चार मोर्चे बन चुके है। भारतीय जनता पार्टी , कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया इन पार्टियों की भूमिका होगी।
२ जून वह दिन हैं जब सबसे बड़ी पार्टी अपने बहुमत साबित कर देश को नया pradanmantri देगी । सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाड़ी शनिवार को मंदिरों, मस्जिदों गुरुद्वारों और चर्च में जाकर अपने लिए इबादत करेगे की इस लोकतंत्र के महासमर में उनकी नाव भी नदी के उस पार पहुच जाए।
यह महासमर युवा वर्ग की भूमिका के लिए भी जाना जाएगा। अनुमानों की राजनीती जोरो पर है और सब अपनी सरकार बनने में लगे है। फिर आप किस बात का इंतज़ार कर रहे है आप भी अपनी सरकार बना डालिए क्या पता आप भी कभी प्रधान मंत्री बन जाए । वैसे यह जरूर धयान कर लीजिएगा का शनि और मंगल दोनों आप के साथी हो।
क्योकि पता नही कब जय हो और कब भय हो .

शनिवार, 2 मई 2009

बान ने की पत्रकारों पर हमलों की निंदा

आज अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने दुनिया भर में पत्रकारों की मौतों, उनकी गिरफ़्तारी और डराए धमकाए जाने की कड़ी निंदा की है.

बान ने अपने वक्तव्य में कहा है कि पत्रकारों पर हमलों की संख्या दहलाने वाले स्तर तक ऊंची बनी हुई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने वैश्विक समस्याओं के समाधान में मीडिया की भूमिका पर बल दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्रेस की आज़ादी का सख्ती से पालन करने की अपील की है.

संस्था 'कमिटी टू प्रोटैक्ट जर्नलिस्ट्स' सी पी जे के अनुसार 2008 में 41 पत्रकारों की हत्या कर दी गई और 2009 में अब तक 11 पत्रकारों को मार दिया गया है. पैरिस स्थित संगठन 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने 2008 में मार दिए गए पत्रकारों की संख्या 60 बताई है. संगठन ने कहा है कि पिछले वर्ष 929 पत्रकारों पर हमले किए गए या उन्हें धमकियां दी गईं.Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift:

संगठन सी पी जे के अनुसार, पहली दिसंबर, 2008 को 125 पत्रकार जेल में थे, जिनमें से कुछ वर्षों से क़ैद हैं, और कुछ एक दशक से भी अधिक समय से.

बान ने कहा है कि उनमें से आधे क़ैदी तीन देशों में हैं - चीन, क्यूबा और एरिट्रिया में. संगठन 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' का कहना है कि इन तीन देशों को मिलाकर, प्रेस स्वाधीनता की दृष्टि से सबसे अधिक ख़तरे वाले दस देशों में उत्तर कोरिया, बर्मा, लाओस, वियतनाम, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं.

बान ने अपने वक्तव्य में कहा है, "मैं उन सभी सरकारों से, जिन्होंने पत्रकारों को क़ैद कर रखा है, आग्रह करता हूं कि वे सुनिश्चित करें कि पत्रकारों के अधिकारों का पूरा सम्मान किया जाए, जिनमें अपील करने और आरोपों के ख़िलाफ़ अपने बचाव के अधिकार भी शामिल हैं."

क़ैद रखे जा रहे पत्रकारों में, इस समय एक बहुचर्चित मामला अमरीकी-ईरानी पत्रकार रुख़्साना साबरी का है, जिन्हें पिछले महीने तेहरान में 8 वर्ष की क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.

विश्व प्रेस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर एक वक्तव्य में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह विदेशों में क़ैद अमरीकी नागरिकों के बारे में विशेष रूप से चिंतित हैं. ओबामा ने कहा कि यह उन पत्रकारों की बढ़ती संख्या के बारे में अलख जगाने का अवसर है, जिन्हें मौत या क़ैद के रास्ते ख़ामोश कर दिया जाता है, जबकि वे जनता को रोज़मर्रा के समाचार पहुंचाने की कोशिश कर रहे होते हैं."रोक्साना साबरी को ईरान ने क़ैद कर रखा है रोक्साना साबरी को ईरान ने क़ैद कर रखा है

अमरीकी विदेशमंत्री हिलरी क्लिंटन ने अपने लिखित संदेश में कहा कि अमरीका, विश्व प्रेस स्वाधीनता दिवस, और पत्रकारों द्वारा मानव के आत्मसम्मान, स्वाधीनता और समृद्धि के उन्नयन में अंशदान को मनाने में शामिल होकर गर्वित महसूस कर रहा है. क्लिंटन ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता को राष्ट्रसंघ की मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का संरक्षण प्राप्त है.

फ़्रीडम हाउस संगठन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि लगातार सातवें साल प्रेस स्वतंत्रता की बाधाएं बढ़ी हैं. निरंकुश देशों के अलावा इटली, इस्राएल और हांगकांग जैसे देश भी पत्रकारों के काम को मुश्किल बना रहे हैं. बर्लिन में रिपोर्टर विदाउट बोर्डर्स ने एक विरोध प्रदर्शन कर रिपोर्टिंग को दबाए जाने के परिणामों की ओर ध्यान दिलाया है और कहा है कि रिपोर्टिंग के बिना पीड़ित अदृश्य रहते हैं.

राष्ट्रसंघ के शिक्षा और संस्कृति संगठन यूनेस्को ने श्रीलंकाई पत्रकार लसंथा विक्रमतुंग को मरणोपरांत 2009 के प्रैस स्वाधीनता पुरस्कार से सम्मानित करने का फ़ैसला किया है. यूनेस्को के महानिदेशक कोइचीरो मतसूरा यह पुरस्कार आज क़तर में एक आयोजन में विधिवत प्रस्तुत करेंगे. विक्रमतुंग की जनवरी में हत्या कर दी गई थी.

साबेरी मामले की समीक्षा करेगा ईरान

अमेरिकी ईरानी पत्रकार ऱुख़्साना साबेरी को सुनाई गई सज़ा की समीक्षा करने के लिए ईरान सरकार तैयार है. जापानी विदेश मंत्री हिरोफ़ूमी नाकासोने के साथ एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में ईरानी विदेश मंत्री ने इस बात के संकेत दिए.

साबेरी की मां जापान की हैं और जापान ने भी इस मामले में चिंता जताई है. पिछले दिनों साबेरी के पिता के हवाले से कहा गया था कि साबेरी जेल में भूख हड़ताल पर है. उन्हें ईरानी सरकार ने अमेरिका के लिए जासूसी करने के आरोपों में पांच साल जेल की सज़ा सुनाई है.

अमेरिका और यूरोपीय देशो ने ईरान से साबेरी की रिहाई की अपील की थी. इस बीच जापान ने भी अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं. जापानी विदेश मंत्री हिरोफूमी नाकासोने ने तेहरान में ईरानी विदेश मंत्री मनोशेर मुतक्क़ी के साथ साझा कांफ्रेंस में इस बारे में अपनी राय ज़ाहिर की. समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक मुतक्क़ी ने पत्रकारों को बताया कि साबेरी मामले की समीक्षा के लिए सरकार के पास आग्रह आए हैं और सरकार इन पर विचार कर रही है.रुख़्साना साबेरी के पिता रज़ा साबेरी

ईरानी विदेश मंत्री के मुताबिक़ मामले की समीक्षा न्याय और मानवीय और इस्लामी दयालुता के आधार पर की जाएगी. समाचार एजेंसी रायटर्स ने ईरानी न्यायिक अधिकारियों के हवाले से बताया कि साबेरी का स्वास्थ्य बेहतर है और वह अनशन पर भी नहीं है. साबेरी के पिता रज़ा साबेरी ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी कमज़ोर हो गई है.

साबेरी स्वतंत्र पत्रकार हैं और कुछ अमेरिकी और ब्रिटिश टीवी चैनलों के लिए ईरान से रिपोर्टिग करती रही हैं. उनके पास ईरान और अमेरिका दोनों देशों की नागरिकता है. उन्हें जनवरी महीने के आखिर में उस वक़्त गिरफ़्तार किया गया था जब उनके प्रेस दस्तावेज़ों की मियाद ख़त्म हो चुकी थी. ईरान का आरोप है कि साबेरी अपने काम की आड़ में अमेरिका के लिए जासूसी करती थी. अमेरिका ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है.