रविवार, 16 दिसंबर 2012

Private School, Government School and Primary and Highr Secondary Education System in India

निजी स्कूलों की लॉबी समूची व्यवस्था पर हावी

सचिन यादव नई दिल्ली | Dec 17, 2012, 02:41AM IST
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दिल्ली
: फीस पर काबू पाने के लिए केन्द्रीय कानून बनाने की वकालत
: निजी स्कूल अड़ंगा डालते हैं सरकारी स्कूलों के प्रदर्शन में
: स्कूल फीस का मुद्दा कई बार अदालतों में उठाया अभिभावकों ने
: हाईकोर्ट ने स्कूलों के खातों की जांच के लिए कमेटी बनाई
: कमेटी अभी स्कूलों के खातों की जांच कर रही है

निजी स्कूलों में फीस को नियंत्रित करने को लेकर सिर्फ दो ही राज्यों में प्रावधान है जबकि दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में निजी स्कूलों में फीस को नियंत्रित करने को लेकर ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है। आज भी निजी स्कूल अपनी मनमर्जी के मुताबिक फीस बढ़ाते रहते हैं। देश में सिर्फ तमिलनाडु और महाराष्ट्र में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाया गया है।

महाराष्ट्र में भी यह कानून सही तरीके से लागू नहीं किया गया है जबकि तमिलनाडु में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सही तरीके से कानून को लागू किया गया है। इसके बावजूद तमिलनाडु सरकार स्कूल बनाने में खर्च और वीआईपी क्षेत्र में स्थित स्कूलों को फीस बढ़ाने का अधिकार देती है।

दिल्ली में निजी स्कूलों में बच्चों की फीस को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मामले उठाने वाले एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में अभी तक निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है। स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक सलाहकार समिति का गठन किया है।

इस सलाहकार समिति में 12 सदस्य हैं जिसमें से 11 सदस्य प्राइवेट स्कूलों के और एक सदस्य सरकारी स्कूल से है। इसके अलावा अन्य सदस्यों में भी सारे सदस्य प्राइवेट स्कूलों के ही शामिल है। ऐसे में फीस से लेकर अन्य मुद्दे तय करने में प्राइवेट स्कूल के मालिक हावी रहते हैं। निजी स्कूलों की लॉबी इतनी हावी रहती है कि सरकारी स्कूलों को आगे बढऩे नहीं देती है और खुद इतनी फीस बढ़ा देते हैं कि अभिभावक के पास परेशान होने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता है।

राजधानी दिल्ली में हर निजी स्कूल बच्चों की फीस से चल रहा है, ऐसे में निजी स्कूलों की मैनेजिंग कमेटी में 50 फीसदी तक प्रतिनिधित्व बच्चों के अभिभावकों को मिलना चाहिए।
इसके अलावा निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने के लिए पूरे देश में एक कानून बनना चाहिए।  जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि छठा वेतनमान लागू होने के बाद राजधानी दिल्ली के निजी स्कूलों ने बहुत अधिक फीस बढ़ा दी थी।

इसको लेकर दिल्ली अभिभावक संघ हाईकोर्ट तक गया था । इसके बाद हाईकोर्ट ने 200 से अधिक निजी स्कूलों के खातों की जांच करने के लिए जस्टिस अनिल देव सिंह की देखरेख में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया था। इस कमेटी में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट और दिल्ली के शिक्षा विभाग के रिटायर्ड अधिकारी शामिल हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कमेटी का 90 फीसदी खर्च निजी स्कूलों पर और 10 फीसदी खर्च सरकार से वहन करने को कहा है। यह कमेटी अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करेगी।
http://business.bhaskar.com/article/private-schools-dominate-the-lobby-of-the-entire-system-4114687.html