वर्षांत समीक्षा 2012
सर्वशिक्षा
अभियान
·
सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों
ने शिक्षा का अधिकार
(आरटीई) नियमों
को अधिसूचित किया
है।
·
सर्वशिक्षा
अभियान के अंतर्गत
अब तक 2,14,561 प्राथमिक
और 1,76,361 अपर प्राथमिक
विद्यालय स्वीकृत
किए गए हैं। इनमें
से 96 प्रतिशत विद्यालय
काम कर रहे हैं।
शेष विद्यालयों
के वित्त वर्ष
के अंत तक शुरू
होने की संभावना
है।
·
स्कूली
बुनियादी ढांचे
और सुविधाओं में
सुधार-
मद
|
2012-13 तक
संचयी स्वीकृतियां
|
31.09.2012 तक
कार्य की संचयी
पूर्ति और कार्य
प्रगति- पर
|
प्रतिशत
|
प्राथमिक
विद्यालयों का
निर्माण
|
194938
|
178972
|
91.8%
|
अपर प्राथमिक
विद्यालयों का
निर्माण
|
109174
|
105060
|
96.2%
|
कक्षाओं
के अतिरिक्त कमरे
|
1800986
|
1642867
|
91.2%
|
पेयजल
|
229281
|
217820
|
95%
|
शौचालय
|
739363
|
618089
|
83.5%
|
अध्यापक
|
1976502
|
1234016
|
62.4%
|
·
आवासीय छात्रावास
भवन- आवासीय छात्रावास
उन कॉलोनियों के
बच्चों के लिए
होते हैं जिनको
नियमित विद्यालयों
में प्रवेश नहीं
मिलता और जो निराश्रित
होते हैं। सर्वशिक्षा
अभियान के अधीन
66,181 बच्चों के लिए
479 आवासीय स्कूली/छात्रावास स्वीकृत
किए गए हैं जिनमें
से 432 छात्रावासों
में बच्चे रह रहे
हैं। अपर प्राथमिक
कक्षाओं की लड़कियों
के लिए 3609 कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय
स्वीकृत किए गए
हैं जिनमें से
3501 काम कर रहे हैं
और उनमें 3.2 लाख छात्राएं
शिक्षा ग्रहण कर
रही हैं।
·
अतिरिक्त
शिक्षकों की भर्ती- सर्वशिक्षा अभियान
के अधीन 19,76,502 शिक्षकों
की नौकरियां स्वीकृत
की गई हैं जिनमें
से 12,34,016 शिक्षकों
की भर्ती की गई
है। इससे पीटीआर
में सुधार हुआ
है।
|
प्राथमिक
|
अपर प्राथमिक
|
2005-06
|
38
|
31
|
2011-12
|
31
|
29
|
·
बच्चों के लिए
पाठ्यपुस्तकों
की व्यवस्था- वर्ष
2012-13 में 9.94 करोड़ बच्चों
को पाठ्यपुस्तकें
मुफ्त उपलब्ध की
गई।
·
यूनिफार्म- सभी
लड़कियों, अनुसूचित
जाति, अनुसूचित
जनजाति और बीपीएल
परिवारों के बच्चों
के लिए यूनिफार्म
- 504.83 लाख बच्चों को
मुफ्त यूनिफार्म
दी गई।
·
स्कूल न जाने
वाले बच्चों को
विशेष प्रशिक्षण- नियमित
स्कूलों में आयु
के अनुसार उचित
प्रवेश के लिए
वर्ष 2012-13 में 1559 करोड़
रूपये के परिव्यय
पर 27.89 लाख बच्चों
के लिए विशेष प्रशिक्षण
की व्यवस्था की
गई।
मध्यान्ह
भोजन योजना
मध्यान्ह
भोजन योजना (एमडीएमएस)
राजकीय, स्थानीय
निकायों, सरकार
से सहायता प्राप्त
और राष्ट्रीय बाल
श्रम परियोजना
के स्कूलों और
शिक्षा गारंटी
योजना (ईजीएस)/ वैकल्पिक
एवं अभिनव शिक्षा
(एआईई) केन्द्रों
में पढ़ने वाले
पहली से आठवीं
कक्षा तक के बच्चों
को भोजन उपलब्ध
कराया जाता है।
इन संस्थाओं में
सर्वशिक्षा अभियान
के अधीन आने वाले
मदरसे/मकतब
भी शामिल हैं।
वर्ष
2011-12 के दौरान 12.31 लाख
संस्थाओं में पढ़ने
वाले 10.54 करोड़ बच्चों
ने मध्यान्ह भोजन
सुविधा का लाभ
उठाया।
12वीं
योजना के लिए प्राथमिक
शिक्षा एवं साक्षरता
संबंधी कार्यकारी
समूह ने सिफारिश
की है कि एमडीएमएस
योजना के अधीन
अनुसूचित जाति,
अनुसूचित जनजाति
और अल्पसंख्यकों
की बहुलता वाले
जिलों में गैर
सहायता प्राप्त
निजी विद्यालयों
के बच्चों के लिए
भी 12वीं योजना अवधि
के दौरान मध्यान्ह
भोजन की योजना
चरणबद्ध रूप में
लागू की जाए।
सरकार
ने चालू वर्ष में
एमडीएमएस योजना
के लिए 11,937 करोड़
रूपये का प्रावधान
किया है। इस समय
एमडीएमएस योजना
उन सभी 20 राज्यों
में चल रही है जहां
राष्ट्रीय बाल
श्रम कार्यक्रम
चल रहा है।
राष्ट्रीय
माध्यमिक शिक्षा
अभियान (आरएमएसए)
आरएमएसए
मार्ग निर्देशों
के अनुसार माध्यमिक
स्कूल अवसंरचना
को प्रोत्साहित
करना है। इसमें
कक्षाओं के लिए
अतिरिक्त कमरों,
प्रयोगशालाओं,
शौचालय, पेयजल,
पुस्तकालयों आदि
का निर्माण शामिल
हैं। तथापि, 2011-12 तक
जारी स्वीकृतियों
के मुकाबले वर्तमान
प्रतिबद्ध दायित्वों
के कारण केन्द्र
सरकार द्वारा राज्यों
को 2012-13 के लिए स्वीकृतियों
को सीमित कर दिया
गया है।
केन्द्र
सरकार को जम्मू-कश्मीर,
कर्नाटक, मध्य
प्रदेश और नगालैंड
राज्यों से आरएमएसए के अधीन
1176 माध्यमिक विद्यालय
खोलने के प्रस्ताव
प्राप्त हुए हैं।
तथापि, विभिन्न
प्रतिबद्ध दायित्वों
के कारण
भारत सरकार ने
2012-13 में माध्यमिक
स्कूल खोलने के
किसी नये प्रस्ताव
को विचार एवं अनुमोदन
के लिए स्वीकार
नहीं किया है।
आरएमएसए
के अधीन डी और ई
वर्ग के सहायता
प्राप्त विद्यालयों
में नौकरी के दौरान
शिक्षकों के प्रशिक्षण
के लिए वर्ष 2009-10,
2010-11 और 2011-12 के दौरान
क्रमश: 550 करोड़
रूपये, 1500 करोड़ रूपये
और 2512.45 करोड़ रूपये
का बजट प्रावधान
किया गया। ऐसे
स्कूलों में आरएमएसए
योजना का लागू
करना उसके संशोधन
और राजस्व की उपलब्धता
पर निर्भर करेगा।
राष्ट्रीय
साक्षरता मिशन
राष्ट्रीय
साक्षरता मिशन
के नये स्वरूप
साक्षर भारत की
सितंबर, 2009 में शुरूआत
के बाद से यह मिशन
372 जिलों में शुरू
किया गया और समय-समय
पर इसके कामकाज
की समीक्षा की
जाती है। नवंबर,
2012 में हाल ही में
की गई समीक्षा
के अऩुसार हरियाणा,
जम्मू-कश्मीर,
मध्य प्रदेश, पंजाब,
ओडिशा और उत्तर
प्रदेश में इस
कार्यक्रम का काम
संतोषजनक नहीं
पाया गया।
योजना
आयोग ने सिफारिश
की है कि शीर्ष
स्तर पर राष्ट्रीय
साक्षरता मिशन
प्राधिकरण, राज्य
स्तर पर राज्य
साक्षरता मिशन
प्राधिकरण और जिला,
खंड तथा ग्राम
पंचायत स्तरों
पर लोक शिक्षा
समितियों के साथ-साथ
संसाधन समर्थन
निकायों सहित कार्यक्रम
के वर्तमान ढांचे
के अधिदेश को नया
स्वरूप दिया जाएगा,
सुदृढ़ किया जाएगा
और उसे आजीवन शिक्षा
तथा साक्षरता के
साथ जोड़ा जाएगा।
तथापि,
शत-प्रतिशत साक्षरता
प्राप्त करने का
समय निश्चित नहीं
किया गया है।
आदर्श विद्यालयों
की स्थापना
देश
में 6,000 आदर्श स्कूल
खोलने की केन्द्र
प्रायोजित योजना
नवंबर, 2008 में शुरू
की गई और इसके अऩुसार
प्रत्येक खंड में
एक आदर्श स्कूल
खोला जाना है।
इनमें से 3,500 स्कूल
राज्य/संघ शासित
प्रदेश की सरकारों
द्वारा शैक्षिक
रूप से पिछड़े
क्षेत्रों में
खोले जाने हैं
और शेष 2,500 स्कूल सार्वजनिक-निजी
भागीदारी (पीपीपी)
पद्धति के अधीन
ऐसे खंडों में
खोले जाने हैं
जो शैक्षिक रूप
से पिछड़े नहीं
हैं।
इस
योजना के राज्य
घटक के अधीन 24 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों
से 30 नवंबर, 2012 तक 2973
खंडों में आदर्श
विद्यालय खोलने
के प्रस्ताव प्राप्त
हुए हैं। इनमें
से 22 राज्यों के
2,266 खंडों में आदर्श
विद्यालय खोलने
को मंजूरी दी गई
है। 21 राज्यों में
1,880 आदर्श विद्यालय
खोलने के लिए
2,110.80 करोड़ रूपये
की वित्तीय स्वीकृति
प्रदान की गई है।
अब तक 8 राज्यों
में 473 आदर्श विद्यालयों
ने काम करना शुरू
कर दिया है। आदर्श
विद्यालय योजना
के पीपीपी घटक
को 2012-13 से शुरू किया
गया है।
कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय
कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय
(केजीबीवी) शैक्षिक
रूप से पिछड़े
हुए ग्रामीण क्षेत्रों
में खोलने को मंजूरी
दी जाती है जहां
सन् 2001 की जनगणना
के अनुसार लड़कियों
में साक्षरता का
स्तर राष्ट्रीय
औसत से नीचे होता
है। इस योजना के
अधीन शैक्षिक रूप
से पिछड़े हुए
ऐसे क्षेत्रों
में आवासीय स्कूल
खोलने का प्रावधान
है जहां सामाजिक
न्याय और सशक्तिकरण
मंत्रालय अथवा
जनजातीय मामला
मंत्रालय की किसी
अन्य योजना के
अधीन बालिकाओं
के लिए अपर प्राथमिक
स्तर पर कोई आवासीय
स्कूल नहीं है।
30 सितंबर, 2012 की स्थिति
के अनुसार केजीबीवी
में भर्ती 9.18 प्रतिशत
लड़कियां अल्पसंख्यक
समुदाय से हैं।
आवासीय स्कूलों
में शैक्षिक रूप
से पिछड़े हुए
अल्पसंख्यक समुदायों
की बालिकाओं के
कम दाखिले का मुख्य
कारण पिछड़े समुदायों
की सामाजिक-आर्थिक
स्थिति और लड़कियों
को इन स्कूलों
में न भेजने की
अनिच्छा है।
प्रौढ़
शिक्षा
(क) साक्षर
भारत 25 राज्यों
और एक संघ शासित
प्रदेश के 410 लक्षित
पात्र जिलों में
से 372 जिलों के लिए
स्वीकृत किया गया
है। वर्ष के अंत
तक स्वीकृत जीपी
में से लगभग 58 प्रतिशत
(94,586 जीपी) में सर्वेक्षण
किया गया है। सर्वेक्षण
के आधार पर 6.8 करोड़
संभावित प्रौढ़
सीखने वालों की
पहचान की गई है।
लगभग 1,02,804 प्रौढ़
शिक्षा केन्द्र
2012 तक स्थापित किए
गए हैं। देश के
विभिन्न राज्यों
में लगभग 15.7 लाख साक्षर
शिक्षण केन्द्र
काम कर रहे हैं।
(ख) नई दिल्ली
स्थित राष्ट्रीय
उन्मुक्त स्कूली
संस्था ने लगभग
144 लाख लाभार्थियों
को साक्षर प्रमाणित
किया है।
(ग) जन शिक्षण
संस्थान अ-साक्षर,
नव-साक्षर और स्कूली
पढ़ाई बीच में
छोड़ जाने वालों
को ऐसे कौशल का
व्यावसायिक प्रशिक्षण
प्रदान करते हैं
जिनकी खपत उनके
क्षेत्र में बहुतायत
से होती है। अक्तूबर,
2012 तक विभिन्न व्यावसायिक
पाठ्यक्रमों का
लाभ उठाने वाले
2,19,864 व्यक्तियों
में से 2,02,407 महिलाएं
हैं।
राष्ट्रीय
आय तथा योग्यता
छात्रवृत्ति योजना
(एऩएमएमएसएस) के
अधीन माध्यमिक
पढाई
चालू वित्त
वर्ष के 9 महीनों
के दौरान आर्थिक
रूप से कमजोर वर्गों
से संबंध रखने
वाले 9वीं से 12वीं
कक्षा के छात्रों
को 84,028 छात्रवृत्तियां
(प्रत्येक 6,000 रूपये
प्रति वर्ष) मंजूर
की गई ताकि 8वीं
कक्षा में स्कूल
छोड़ जाने वाले
छात्रों को हतोत्साहित
किया जा सके और
एनएमएमएसएस के
अधीन माध्यमिक
दर्ज तक अपनी पढ़ाई
जारी रखने के लिए
उन्हें प्रोत्साहित
किया जा सके।
केन्द्रीय
विद्यालय संगठन
(क) केन्द्रीय
विद्यालय संगठन
ने वर्ष 2012-13 के दौरान
निम्न स्थानों
पर 7 नये क्षेत्रीय
कार्यालय खोले।
इससे पहले भारत
सरकार के मानव
संसाधन विकास मंत्रालय
और वित्त मंत्रालय
की आवश्यक स्वीकृति
प्राप्त की गई
थी:-
1. आगरा (उत्तर
प्रदेश)
2. वाराणसी
(उत्तर प्रदेश)
3. सिरसा (हरियाणा)
4. रांची (झारखंड)
5. रायपुर (छत्तीसगढ़)
6. एरनाकुलम
(केरल)
7. तिनसुकिया
(असम)
(ख) केन्द्रीय
विद्यालय संगठन
ने वर्ष 2012-13 के दौरान
भुवनेश्वर (ओडिशा)
में शिक्षा और
प्रशिक्षण की एक
नई क्षेत्रीय संस्था
स्थापित की। इससे
पहले इस प्रकार
की चार क्षेत्रीय
संस्थाएं ग्वालियर
(मध्य प्रदेश), चंडीगढ़
(संघ शासित प्रदेश),
मैसूर (कर्नाटक)
और मुबंई (महाराष्ट्र)
काम कर रही हैं
और उनमें से प्रत्येक
में 19 कर्मचारी
कार्यरत हैं।
(ग) वर्ष 2012-13 के
दौरान निम्न पांच
स्थानों पर नये
केन्द्रीय विद्यालय
खोले गए हैं।
राजीव
गांधी ताप बिजली
संयंत्र, खेदर,
जिला हिसार
|
हरियाणा
|
परियोजना
(चालू नहीं)
|
एनआईटी
सिल्चर (असम), जिला
कछार
|
असम
|
आईएचएल
|
घुमड़विन,
जिला बिलासपुर
|
हिमाचल प्रदेश
|
सिविल
|
चौराई,
जिला छिंदवाड़ा
|
मध्य प्रदेश
|
सिविल
|
जौड़ियां,
जिला अखनूर
|
जम्मू-कश्मीर
|
सिविल
|
(घ) (i) बोर्ड
परिणाम - वर्ष 2012 का
12वीं कक्षा का परिणाम
अब तक का सबसे अच्छा
परिणाम था। इसमें
94.15 प्रतिशत छात्र
उत्तीर्ण रहे।
दसवीं कक्षा में
उत्तीर्ण छात्रों
का प्रतिशत 99.36 प्रतिशत
था जो अब तक का सबसे
अच्छा परिणाम था।
(ii) भुवनेश्वर में
18 नये केन्द्रीय
विद्यालय, 7 नये
क्षेत्रीय कार्यालय
और एक शिक्षा एवं
प्रशिक्षण की क्षेत्रीय
संस्था (जीएट) खोले
गए।
(iii) 50 केन्द्रीय विद्यालयों
और ई-कंटेन्ट के
इन-हाऊस विकास
में केन्द्रीय
विद्यालयों के
शिक्षकों द्वारा
500 ई-कक्षाओं की स्थापना।
(iv) लगभग 300 विद्यालयों
में छठी कक्षा
से आठवीं कक्षा
तक जर्मन भाषा
की पढ़ाई शुरू
की गई।
(v) जापान शिक्षा
संस्थान के जिनेसिस
कार्यक्रम में
भाग लेने के लिए
विभिन्न केन्द्रीय
विद्यालयों से
42 छात्रों का चयन,
जिन्होंने जापान
का दौरा किया।
(vi) विज्ञान और
प्रौद्योगिकी
मंत्रालय के अधीन
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
विभाग के सहयोग
से प्रत्येक स्कूल
के दो-दो विज्ञान
शिक्षकों को पुरस्कृत
करना।
(vii) छात्रों और शिक्षकों
सहित कर्मचारियों
को आपात चिकित्सा
सुविधा उपलब्ध
कराने के लिए केन्द्रीय
विद्यालयों में
चिकित्सकों और
नर्सों की नियुक्ति।