सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

केसर के दामों में ५० फीसदी से ज्यादा की गिरावट


बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
केसर के दामों में ५० फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। दिल्ली की ड्राई फू ट बाजार खारी बावली में केसर के दामों में गिरावट दर्ज की गई है। खारी बावली सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष ऋषि मंगला ने बताया कि इस बार कश्मीर और ईरान से केसर का आयात काफी मात्रा में हो गया है। इस समय बाजार में केसर की मात्रा काफी अधिक हो जाने से थोक बाजार में के सर के दाम १,३०,००० से १,४०,००० रुपये प्रतिकिलो के स्तर पर चल रहे हैं। जबकि पिछले साल केसर के दाम २,५०,००० रुपये प्रतिकिलो के स्तर पर चल रहे थे। इससे दो साल पूर्व केसर के दाम २५०००-३०,००० रुपये प्रति किलो के स्तर पर थे। लेकिन बाजार में अचानक आई मांग के कारण दाम काफी बढ़ गए थे। उन्होंने बताया कि कश्मीर में बर्फ ज्यादा गिरने से केसर का उत्पादन ज्यादा होता है और कश्मीर में अच्छी बर्फ पडऩे से केसर का उत्पादन अच्छा हुआ जिससे बाजार में केसर की काफी मात्रा में अवाक आ गई। बाजार में औसतन १००० किलो तक केसर प्रतिवर्ष कश्मीर और ईरान से आयात किया जाता है।
लाहौर ड्राई फू्र ट स्टोर के दिनेश चावला ने बताया कि फुटकर बाजार में भी केसर के दाम ४० फीसदी तक गिरे हैं। इस साल फुटकर बाजार में केसर के दाम २४० रुपये प्रति ग्राम तक चल रहे हैं। जबकि पिछले साल केसर के दाम ४०० रुपये प्रति ग्राम तक चल रहे थे। उन्होंने बताया कि बाजार में कश्मीर से आने वाली के सर की डिमांड ५० फीसदी से ज्यादा है। जबकि सस्ते केसर के लिए लोग ईरान से आने वाली केसर की खरीदारी करते हैं। सचिन यादव

गुरुवार, 16 सितंबर 2010

जेमस और ज्वैलरी

जेमस और ज्वैलरी का कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में ६३ फीसदी से अधिक बढ़ गया है। खाड़ी देशों के साथ-साथ अमेरिका , हांगकांग में बढ़ती मांग के कारण यह असर देखने को मिला है। जुलाई २०१० में प्राप्त आकड़ो के मुताबिक इस वर्ष अप्रैल से जुलाई २०१० में कुल निर्यात बढ़कर ५२६०४.९९ करोड़ रुपये हो गया है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में ३४१४४.०७ करोड़ रुपये का ही निर्यात हो पाया था।दी जेम्स एंड ज्वैलरी प्रमोशन काउसिंल के क्षेत्रीय निदेशक केवल कुमार दुग्गल ने बताया कि इस बार ज्वैलरी उत्पादों का निर्यात काफी अच्छा रहा है और इस बार ज्वैलरी उत्पादों का आयात भी कम किया गया है। जुलाई २०१० में जेमस एंड ज्वैलरी का निर्यात ४० फीसदी बढ़कर १०९७६.३१ करोड़ रुपये हो है जबकि इसी दौरास जुलाई २०१० में ही आयात में १.६६ फीसदी की कमी आई है। पिछले वर्ष जुलाई में ११४६७.३० करोड़ रुपये के जेमस एंड ज्वैलरी उत्पादों का आयात किया गया था। इस वर्ष १०८९५.६० करोड़ रुपये की ही जेमस एंड ज्वैलरी का आयात किया गया है।इस दौरान रफ डायमंड के आयात मेें ४५.५० फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस बार अप्रैल से जुलाई २०१० के बीच में १८६७९.४९ करोड़ रुपये के रफ डायमंड का आयात किया गया जबकि पिछले साल इसी अवधि में १३४९८.३४ करोड़ रुपये का आयात किया गया था।कट और पॉलसिड डायमंड के बाजार में भी तेजी दर्ज क ी गई है। सिर्फ जुलाई २०१० में ७८६६.५८ करोड़ रुपये के कट और पॉलसिड डायमंड का निर्यात किया किया गया। जोकि पिछले साल की तुलना में ३६.८१ फीसदी अधिक है। पिछले साल इस अवधि में ५९५१.४१ करोड़ रुपये का ही निर्यात किया हुआ था।जेमस एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउसिंल के आकड़ो के मुताबिक अप्रैल २०१० से जुलाई २०१० तक कट एंड पॉलसिड डायमंड का निर्यात और आयात क्रमश: ३५१२२.७० करोड़ और २२४५१.३८ करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है।सोने की ज्वैलरी में निर्यात अप्रैल से जुलाई २०१० के बीच में ३१.१५ फीसदी बढ़ गया है। इस अवधि मेें १३३२०.९७ करोड़ रुपये की सोने की ज्वैलरी का निर्यात किया गया है। इस दौरान रंगीन जेमस्टोन का निर्यात भी ५.२४ फीसदी बढ़कर ३७१.२२ करोड़ रुपये हो गया है।जीजेईपीसी क्षेत्रीय निदेशक के.के. दुग्गल ने बताया कि बढ़ती निर्यात मांग के कारण किसी ओर नीति पर फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि सूरत में डायमंड , जयपुर में नगीने, दिल्ली,कोलकता, मुंबई,राजकोट में ज्वैलरी और दिल्ली व कोलकता सोने के उत्पादों का निर्माण होता है। इस समय देश के अंदर प्रत्यक्ष रुप से जेमस एंड ज्वैलरी उद्योग ३४ लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

बुधवार, 8 सितंबर 2010

श्रमिकों की कमी से जूझ रहा स्टील यूटेनस्लिस उद्योग


श्रमिकों की कमी से जूझ रहा स्टील यूटेनस्लिस उद्योग दिल्ली
देश का स्टील उद्योग जगत श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है। श्रमिकों की कमी से स्टील उत्पादन में लगे व्यापरियों को दि€कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही जो भी श्रमिक मिलतें हैं वह काफी ऊँ चे दाम वसूल कर रहे हैं। इस समय बाजार में २५ से ३० फीसदी श्रमिकों की कमी आ गई है।
स्टैनलेस स्टील यूटेनस्लिस टे्रडर्स एसोसिएशन दिल्ली के अध्यक्ष सतपाल गुप्ता ने बताया कि इस समय बाजार में ३० फीसदी से अधिक श्रामिकों की कमी है। जबकि श्रमिकों के वेतन को ३००० रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर ५२०० रुपये प्रतिमाह किया जा चुका है। इसके बावजूद बाजार में श्रमिक नहीं मिल रहे हैं।
दिल्ली स्टेनलैस स्टील ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष जे. के. बंसल ने बताया कि पिछले दो महीनों से अचानक श्रमिकों की कमी में काफी कमी आई है। श्रमिकों की कमी से बाजार में उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। साथ ही इससे स्टील के उत्पादों के दाम भी बढ़ सकते हैं।
राजस्थान स्टेनलैस स्टील रिरोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भंवर लाल चोपड़ा ने बताया कि यहां श्रमिकों की समस्या से काफी जूझना पड़ रहा है। साथ ही दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूरों का पलायन अपने राज्यों में होता जा रहा है €योंकि अब उनकों अपने राज्यों में ही रोजगार मिलता जा रहा है।
उन्होंने बताया कि श्रमिकों की कमी से स्टील उत्पादों के दाम ७ से १० फीसदी तक बढ़ गए हैं। भविष्य में स्टील के दाम और अधिक बढ़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में मांग की अधिकता होने के कारण उत्पादन समय से करने पर अधिक जोर रहता है। लेकिन इस बार श्रमिकों की कमी से स्टील उत्पादन में दि€कत आ रही है जिससे समय से आर्डर पूरा करना भी मुश्किल हो सकता है।
गुजरात स्टेनलेस स्टील रीरोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उघम राम हुंडिया ने बताया कि बाजार में दो महीने पहले तक ३० से ४० फीसदी तक श्रमिकों की कमी थी। इस समय बाजार में श्रमिक वापस आए हैं लेकिन अभी भी श्रमिकों की कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इस समय बाजार में हेल्पर का मासिक वेतन ४५०० रुपये कर दिया गया है। जबकि अनुभवी श्रमिक को ६००० रुपये प्रतिमाह तक का वेतन भी दिया जा रहा है।
सचिन यादव

शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

घडिय़ों के बाजार में ३० फीसदी की गिरावट


घडिय़ों के बाजार में ३० फीसदी की गिरावट नई दिल्ली
न्यू लाजपत राय स्थित घड़ी बाजार में ३० फीसदी की गिरावट आई है। घड़ी बाजार को चीन से आए उत्पादों से बहुत अधिक नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि मशहूर घड़ी ब्रांडों के अलावा देश में स्थित लोकल बं्राड की गाडिय़ों की बिक्री प्रभावित हुई है।
न्यू लाजपत राय मार्के ट टे्रडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने बताया कि गाड़ी बाजार में मंदी आई हुई है। सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि चीन से माल बहुत अधिक मात्रा में मंगाया जा रहा है जिससे बाजार में प्रतियोगिता बहुत अधिक बढ़ गई है।
उन्होंने बताया कि देश में घडिय़ों के सैकड़ो लोकल बं्राड पंजीकृत हैं। जोकि खुद ही घड़ी तैयार करते हैं। चीन के उत्पादों के सस्ते और आक र्षक होने की वजह से लोगों का रुझान लोक ल ब्रांडो से कम हो रहा है। साथ ही दिल्ली में वैट की दर भी १२.५ फीसदी है जिससे लोकल बं्राड की घडिय़ों के दाम भी बढ़ गए हैं जबकि चीनी घडिय़ों के दाम उसी स्तर पर हैं।
््््््््््््््््््््््््््बाहर से आना वाला व्यापारी भी अधिक लाभ कमाने के च€कर में चीनी घडिय़ों की खरीददारी कर रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जीएसटी(गुड्स एंड सर्विस टै€स)के लागू होने से गाडिय़ों की कालाबाजारी भी बढ़ सकती है। €योंकि बीजेपी शासित राज्यों ने जीसटी लागू करने से मना कर दिया है।
न्यू लाजपत राय मार्के ट टे्रडर्स एसोसिएशन के सचिव नीरज चोपड़ा ने कहा कि मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग से भी लोगों ने घड़ी की खरीदारी कम की है। साथ ही बं्राडेड घडिय़ों की सेल में भी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि लोग अब घडिय़ों के ब्रांड को ध्यान में रखकर नहीं खरीदारी कर रहे हैं। उनको आक र्षक घडिय़ां ही पंसद आ रही हैं।
एक अन्य व्यापारी अरविंद बताते हैं कि आजकल के युवा आक र्षक घडिय़ों को ही पंसद करते हैं। चीनी घडिय़ां सस्ती होती हैं और खराब होने पर युवा दूसरी घड़ी खरीदने चले आते हैं।
गौरतलब है कि न्यू लाजपत राय मार्केट एसोसिऐशन में ४४० से अधिक दुकानें और ४० से अधिक स्टाल है। इस दुकानों से सरकार को २० करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है।

गुरुवार, 12 अगस्त 2010

मुन्ने का दूध कब होगा सस्ता


नईदिल्लीमाहंगाईके इस दौर में पैकैट बंद दूध बेचने वाली फर्म आम आदमी को १० रुपये अधिक दाम में दूध बेच रही हैं। पैकेट बंद दूध बेचने वाली फर्म मदर डेयरी, अमूल, पारस आदि फॅर्म लोगों से अधिक पैसा वसूल कर रही हैं। देशी घी प्रोडेक्ट एसोसिऐशन के अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने बताया कि बाजार में इस समय कच्चा दूध २१ रुपये से २२ रुपये प्रति लीटर की दर पर मिल रहा है। लेकिन सरकार अधिक दामों पर बिक रहे दूध के दाम करने संबंधी कोई फैसला नही कर रही है।खारी बावली सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष मृदुल राजीव बत्रा का कहना है कि इस समय बाजार में दूध का उत्पादन पिछले साल की तुलना में २० फीसदी से अधिक के स्तर तक बढ़ गया है जिससे बाजार में मिल्क पाउडर की मांग भी घट गई है। त्यौहारी मौसम में दूध की मांग अधिक रहती है। इस बार रमजान और रक्षाबंधन के मौके पर पैकेट बंद दूध के दाम गिरने चाहिए जिससे आम लोगों को भी दूध पीने को मौका मिल सके।उन्होंने बताया कि इस त्यौहारी मौसम में दूध के दाम को घटाकर लोगों को त्यौहारी तोहफा दिया जा सकता है। इस बढ़ती महंगाई के कारण आम आदमी की पहुंच से दूध और दूध से बने उत्पाद दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मई माह में गर्मी के मौसम में दूध के उत्पादन में कमी थी जिसके कारण मिल्क पाउडर और उनसे बने उत्पादों की मांग में इजाफा हुआ था।इंडियन डेयरी एसोसिऐशन के अध्यक्ष डा० एन आर भसीन का कहना है कि इस समय गुजरात में ही ८० लाख लीटर से अधिक दूध इकट्ठा हो चुका है। अधिक दूध उत्पादन के ऐसे ही भंडार महाराष्ट्र में भी हैं। ऐसे में निश्चित है कि दूध के दामों में गिरावट की जाए । उन्होंने कहा कि आने वाले दो महीनों के अंदर दूध के दामों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। गर्मी के दौरान दूध के उत्पादन में कमी के कारण ७० से ८० हजार टन मिल्क पाउडर का आयात न्यूजीलैंड से किया जाना था। लेकिन दूध बढ़ते उत्पादन के कारण मिल्क पाउडर का आयात घटाकर ५ से ६ हजार टन तक कर दिया गया है।

बुधवार, 4 अगस्त 2010

फ्लैट न बिकने से सेनेटरी उत्पादों की बिक्री में गिरावट

सचिन यादव नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(एनसीआर) में फ्लेटों की बिक्री न होने से चावड़ी बाजार के सेनेटरी उद्योग में गिरावट आई है। चावड़ी बाजार के सेनेटरी उद्योग में यह गिरावट लगातार दूसरे वर्ष भी देखी जा रही है।
दिल्ली आयरन एंड मर्चेंटस एसोसिऐशन के सदस्य राकेश गुप्ता ने बताया कि सेनेटरी उद्योग व्यापरियों की खरीदारी पर टिका रहता है। लेकिन एनसीआर इलाकों में खासकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बने फ्लेटों को खरीदार न मिलने से सेनेटरी के माल की आपूर्ति एकदम ठप है। जब तक बने हुए फ्लेट बिकेगें नहीं, तब तक नए फ्लैट बनेंगे नहीं। नए फ्लेट न बनने से माल की आपूर्ति भी एक दम ठप है।
बाजार में इस समय फुटकर विक्रेता ही आते हैं। आने वाले समय में भी सेनेटरी बाजार में तेजी आने की उम्मीद कम ही है। उन्होंने बताया कि महंगाई के कारण खरीददार कम हैं जिससे सेनेटरी उत्पादों की कीमत २० फीसदी तक बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि हमारे उत्पादों को चीन से आए सेनेटरी माल से भी क ड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। अधिकांश बड़े व्यापारी जिन्हें बल्क में माल खरीदना होता है। अब चीनी उत्पादों की बुकिंग भी करवा रहे हैं।
वहीं एसोसिऐशन के अध्यक्ष सत्येन्द्र जैन ने बताया कि मार्के ट में इस समय गिरावट देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने वैट की दर भी सेनेटरी उत्पादों पर ४ फीसदी से बढ़ाकर १२.५ फीसदी के स्तर पर कर दी है। मार्केट में खरीदारों ने सेनेटरी उत्पादों के बढ़ते दामों से कदम पीछे खींच लिए हैं।
हौज काजी में पिछले कई सालों से सेनेटरी उत्पादों का व्यापार कर रहे मो.हुसैन कहते हैं कि बाजार में सेनेटरी उत्पादों की मांग बिल्कुल कम है। कम मांग के कारण हमें अपने खर्चों में कटौती भी करनी पड़ रही है। इसका असर बाजार में काम करने वाले मजदूरों की तनख्वाह पर भी पड़ता है।

सोमवार, 7 जून 2010

भोपाल गैस त्राशादी

विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी 'भोपाल गैस कांड के घटित होने के तकरीबन २६ साल बाद आठ दोषियों को सजा सुनाई गई है। इस त्रासदी का घटनाक्रम कुछ इस तरह से है :
३ दिसंबर,१९८४- यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के भोपाल स्थित पेस्टीसाइड प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस के रिसाव के कारण लगभग १५ हजार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और कम से कम पांच लाख लोग इस गैस की चपेट में आए। साथ ही लाखों लोग बीमार पड़ गए। उनकी आने वाली पीढिय़ां भी गैस के हानिकारक असर से बच नहीं पाईं।
४ दिसंबर,१९८४- यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वारेन एंडरसन समेत नौ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। लेकिन वारेन एंडरसन को २ हजार डॉलर का जुर्माना भरने पर जमानत दे दी गई। वारेन एंडरसन ने जमानत लेते समय भारत लौटने का वादा किया था। इससे जुड़े फौजदारी मामले में १०वां अभियुक्त यूनियन कार्बाइड को बनाया गया, जिस पर सामूहिक नरसंहार का आरोप लगाया गया।
फरवरी, १९८५- भारत सरकार ने यूनियन कार्बाइड से ३.३ अरब डॉलर का मुआवजा पाने के लिए एक अमेरिकी अदालत में दावा ठोंका।
१९८६- अमेरिका जिला अदालत के जज ने भोपाल गैस त्रासदी के सारे मामलों को भारत स्थानांतरित कर दिया।
दिसंबर १९८७- सीबीआई ने वारेन एंडरसन और यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूएसए), यूनियन कार्बाइड (ईस्टर्न) हांगकांग और यूसीआईएल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। एंडरसन और यूसीसी को सामूहिक नरसंहार के मामले में सम्मन भी भेजा गया।
फरवरी,१९८९- भोपाल के सीजेएम ने सम्मन की बार-बार अवेहलना करने के कारण वारेन एंडरसन के खिलाफ गैर जमानती वांरट जारी किया।
फरवरी, १९८९- यूनियन कार्बाइड द्वारा ४७ करोड़ डालर की क्षतिपूर्ति भरने संबंधी सौदा भारत सरकार और यूनियन कार्बाइड के बीच अदालत के बाहर हुआ।
फरवरी-मार्च,१९८९- इस समझौते को गैर वाजिब करते देते हुए भारी जनविरोध हुआ। इसके साथ ही भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन और भोपाल गैस पीडि़त संघर्ष सहयोग समिति समेत कई संगठनों ने इस समझौते के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ढेर सारी याचिकाएं दाखिल कीं।
१९९२- सरकार ने ४७ करोड़ डालर के मुआवजे का एक हिस्सा भोपाल गैस पीडि़तों के बीच वितरित किया।
फरवरी,१९९२- अदालत ने कोर्ट के सम्मनों की अवेहलना करने के कारण वारेन एंडरसन को भगोड़ा घोषित किया।
नवंबर,१९९४- अदालत में कई याचिकाएं दाखिल होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड को यूसीआईएल में अपना हिस्सा क ोलकाता स्थित मैकलियॉड रसेल (इंडिया) लिमिटेड को बेचने की अनुमति दे दी।
सितंबर,१९९६- सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के भारतीय अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को थोड़ा कम कर दिया। नरसंहार के लिए मुख्यत: यूनियन कार्बाइड कॉर्पाेरेशन (यूसीसी) को जिम्मेदार माने जाने के कारण ही ये आरोप कम किए गए। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड की बहुमत हिस्स्ेदारी उस समय यूसीसी के पास ही थी।
अगस्त,१९९९- यूनियन कार्बाइड ने अमेरिका की डो केमिकल्स में विलय की घोषणा की।
नवंबर,१९९९- अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस ने यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के आसपास जांच में पाया कि वहां १२ वाष्पशील आर्गेनिक केमिकल्स और मरकरी की मात्रा अपेक्षा से ६० लाख गुना तक अधिक है।
नवंबर,१९९९- यूनियन कार्बाइड और इसके पूर्व सीईओ के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार उल्लघंन, पर्यावरण कानून, और अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत भोपाल गैस त्रासदी के भुक्तभोगी व बचे हुए लोगों ने न्यूयार्क के फेडरल कोर्ट पर याचिका दाखिल की7
फरवरी,२००१- यूनियन कार्बाइड ने भारत में यूसीआईएल की देनदारियों की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया।
जून,२००२- भोपाल गैस त्रासदी के भुक्तभोगियों ने भारत सरकार के खिलाफ तब प्रदर्शन किया जब उन्हें पता चला कि सरकार एंडरसन के खिलाफ लगे आरोपों को वापस लेने पर विचार कर रही है।
अगस्त,२००२- भारतीय अदालत ने एंडरसन के खिलाफ लगाए गए सामूहिक नरसंहार के आरोपों को बरकरार रखा। भारतीय अदालत ने एंडरसन के प्रत्यर्पण की मांग की ताकि उसके खिलाफ सुनवाई हो सके। इस बीच, एक ब्रिटिश अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एंडरसन अमेरिका में ही मौजूद है।
अक्टूबर,२००२-यूसीआईएल फैक्टरी को साफ करने को लेकर एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन किया गया। सामजिक कार्यकताओं का कहना था कि फैक्टरी में अभी भी हजारों टन जहरीला पदार्थ है।
मई, २००३- भारत ने अमेरिका से एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए निवेदन किया।
मार्च,२००४- अमेरिका अदालत ने कहा कि वह डो केमिकल्स को भारत की जमीन से जहरीला केमिकल साफ करने के निर्देश दे सकती है अगर इसके लिए भारत सरकार नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे। इसके बाद भारत सरकार ने सर्टिफि केट अमेरिका भेजा।
जून,२००४-अमेरिका ने एंडरसन के भारत प्रत्यर्पण को ये कहकर ठुकरा दिया कि द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के अनुसार एंडरसन का प्रत्यर्पण संभव नही है।
१९,जुलाई २००४- भारत की उच्चतम न्यायालय ने सेंट्रल बैंक को आदेश दिया कि सन् १९९२ से जमा ४७ करोड़ डालर के आधार पर १५ अरब रुपये का लोगों को मुआवजा वितरित करें।
२५ अक्टूबर,२००४- भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़तों ने सरकार के मुआवजा न बांटने को लेकर विरोध किया।
२६ अक्टूबर,२००४- सुप्रीम कोर्ट ने ४७ करोड़ डालर का मुआवजा १५ नंवबर तक बांटे जाने की अंतिम तारीख घोषित की।
७ जून, २०१०- कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन केशब महिंद्रा समेत आठ लोगों को भोपाल गैस त्रासदी के लिए दोषी ठहराया ।
अनुवाद- सचिन यादव सन्दर्भ पीटीआई

मंगलवार, 25 मई 2010

कागज की खपत में बढ़ोतरी

सचिन यादव नई दिल्लीचावड़ी बाजार स्थित एशिया का सबसे बड़ा कागज बाजार आर्थिक मंदी के खराब दौर से उबर आया है। आजकल बाजार में २० फीसदी से अधिक की तेजी दिखाई पड़ रही है जोकि आने वाले ५ से ६ महीनों तक लगातार जारी रहने की संभावना है। साथ की रिकवर्ड पेपर के कारोबार में भी तेजी आई है। इस समय अरब देशों के साथ-साथ पड़ोसी देश श्रीलंका को भी कागज का निर्यात किया जा रहा है।पेपर मर्चेंट एसोसिएशन के महासचिव पदम चंद जैन कहते हैं कि पेपर के कारोबार में तेजी का एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग भी है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लोगों ने पॉलीथीन को प्रयोग करना कम किया है। आज लोगों में जागरूकता के कारण इको फे्रंडली बैग का प्रयोग करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। इसलिए व्यापरियों ने भी इको फें्र डली बैग के उत्पादन को बढ़ाया है।पदम चंद कहते हैं कि २००८ में भारत में ९ मिलियन टन कागज का उत्पादन हुआ था जबकि उसी वर्ष १०।२ मिलियन टन कागज का उपभोग लोगों की जरूरतों को पूरा करने में खर्च हो गया ,जिसके लिए बाकी कागज आयात किया गया था। भारत में पेपर का उपभोग बढ़ता जा रहा है। २००८ के ९ मिलियन टन से बढ़कर २०२० में कागज का उत्पादन १८.५ मिलियन टन पहुंच जाने की संभावना है।सबसे अधिक पेपर मैगजीन, पोस्टर और कलेण्डर बनाने में खर्च होता है। भारत में पैकजिग में ४.५ मिलियन टन कागज, न्यूज प्रिंट में १.७ मिलियन टन , प्रिटिंग एंड राइटिंग में ३.६ मिलियन टन कागज की खपत हो जाती है। जोकि लगातार बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने साफ किया बाजार में महंगाई है फिर भी कागज की खपत लगातार बढ़ती जा रही है।रिकवर्ड पेपर के विषय में पदम चंद कहते हैं कि भारत में सबसे अधिक रिकवर्ड पेपर का आयात अमेरिका से किया जाता है। भारत अमेरिका से ३४ प्रतिशत से अधिक रिकवर्ड कागज का आयात करता है। जबकि ६६ फीसदी से अधिक रिकवर्ड कागज यूएई, यूके, और यूरोप से आयात किया जाता है।पदम चंद जैन कहते है कि चावड़ी बाजार पेपर का मुख्यत वितरण केन्द्र है। यहां पर पेपर टेड्रर्स की १३५० से अधिक दुकानें हैं और सालाना करीब २५०० करोड़ से अधिक का कारोबार हो जाता है। गौरतलब है कि एशिया की सबसे बड़ी कागज वितरण बाजार से प्रत्यक्ष रूप से १० हजार से भी अधिक परिवार जुड़े हुए हैं।

धंधा है पर मंदा है ये

सचिन यादव नई दिल्ली
चावड़ी बाजार स्थित कागज के व्यापरियों में जहां खुशी का माहौल है वहीं दूसरी ओर ग्रीटिंग कार्ड का व्यापार करने वाले व्यापरियों का धंधा काफी मंदा चल रहा है। नए टेक्रोलाजी और मोबाइल क्रांति ने पूरी तरह से लोगों को अपना दिवाना बना लिया है जिससे ग्रीटिंग कार्ड की तरफ किसी का ध्यान भी नहीं है। ग्रीटिंग कार्ड का कारोबार करने वाले रंजन कहते हैं कि अब कौन कार्ड खरीदना चाहता है, लोग अपनी उंगलियों को मोबाइल या कंप्यूटर में खटपटा कर और थोड़ा सा कष्ट देकर कुछ ही समय में लोग अपनों से बातें कर रहे हैं। आखिर कौन ऐसे में धूप में बाजार आएगा, कौन ग्रीटिंग कार्ड का पोस्ट करने के झंझट में पड़ेगा। व्यापारी लक्ष्मी जैन कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि लोग ग्रीटिंग कार्ड खरीद नहीं रहे हैं लेकिन आजकल लोगों को ब्रांड पंसद आता है। इसलिए लोग ग्रीटिंग कार्ड की खरीदारी कर भी रहे हैं तो पहले उसकी कंपनी देख रहे हैं। व्यापारी सुंदर लाल कहते हैं कि ग्रीटिंग कार्ड के कारोबार में इतनी गिरावट है कि पिछले कई सालों से ही कार्डों के उत्पादन को कम कर दिया गया है।मॉडल टाउन के निवासी तरुण चौहान कहते हैं कि कार्ड लाओ, फिर चिपकाओ, पोस्ट आफिस जाओ, लाइन लगाओ और घंटों के बाद एक कार्ड पोस्ट करने के झंझट में अब कौन पडऩा चाहेगा। जब मोबाइल और ईमेल है तो कौन इस मुसीबत में पड़े। मीडियाकर्मी सिम्पल कहती हैं कि हमारा इतना बड़ा नेटवर्क है और सभी को कार्ड भेजना संभव नही है। जबकि मोबाइल और ईमेल से एक बार में एक निश्चित संख्या में लोगों को अपनी कोई भी बात पहुचाई जा सकती है। आप पैसे के साथ-साथ अपना बेशकीमती समय भी बचा सकते हैं।

शनिवार, 22 मई 2010

डेनिम की बढती मांग

सचिन यादव बिजनेस भास्कर नई दिल्लीडेनिम की मांग से टैंक रोड स्थित डेनिम का थोक कपड़ा बाजार गर्मी के मौसम गुलजार है। ग्राहकों के लगातार बढ़ती खरीदारी करने से डेनिम के व्यापरियों में भी काफी उत्साह है। युवाओं का फैशन को लेकर किए जाने वाले नए प्रयोग और डेनिम के प्रति बढ़ती चाहत ने डेनिम के कारोबार में इस मौसम में भी जान फंूक दी है। भारत में ९० फीसदी से अधिक डेनिम की खरीदारी अंसगठित क्षेत्र से होती हैं और ब्रांडेड कंपनियों को ये सेक्टर काफी अधिक टक्कर दे रहा है। लोगों में टैंक रोड स्थित मार्केट के प्रति लगाव बढऩे का एक कारण सस्ते दामों पर अच्छी और टिकाऊ जींस का मिलना है। क्योंकि २५० से ३०० रूपये में अच्छी जींस मिल जाती है। शादीपुर से जींस की खरीदारी करनें आए आईटी प्रोफेशनल रवि कुमार बताते हैं कि इतने कम दामों में तो आज पैंट का कपड़ा भी नहीं मिलता है जबकि कई दूसरी डेनिम की जींस देने वाली कंपनियां सिर्फ टैग लगाकर ऐसे ही डेनिम जींस प्रति पीस हजार या उससे भी अधिक के दामों पर बैच रही हैं। गर्मी की छुट्टी में अपनी पॉकेट मनी बचाकर खरीदारी करनें आई बारहवीं की छात्रा मीनाक्षी इस मार्केट को अपनें बजट के हिसाब से फिट मानती हैं और कहती हैं कि यहां अब लड़कियों के लिए डेनिम की जींस की वैरायटी बहुत अधिक मात्रा में आ गई है। अब अपनें बजट के हिसाब और अपनी पंसद की जींस खरीदने में मुझे कोई दिक्कत नहीं होती है।डेनिम व्यवसायी अंकुल भल्ला बताते हैं कि पिछले साल तक गर्मी में यहां ग्राहकों की काफी कमी थी और हम लोग जल्द से जल्द शादी-ब्याह और जाड़े के मौसम का इंतजार करते थे। लेकिन इस बार उम्मीद के उलट सारे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। साथ ही इस गर्मी के साथ इस महंगाई के मौसम भी लोग खरीदारी करने आ रहे हैं। डेनिम का एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का कारोबार करने वाले अजीत सिंह दूसरे राज्यों से व्यापरियों के इस मौसम में आने से काफी खुश हैं। अजीत कहते हैं कि गर्मी के मौसम में मुख्यत लोग व्यापार के लिए नहीं आते हैं। लेकिन इस बार व्यापरियों के आने से सभी व्यापरियों में काफी उत्साह है।

सोमवार, 12 अप्रैल 2010

ये आग कब ठंडी पड़ेगी

हर साल हर मौसम के कई रंग देखने को मिलते हैं.पर इस साल दिल्ली में कुछ नया ही रंग देखने को मिल रहा है. और ये रंग है आग की तेज लपटों का थोडा सा नीला और थोडा सा लाल. इस आग के रंगों में बहुतों की रोजी रोटी जल रही है. कई लोगों के आशियाँ उजड़ रहे हैं. आखिर ये आग अपना रंग क्यों दिखा रही है. २ अप्रैल को पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामबिलास पासवान के घर आग लग जाती और गाड़ियाँ खड़े खड़े खाक हो जाती हैं. उसी दिन इन कम टैक्स विभाग में आग लगती है और कई ज़रूरी कागज आग की गर्मी मेंभस्म हो जाते हैं. ये आग अभी ठंडी होने का नाम नही लेती है और फिर ८ अप्रैल को गाजीपुर फलाई ओवर के पास गरीबों की १००० झुग्गियों को निशाना बना लेती है. आग अब हर तरफ दहक रही है और हर किसी को अपनी चपेट में लेने के लिए तैयार है. उसका अगला निशाना बनती हैं नेहरु प्लेस में खड़ी दो बसें. जिनमे अपने आप आग लग जाती है, वही दूसरी और एक आदमी की कार उसकी आखों के सामने जल जाती है. और वो कुछ नही करता, भगवन का शुक्रिया अदा करता है आग तब लगी जब वो कार में नही बैठा था. आग थापर हाउस में भी पहुँचती है. और अब आगे बढ़ते हुए. 9 अप्रैल को तुगलकाबाद के कंटेनर डिपो में करोडो रुपये का नुक्सान कर देती हैं. इसके बाद बारी थी उत्तर पाश्चिम दिल्ली की प्लास्टिक इस्क्रेप मार्केट में आग लग जाती है. ये आग बुझने का नाम नही ले रही. और लोगों की जुबान पर इतना ही भर है की ये आग कब ठंडी पड़ेगी

सोमवार, 15 मार्च 2010

राजस्थान का बजट 2010

राजस्थान बजट
आज के समय में आई0टी0 (सूचना तकनीकी ) का अधिकाधिक उपयोग नितांत आवश्यक है। राजकीय विभागों एवं निकायों में शिकायतों अभाव अभियोगों के पंजीकरण एवं निराकरण हेतु।राजकीय भुगतान नकद में नहीं किए जाकर बैंक अथवा डाकघर के खातों के माघ्यम से किया जाना। डिलिवरी आफ सर्विसेज में नवाचार के लिए 5 करोड़ रूपये का कोष गठित करना। सरकारी कर्मचारियों के लिए स्थानान्तरण हेतु एक स्पष्ट नीति बनाना। जनअभाव अभियोग निराकरण आयोग गठन करना जिससे लोकसेवकों से संबंधित शिकायतों पर निश्चित समयावधि में कार्रवाई हो सके। 2010-11 में योजना का आकार 23 हजार 822 करोड़ रूपये है जो कि योजना आयोग की तरफ से अनुमोदित आकार से 37 प्रतिशत अधिक है। सड़को के लिए- बी0ओ0टी0, पी0पी0पी0, टोल, वी0जी0एफ0 एवं सूओमोटो की योजना से सड़को के बनाए जाने की योजना। आरएसआरडीसी 1हजार 350 किलोमीटर की 19 सड़के बनायी जायेंगी जिसकी अनुमानित लागत 2हजार 100 करोड़ रूपये आयेगी।आरआईडीसीओआर 263 किमी की 6 सड़क बनाएगा जिसकी अनुमानित लागत 750 करोड़ आएगी।नाबार्ड के सहयोग से 160 किमी ग्रामीण सड़क बनाई जाएगी जिसकी लागत 76 करोड़ 75 लाख।ऊर्जा 2010-11 में इस क्षेत्र में 12हजार 434 करोड़ रूपये योजनागत प्रस्तावित है, जो राज्य की वार्षिक योजना का 52 प्रतिशत है।बायोमास नीति -2010 को लागू करने की योजना प्रस्तावित।
जल संसाधनजल संसाधन के लिए 777 करोड़ 58 लाख रूपये प्रस्तावित नागौर जिले के छोटे कस्बों में 40 तालाबों के पनुरूद्धार की बात।राज्य के 164 ब्लॉक ओवर एक्सप्लाईटेड , 34 ब्लॉक क्रिटीकल एवं 8ब्लॉक सेमी क्रिटीकल है। केवल 30 ब्लॉक सुरक्षित बचे हैं । इससे निपटने के लिए एक जल नीति बनाएगी जाएगी। पेयजल के लिए 2010-11 में 1 हजार 231 करोड़ रूपये प्रस्तावित।पानी में सल्फाइट और फ्लोराइड को दूर करने के लिए योजना। कलस्टर वितरण प्रणाली।
चिकित्सा और स्वास्थ्य मुख्यमंत्री बी0पी0एल0 जीवन रक्षा कोष योजना पर 65 करोड़ खर्च होने को अनुमान। वृद्धजनों के लिए जेरियाट्रिक केन्द्र स्थापित किए जायेंगे। राजस्व गांवों में 43 हजार 353 ग्राम स्वास्थय समितियां स्थापित की जायेंगी। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थय मिशन के अंतर्गत संविदा पर कार्यरत नर्सों का परिश्रमिक 4500 से बढ़ाकर 7500 किया जाएगा। एएनएम का 3500 से 5500 और टेक्निशियन 3000 से 5500 किया जाएगा। 2010 में 3 हजार 838 करोड़ रूपये की आयुर्वेद दवाइंया उपलब्ध कराई जायेगी। 1000 चिकित्सा शयाओं की मेडिकल कालेजों में बढ़ोत्तरी की जाएगी।
सामजिक न्याय अधिकारिता - निशक्तजन नीति 75 वर्ष से अधिक - 750 रूपये प्रतिमाह 75 वर्ष से कम - 500 रूपये प्रतिमाह पति और पत्नी की उम्र 75 वर्ष से अधिक होने पर 1500 रूपये और कम होने पर 1000 रूपये पेंशन दिए जाने की योजना। सामान्य श्रेणी के उत्तर मेैट्रिक के छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में फीस पुनर्भरण । एससी व एसटी को दिए जाने वाली पोस्टमैट्रिक योजना के अनुरूप विशेष पिछड़ेे वर्ग गुुर्जर, बंजारा, गाड़ियालुहार एवं रेबारी के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए प्रांरम्भ की जायेंगी जिसमें राज्य अधीनस्थ परीक्षओं के लिए 50,000 और अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा की तैयारी के लिए एक लाख रूपये दिए जायेंगे।अल्पसंख्यक कल्याणअल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में 5 नए आईटीआई खोलनें की योजना ।दस्तकार योजना।जनजाति विकास
जनजाति के कल्याणनिधि के लिए 124 करोड़ रूपये की राशि दी जाएगी।कथोड़ी समुदाय के लिए परिवारों के लिए नाबार्ड 200 पक्के आवासों का निर्माण करेगा।
दसवीं कक्षा में 65 प्रतिशत लानें पर छात्राओं को स्कूटी।बारहवीं कक्षा में 65 प्रतिशत और स्नातक में प्रवेश के समय 20,000 रूपये और दूसरे व तृतीय वर्ष में 10,000 रूपये दिए जाएंगे। विज्ञान में रूचि पैदा करने के उद्देश्य से उदयपुर में सांईस पार्क की स्थापना की जाएगी। अंग्रेजी भाषा में अभिव्यक्ति को बेहतर बनाने के लिए 1 करोड़ 50 लाख की लागत से लिंग्वालैब की स्थापना की जाएगी। महिला एवं बाल विकास प्रसव कराने वाली महिलाओं के गरम भोजन कराने के लिए 10 करोड़ रूपये वार्षिक की योजना। रोजगार स्थापित करने के लिए 10 हजार गैर-अनुदानित महिला स्वयं सहायता समूहों (नजीओ) के ऋणों के ब्याज पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। वनक्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म सेल स्थापित किया जाएगा। कुछ प्रमुख बिंदु
केन्द्र सरकार द्वारा गठित वैधनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर आवश्यक संशोधन कर दिए गए हैं। जिसके फलस्वरूप 241 करोड़ रूप्ये की राशि सहकारी बैंको को प्राप्त हो गई है। कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत 4 करोड़ की लागत से एक फिशरइज कालेज स्थापित किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 24 हजार 500 मैट्रिक टन मत्स्य उत्पादन होता है। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित तथा योग्य तकनीकी मानव संसाघन की कमी।
खाद्य पदार्थो की आपूर्ति के लिए शु़द्ध के लिए युद्ध अभियान ।प्रत्येक जिले में मोबाइल टेस्टिंग लैब। राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम की स्थापना। 1 मई से बीपीएल कार्डधारकों को 4.70 पैसे प्रतिकिलो की बजाए 2 रूपये प्रतिकिग्रा। इसमें कूपन व्यवस्था लागू की जाएगी और सरकार 170 करोड़ रूपये का अनुदान देगी।
सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में राज्य के प्रत्येक संभाग में एक आईटीआई की स्थापना । घेरलु श्रमिक सुरक्षा अधिनियम बनाना प्रस्तावित है। चाईल्ड टेªकिंग योजना को लागू करना।
आठ नए राजकीय विधि महाविद्यालयों के निर्माण के लिए 7 करोड़, 73 लाख का बजट।
ई- सचिवालय, ई संचार पॉयलेट योजना जयपुर में लागू की जाएगी। राजस्थान इंफास्ट्रकचर डेवलपमेंट एक्ट निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए लाया जाएगा। करौली जिला पत्थर के व्यवसाय के लिए प्रसि़द्ध है। जिले में रोजगार के साधन विकसित करने की दृष्टि से मासलपुर कस्बे में स्टोन मार्ट स्थापित करना प्रस्तावित है। राज्य शहरीकरण आयोग का गठन किया जाएगा। जयपुर मेट्रो रेेल कारपोरेशन का गठन। शुरूआती बजट मंें 179 करोड़ रूपये का प्रावधान। 400 करोड़ रूपये से राजस्थान अरबन डेवलपमेंट फण्ड की स्थापना। म्ेाला अथारिटी का गठन। स्टेट डिजास्टर रेस्पोंस फोर्स का गठन । 2300 कांस्टेबलों की भर्ती। राज्य के सभी जिलों में महिला पुलिस थाने स्थापित करने की योजना। हाईकोर्ट और ज्यूडिशियल अकादमी के नए भवनों के निर्माण हेतु आगमी वर्ष में 20 करोड़ रूपये। सात परिवारिक न्यायालयों की स्थापना। टैक्स रेट को 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया जाना ।
पानी सप्लाई करने वाले टैंको पर से वैट की दर 14 से घटाकर 5 प्रतिशत करना। सभी टिकटों की कीमत 50 रूपये करना ये योजनासिर्फ यू श्रेणी का सर्टिफिकेट मिली फिल्मों के लिए होगा। तिमाही रिटर्न के समय चालान एवं दो अन्य दस्तावेज जमा करने होगें। 9 में से 6 अन्य दस्तावेजों को हटाया जाना प्रस्तावित है।
100 सीसी के दुपहिया वाहनों पर कर की दर 5 से हटाकर 4 किया जाना। 100 सीसी से अधिक के दुपहिया वाहनों पर 6 से बढ़ाकर 8 फीसदी किया जाना।
2010-11 में राजस्व व्यय 43 हजार 561 करोड़ रूपये अनुमानित है। टागामी वर्ष में राजस्व घाटा कुल राजस्व प्राप्तियों का 2.59 प्रतिशत व राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 3.50 प्रतिशत रहना संभावित है। प्रस्तुति- सचिन यादव

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

मीडिया में पत्रकारों का हाल

मीडिया का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है और मीडिया मालिकों की आमदनी में भी बढ़ोत्तरी हुई है। पर मीडिया में काम करने वालों पत्रकारों की आमदनी में कोई भी बढ़ोत्तरी का कोई भी पैमाना नही है। श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 पत्रकारों के लिए बनाया गया जिसमें बदलते समय के साथ कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया। कोई भी मीडिया संस्थान चाहे प्रिंट, रेडियो और टेलीविजन कोई भी हो, युवाओं को सपनों को तोड़ते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं। सभी मीडिया संस्थानों में इंटरर्नशिप के नाम पर महीनों काम कराया जा रहा है। सबसे पहले रेडियो सिटी के विषय में आप जानिए हर महीने तीन लोगों को तीन महीनें की इंटरर्नशिप पर रखता है। मजदूरो से भी बुरी तरह काम कराया जाता है क्योंकि उन्हें इन तीन महीनो में एक भी रूप्या नहीं दिया जाता है जबकि मजदूर कम से कम अपरी दिहाड़ी तो पा जाते हैं। चैनल के लोगों को कहना है कि हम थोड़ी न बुलाते हैं लोग खुद चलकर आते हैं। मतलब साफ है कि तीन महीने जमकर कर काम कराओ और फिर तीन महीने बाद नए इंटरर्न ले लो। एक इंगलिश न्यूज चैनल न्यूज एक्स लोगो को पहले इंटरर्न के नाम पर लेता है दो महीने काम लेता है और फिर बाहर का रास्ता दिखा देता है। मीडिया की पढ़ाई करने वाले को साफ बता देना चाहिए कि यह एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है। पढ़ाने वाले को साफ तस्वीर रखनी चाहिए। इसी बात को लेकर मेरी कई बार हमारे पूर्व शिक्षकों से काफी बात हो चुकी है। बात स्नातक के स्तर पर पत्रकारिता को लेकर थी हमनें साफ कह दिया कि स्नातक में पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद कम से कम ये तो समझ जाता है कि वो खुद पत्रकारिता कर पाएगा या नहीं। बल्कि जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और पोस्ट गेएजुएट स्तर पर ही पत्रकारिता करने के बाद अपना सिर पीटते नजर आते हैं। एक सुनिश्चित करियर लोगों के लिए दूसरी राह भी खोलता है पर यहाँ एक करियर ही सुनिश्चित नजर नहीं आता है। कुछ समय पहले लोगों को मीडिया से आर्थिक मंदी के नाम पर जमकर निकाला गया। यही नहीं समूह के विस्तार के नाम पर सिर्फ़ 150 लोगों को सीएनबीसी आवाज से निकाल दिया गया। एक काम ये भी तो किया जा सकता था कि उनकी सैलरी को घटा दिया जाता। कम से कम सड़क पर आने से पहले अपने और अपने परिवार के लिए कुछ तो इंतजाम कर लेते। आपका परिवार आप पर निर्भर रहता है और आप मीडिया मालिकों पर जो पता नहीं कब लात मार कर आप को निकाल दें। आप अंग्रेजी और हिंदी के मीडिया में भी ये अंतर देख सकते हैं। लाभ सबसे ज्यादा हिंदी के मालिक कमा रहे हैं और वेतन के मामले में अंग्रेजी अखबारों से मीलों दूर दिखते हैं। काम करने की आजादी भी अंग्रेजी वाले दे रहे हैं। गलती हमसे ही कही हुई है कि हम क्यों नहीं समझ पाए कि क्या कुछ हमारे साथ हो रहा है । कट, कापी और पेस्ट की दुनिया अब सिमटी हुई तो नजर आती है पर हर सख्स परेशान सा क्यों है इसको समझना आसान होकर भी मुश्किल होता जा रहा है। देश के बाकी तीन खम्भों की हर प्रक्रिया सुनिश्चित की गयी है आखिर चोथे खम्बे के अर्थात क्यों पत्रकारिता में पत्रकारों की जॉब के लिए कोई नियम कानून क्यों नही बनाये गए हैं।

सोमवार, 8 मार्च 2010

विज्ञापन की दुनिया और उसमे फस गए हम और तुम

विज्ञापन ने एक आदमी की जिंदगी को कुछ इस प्रकार प्रभावित किया है जिसकी एक कहानी बानगी के रूप में प्रस्तुत है।
सुबह के पांच बजे थे कि अचानक राहुल की अजन्ता की अलार्म घड़ी ने उसके सपनों को तोड़ते हुए सुबह मार्निंग वाक के लिए उठा दिया। राहुल भी बेमन से उठा और अपनी बाटा की स्लीपर पहन कर फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया। उसका बाथरूम ओडिनल की खुशबू से महक रहा था। फ्रेश होकर डिटोल के हंेड वाश से हाथ धोए और ओरल बी के ब्रश पर क्लोज अप पेस्ट लगा लिया । ओरल बी के ब्रश ने उसके दॉतों को चारों दिशाओं में खड़पड़ा दिया और कर दी खूब सफाई । अपना मुंह धोने के लिए उसने ज्ेाक्वार का वाशिंग बेस लगा रखा था। टहलने के लिए जाने से पहले उसने रिबॉक का टैªक सूट निकाला और एडीडास के जूते पहन कर अपनी वेगनार कार में मार्निंग वाक के लिए चल दिया। वापस लौट कर घर आने पर कुर्सी पर बैठ कर अखबारों पर अपनी नजर डालने लगा और अपनी उनको चाय बनाने के लिए भी बोल दिया । अंदर किचन में टाटा टी की बनती चाय की महक बाहर तक आने लगी थी । राहुल के हाथों में कुछ देर बाद चाय का प्याला था जोकि कुछ ही देर में गायब हो गया। कल राहुल शापिंग के लिए बाहर गया और कुछ सामान भी लाया था । अब राहुल नहाने के लिए तैयारी कर रहा था कल ही उसने जॉकी की अंडरवियर और वेस्ट खरीदे थे और बडे़ ही चमकती ऑखों से उन्हें देख रहा था। नहाने से पहले उसने जिलेट के मॉक-3 से शेव बनायी और चल दिया नहाने के लिए। बाथरूम में लगी कजारिया की टाइल्स में वो अपने आप को निहारता और मन ही मन खुश होता । बदन पर पानी पड़ने के बाद सिथॉल का साबुन धीरे-धीरे अपने शरीर पर लगा लेता और बन जाता है बाथरूम सिंगर। दूसरी तरफ राहुल की श्रीमती अनामिका भी राहुल के लिए नाश्ता तैयार करने लगी। एलजी के माइक्रोओवेन में राहुल की मनपंसद डिस पकने के लिए रख दी। राहुल नहाकर बाहर निकला और अपने रूम की ओर कदम बढा़ दिए । पीटर इंग्लैड की शर्ट और ट्राउजर निकाल कर पहनने की तैयारी करने लगा। उसने अपनी गोदरेज की अलामारी खोली और प्लेेबाय का स्प्रे निकाल कर उसका ऊपर से नीचे तक तक पूरा धुंआ निकाल दिया। उसके स्प्रे से इतनी महक आ रही थी जैसे वो अभी उसमें डुबकी लगा कर आया हो। अब नाश्ते की टेबल पर बैठा नाश्ते का इंतजार करने लगा, वहीं अनामिका ने राहुल को पहले ट्रोपिकाना का जूस दिया और फिर धारा रिफांइड में बने गरमा-गरम पराठे खिलाए। अनामिका ने राहुल के लिए सिएलो के हॉट केस में खाना भी लगा दिया था। राहुल अब आफिस जाने के लिए तैयार था। राहुल ने अपना रे-बेन का चश्मा , हांडा सिटी गाड़ी की चाभी और टिफिन उठाकर आफिस के लिए चल दिया। कड़ी धूप और तगड़े टेªफिक जाम के कारण रास्ते में ही राहुल का गला सूखने लगा। आफिस पहुॅचकर तुंरत चपरासी को बिसलेरी की एक ठंडी बोतल लाने के लिए कहा और अपनें केबिन में लगे वीडियोकॉन के एसी का टम्परेर्चर डाउन कर दिया। अपने सोनी के लेपटॉप को ऑन किया और एयरटेल के अनप्लग नेट सर्विस को अपने नेट से कंनेट कर दिया। दिन भर काम में व्यस्त रहने के बाद जैसे ही राहुल खाली हुआ तभी अनमिका ने अपने रिलायंस के फोन से राहुल के बीएसएनल पर फोन किया लेकिन राहुल अपने ब्लैकबेरी पर अपने बॉस से बात कर रहा था। राहुल ने बॉस से बात करने के बाद अपने रिलायंस के फोन से अनामिका को फोन किया। अनामिका ने एक लंबी-चौड़ी लिस्ट राहुल को बता दी। राहुल आफिस से निकला और सीधे बिग बाजार पहुँच गया। उसने अनामिका को खुश करने के लिए लेकमे की नेल्स पालिस और लिपिस्टक ली साथ ही घर में बाकी समान भी ले गया। घर पहुँच कर उसने अनामिका को सरप्राइज दिया तो अनामिका ने भी रात के खाने में राहुल को आशीर्वाद आटे की फार्च्यून रिफांइड में बनी गरमा -गरम पूड़ियां और छोले खिलाएं। अब रात को टेलीविजन पर कुछ प्रोग्राम देखने के बाद दोनों सोने चल दिए। गर्मी के मौसम में मच्छरों से बचने के लिए आल आउट का प्लगी लगा लिया और स्पीलवेल के मुलायम गद्दे पर ऑख बंद अपने हसीन सपनों मे खो गए।
प्रस्तुति- सचिन यादव

हाथी की ताकत का एहसास कराएंगी माया

हाथी की ताकत का एहसास कराएंगी माया। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही 26 माह बाद होने हैं। पर चुनावों की जमीन और सत्ता पर काबिज़ होने की धमक अभी से कानों में सुनाई पड़ने लगी है। फरवरी से उत्तर प्रदेश में प्रर्दशनों की बौछार विपक्षी पार्टियों की तरफ से राज्य में शासित बहुजन समाज पार्टी के लिए एक नई मुसीबत बनती जा रही है। कानपुर में हुए बलात्कार को लेकर कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के नेतृत्व में किए गए प्रदर्शन से इसकी शुरूआत हुई । वहीं 25 फरवरी को भाजपा ने प्रदेश बंद का ऐलान कर एक नई चुनौती पेश की। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह भी पानी की मोटी बौछारों के बीच 1 मार्च को राजधानी लखनऊ में महगांई को लेकर कुर्सी पटकते नजर आए। कांग्रेस और भाजपा का प्रदर्शन समाजवादी पार्टीं को कुछ बैचेन कर रहा था तो उसने भी 8 मार्च से गाँवों मे साइकिल रैली करने की घोषणा कर कर दी है। देश के सबसे बड़े राज्य पर राज करने वाली और हाथी को लखनऊ से नोएडा तक पत्थरों में सजाने वाली मुख्यमंत्री मायावती कैसे न अपनी हनक दिखातीं। रही सही कसर उन्होनें पूरी कर दी और 15 मार्च को बसपा पार्टी के स्थापना की रजत जयंती समारोह के मनाने के बहाने लखनऊ में एक विशाल रैली का आयाेिजत करने जा रही है जिससे विरोधी दलो को अपनी ताकत का एहसास कराया जा सके और विरोधी दल किसी तरह की गफलत में न दिखें। 1984 में बनी बसपा को अपनी रजत जयंती पिछले वर्ष 2009 में ही मनानी थी लेकिन लोकसभा चुनाव होने के कारण ये समोराह टाल दिया गया था। इस वर्ष 2010 में पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय काशीराम के जन्म दिवस के अवसर पर विशाल रैली के साथ ही रजत जयंती समारोह मनाने की घोषणा की है। माया की नजर राहुल गांधाी पर भी है और राहुल की नजर अब रायबरेली, अमेठी से आगे जाकर कैफी आजमी के शहर आजमगढ़ और सूखे की मार झेल रहे बुदेलखंड पर इनायत हो गई है। अभी हाल में ही सोनिया गांधाी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में एक पुल के शिलान्यास से मचे विवाद की गूंज भी संसद में गूंजना दोनो पर्टियों के बीच सत्ता में काबिज रहने के लिए प्रयोग किए जाने वाले हथियारों की कहानी कह रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के 226 विधायक हाथी पर सवार है, समाजवादी पार्टी के साइकिल के पहिए की हवा कम है पर 87 विधायक साइकिल चला रहे हैं। कमल के 48 फूल लिए भाजपा विधायक विधानसभा में हैं।कांग्रेस हाथ के पंजे के रूप में 20 विधायक और गन्ना किसानों का रस चूसने वाले राष्ट्रीय लोकदल के 10 विधायक हैं। नौ विधायकों जिसमें से कुछ बाहुबली का दर्जा पाए है को किसी पार्टी का साथ न मिला तो वो निर्दलीय ही हो गए। मायावती ने दरकिनार किया तो अपनी अलग राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाकर अपना स्वाभिमान बचाए रखे हुए आर0 के0 चौधरी हैं। डुमरियागंज की सीट अभी भी अपने विधायकों की राह आंखे लगायी बैठी है जबकि सी0वी0इन्निस इलाहाबाद से एंग्लो इंडियन सीट पर काबिज है। सचिन यादव छात्र हिंदी पत्रकारिता भारतीय जनसंचार संस्थान, नयी दिल्ली. 09716559699

बुधवार, 3 मार्च 2010

raj pichle janam ka jaari hai



raj pichle janam ka jaari hai

रविवार, 21 फ़रवरी 2010

संभल जाओ दोस्तों , क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है।

इतना सन्नाटा क्यों है भाई , शोले फिल्म का ये डॉयलाग आईआईएमसी में हिन्दी जर्नलिज्म के छात्रों के बीच के माहौल को बयां कर रहा था। लोगों के चेहरों पर हंसी तो थी मगर उस हंसी के पीछे छुपे गम को भी साफ देखा जा सकता था। क्लास से लेकर कैंटीन और लैब से लेकर जावेद की दुकान तक ,हर तरफ हवा में ख़ामोशी थी। ग्रुप मेल पर ब्रेकिंग न्यूज की तरह दिखने वाली सूचना को पढ़कर लोग फेसबुक और ऑरकुट का रास्ता भूल गए थे। वहीं बज़ की जगह लोगों के कान बज रहे थे। ग्रुप मेल पर आया संदेश अपने वॉयस ओवर में कह रहा था कि पीटीआई में चार का सलेक्शन,पीटीआई में चार का सलेक्शन । अब सिलसिला शुरू हो रहा था अपने सफल साथियों को बेमन से बधाई देने का । जो लोग आमने-सामने मिलकर बधाई नहीं देना चाहते थे तो उन्होंनें कम्पूयटर के की-बोर्ड पर उंगलियाँ खड़पड़ायी और ग्रुप मेल के माथे पर दे मारा बधाई हो । कुछ लोगों के चेहरे देखकर थ्री इडियट फिल्म का वो डायलॉग याद आ रहा था जिसमें हीरों कहता है कि अगर दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है लेकिन अगर टॉप कर जाए तो उससे भी ज्यादा दुख होता है। बहरहाल कैंपस में नजारें कुछ और भी थे । लोग ये भी कहते मिलें और अपने आप को कोस रहे थे कि काश कॉनवेंट स्कूल में पढ़े होते तो ये हाल न होता । एक तो नौकरी नहीं है ओर दूसरा नौकरी है तो पैसा नहीं। कुछ लोगों को इस बात का मलाल था कि उन्होनें पहली वरीयता पीटीआई को क्यों दी थी। करम फूटे पीटीआई के उन्होनें हमें नहीं चुना। हमेशा सज-धज के एकदम चकाचक निकलने वाले साहब का आज सिलवटों भरा कुर्ता मन कि निराशा को पढने के लिए काफी था .केन्टीन को चलने वाले महिपाल के सामने आज यक्ष प्रश्न ये था कि एच.जे वाले आज खाना क्यों नहीं खा रहे हैं ओर तिस पर से उधारी मांगने पर ये नाराजगी क्यों है . आज क्लास के ज्योतिषों कि पों -बारह थी वे हाथ कि रेखाओं को पढ़कर आने वाले प्लेसमेंट कि दशा ओर दिशा बता रहे थे .साथ ही कुछ लोगों का ये कहना कि हमने तो जानबूझकर उत्तर गलत लिखे थे ताकि इलेक्ट्रानिक मीडिया का गन माइक हमारे हाथ में आ सके ओर कह सकें कि मै 10 जनपथ से ...........। उतरे हुए चेहरों कि कतार यहीं नहीं थमती है दोस्तों कारवां अभी लम्बा है .गाहे बगाहे शायरियों से ग्रुप मेल पर जबाव देने वाले साहब भी आज बिन जबाव दिए लैब से चलते बने . जाने कि वजह पूछी तो कहने लगे कि यार आज तबियत कुछ ठीक नहीं है . आज कई प्रतिमान टूट रहे थे तो कई लोगों कि आस्था डगमगा रही थी कल तक जो किसी विशेष माध्यम में ही आपने को उपयुक्त मानते थे आज वे कहीं भी काम करने को तैयार हैं , 5 मिलें या 8 भाई हम तो चले जायेंगे . हालात ये थे कि लोग इंड़िया न्यूज को इंड़िया टीवी समझ रहे थे, अच्छा हुआ बात एनडीटीवी तक नहीं पहुँची। शाम ढलते-ढलते माहौल और ज्यादा उदासीन हो चला था क्लास में गहरी ख़ामोशी थी और सीट परे बिखरे अंग्रेजी अखबार के पन्ने अपनी अहमियत की कहानी खूब कह रहे थे- संभल जाओ दोस्तों , क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है। प्रस्तुति सचिन & परीक्षित

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

प्राण के 90वें जन्म दिन पर विशेष


किस्मत होती है कि नही, इस बारे में कहना संभव नही है लेकिन अगर आप पान खाते है , तो खाइए क्या पताआपकी किस्मत भी पान की दुकान खुल जाए। भारत में हिन्दी सिनेमा के मशहूर अभिनेता प्राण कृष्ण सिकंद कीकिस्मत भी पान की दुकान पर पान खाते समय ही खुली थी। 12 फरवरी को पुरानी दिल्ली में जन्में प्राण आज 90वर्ष के हो गए।प्राण की किस्मत लाहौर की हीरा मंडी स्थित पान की दुकान पर लेखक और फिल्म निर्माता वली मुहम्मद वली केरूप में पीछे पड़ी। ये किस्मत कभी उनकों गालियों मे ढूंढती तो कभी सिनेमाहाल में मिल जाती । आखिरकार प्राणको पहली फिल्म यमला जट करनी पड़ी। ये फिल्म पंजाबी थी। प्राण को इस फिल्म में हास्यपद रोल था। प्राणको इस फिल्म में मेहनतानें को लेकर काफी कशमकश थी क्योंकि इस फिल्म को करने से पहले प्राण अपनेफोटोग्राफी के पेशे से 200 रू प्रतिमाह सन् 1940 के दौर में कमाते थे जबकि प्राण को इस फिल्म के लिए प्रतिमाह50 रूपये का मेहनताना मिल रहा था। वली मुहम्मद वली साहब ने प्राण के पान चबाने के स्टाइल और बोलतीआँखो को देखकर उनको ये रोल सौंपा था। इस तरह से प्राण फिल्मों के अपने सुहाने सफर पर निकल चुके थे।प्राण का विवाह 18 अप्रैल, 1945 में शुक्ला आहूवालिया से हुआ।प्राण की कई व्याक्तिगत चीजों को भी फिल्म निर्देशकों ने शमिल किया। प्राण अपनी सिगरेट के धुएं से गोल-गोलछल्ले बनाने में माहिर थे जब फिल्म निर्माता को उनके इस हुनर के बारें में पता चला तो उन्होनें प्राण की इण्ट्रीअपनी फिल्म में उनकों न दिखाकर नहीं बल्कि फिल्म की हीरोइन पर पड़ने वाले सिगरेट के छल्ले से कैमरा शुरूकर बाद पर प्राण पर क्लोअप शाॅट के साथ रूकता है।प्राण ने शीश महल, आन-बान, हलाकू, व राजतिलक जैसी काॅस्ट्यूम ड्रामा फिल्में भी की। साथ ही कुछ परीकथाओंमें भी हाथ आजमाया जैसे सिंदबाद-द सेलर , अलिफ लैला , डाॅटर आॅफ सिंदबाद। प्राण के रिश्ते देव आंनद ,राजकपूर , दिलीप कुमार से अच्छे सम्बन्ध भी है। प्राण ने देवानंद के साथ पहली बार जिद्दी फिल्म में काम किया।इस फिल्म ने प्राण हिंदी सिनेमा में चल रहे खराब वक्त को भी दूर किया। इस फिल्म में प्राण को अच्छी हिंदीबोलने का अभ्यास खूद देवानंद साहब ने कराया था। प्राण ने तीनों के साथ काम किया था लेकिन एक बात रोचकहै कि देवानंद , दिलीप कुमार और राजकपूर क तिकड़ी ने कभी साथ काम नही किया था। प्राण हीरा- रांझााफिल्म से भी जुडे़ रहे। इस फिल्म की खासियत थी िकइस फिल्म के सारे संवाद तुकबंदी में थे, जिन्हें कैफीआजमी साहब ने लिखा था। फिल्म शहीद में केहर सिंह और उपकार में मंलग चाचा की भूमिका उनके कॅरियर काएक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।हिन्दी फिल्मों में अपनी किस्मत के राजा प्राण को हिन्दी फिल्मों के शंहशाह अमिताभ बचपन को बुलंदियों का रास्तादिखाने में प्राण की अहम भूमिका थी। अमिताभ बच्चन खुद स्वीकारते हैं कि उनकी सिफारिश से उन्हें जं़जीर फिल्ममें लिया गया था। अमिताभ और प्राण साहब ने इसके बाद अमर, अकबर, एंथोनी, कसौटी, मजबूर, , उाॅन, कालिया,नसीब, नास्तिक , शराबी, अंधा कानून , इनक़लाब आदि फिल्में की।प्राण अन्याय के खिलाफ भी खड़े हो जाते थे उन्होनें 1973 में फिल्म फेयर अवार्ड कमेटी को पत्र लिख कर कहाकि श्रेष्ठ संगीतकार का अवार्ड पाकीजा फिल्म के लिए गुलाम मोहम्मद को न मिलने पर रोष व्यक्त किया। उन्होनेंअपने जीवन में 346 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी फिल्म वसन्त सेना , लालकिला ,ताला चाबी पूरी नहींहो पायी। उन्हें जब 2000 में सहस्रसाब्दि का खलनायक अवार्ड स्टारडस्ट ने दिया तो उन्होनें अपने जीवन भर काइसे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अवार्ड बताया। प्राण साहब किस्मत को बखूबी मानते थे। इसलिए उन्होनें कहा किखुदा तौफ़ीक देता है जिन्हें, वो ये समझते हैंके खुद अपने ही हाथो से बना करती हैं तक़दीरें।।

सचिन यादव