अगले साल आने वाली फिल्म मटरू की बिजली का मंडोला का ट्रेलर यूट्यूब पर लोग खुद देख रहे हैं तो सिनेमा हॉल से लेकर टेलीविजन पर बहुत तेजी से दिखाया जा रहा है। शायद इसलिए भी क्योंकि यह फिल्म वर्ष २०१३ की पहली फिल्म होगी। इस फिल्म के ट्रेलर में एक सीन में अनुष्का शर्मा पीठ के निचले हिस्से में लिखे शब्दों को दिखाती हैं जिसमें लिखा है- देखो मगर प्यार से. अक्सर यह शब्द देश की सडक़ पर दौड़ते ट्रकों के पीछे लिखा मिल जाता है। अनुष्का- क्या देंखे मगर प्यार से. अक्सर यह दोष लगाया जाता है कि लोगों की नजरें खराब हो गई हैं। लेकिन वास्तव में नजरें खराब कौन कर रहा है। जब सिनेमा देखने कोई व्यक्ति घर से मल्टीप्लेक्स से लेकर सिनेमाहॉल तक सफर तय करता है तो सिनेमा में वह कुछ भी अपनी तरफ से नहीं देख रहा होता है। जो निर्देशक उसे दिखाता है, वहीं वह देख रहा होता है। निर्देशक ही तय करता है कहां पर कैसा सीन होगा। सिनेमा में लड़कियों से लेकर महिलाओं तक पर फिल्माएं जाने वाले सीन की समीक्षा करनी होगी। और सबसे पहले ऐसे सीन का विरोध भी करना होगा। महिलाओं को चमेली, मुन्नी और शीला बनाना बंद करना होगा। मनोरंजन के नाम पर कुछ भी परोसा नहीं जा सकता है। पर क्या ये बात हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को समझ में आएगी। इससे भी आगे बढक़र क्या सेंसर बोर्ड कुछ रफ एंड टफ निर्णय ले पाएगा। या फिर कुछ दिनों या माह के बाद इससे भी आगे बढक़र सीन हिन्दी सिनेमा में देखने को मिलेंगे।