सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

गठबंधन की राजनीती आएगी काम

अरूणाचल प्रदेश को छोड़कर कांग्रेस महाराष्ट्र और हरियाणा में अपना परचम नहीं लहरा पायी है। सन् 2005 के चुनावों की तुलना में इस वर्ष उसे छः सीटों का नुकसान हुआ है। सिर्फ़ अरूणाचल प्रदेश में ही अपनें बूतें पर सरकार बनानें मंें सफल होगी जबकि महाराष्ट्र में 13 सीटों के फायदे ंके बावजूद फिर गंठबधन की राजनीति का सहारा लेना पड़ेगा। और हरियाणा में अगर विधायकों की खरीद-फरोख्त ही भूपेन्द्र सिंह हुंडा या दूसरें प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर सकती है। ए0पी0बर्घन नें कहा कि चुनावों में सांप्रदायिक ताकतों की हार हुई है। तो दूसरी तरफ महाराष्ट्रमें गैर मराठी भाषी लोगों के लिए मुसीबत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 13 सीटों पर अपना सूर्योदय करती दिखायी पड़़ती हैं। क्या सांप्रदायिक ताकतों को क्षेत्रीयवादी ताकतों से हार का सामना करना पड़ा है। कुछ भी हों कांग्रेस अभी भी पूरें तौर पर े जनमानस के साथ नहीं जुड़ पायी है। भविष्य में कहीं गठबंधन की राजनीति कांग्रेस के वोट बैंक के साथ-साथ गैर हिंदी भाषी राज्यों से कांग्रेस का सफाया भी न कर दें।