शनिवार, 30 जून 2012

बोतलबंद पानी से खूब बुझ रही है मुनाफे की प्यास







8,000 - करोड़ रुपये का है फिलहाल देश में बोतलबंद पानी का कारोबार
10,000 - करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा यह चालू वित्त वर्ष के अंत तक
15,000 - करोड़ रुपये होगा इस बाजार का आकार वर्ष 2015 तक
36,000 - करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है वर्ष 2020 तक

देश में बोतलबंद पानी के बाजार को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं। स्वच्छ पेयजल की बढ़ती कमी, बदलती जीवनशैली और इस बाजार में मौजूद ब्रांड्स का आक्रामक विस्तार आने वाले दशकों में इस उद्योग को तेल उद्योग के बाद सबसे बड़ी इंडस्ट्री बना सकता है।
एजाज मोतीवाला संस्थापक एवं प्रमुख सलाहकार आइकॉन मार्केटिंग कंसल्टेंट्स

बाजार के बड़े खिलाड़ी
आसान उपलब्धता और जेब के मुताबिक होने के कारण फिलहाल एक लीटर जैसे छोटे पैक की बाजार हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। बिसलरी 36 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ बोतलबंद पानी के कारोबार में सबसे आगे है। किनले और एक्वाफिना भी तेजी से बढ़ रहे हैं। किनले की 25 और एक्वाफिना की करीब 15 फीसदी हिस्सेदारी बाजार में है। पार्ले एग्रो की बेली की करीब 6 फीसदी हिस्सेदारी है। किंगफिशर, ऑक्सीरिच आदि बाकी सभी संगठित ब्रांड्स की हिस्सेदारी करीब 18 फीसदी है।

देश में बोतलबंद पानी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है और इस बिजनेस में उतर चुकी कंपनियों के लिए खूब मुनाफा उगल रहा है। प्रमुख मार्केटिंग कंसल्टिंग फर्म आइकॉन मार्केटिंग कंसल्टेंट्स की ओर से घरेलू बाजार में बोतलबंद पानी के कारोबार पर जारी ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2012-13) में बोतलबंद पानी का कारोबार 10,000 करोड़ रुपये रह सकता है। यह बिजनेस सालाना 19 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है।

'द इंडियन बोटल्ड वाटर मार्केट : अनवीलिंग इट्स थस्र्ट' नाम से जारी इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल देश में बोतलबंद पानी का कारोबार करीब 8,000 करोड़ रुपये का है जो चालू वित्त वर्ष के अंत तक 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। यह कारोबार 19 फीसदी सालाना की रफ्तार से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में यह रफ्तार बरकरार रह सकती है।

देश में बोतलबंद पानी का बाजार 2015 तक 15,000 करोड़ रुपये होगा और 2020 तक इस बाजार का आकार 36,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। बोतलबंद पानी के वैश्विक बाजार का विस्तार और भी तेजी से हो रहा है और यह पिछले पांच साल में 40-45 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 85 से 90 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

बोतलबंद पानी के इस बाजार में तीन तरह के खिलाड़ी हैं। देशभर में मौजूदगी रखने वाले नेशनल ब्रांड्स की हिस्सेदारी करीब 4,000 करोड़ रुपये की है। क्षेत्रीय बाजारों में काम कर रहे लोकल ब्रांड्स की हिस्सेदारी 2400 करोड़ रुपये की है। असंगठित लोकल ब्रांड्स की हिस्सेदारी भी करीब 1600 करोड़ रुपये की है। बोतलबंद पानी के कारोबार में देश में करीब 2500 ब्रांड्स हैं, जिनमें से 80-85 फीसदी लोकल हैं। गैर परंपरागत (जैसे 5 लीटर से ज्यादा के बल्क पैक) वाली श्रेणी की हिस्सेदारी बाजार में 44 फीसदी है।

आइकॉन के मुताबिक 20 लीटर वाले जार में पानी का बिजनेस करने वालों की हिस्सेदारी 3,500 करोड़ रुपये है और यह 28 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। घरों और संस्थागत क्षेत्र में बल्क पैक की मांग लगातार जोर पकडऩे से अगले 4-5 साल में बोतलबंद पानी का कारोबार और भी तेजी से बढ़ेगा। बाजार में ग्रामीण और शहरी भारत की हिस्सेदारी को देखें तो इसमें शहरी क्षेत्र की 84 फीसदी और ग्रामीण बाजार की 16 फीसदी हिस्सेदारी है।

http://business.bhaskar.com/article/there-is-plenty-of-bottled-water-out-of-the-thirst-for-profits-3448763.html

शुक्रवार, 29 जून 2012

खाओ मक्खन लगाओ मक्खन"- मक्खनबाज़

इश्क को बढ़ाने के साथ दुश्मनी को कम करने का काम भी मक्खन ही करता है 
छोटी सी जिन्दगी है यारोंदुश्मनों को भी दोस्त बनाओ.
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खाओ कम लगाओ ज्यादा"- मक्खनबाज़

अधिक मक्खन खाने से स्वस्थ्य को नुकसान हो सकता है!
लेकिन मक्खन लगाने से फायदे के सिवा कुछ नही होता,
मक्खन लगाओ फायदा ही फायदा पाओ!
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खाओ कम लगाओ ज्यादा" मक्खनबाज़

लगातार दो टेस्ट सीरीज में सफाया होने के बाद टीम इंडिया की चौतरफा आलोचना हो रही है। कोई भी उनका साथ देने को तैयार नहीं है। ऐसे में मक्खनबाज़ से उम्मीद की जा रही है। मकखनबाजों के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स ने फैसला किया है कि न सिर्फ सीनियर टेस्ट खिलाड़ियों को रिसीव करने मक्खनबाजों को भेजेंगे। बल्कि मकखनबाजों का एक दल वन डे सीरीज में टीम इंडिया का मनोबल बढ़ाने के लिए स्टेडियम में भी मौजूद रहगा।
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खाओ कम लगाओ ज्यादा" मक्खनबाज़

मक्खनबाज़ ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन(एमबीआई) सू़त्रों के मुताबिक आर्मी चीफ जनरल वी़.के. सिंह द्वारा 10 किलो मक्खन खरीदने का मामला प्रकाश में आया है। मक्खनबाज़ जांच एंजेसी के मुताबिक वी.के. सिंह ने जिंदगी में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में मक्खन खरीदा और वो भी 26 जनवरी से ठीक पहले। एमबीआई के मुताबिक 10 किलो मक्खन लेकर जनरल साहब 26 जनवरी को परेड देखने पहुंच थे लेकिन वापस लौटते समय उनका सारा मक्खन खत्म हो गया। मक्खनबाज़ एजेंसी के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि जनरल साहब ने सारा मक्खन कहां खत्म कर दिया। इस बात की भी जांच की जा रही है कि जनरल ने सारा मक्खन खिलाने में या फिर लगाने में खर्च किया ।
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खाओ कम लगाओ ज्यादा" मक्खनबाज़

अशिकी में भी मक्खन ही काम आता है 
जब गर्लफ्रेंड रूठ जाए, 
मक्खन लगाओउसे मनाओ. 
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खाओ कम लगाओ ज्यादा"-मक्खनबाज़

अभी-अभी मक्खनबाजों ने एक मक्खनबाज़ शहर बनाने की घोषणा की है.
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खाओ कम लगाओ ज्यादा"- मक्खनबाज़


मक्खनबाज़ी में सुनहरा भविष्य देखते हुए
कैम्ब्रिजऑक्सफोर्डएमआईटी यूनिवर्सिटी
यहाँ तक कि लदंन स्कूल ऑफ इॅकानमिक्स
ने अपने सभी नियमों को तोड़कर 
"
मास्टर प्रोग्राम इन मक्खनबाजी" कोर्स को 
जल्द ही शुरू करने का फैसला किया है.
अब सभी मक्खनबाजों को पढ़ने और पढ़ाने का मौका मिलेगा.
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खाओ कम लगाओ ज्यादा"-मक्खनबाज

देश के पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव है.
कई मक्खन बनाने वाली कंपनियों ने
राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया है कि 
अपने राज्य कि जनता को हमारी कंपनी का मक्खन लगायें.
"
खाओ कम लगाओ ज्यादा"-मक्खनबाज़


खाते और लगाते समय 
सही मक्खन का चुनाव ज़रूरी है 
क्योकि बाज़ार में मक्खन तो बहुत हैं
पर 'अमूलकी बात ही कुछ और है
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खाओ मक्खन लगाओ मक्खन"- मक्खनबाज़

जिन्दगी जीने के सिर्फ दो ही तरीके हैं
पहला गधे के बारे में सोचे बिना
मेहनत करते जाओ
या फिर चुपचाप होले-होले मक्खन लगाओ
"
खाओ मक्खन लगाओ मक्खन"- मक्खनबाज़

बहुत से जीरो भी हीरो बन गए हैं मक्खनबाज़ी से 
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खाओ कम लगाओ ज्यादा"  मक्खनबाज़

सभी मक्खन बाज़ एक दूसरे को मक्खन लगा रहे हैं.
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खाओ कम लगाओ ज्यादा" :- मक्खनबाज़

रविवार, 3 जून 2012

कानून तोड़ा तो प्लेसमेंट एजेंसियों पर 50,000 जुर्माना


बिल अगले सत्र में
द दिल्ली प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज (रेग्युलेशन बिल) 2012 का ड्राफ्ट तैयार है। दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने यह ड्राफ्ट तैयार किया है। श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यह बिल मानसून सत्र में पेश होने की उम्मीद है।

प्लेसमेंट एजेंसियों की मनमानी रोकने और घरेलू नौकरों को उनके अधिकार को दिलाने वाला द दिल्ली प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज (रेग्युलेशन बिल) 2012 का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। दिल्ली सरकार में श्रम विभाग ने यह ड्राफ्ट तैयार किया है।

श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यह बिल मानसून सत्र में पेश हो जाने की उम्मीद है।  दिल्ली प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज (रेग्युलेशन बिल) 2012  कानून के पास होने के बाद तीन महीने के भीतर सभी प्लेसमेंट एजेंसियों को लेना होगा है। सरकार ने 16 पेज का जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसके मुताबिक बिना लाइसेंस लिए कोई प्लेसमेंट एजेंसी अपना कारोबार नहीं कर सकेगी।

प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए लाइसेंस फीस  5,000 रुपये होगी। प्लेसमेंट एंजेसियों को लाइसेंस पांच वर्ष के लिए जारी होगा। लाइसेंस की अवधि समाप्त होने पर 45 दिन के भीतर ही लाइसेंस को फिर से पंजीकरण कराना होगा।

ड्राफ्ट के मुताबिक एक कंट्रोलिंग अथॉरिटी को भी नियुक्त किया जा जाएगा जिसमें श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त पद के अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा। प्लेसमेंट एजेंसियां कंट्रोलिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बगैर घरेलू नौकरों को विदेश नहीं भेज सकेंगी। प्लेसमेंट एजेंसियां घरेलू वर्कर्स से किसी भी प्रकार की फीस वसूल नहीं कर सकेंगी।

तैयार किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक सरकारी नौकरी से निकाले गए, निजी कंपनी में किसी कार्य में दोषी पाए गए, महिलाओं के खिलाफ अपराधी लोगों को प्लेसमेंट एजेंसियों के लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे।

प्लेसमेंट एजेंसियों को एक रजिस्टर बनाना होगा जिसमें घरेलू नौकर का नाम व पता होगा। प्लेसमेंट एजेंसी को सुनिश्चित करना होगा कि सभी घरेलू नौकरों को फोटो पहचान पत्र उपलब्ध कराएं।  किसी भी विदेशी बच्चे को घरेलू नौकर के तौर पर रखने पर प्लेसमेंट एजेंसी पर कार्रवाई होगी। इस कानून का उल्ल्घंन करने पर प्लेसमेंट एजेंसियों के मालिक पर 50,000 रुपये का जुर्माना या दो वर्ष तक की कैद हो सकती है।

पूर्व में दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने प्लेसमेंट एजेंसियों को लेकर एक सर्वे किया था जिसमें प्लेसमेंट एजेंसियों पर कानून के उल्ल्घंन के मामले सामने आए थे। श्रम विभाग के अधिकारी के मुताबिक  राजधानी दिल्ली में 300 से कुछ अधिक प्लेसमेंट एजेंसियां ही पंजीकृत हैं जबकि दिल्ली के अंदर 5,000 से अधिक प्लेसमेंट एजेंसियां अवैध रूप से कारोबार कर रही है।
http://business.bhaskar.com/article/broken-the-law-on-the-placement-agencies-50000-fine-3363441.html