मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

जब ट्रेन के सफ़र में हुई अटल बिहारी वाजपेई से मुलाकात


ट्रेन में अकसर नींद नहीं आती है...और जब कई दिन बाद घर की तरह वापसी हो रही हो, तो बिल्कुल भी नहीं। रात में 12 बजे तक तो अपने मोबाइल से ही जूझता रहा। कोशिश खुद से रूठे किसी अपने को मनाने की थी। तब तक वो रूठा हुआ बंदा माना नहीं था। अब क्या करते और क्या न करते, ये बात समझ नहीं आ रही थी।

कोशिश की चलो अब सो जाते हैं पर तभी अचानक कई आवाजें एक साथ निकलने लगी। आवाज़ एक दम यही कह रही थी कि तुम्ही हो-तुम्ही हो! अब ये समझ नहीं पा रहा था कि अचानक मच्छर जो धुन सुनाता है वो अच्छी होती है या फिर लोगों की नाक से निकलने वाला ये म्यूजिक। वैसे तो ये म्यूजिक ट्रेन के किसी डिब्बे में मिल जाएगा। इसका जनरल या फिर फर्स्ट एसी से कोई लेना-देना नहीं है। आप ये मत सोचिएगा कि इस तरह का म्यूजिक सिर्फ जनरल डिब्बे वाले ही निकालते हैं। अरे! भाई उन जनरल डिब्बे वालों को सोने को ही कहा मिलता है वो तो एक दूसरे के ‌ऊपर लद कर ठेलम-ठेल में ही अपने घर तक पहुंच जाते हैं। 

कई लोगों की नाक से निकलने वाला म्यूजिक अब आंखों की दोनों पलकों को चाहकर भी एक दूसरे से नहीं मिलने दे रहा था। दोनों पलकें एक दूसरे से नाराज होती जा रही थी कि आखिर ये म्यूजिक हमें क्यों ये इतना तड़पा रहा है? दोनों पलकें एक दूसरे को चिढ़ा रही थी। तभी टीटी की इंट्री हो गई। टीटी एक-एक करके टिकट पूछता गया और एक-एक करके सबका म्यूजिक प्लेयर बंद होता गया...अब थोड़ी राहत थी। तुरंत टीटी को अपना मोबाइल ‌का एसएमएस दिखाया और करवट बदलकर सारी पलकों को एक-दूसरे से मिला दिया।

नींद लगी ही थी कि अचानक अटल बिहारी वाजपेयी आ गए...बोले और बरखुरदार कैसे हो? अब तो याद ही नहीं करते हो हमें?  हम पहले थोड़ा सकपका गए और फिर बोले अटल जी...आप अचानक यहां कैसे? हमारा इतना पूछना था कि अटल जी थोड़ा नाराज होते हुए बोले, "क्यों हम नहीं आ सकते है तुम्हारे पास? हमारा जिसके पास जाने का मन होगा, हम उसके पास जाएंगे? आज तुम्हारे पास आ गए। अटल जी बोले, " कहां जा रहे हो?"  हमने कहा, " अटल जी, 30 अप्रैल को लखनऊ में वोटिंग है, वोट देने जा रहे हैं। अटल जी बोले, "क्या लोग हमें अब भी याद करते है?" तभी थोड़ा हम सोचने लगे। अटल जी बोले,"क्या सोच रहे हो?" हमने कहा, "पता नहीं, पर एक बात हो है कि पिछले सारे चुनाव तो आपकी पार्टी आप के बूते ही जीती है। कभी आपकी कपड़े दिखाए जाते हैं। तो कभी आपका पोस्टर दिखाया जाता है। उस पोस्टर में आप मुस्कुरा रहे होते हैं और सबसे ज्यादा अच्छे आपके गाल लगते हैं।"

हमने मौका मिलते ही अटल जी से पूछा, " क्या आप सचमुच अब भी ऐसे हॅंस पाते हैं?" अटल जी ने अपना सिर नीचे झुका लिया। आंखे बंद कर ली। थोड़ा सा अपना माथा सिकोड़ते हुए। दो बार अपने सिर को दाएं से बाएं और बाएं से दाएं की तरफ घुमाया। अटल जी ने जैसे ही अपनी आंखें खोली आंसुओं की एक बाढ़ आ गई। कुछ समझ नहीं पाया कि अचानक अटल जी को क्या हो गया है? क्यों रो रहे हैं ये? हमने ऐसा क्या पूछ लिया, क्या होगा अब? पांच मिनट तक बिना कुछ कहे रोते रहे वो। इस दौरान मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हुई कि उनसे कुछ पूछ लूं।

अपनी बांहों को वो अपनी आंखों के पास लाए। जैसे कोई छोटा बच्‍चा अपनी आंख पोछता है, अटल जी ने अपनी आंखे पोछनी शुरू कर दी। उनकी आस्तीनें गीली हो चुकी थी। अपनी बांहों को नीचे करते हुए अटल जी बोले, "जैसे थोड़ी देर पहले तुमकों नींद नहीं आ रही थी। वैसे मुझको रोज नींद नहीं आती है। आंखें बंद करते ही कई बेगुनाह चिल्‍लाते हुए मेरे पास आते हैं, पूछते हैं कि आपने राजधर्म क्यों नहीं निभाया? हमें कब इंसाफ मिलेगा? हजारों लोग है और हजारों सवाल। एक दिन भी चैन की नींद नसीब नहीं हुई है मुझे। बहुत हो चुका अब, अब सब कुछ बर्दाश्त के बाहर जा चुका है। मुझसे से ही सवाल क्यों पूछे जाते हैं? खुद के बचाव में भी कुछ नहीं ‌बोल सकता हूं। बिस्तर पर पड़े-पड़े जिदंगी बीत रही है। अब तो मैं मरना चाहता हूं।"

तभी अटल जी से हमने पूछा," अगर आपके प्रधानमंत्री रहते हुए ऐसा कुछ वीभत्स हुआ है कि जिसे कभी भूला ना जा सके, तो सवाल तो आपके मरने के बाद भी उठते ही रहेंगे। सवाल तो उन सब से पूछे जाएंगें जिनकी सरकारों में ऐसे वीभत्स काम हुए हैं या फिर भविष्य में होगें। सरकार आएंगी, जाएंगी। पर इतिहास तो बदल नहीं जाएगा।

अटल जी बोले, " अब जीने की इच्छा बाकि नहीं रही. कल कहीं मेरे शरीर को लेकर भी राजनीती शुरु हो गई तो क्या करूंगा". हमने कहा, " तो ठीक है आप अपना शरीर दान कर दीजिए। आपके मरने के बाद कम से कम किसी काम तो आ जायेगा। और फिर जब आप अपना शरीर दान कर देंगें। तो न ही फालतू की ज़मीन जाएगी आपकी समाधि बनाने में, न ही हर साल एक दिन आपके नाम पर राजनीति होगी। न ही कोई ट्रस्ट बना के क़ोई घोटाला हो सकेगा। कम से कम मरने के बाद तो कोई आपको परेशान नहीं करेगा"

अटल जी मेरी बात सुनते रहे और अचानक उठ कर चलते चलते दरवाजे के पास पहुँच कर बोले, "जब हमारे जीते जी हमारी नहीं चल रही है तो मरने के बाद हमारा क्या होगा". चलो आज जा रहा हूँ, जिन्दा रहा तो फिर कभी मुलाक़ात होगी"।

हमने उन्हें रोकने लिये हाथ बढ़ाया ही था कि आवाज आई दिल्ली से वाया मुरादाबाद होकर लखनऊ आने वाली दुरंतो एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर एक पर खड़ी है.

सारी पलकें एक दूसरे से अलग हो चुकी थी और सामने खड़े लाल रंग की मोटी शर्ट पहने आदमी ने कहा," भइया सामान उठा ले, 50 रुपए दे देना, बाहर तक पहुंचा देगें।       

बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी 
ख़्वाबों में ही हो, चाहे मुलाक़ात तो होगी.

सोमवार, 21 अप्रैल 2014

Sahib nazar rakhna Maula nazar rakhna- Bhoothnath returns-2





Ye gaana sunne mein jitna dil ko chuta hai utna hi jyada dekhte samay bhi. Waise to gaane sunne ke liye hote hain par iska video bhi zabardast hai.Agar kahin mile to zarur dekhiyega. Munna Dhiman ke umdaa lyrics ko behtareen tareeke se Rituraj ne bahut hi saleeke se gungunaya hai. Acche gaane sunne walon ko zarur sunna chahiye. Yahan aap gaana sun sakte hain.

शनिवार, 19 अप्रैल 2014

Fastrack takes off its advertisement from all medium of media.




दोस्तों हमें छोटी सी जीत मिली है. Fastrack के एक विज्ञापन को सारे फॉर्मेट से वापस ले लिया गया है. Fastrack के विज्ञापन को लेकर एएससीआई में एप्लीकेशन लगाई थी. फैसला हमारे पक्ष में आया है. इस विज्ञापन को दिल्ली में ज़र्नलिस्ट पहले ही विरोध कर चुके थे जिसके बाद दिल्ली में उस विज्ञापन की  लगी होर्डिंग को वापस लिया गया था पर उसके बावजूद सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों में ये विज्ञापन जस का तस दिया जा रहा था. एएससीआई ने ईमेल के ज़रिए सूचित करते हुए बताया है कि उसने इस विज्ञापन को "औरतों की प्रतिष्ठा के खिलाफ और अपमानजनक पाया है."

आप इस जीत को और भी बड़ा कर सकते हैं. अगर आप को भी कोई विज्ञापन किसी तरह से मिसलीडिंग लगता है तो तुरंत एक्शन ले और एप्लीकेशन फाइल कीजिये। हो सकता है वो विज्ञापन भी जल्द बंद हो जाए. जब बढ़िया विज्ञापन की हम तारीफ़ कर सकते हैं तो  बेतुके विज्ञापन को बंद भी करवा सकते हैं.

एएससीआई ने इससे पहले भी कई विज्ञापनों पर रोक लगाई है और अभी भी लगा रहा है.

आप एएससीआई की साइट पर जाकर ऐसे सभी विज्ञापन के खिलाफ शिकायत दर्ज़ करा सकते हैं. साथ ही अपनी शिकायत को ट्रैक भी कर सकते हैं तो लीजिये एक्शन बैठे क्यों हैं? 

एएससीआई की वेबसाइट का लिंक ये रहा http://www.ascionline.org/

वैसे भी गांधी जी ने कहा था की बुरा मत देखो। फिर भी जैसा आप का मन वैसा ही करें।

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

शायद कुछ ठीक नहीं हो रहा है!


Photo- Exclusive (Sachin)

सुबह 6.45  मिनट पर जैसे ही मेट्रो से बाहर निकला तो धूप को घने काले बादलों ने घेर रखा था. हवाएं तेज़ थी. पेड़ो के पत्ते लगातार झूले जा रहे थे... कभी ऊपर तो कभी नीचे। काले घने बादलों में चमकती बिजली कुछ आकृतियां बना कर कुछ कहना चाह रही थी. हवाएं इतनी तेज़ थी कि धूल रूपी पाउडर बिना कुछ कहे ही सबका श्रृंगार किये जा रहा था. बारिशें बरसने को बेताब थी और स्कूल जाने वाले बच्चे इस उम्मीद में बहुत तेजी से पानी बरस जाए तो स्कूल न जाना पड़े.

अप्रैल महीने में दिल्ली के अंदर छाते का इस्तेमाल धूप से बचने के लिए किया जाता है ये माज़रा तो दूसरे शहरों में भी देख चुका था पर शायद पहली बार खुद अप्रैल में बारिश से बचने के लिए छाते का इस्तेमाल होते देख रहा था. एक माँ अपने बच्चे को बारिश से बचने की जद्दोजहद में थी तो वही एक पिता मेट्रो स्टेशन के नीचे अपनी स्कूटर लिए खड़ा बारिश के थमने का इंतज़ार कर रहा था.

बारिश थमी होगी तो निश्चित ही वो अपनी मंज़िल तक पहुंच गए होंगे। पर हम अपने रूम तक पहुँचते-पहुँचते वो समय याद करने की कोशिश में लग गए कि अपनी ज़िंदगी के जिनते साल होशो हवाश में बिताएं हैं क्या उस दौरान कभी बारिश का दौर अप्रैल महीने में आया था. लखनऊ और दिल्ली में बिताएं अपनी ज़िंदगी के सालों में ऐसा पहली बार हो रहा था.

यही पर दिमाग कहने लगा कि सब कुछ ठीक नहीं हो रहा है. क्या ये पहले से हम सभी के लिए एक चेतावनी हैं? बेमौसम बरसात का आना. प्रकृति का एक इशारा तो नहीं। मौसम के इस रवैये को देख कर बेचैन हूँ और डर भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. 

चेतावनी तो हम सभी को मिल चुकी है. क्या साल 2014 हम सभी का खूब इम्तिहान लेना चाहता है? और इम्तिहान किस रूप में लिया जायेगा, ये आने वाला समय बखूबी बता देगा।

बुधवार, 2 अप्रैल 2014

Mary Kom- Its only for you.


Mukka Maar...Mukka Maar...Mukka-Mukka Maar-2
Mary kom Mary kom Mary Mary kom-2

Ghuma ke maar, tu uttah ke maar-2
Attack mein maar, tu defence mein maar-2

Josh mein maar, tu hosh mein maar
Mukka Maar...Mukka Maar...Mukka-Mukka Maar

Mary kom Mary kom Mary Mary kom
Mary kom Mary kom Mary Mary kom

Jeb tu maar, cross tu maar, hook tu maar baba upper cut maar
Slipping tu khel, Bobbing to khel,  Block karke coverup kar khel

Clinching tu kar footwork le, pulling away baba pulling away
Ghuma ke maar tu uttah ke maar

Attack mein maar tu defence mein maar
Josh mein maar, tu hosh mein maar

Ring mein ghuma ke usko tu maar
Din mein taarein Dikha de Chaar

Mary kom Mary kom Mary Mary kom
Mary kom Mary kom Mary Mary kom

Desh ke liye maar, Apne liye maar
Mukka maar Mukka maar Mukka Mukka maar

Bolo puch maar, tu check hook maar
Mukka Maar Mukka Maar Mukka  Mukka Maar

Mary kom Mary kom Mary Mary kom

Written By- Sachin