रविवार, 27 अप्रैल 2008

मेरे अपने

क्या इस यूनिवर्सिटी को कभी भुलाया जा सकता है जहा हमको इतना कुछ पता चलता है की आप क्या है ? क्यो कभी इस यूनिवर्सिटी को छोड़ने का मन तक नही करता है । शायद इतना प्यार भी अच्छा नही है किसी को इतना प्यार करो लेकिन यह मैंने बहुत कुछ पाया है इसलिए मेरा पहला प्यार मेरी यूनिवर्सिटी ही है.

रविवार, 20 अप्रैल 2008

दोस्ती

दोस्ती बन्धन है, स्वार्थ है या फिर एक एहसास है। आख़िर क्या है, क्यो है और कैसे है दोस्ती दोस्तो की मजबूत दोस्ती को देखा है, परखा है और जाना भी है फिर भी सीने मैं एक shool chubtaa है की क्यो किसी ने mughe अपना नही mana है shayad दोस्ती सिर्फ़ नाम लेने से पता नही chalti है, दो दोस्तो या उनके दोस्तो को मिलन भी देखा है , और मजबूत दोस्तो को कुछ lamho मैं दूर होते देखा है मैंने, कभी aham और tho कभी समय दोस्तो के saiyam की parichaa लेता है, कुछ के समय मैं aham aur kuch ke mai me samay bhaari pad jaata hai, judai किसी को भी achi नही लगती है, फिर भी लोग मिलने के लिए pahal करने से katrate hai , kaiyo ko milana chahaa है उनके दिल और dimag मैं एक कनेक्शन baithana chahaa , है , फिर भी कही न कही उनका aham उनकी दोस्ती पर भारी पड़ jatta है , जो अपना था कुछ समय main paraya ho jaata hai, koshish tho nirantar rahti hai ki asma ko dharti se mila doo, do door ho gayi nadiyo ka sangam kara doo, एक को ganga tho dusari को yamuna bana doo, क्या तुम doge मेरा साथ , अगर हा tho aao चलते है,pargati के path पर निरंतर आगे बढ़ते है।