तुझे आरज़ू कहूँ ,
या एक अधूरी खवाहिश मान लूँ
तुझे जिंदगी कहूँ
या फिर बेजान
मान लूँ,
तुझे ख़ुशी कहूँ
या रास्तों में मिलने वाला दर्द मान लूँ
तुझे जीत
कहूँ
या फिर हार मान लूँ
तुझे सांसें कहूँ
या फिर अधूरी आह मान लूँ
तुझे सरगम
कहूँ
या अधूरी ताल मान लूँ... .Sachin Lakhnavi