गुरुवार, 26 जुलाई 2012

सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी वालों का जलवा





11,984 उम्मीदवार मुख्य परीक्षा में सफल हुए थे घोषित
2,417 उम्मीदवारों को बुलाया गया था साक्षात्कार के लिए
910 सफल उम्मीदवारों में से 800 ने दी थी अंग्रेजी में परीक्षा
87 वे उम्मीदवार अंतिम तौर पर यूपीएससी की इस प्रतिष्ठित सिविल परीक्षाा में उत्तीर्ण हुए जिन्होंने अंग्रेजी को माध्यम अपनाया था

''पूरी आबादी में 40-45 फीसदी लोग हिंदी पट्टी के आते हैं। शिक्षा में भ्रष्टाचार के कारण इन क्षेत्रों में शिक्षा की दशा में तत्काल सुधार होना चाहिए। सिर्फ भाषा के आधार पर टैलेंट को नहीं परखना चाहिए। ऐसे में सीसैट परीक्षा के पैटर्न की समीक्षा करनी होगी। भाषा के आधार पर नौकरी पर देना राष्ट्र निर्माण में बाधक होगा।   -प्रो. आनंद कुमार, समाजशाी

''सिविल सेवा की चयन प्रक्रिया रहस्यात्मक नहीं होनी चाहिए। यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी में दिए गए उत्तरों की गुणवत्ता क्या है और इन्हें जांचने के लिए परीक्षकों का चुनाव कैसे करता है। यह अब भी सवालों के घेरे में है। -प्रो.अपूर्व आनंद, हिन्दी विभाग, दिल्ली विवि

आईएएस और अन्य केंद्रीय सिविल सेवाओं की चयन परीक्षा के लिए सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूट टेस्टी (सीसेट) का नया पैटर्न क्षेत्रीय भाषाओं के उम्मीदवारों के लिए घाटे का सौदा साबित हो गया है। सिविल सेवा परीक्षा के आखिरी परिणाम में क्षेत्रीय भाषाओं की तुलना में 87 फीसदी वे उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा दी थी।

वर्ष 2011 में पहली बार लागू सी सैट के नए पैटर्न से हिंदी समेत अन्य भाषाओं में परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों का बेहद नुकसान हुआ। संघ लोक सेवा आयोग ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बताया कि सूचना के अधिकार के तहत यूपीएससी ने बताया कि इसकी प्रारंभिक परीक्षा 2011 का प्रश्न पत्र वस्तुनिष्ठ था और वह द्विभाषी था लेकिन उत्तर अंकित किए जाने थे इसलिए यह बता पाना संभव नहीं है कि प्रारंभिक परीक्षा में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम से कितने छात्र बैठे।

यूपीएससी ने अपने जवाब में बताया कि टॉप 500 उम्मीदवारों ने किस माध्यम से परीक्षा उत्तीर्ण की, यह जानकारी संकलित रूप से उपलब्ध नहीं है। आयोग ने बताया कि आईएएस की मुख्य परीक्षा (लिखित) के लिए हिंदी माध्यम से 1,700 और अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देने वाले 9,324 लोगों ने परीक्षा दी थी।

उनमें से हिंदी माध्यम से 301 और अंगेज माध्यम से 2,047 लोग साक्षात्कार के लिए चुने गए। फाइनल रिजल्ट में अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देने वाले 800 और हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले 89 लोगों का चयन हुआ। सिविल सर्विसेज परीक्षा 2011 के अंतिम परिणाम में कुल 910 लोगों को सफल घोषित किया गया। हिंदी भाषा के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले  21 लोग ही सिविल सेवा 2011 की परीक्षा में उत्तीर्ण हो पाए।

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे आशुतोष ने बताया सिविल सेवा के नए पैटर्न सीसैट में हिंदी माध्यम का उम्मीदवार 40 अंकों की हानि उठाता है। एक अन्य उम्मीदवार प्रवीण ने बताया कि जब मुख्य परीक्षा में 300 नंबर का अंग्रेजी का अनिवार्य पेपर होता है तो प्रारंभिक परीक्षा में अंग्रेजी के प्रश्न देने की क्या आवश्यकता है।

इस बाबत बिहार कैडर के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डी.एन.गौतम ने बताया कि सिविल सेवा में होने वाली परीक्षा में स्केलिंग का पैटर्न सही नहीं है। इसलिए सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न की समीक्षा जरूर होनी चाहिए।
http://business.bhaskar.com/article/those-sort-of-civil-service-examinations-in-english-3576671-NOR.html

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

सब्जी वाले अब सब्जी के भाव किलो में नहीं ढाई सौ ग्राम में बताते




थोक बाजार में जहां भिंडी का भाव 18-22 रुपये प्रति किलो है वहीं फुटकर में यह 40 रुपये व रिटेल स्टोरों पर 28-30 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेची जा रही है।

दिल्ली और आसपास के उपनगरों में सब्जी वाले अब सब्जी के भाव किलो में नहीं ढाई सौ ग्राम (अधिकतर इस पाव कहते हैं) में बताते हैं। शायद उन्हें ग्राहकों की ढीली जेब का पहले से ही अंदाजा लग गया होता है। पिछले कुछ दिनों में राजधानी व एनसीआर शहरों में सब्जी की ऊंची कीमतों से उपभोक्ताओं का घरेलू बजट बिगड़ चुका है।

किसी भी स्थानीय मंडी में सब्जी के दाम 40 रुपये प्रति किलो के स्तर से कम नहीं रह गए हैं। मात्र 15-20 दिन में ही सब्जी के दाम लगभग दोगुने तक बढ़ गए हैं। मानसून की बारिश शुरू होते ही दिल्ली में आजादपुर, शाहदरा, ओखला व गाजीपुर और गाजियाबाद की साहिबाबाद सब्जी मंडियों में हर जगह सब्जियों के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं।

महंगी सब्जियों से परेशान उपभोक्ताओं के लिए असमंजस की स्थिति यह भी है कि फुटकर दुकानों और रिटेल स्टोरों पर सब्जियां अलग-अलग दामों पर बेची जा रही हैं जबकि आजादपुर मंडी में सब्जियों के थोक भाव समान हैं।

सब्जियों के थोक दाम की तुलना में करीब 50-60 फीसदी अधिक दामों पर स्थानीय फुटकर बाजारों व रिटेल स्टोरों पर सब्जियों की बिक्री हो रही है। थोक बाजार में जहां भिंडी का भाव 18-22 रुपये प्रति किलो है वहीं फुटकर में यह 40 रुपये प्रति किलो और रिटेल स्टोरों पर 28-30 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेची जा रही है।

इसी तरह आलू का थोक भाव 10 रुपये प्रति किलो है, जबकि यह फुटकर में 20 रुपये व रिटेल स्टोरों पर 16 रुपये के भाव पर बेचा जा रहा है। सब्जी कारोबारियों का तर्क है कि बारिश के कारण हरी सब्जियों के दाम बढऩे लगते हैं।

लेकिन इस बार मानसून में देरी के कारण अन्य सब्जियों की कीमतों में भी तेजी आई है। इनमें टमाटर जैसी सब्जियां हैं जो लंबी गर्मी के कारण सडऩे की कगार पर पहुंच गई थी। इसी तरह बारिश के असर से आलू में भी तेजी दर्ज की जा रही है। रिटेल स्टोर्स में कुछ सब्जियों के दाम भले ही स्थानीय फुटकर बाजार से कम हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता का स्तर भी फुटकर बाजार की तुलना में अच्छा नहीं है।

http://business.bhaskar.com/article/vegetable-prices-sky-come-rain-on-the-climb-3516671.html

शनिवार, 7 जुलाई 2012

टीपीडीडीएल नेटवर्क पर निवेश करेगी 450 करोड़


100 प्रोफेशनल की भर्ती करेगी टीपीडीडीएल चालू वर्ष में

सलाहकार सेवाएं - कंपनी सलाहकार के तौर पर भी सेवाएं देगी। शुरूआत में इसके लिए राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, यूपी से बातचीत चल रही है। टाटा की यह कंपनी जल्द ही बिजली वितरण को लेकर इन तीनों प्रदेशों को अपनी सेवाएं देने लगेगी।

टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) अपने बिजली वितरण नेटवर्क को और अधिक मजबूत बनाने के लिए वर्ष 2012-13 में 450 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी वर्ष 2013 के लिए भी अभी से तैयारियों में जुट गई है।

कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व कार्यकारी निदेशक प्रवीर सिन्हा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू वर्ष में टीपीडीडीएल के क्षेत्र में बिजली की अधिकतम मांग 1,585 मेगावाट के स्तर पर पहुंच गई है। अगले वर्ष यह मांग 2,000 मेगावाट के स्तर पर पहुंच सकती है।  इस चुनौती से निपटने के लिए कंपनी वित्त वर्ष 2012-13 में 450 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

सिन्हा ने बताया कि इस निवेश के जरिए नए ग्राहकों को जोडऩे, एग्रीगेट टेक्नीकल एंड कॉमर्शियल घाटे का कम करने के लिए और सर्विसेज को बेहतर बनाने में किया जाएगा। जब कंपनी शुरू हुई थी तो कंपनी के पास सिर्फ6-7 लाख ग्राहक थे जिनकी संख्या अब 14 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने दावा किया कि बिजली की किल्लत नहीं होने दी जाएगी।

इसके लिए कंपनियों से लांग टर्म पॉवर परचेज एग्रीमेंट किए गए हैं। ग्राहकों की सुविधाओं के लिए इस वर्ष 20 कस्टमर केयर सेंटर खोले जाएंगे ,जहां पर ग्राहक अपनी समस्याओं का हल पा सकेंगे।

इसके लिए हम बिजली की निर्बाध आपूर्ति करना चाहते हैं जिससे हमारे ग्राहकों को इनवर्टर का प्रयोग न करना पड़े। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कंपनी का 100 मेगावाट का पॉवर प्लांट रिठाला में स्थित है जिसने काम करना शुरू कर दिया है। पूरी मात्रा में गैस मिलते ही बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
सिन्हा ने बताया कि कंपनी सलाहकार के तौर पर भी अपनी सेवाओं को शुरू करने जा रही है।

अभी शुरूआत में इसके लिए राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, यूपी से बात हो रही है। जल्द ही बिजली वितरण को लेकर इन तीनों प्रदेशों को अपनी सेवाएं देने लगेगी। टीपीडीडीएल 2012-13 में 100 प्रोफेशनल की भर्ती भी करेगा। उन्होंने बताया कि आगे के दस वर्षों के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन को लेकर यूनाइटेड स्टेट टेक्निकल अथॉरिटी के साथ मिलकर टीपीडी डीएल एक अध्ययन कर रहा है जिसकी रिपोर्ट बाद में लागू होगी।

सिन्हा ने बताया कि हर वर्ष बिजली की मांग 8-10 फीसदी बढ़ रही है और उस हिसाब से हमें तैयार रहना होगा। इसके अलावा मानसून में होनी वाली दिक्कतों से बचने के लिए अभी से स्विच गियर, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, ट्रांसफार्मर से धूल हटाने का काम शुरू कर दिया गया है जिससे इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट में कोई दिक्कत न आए.
http://business.bhaskar.com/article/teepeedeediel-network-will-invest-450-million-3487368.html
TPDDL

सोमवार, 2 जुलाई 2012

देश के फायदे से मेरा घर नहीं चलता है...


शिष्य, गुरू से - गुरू जी जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली, अब तो अपने अंडर में पीएचडी करा दीजिए
गुरू, शिष्य से - शिष्य मेरे पास अभी सीट नहीं बची है, सारी सीटों पर पहले से ही शिष्य पीएचडी कर रहे हंैं,
शिष्य, गुरू से-  गुरू जी लेकिन आपके सारे शिष्य तो नौकरी कर रहे हैं, ऐसे में वो पीएचडी कैसे कर सकते हैं.
गुरू, शिष्य से-  मैं चाहता हूं इसलिए वो कर सकते हैं.
शिष्य,गुरू से- गुरू जी आप मुझे दाखिला दे दो, मैं १८ महीने में पीएचडी पूरी कर लूंगा.
गुरू, शिष्य से- मुझे १८ महीने में ५-७ साल में पीएचडी पूरे करने वाले होनहार शिष्य चाहिए. जो लंबे समय तक मेरे स्वार्थों को पूरा करते रहें.
शिष्य, गुरू से - तो क्या मैं फिर ५ साल के बाद आऊं पीएचडी करने.
गुरू,शिष्य से- नहीं, तुम पीएचडी मत करो, मैं तुम्हें पीएचडी क्यों कराऊं , इसमें मेरा क्या फायदा है।
शिष्य, गुरू से- गुरू जी इसमें आप का नहीं, देश का फायदा है।
गुरू , शिष्य से - देश के फायदे से मेरा घर नहीं चलता है, मेरे फायदे से मेरा घरा चलता है।