सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

बिल्डिंग प्लान मंजूर न होने से फिर अटका बपरौला का केबीआई पार्क

सचिन यादव नई दिल्ल� | Oct 12, 2012, 02:12AM IST
 

 

 डीएसआईडीसी ने इस पार्क के निर्माण पर 1,800 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगा रखा है। इससे 100,000 लोगों को सीधे जबकि 170,000 लोगो को अपरोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

कई इंडस्ट्रीज - डीएसआईआईडीसी की ओर से शुरूआत में 1,450 करोड़ की लागत से वाले बहुप्रतिक्षित बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण करने की योजना थी। दिल्ली सरकार ने इस पार्क में आईटी, आईटीईएस और मीडिया समेत कई अन्य इंडस्ट्रीज को लगाने की योजना बना रखी है।

बिल्डिंग प्लान पास न होने के चलते एक बार फिर दिल्ली सरकार की बहुप्रतीक्षित बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क बनाने की योजना अधर में पड़ गई है। बपरौला नॉलेज बेस्ड इंड्रस्ट्रियल पार्क का काम जुलाई 2012 में शुरू होना था लेकिन बिल्डिंग प्लान पास न होने से इस योजना का निर्माण कार्य अभी नहीं शुरू हो पाया है।

दिल्ली राज्य औद्योगिक व अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) के इस प्रोजेक्ट का ले आउट प्लान पास हो चुका है। लेकिन बिल्डिंग प्लान को मंजूरी न मिलने के चलते अभी इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

डीएसआईआईडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केबीआई पार्क के लिए 26 मीटर ऊंची बिल्डिंग बनाने की अनुमति मांगी है। पर नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों के मुताबिक 18 मीटर से ज्यादा बड़ी बिल्डिंग बनाने की अनुमति ने होने के कारण मामला केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय में पहुंच गया है। इस परियोजना के लिए मंत्रालय ने अभी एक कमेटी का गठन किया है।

अब इस पर लोगों के सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे और उसके बाद जाकर इस परियोजना को मंजूरी मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि कम से कम छह से सात माह बाद ही यह प्रोजेक्ट शुरू हो पाएगा। इससे पहले दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा बनवाए जाने वाले बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के मॉडल का चयन तय भी समय सीमा तक नहीं हो पाया था।

डीएसआईआईडीसी द्वारा शुरूआत में 1,450 करोड़ की लागत से वाले बहुप्रतिक्षित बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण करने की योजना थी। दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में इस नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण के लिए 1,800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस पार्क में आईटी, आईटीईएस और मीडिया समेत कई अन्य इंडस्ट्रीज को लगाने की योजना है। 

डीएसआईआईडीसी ने वर्ष 2006 में दिल्ली सरकार के ग्रामीण विकास निदेशालय से बपरौला में 130.7 एकड़ जमीन का अधिग्रहण 99 साल की लीज पर बपरौला नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क को स्थापित करने के लिए किया था। डीएसआईआईडीसी के बपरौला में नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क को स्थापित करने के प्रस्ताव को दिल्ली सरकार की मंजूरी भी मिल चुकी है। डीएसआईआईडीसी ने इसके लिए 70.6 एकड़ जमीन के दो भागों क्रमश 65.62 एकड़ व 4.99 एकड़ में नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क का नांगलोई-नजफगढ़ रोड पर निर्माण करने का निर्णय किया है।

इस पार्क के पहले फेज में होने वाले डेवलपमेंट वर्क को अगस्त 2012 ,बिल्डिंग वर्क को दिसंबर 2012, दूसरे फेज में होने वाले बिल्डिंग वर्क को अप्रैल 2014 व  तीसरे फेज में बिल्डिंग वर्क व बचे हुए काम को करने को पूरा करने की अंतिम तिथि दिसंबर 2014 थी लेकिन अब परियोजना की रफ्तार देखते हुए समय पर इस पार्क निर्माण कार्य पूरा होना संभव नहीं है।

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

औद्योगिक इलाकों में होने चाहिए हाउसिंग प्रोजेक्ट

सचिन यादव नई दिल्ल� | Oct 10, 2012,
 
जमीन की कमी से निपटने के साथ-साथ औद्योगिक इलाकों में एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं लोगों को उपलब्ध हो जाएं, इसके लिए दिल्ली राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) ने डीडीए को औद्योगिक इलाकों में हाउसिंग प्रोजेक्ट होने चाहिए। डीएसआईआईडीसी ने बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू करने के साथ औद्योगिक इलाकों की कनेक्टिविटी को भी मेट्रो से जोडऩे संबंधित प्रस्ताव डीडीए को दिया है।

डीएसआईआईडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में जमीन की कमी से निपटने के लिए अभी से ही इंतजाम करने होंगे। इसके लिए औद्योगिक इलाकों को सर्विस इंडस्ट्री के तौर पर भी विकसित किया जाएं।

अधिकारी ने बताया कि अगर औद्योगिक इलाकों में आईटी, बीपीओ और केपीओ सेंटर स्थापित किया जाए, साथ ही हाउसिंग प्रोजेक्ट भी शुरू किए जाएं तो वहां लोगों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। लोग अपनी सुविधा अनुसार इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में शुरू हुई हाउसिंग प्रोजेक्ट में भी रह सकेंगे। इससे शहर में बढ़ते अधिक जनसंख्या घनत्व को कम करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा औद्योगिक इलाकों में इमारतों की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर भी मास्टर प्लान-2021 में संशोधन करने को कहा गया है।

इमारतों की ऊंचाई के कारण कई प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान पारित नहीं हो पाते हैं। इससे प्रोजेक्ट के पूरे होने की अवधि बढ़ जाती है। इसके साथ ही बसों के अलावा दूसरे ट्रांसपोर्ट के साधनों के जरिए औद्योगिक इलाकों का यातायात बढिय़ा हो, इसको भी मास्टर प्लान-2021 में शामिल करने के लिए कहा गया है। दिल्ली विकास प्राधिकरण मास्टर प्लान-2021 को पिछले कई वर्षों से तैयार कर रही है लेकिन अभी तक मास्टर प्लान तैयार नहीं हो पाया है।
इनका भी सुझाव
औद्योगिक इलाकों में इमारतों की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर भी मास्टर प्लान-2021 में संशोधन करने को कहा गया है। इमारतों की ऊंचाई के कारण कई प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान पारित नहीं हो पाते हैं। इससे प्रोजेक्ट के पूरे होने की अवधि बढ़ जाती है। इसके साथ ही बसों के अलावा दूसरे ट्रांसपोर्ट के साधनों के जरिए औद्योगिक इलाकों का यातायात बढिय़ा हो, इसको भी मास्टर प्लान-2021 में शामिल करने के लिए कहा गया है।
http://business.bhaskar.com/article/housing-projects-in-industrial-areas-should-be-3900859.html

दिल्ली में कम बिजली खपत करने वालों को राहत संभव


सचिन यादव नई दिल्ल� | Oct 09, 2012,
 
 

छूट संभव - बिजली यूनिट के स्लैब में बढ़ोतरी की जा सकती है। इस बढ़ोतरी के बाद अब तक 200 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के बिल में अधिकतम 20 फीसदी तक और 300 यूनिट से अधिक प्रयोग करने वाले लोगों को 5 फीसदी तक बिजली बिल कम आ सकता है।

महंगी बिजली और मनमाने बिजली बिलों से जूझती दिल्ली की जनता को जल्द ही थोड़ी राहत मिल सकती है। बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए बिजली टैरिफ स्लैब में निश्चित यूनिट की संख्या में बढ़ोतरी की जा सकती है।

अगर दिल्ली सरकार 200 यूनिट से ऊपर उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी देती है तो और भी अधिक राहत मिल सकती है। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन पी.डी.सुधाकर ने सोमवार को बताया कि बिजली यूनिट के स्लैब में बढ़ोतरी की जा सकती है।

इस बढ़ोतरी के बाद अब तक 200 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के बिल में अधिकतम 20 फीसदी तक और 300 यूनिट से अधिक प्रयोग करने वाले लोगों को 5 फीसदी तक बिजली बिल कम आ सकता है।

सुधाकर ने बताया कि इस बाबत आयोग बाद में एक बैठक बुलाकर फैसला करेगा। उन्होंने बताया कि पॉवर परचेज के तहत हर तीन महीने बाद होने वाली बढ़ोतरी भी शायद इस बार न हो क्योंकि अब तक पॉवर परचेज का रुझान देखते हुए यही कहा जा सकता है। पॉवर परचेज के हिसाब से बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी करने को लेकर डिस्कॉम कंपनियों ने अब तक कोई आवेदन नहीं किया है।

सोमवार को बिजली यूनिट के स्लैब को लेकर होने वाली मीटिंग विरोध-प्रदर्शन के कारण टल जाने पर उन्होंने कहा कि आयोग के सभी सदस्यों के सलाह मशविरा के बाद अगली जनसुनवाई कब आयोजित की जाए, इस पर फैसला किया जाएगा। इस बात पर भी उन्होंने जोर दिया कि दिल्ली में घरेलू बिजली की दरें आज भी काफी सस्ती हैं।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, भाजपा को सब पता था
बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी को लेकर डीईआरसी के बाहर प्रदर्शन करते हुए अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली टैरिफ से संबंधित सारी जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता के पास थी।

डीईआरसी ने यह जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को मई 2010 में ही मिल गई थी जिसमें बिजली टैरिफ घटाने का प्रस्ताव था। ऐसे में जब दो साल से भी अधिक का समय बीत गया तब भाजपा अब नींद से जागी है।

बिजली टैरिफ पर भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीति कर रही हैं। शायद डीईआरसी के अधिकारियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन करेंगे। आईएसी के समर्थक तिरंगों के साथ डीईआरसी हाय-हाय, चेयरमैन हाय-हाय करते रहे।

इस दौरान कई बार आईएसी के समर्थकों ने पुलिस को चकमा देकर अंदर घुस गए। करीब सौ से अधिक लोगों ने गलत बिजली बिलों के बारे में सड़क पर ही लोगों को जानकारी दी। पुलिस वीडियो ग्राफी :दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के पहुंचने के बाद दिल्ली पुलिस से जुड़ा कर्मचारी सिविल ड्रेस में वीडियोग्राफी में लगा रहा।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऐसे आयोजनों के समय कई बार कुछ उपद्रवी बवाल करते हैं। ऐसे अराजक तत्वों से निपटने के लिए वीडियोग्राफी की जा रही है। जिन सड़क पर ट्रैफिक पुलिस का कभी नामोनिशां नहीं होता था आज वहां ट्रैफिक पुलिस की लगी हुई थी। मालवीयनगर में अरविंदो कॉलेज से लेकर शिवालिक तक की रोड पूरी तरह से ट्रैफिक जाम में फंस गई।

http://business.bhaskar.com/article/low-power-consumption-possible-relief-to-those-in-delhi-3896038.html

यूजीसी के जॉब पोर्टल के सहारे छात्रों को नौकरी

सचिन यादव नई दिल्ली | Oct 08, 2012,
 

 

523 विश्वविद्यालयों की कुल संख्या इस वक्त देश में
43 संख्या है केंद्रीय विश्वविद्यालयों की
265 संख्या है राज्यों के विश्वविद्यालयों की संख्या
130 डीम्ड विश्वविद्यालय की संख्या इस वक्त
80 संख्या राज्यों में स्थित निजी विश्वविद्यालयों की
33,024 कुल कॉलेज हैं उच्च शिक्षा क्षेत्र में फिलहाल

मंत्रालय का था जोर - इस जॉब पोर्टल पर विवि या कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपने एकेडमिक प्रोफाइल जॉब पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। नौकरी देने वाले संस्थान भी नौकरियों से संबंधित जानकारी भी  पोर्टल पर डाल सकेंगे। पढ़ाई के बाद नौकरी पाने में आसानी हो, ऐसेवेब पोर्टल को डेवलप  करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पहले ही जोर डाला था।

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से हर साल पास होने वाले लाखों छात्रों के रोजगार पाने की समस्या को आसान बनाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक जॉब पोर्टल डेवलप किया है। इस जॉब पोर्टल की सहायता से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र-छात्राएं अपने एकेडमिक प्रोफाइल को जॉब पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। साथ ही नौकरी प्रदान करने वाले संस्थान भी नौकरियों से संबंधित सारी जानकारी को पोर्टल पर डाल सकेंगे। पढ़ाई के बाद नौकरी पाने में आसानी हो, ऐसे वेब पोर्टल को डेवलप करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने पहले ही काफी जोर दिया था।

यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस पोर्टल की मदद से नौकरी प्रदान करने वाले और नौकरी ढूंढने वाले दोनों पक्षों की पूरी जानकारी होगी। इसके अलावा यह जॉब पोर्टल छात्र-छात्राओं को अपने एकेडमिक प्रोफाइल बनाने में मदद करेगा। वहीं संबंधित विश्वविद्यालय, कॉलेज और नौकरी देने संस्थान भी अपने प्रोफाइल बना सकेंगे।

नौकरी देने वाले संस्थान को एक ही स्थान पर योग्यतम अभ्यर्थी का चुनाव कर सकेंगे। इस पोर्टल के सहारे नेट-जेआरफ उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के बारे में सूचना प्राप्त की जा सकेगी। यूजीसी के इस जॉब पोर्टल के बारे में अभी लोगों जानकारी नहीं है।

इसके लिए यूजीसी के कार्यवाहक चेयरमैन वेद प्रकाश ने सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थानों से जॉब पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा है। उन्होंने विश्वविद्यालयों समेत सभी संस्थानों से छात्रों के बीच और इस पोर्टल को जानकारी देने के लिए कहा है। जिससे योग्य छात्र-छात्राएं अपने एकेडमिक प्रोफाइल को वेबसाइट पर अपडेट करके सही सूचना नौकरियां पा सकें। साथ ही सभी विश्वविद्यालय, कॉलेज व संस्थान अपने यहां निकलने वाली नौकरियों की जानकारी भी पोर्टल पर अपलोड करें।http://business.bhaskar.com/article/support-students-of-ugc-job-portal-job-3891808-NOR.html

नया कलेक्शन मंगाने में कारोबारी खासे सतर्क

सचिन यादव नई दिल्ली | Oct 08, 2012,

 

पिछले साल सर्दियां कम पडऩे से काफी स्टॉक बचा था बाजार में

बाजार में खरीदारों की कमी को देखते हुए सर्दी के मौसम मे वूलन और गर्म कपड़ों के व्यापार में कारोबारी बहुत ज्यादा तेजी की संभावना नहीं देख रहे हैं। पिछले साल के सीजन से सबक लेते हुए उन्होंने इस बार बहुत अधिक मात्रा में सर्दी के कपड़ों का स्टॉक नहीं किया है। कारोबारियों के मुताबिक पिछले वर्ष सर्दी कम पडऩे से बहुत अधिक मात्रा में स्टॉक बच गया था। तब डिस्काउंट के जरिये बिक्री की गई थी।

बाकी बचे हुए उत्पादों को इस साल निकाला जाएगा। वहीं, कुछ कारोबारियों के मुताबिक  बहुत अधिक माल का स्टॉक नहीं किया गया है। उन्हें अंदेशा है कि ज्यादा स्टॉक कहीं उनके लिए मुसीबत न बन जाए। गांधीनगर में गर्म जैकेट के कारोबार से जुड़े नरेश सरबालिया ने बताया कि गर्म कपड़ों की मैन्युफैक्चरिंग जुलाई से पहले से ही शुरू हो जाती है।

चार महीनों में तैयार किए गए माल को दो-तीन माह में निकालने की कोशिश होती है। कारोबारियों को जितने भी खरीद के ऑर्डर मिलने थे, अधिकतर मिल चुके हैं। यहां के कारोबारी भी सीजन के हिसाब से माल की डिलीवरी कर देते हैं। पिछले वर्ष सर्दियां कम पडऩे के कारण माल की खपत बहुत अधिक नहीं हुई। कोशिश होगी कि पुराने माल को रिफ्रेश करके बाजार में उतारा जाए। मार्केट में अधिक खरीदार न होने की वजह से इस तरह के निर्णय कारोबारियों को लेने पड़ते हैं।

लुधियाना से लाकर यहां उत्पादों की बिक्री करने वाले राजीव अग्रवाल ने बताया कि पिछले साल सर्दियां कम पडऩे के कारण काफी मात्रा में पुराना स्टॉक जमा है। इसके बावजूद सिर्फ १०-१५ फीसदी पुराना माल ही इस बार इस्तेमाल किया जा पाएगा। हर साल फैशन में आने वाले बदलाव के कारण डिजाइन में बदलाव करना पड़ता है जिसकी वजह से हमें नया माल मंगाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि फिर भी पिछले साल की तुलना में इस वर्ष ५० फीसदी तक काम माल मंगाया है।

अगर नवरात्र के बाद मांग बढ़ती है तो दोबारा माल मंगाया जा सकता है। गांधीनगर मार्केट के प्रधान कंवल कुमार बल्ली ने बताया कि हमारे यहां बाजार में छोटे उत्पाद ही अधिक मात्रा में बनते हैं। उन उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग भी इस बार बंद है। अधिकतर वूलन उत्पादों की आपूर्ति लुधियाना से ही कर ली जाती है।

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

हिट फिल्मों से 6 माह में मिला 90% राजस्व

हिट फिल्मों से 6 माह में मिला 90% राजस्व

  Sachin Yadav | Oct 04, 2012, 01:37AM IST
 
 

अभी 25 महत्वपूर्ण फिल्में आनी वाली हैं

योगदान - अप्रैल मे विकी डोनर, मई में इशकजादे, जून में राउडी राठौड़, शंघाई, गैंग ऑफ वासेपुर, फरारी की सवारी, जुलाई में बोल बच्चन, कॉकटेल, क्या सुपर कूल हैं हम, अगस्त में जिस्म-२ और एक था टाइगर, सितंबर में राज-३, बर्फी, हीरोइन व ओह माइ गॉड ने अधिकतम योगदान दिया है।

एक था टाइगर, विकी डोनर, इशकजादे, राउडी राठौड़, शंघाई, बोल बच्चन समेत 15 फिल्मों के अच्छे बिजनेस की बदौलत  दिल्ली सरकार के मनोरंजन कर विभाग ने शुरूआती छह महीनों में ही अपने अपने लक्षित राजस्व के 90 फीसदी की वसूली कर ली है।

मनोरंजन कर विभाग ने एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ३० सितंबर तक प्राप्त आकड़ों के मुताबिक विभाग ने ६२ करोड़ रुपये की राजस्व मनोरंजन कर के रूप में वसूल किया है, जबकि वित्त वर्ष २०१२-१३ में मनोरंजन कर के लिए जरिए राजस्व में वसूली का लक्ष्य ६७ करोड़ रुपये रखा गया है।

वित्त वर्ष २०११-१२ में सुपर हिट फिल्मों की वजह से राजस्व में ७० फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई थी। वित्त वर्ष २०११-१२ में दिल्ली सरकार के मनोरंजन कर विभाग ने ५८ करोड़ रुपये के मनोरंजन कर की वसूली का लक्ष्य रखा था जबकि सुपरहिट फिल्मों की वजह से मनोरंजन कर विभाग का राजस्व १०२ करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

मनोरंजन कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अप्रैल मे विकी डोनर, मई में इशकजादे, जून में राउडी राठौड़, शंघाई, गैंग ऑफ वासेपुर, फरारी की सवारी, जुलाई में बोल बच्चन, कॉकटेल, क्या सुपर कूल हैं हम, अगस्त में जिस्म-२ और एक था टाइगर, सितंबर माह में राज-३, बर्फी, हीरोइन व ओह माइ गॉड जैसी फिल्मों ने मनोरंजन कर में अपना अधिकतम योगदान दिया है।

अधिकारी ने कहा कि अभी पूरे वित्त वर्ष में करीब २५ महत्वपूर्ण फिल्में आनी वाली हैं जिनसे विभाग के राजस्व में और अधिक बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा डीटीएच कंपनियों और केबल नेटवर्क, एंटरटेनमेंट शो के जरिए भी विभाग का राजस्व बढ़ेगा।
http://business.bhaskar.com/article/received-a-90-revenue-from-hits-in-6-months-3873922.html

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

सात दिनों के अंदर पूरा देश बेच दिया- Mamta Banerji

तृणमूल कांग्रेस ला सकती है संसद में अविश्वास प्रस्ताव

  Sachin Yadav दिल्ली | Oct 02, 2012, 01:05AM IST
 
 

यूपीए-2 सरकार ने सात दिनों के अंदर पूरा देश बेच दिया है। सरकार लोगों को सिर्फ बेरोजगारी-भ्रष्टाचार दे रही है। जो उसके खिलाफ बोलता है उसे सीबीआई का डर दिखाती है। हम कांग्रेस और सीबीआई से नहीं डरते हैं। केन्द्र हमें जेल में डाल कर दिखाए। देश चलाने के लिए 120 करोड़ लोगों को साथ लेना होगा।  -ममता बनर्जी, अध्यक्ष, तृणमूल कांग्रेस

शरद यादव ने कहा, विरोध का आया वक्त

यूपीए-2 सरकार ने सात दिनों के अंदर पूरा देश बेच दिया है। सरकार लोगों को सिर्फ बेरोजगारी, भ्रष्टाचार दे रही है जो उसके खिलाफ बोलता है उसे सीबीआई का डर दिखाती है। यह बात तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राजधानी में एफडीआई, महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कही। हम कांग्रेस और सीबीआई ने नहीं डरते हैं। केन्द्र सरकार हमें जेल में डाल कर दिखाए। खाली दिल्ली से देश नहीं चलने वाला है। देश चलाने के लिए 120 करोड़ लोगों को साथ लेना होगा।

ममता बनर्जी ने शायराना अंदाज में केन्द्र सरकार पर व्यंग्य करते हुए अपने लहजे में कहा कि हम चर्चा करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल करते हैं तो बदनाम नहीं होते। उन्होंने कहा कि मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई के खिलाफ एक फेडरल फ्रंट बनाएंगे। पूरे देश में जाएंगे और लोगों को समर्थन हासिल करेंगे।

इसके लिए 2 नवंबर को हरियाणा में, 17 नवंबर को लखनऊ , 19-20 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन किया जाएगा। लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान समाजवादी प्रमुख मुलायम सिंह यादव को भी आमंत्रित किया जाएगा। यह सरकार विदेशों मे जमा काला धन वापस लाए। अगर जरूरी हुआ तो संसद में सहयोगियों के साथ मिलकर केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हम देश को बंद करने में विश्वास नहीं रखते हैं। काम भी करेंगे और प्रदर्शन भी करेंगे। इस देश को लुटने नहीं दिया जाएगा। सरकारी नौकरियों में काम करने वाले लोगों को पेंशन बिल के खिलाफ लडऩे के लिए कहा है। नवंबर में सरकार इस बिल को पास करके आपकी पेंशन को भी आप से छीन लेगी। समय आ गया है कि सब इस सरकार के खराब निर्णयों के खिलाफ आवाज बुलंद करें।

इस मौके पर जदयू प्रमुख शरद यादव ने कहा कि हमारे देश का व्यापार 2,500 वर्ष पुराना है और यह सरकार इसी कारोबार को तबाह कर देना चाहती है। सरकार ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को अब कारोबार नहीं करने देना चाहती है। यह वो वर्ग है जो सरकार से कभी नौकरी मांगने नहीं जाता, कभी नहीं कहता है कि हमारे भत्तों में बढ़ोतरी करो। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ईमान वाली नेता है और जब उनके जरिए ईमानदारी जनता में फैलेगी तो लोकतंत्र भी ईमानदार होगा।

http://business.bhaskar.com/article/trinamool-congress-may-move-a-motion-in-parliament-3864233-NOR.htmlपिछली बार भी देश में एफडीआई लाने के केन्द्र सरकार के निर्णय को ममता बनर्जी ने ही खारिज किया था। पूर्व केन्द्रीय राज्य शहरी विकास मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने कहा कि अमेरिका में दो माह चुनाव होने जा रहे हैं और देश के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को यह चुनावी तोहफा दे रहे हैं।

खादी उत्पाद मिलेंगे 10 फीसदी महंगे

सचिन यादव नई दिल्ली | Oct 02, 2012, 01:09AM IST
 






ऊनी खादी उत्पादों पर छूट 1 नंवबर से शुरू

फैसला - दिल्ली सरकार अगर अपनी तरफ से छूट देती है तो यह छूट 20% से बढ़कर 30% के स्तर पर पहुंच जाती लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक छूट देने का फैसला नहीं किया है। वहीं यूपी सरकार ने 10% छूट सरकार की तरफ से देने का फैसला किया है।

दिल्ली सरकार की तरफ से खादी वस्त्रों पर छूट ने देने से पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की तुलना में दिल्ली में खादी उत्पाद 10 फीसदी महंगे मिलेंगे। दिल्ली सरकार अगर अपनी तरफ से छूट देती है तो यह छूट 20 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाती लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक छूट देने का फैसला नहीं किया है।

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने 108 दिनों के लिए खादी वस्त्रों पर 10 फीसदी छूट सरकार की तरफ से देने का फैसला किया है। वहीं खादी व ग्रामोद्योग आयोग पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी गांधी जयंती पर खादी वस्त्रों पर छूट का सिलसिला जारी रखेगा। खादी व ग्रामोद्योग आयोग इस बार खादी (सूती), सिल्क खादी, पॉली खादी व खादी से बने रेडीमेड गारमेंट पर 20 फीसदी की छूट दी जाएगी।

यह छूट 3 अक्टूबर से शुरू होगी और आगामी 90 दिनों तक जारी रहेगी। ऊनी खादी उत्पादों पर छूट 1 नंवबर से शुरू होगी और 90 दिनों तक जारी रहेगी। खादी व ग्रामोद्योग आयोग के सूत्रों के मुताबिक, खादी उत्पादों पर यह छूट मार्केटिंग डेवलपमेंट असिस्टेंट के जरिए दी जा रही है। आयोग के मुताबिक जिन संस्थाओं से हम माल खरीदते हैं उनसे जो छूट हमें प्राप्त होती है।

उस छूट को सीधे ग्राहकों को दे दिया जाता है। वर्ष 2009-10 के बाद वर्ष 2011-12 में दिल्ली सरकार ने 10 फीसदी की छूट दी थी तब खादी उत्पादों पर 30 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई थी। सूत्रों ने बताया कि हमारे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश सरकार से मदद मिलने के बाद खादी उत्पादों पर छूट 30 फीसदी रहेगी। अगर दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार चाहे तो खादी उत्पादों पर छूट बढ़ सकती है।

आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, खादी उत्पादों पर दी जाने वाली छूट देश में सबसे अधिक दिनो तक चलने वाला ऑफर है। सूत्रों के मुताबिक, पहले यह छूट 60 दिन तक रहती थी जिसे बाद में 90 दिन कर दिया गया है।

अगर आयोग चाहे तो इस छूट को बढ़ाकर को 108 दिन तक किया जा सकता है।  खादी के उत्पादों को लोगों की तरफ से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। युवाओं का रुझान भी खादी की तरफ बढ़ा है। उन्होंने पड़ोसी राज्य हरियाणा से भी खादी के उत्पादों की अच्छी मांग आ रही है।
http://business.bhaskar.com/article/khadi-product-will-meet-10-per-cent-more-expensive-3864240-NOR.html