शनिवार, 5 जनवरी 2013

Annual review of Ministry of Aviation 2012

नागर विमानन क्षेत्र को देश की आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधनों में शुमार किया जाता है। यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने और माल ढुलाई की सुविधा उपलब्ध कराने के अलावा यह व्यापार और वाणिज्यिक विकास, घरेलू एवं विदेशी निवेश, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, अवसंरचना निर्माण, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन एवं रोजगार सृजन में भी सहायक है।
                भारत के हवाई यातायात में हाल में व्यापक वृद्धि हुई है। पिछले 10 साल में, विमान यात्रियों की  मायोजित वार्षिक वृद्धि दर करीब 15 प्रतिशत रही है। भारतीय विमानन कम्पनियों के घरेलू संचालन के व्यापारिक मॉडल की प्रमुख प्रवृत्ति यह देखने को मिल रही है कि घरेलू ट्रैफिक तेजी से कम लागत वाली विमानन कम्पनियों  (एलसीसी) का रुख कर रहा है। एलसीसी की बाजार में हिस्सेदारी वर्ष 2003-2004 के करीब एक प्रतिशत के स्तर से बढकर कुल घरेलू यातायात का 70 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है।
                अगले बीस वर्ष में भारत, दुनिया के तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में शुमार हो सकता है। अनुमान के अनुसार अगले दस बरसों में घरेलू हवाई यातायात 16 रोड़ से 18 करोड़  यात्री प्रतिवर्ष तथा अंतर्राष्ट्रीय यातायात 8 रोड़ यात्री प्रतिवर्ष तक हो सकता है। इस समय देश में घरेलू यात्रियों की तादाद 6 करोड़ तथा अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की तादाद 4 करोड़ है। अंर्तराष्ट्रीय हवाई यातायात संगठन के विमानन उड्डयन पूर्वानुमान 2012-16 के अनुसार भारत के घरेलू हवाई यातायात का बाजार, दुनिया के पांच शीर्ष बाजारों में शामिल होगा तथा उच्च वृद्धि दर के लिहाज से यह दूसरा प्रमुख बाजार होगा
इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने देश में विमानन उद्योग की वृद्धि की रफ्तार में तेजी लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। वे कदम निम्नलिखित हैं:
1.हवाई अड्डों का विस्तार एवं सुधार
इस समय पीपीपी के तहत देश में पांच प्रमुख हवाई अड्डे दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूर, हैदराबाद और कोचीन में चलाए जा रहे हैं। मुम्बई हवाई अड्डे में नए टर्मिनल की इमारत का निर्माण किया जा रहा है, जिसका फेज-1 अंतर्राष्ट्रीय संचालनों के लिए है और इसके अगस्त 2013 तक तैयार हो जाने की संभावना है, जबकि इस फेज-2 घरेलू संचालनों के लिए है और इसके अगस्त 2014 तक तैयार हो जाने की संभावना है। बैंगलूरू का मौजूदा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा क्षमता बढ़ाने की मांग पूरी करने के लिए इस समय विस्तार के दूसरे चरण में है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने कोलकाता और चेन्नई के हवाई अड्डो के विस्तार और सुधार दायित्व संभाला है। भारत सरकार ने अपनी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नीति के तहत 15 अतिरिक्‍त हवाई अड्डों को मंजूरी दी है। इनमें से अधिकांश पीपीपी के तहत बनाए जाने हैं।
                भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) चेन्नई, कोलकाता और महानगरों से हटकर कुछ हवाई अड्डों के सुधार और उनके बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के काम में जुटा हुआ है। वर्ष 2012 के दौरान हवाई अड्डों की अवसंरचना के विकास और सुधार के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :  
·         इंदौर, लखनऊ और रायपुर हवाई अड्डों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त नए एकीकृत टर्मिनल्स को चालू किया गया।
·         भठिंडा और जैसलमेलर हवाई अड्डों पर नई सिविल एंक्लेव्स के विकास का कार्य सम्पन्न।
·         राजामुंदरी, पुड्डुचेरी और गोंडिया हवाई अड्डों पर नए घरेलू टर्मिनल्स का कार्य सम्पन्न/ विस्तार
·         जलगांव हवाई अड्डे के विकास का कार्य सम्पन्न और उसे एटीआर-72 प्रकार के विमान ऑपरेशन के लिए चालू किया गया
·         चेन्नई, कोलकाता, जम्मू, सूरत और तिरूपति हवाई अड्डों पर एयरसाइड प्रॉन क्षमता बढ़ाई गई है।
·         चेन्नई में एकीकृत कार्गो टर्मिनल 144.93 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हो चुका है। इसकी क्षमता बढ़कर 11 लाख मिलियन टन/सालाना हो चुकी है।
·         भुवनेश्वर और रांची हवाई अड्डों के नए टर्मिनलों का निर्माण पूरा हो चुका है और विभिन्न सेवाओं के शुरूआती परीक्षणों के जल्द बाद न्‍हें चालू कर दिया जाएगा।
·         चेन्नई और कोलकाता हवाई अड्डों के विस्तार और सुधार का कार्य क्रमशः 2015 करोड़ रुपये और 2325 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। नए टर्मिनल के माध्यम से परीक्षण संचालन सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया गया है और इसके जनवरी-फरवरी 2013, तक चालू होने की संभावना है।
·         चण्डीगढ़ हवाई अड्डे पर (मोहाली की ओर) नए सिविल एंक्लेव के विकास का काम शुरू हो चुका है।
·         टिकाऊ विकास पहल के तहत सोलर फोटो-वोल्टेक पॉवर प्लांट्स सफदरजंग हवाई अड्डे, जैसलमेर, गुवाहाटी और रायपुर हवाई अड्डे में कार्पोरेट हैडक्वार्टर्स में चालू किए जा चुके हैं।

तिरूचिरापल्ली, कोयम्बटूर, मंगलौर, वाराणसी और लखनऊ हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया गया: अब तब 17 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे थे। इस साल तिरूचिरापल्ली, कोयम्बटूर, मंगलौर, वाराणसी और लखनऊ स्थित पांच हवाई अड्डों को इस सूची में शामिल किया गया। इन हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किए जाने के बाद इनमें सीमा शुल्क, आव्रजन, स्वास्थ्य, पशु एवं पौधों को अलग रखने की व्यवस्था आदि जैसी सुविधाएं स्थायी आधार पर उपलब्ध होंगी। इससे विभिन्न गंतव्यों के लिए अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के द्वार खुल जाएंगे।
2 एयर इंडिया की कायाकल्प/वित्तीय पुनर्संरचना योजनाएंः
अगले दस वर्षों में तकरीबन 30,000 करोड़ रुपये की इक्विटी लगाने की योजना, 7400 करोड़ रुपये के अपरिवर्तनीय डिबेंचरों पर सरकार की गारंटी, मार्च 2016 तक 27 बी-787 (ड्रीमलाइनर) शामिल करने की योजना और विविध अन्य उपाय लागू करने की योजना है। हालांकि इक्विटी बिना शर्त होकर एयर इंडिया के पेसेंजर लोड फैक्टर (पीएलएफ), समय पर किया गया कार्य (ओटीपी), विमानों का उपयोग, बाजार में हिस्सेदारी जैसे विविध स्तरों पर निर्धारित उपब्धियों के हासिल करने के आधार पर होगी।
एयर इंडिया के प्रदर्शन में सुधार
-वर्ष 2012-13 की पहली छमाही में एयर इंडिया की शुद्ध हानि में करीब 650 करोड़ रुपये की कमी आई।
-नवम्बर 2012 में एयर इंडिया का पीएलएफ टीएपी के 69.5 प्रतिशत के मानदंड के विपरीत 78.6 प्रतिशत तक पहुंच गया।
-धर्माधिकारी समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार इंडियन एयरलाइंस और एयरइंडिया के विलय की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी।
-फ्लाइट और केबिन क्रू प्रबंधन प्रणाली (टो रोस्टर), के कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। यह जनवरी 2013 तक पायलटों के लिए और केबिन क्रू के लिए फरवरी-मार्च 2013 तक लागू हो जाएगा। टो रोस्टर का लक्ष्य उड़ान के घंटों (पिछली अवधि अथवा रोस्टर अवधि), सेक्टर फ्लोन या उड़ान संख्या (उड़ानों की संख्या और उड़ान भरने की आखिरी तिथि), दिन और रात की उड़ानें (दैनिक वितरण), संचालित उड़ान का प्रकार (घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) आदि मानकों को एक समान करना है।
-तीन बी-787 ड्रीमलाइनर विमान पहले ही मिल चुके हैं और चालू वित्त वर्ष के दौरान पांच और मिल जाएंगे।
- पायलटों और केबिन क्रू के लिए फ्लाइट ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) लागू की जा चुकी है।
-सरकार की मंजूरी के बाद एयर इंडिया के रख-रखाव, मरम्मत तथा पुनर्विकास (एमआरओ) तथा ग्रांउड हैंडलिंग कारोबार को दो अलग  अनुषंगियों में बांटने का कार्य जारी है। एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड अनुषंगी रख-रखाव, मरम्मत तथा पुनर्विकास (एमआरओ) का काम देखगी, जबकि एयर इंडिया ट्रांसपोट्र सर्विसेज लिमिटेड (एआईएटीएसएल) ग्रांउड हैंडलिंग कारोबार देखेगी।
-कर्मचारियों के नवम्बर 2012 तक के वेतन का भुगतान कर दिया गया है।
-एयर इंडिया में अब किसी को भी सामान तक निशुल्क पहुंच की इजाजत नहीं है।
3. भारतीय नागर विमानन में विदेशी एयरलाइंस द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई):
सरकार ने घरेलू विमानन कम्पनियों में विदेशी विमानन कम्पनियों को 49 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी है। इस कदम से घरेलू विमानन कम्पनियों के जरूरी इक्विटी मिलने की सम्भावना है। इस एफडीआई के लिए कुछ सुरक्षामानक होंगे जिनमें सरकार से मंजूरी लेना और सेबी के नियमों और कानूनों का पालन करना शामिल होगा। इसके लिए गृह मंत्रायल और एफआईपीबी से भी इजाजत लेनी होगी।
4. अंतर्राष्ट्रीय यातायात के अधिकारों का आवंटन
सरकार ने देश की निजी विमानन कम्पनियों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर यातायात के अधिकार आवंटित करने की व्यवहारिक नीति अपनाई है। नवम्बर 2012 में भारतीय विमानन सेवाओं को काफी पहले ही शीतकाल 2013 तक के लिए के लिए यातायात अधिकारों का आवंटन कर दिया गया, ताकि यातायात अधिकारों के बारे अनिश्चितताएं दूर हो सकें तथा उन्हें तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल सके। इनमें एयर इंडिया को ग्रीष्म 2012 तक 1074 उड़ाने प्रति सप्ताह के द्विपक्षीय यातायात के अधिकार था जब अगले शीतकाल 2013 तक 1695 के स्तर तक बढ़ा दिया गया है। यह तकरीबन 60 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि होगी।
इसके अलावा, भारतीय विमानन कम्पनियों के लिए अगले तीन सीजन के वास्ते निम्नलिखित नए अंतर्राष्ट्रीय मार्ग भी खुल गए हैं :-
-एयर इंडिया: दिल्ली-रोम-मेड्रिड/ बार्सिलोना, दिल्ली-मास्को, दिल्ली-सिडनी/मेलबर्न, मुम्बई-नैरोबी, मुम्बई-अल नजफ (इराक)
-जेट एयरवेजः मुम्बई-जकार्ता, दिल्ली-बार्सिलोना, मुम्बई-ज्यूरिख, दिल्ली-ताशकंद, मुम्बई-हो ची मिन्ह सिटी
स्पाइस जे: लखनऊ--अल नजफ (इराक), वाराणसी--अल नजफ (इराक), दिल्ली-मकाउ, दिल्ली- हो ची मिन्ह सिटी
5. हवाई नेविगेशन प्रणालियों के क्षेत्र में पहल:
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण-एएआई ने हवाई यातायात में निरंतर हो रही वृद्धि से व्यापक सुरक्षा तथा कारगरता से निपटने के लिए हवाई अड्डे और हवाई क्षेत्र अवसंरचना में सुधार की दिशा में कई तरह की पहल की है। एयर नेविगेशन सेवा प्रदाता होने के नाते एएआई प्रदत्त हवाई क्षेत्र में एयर नेवीगेशन सेवाओं के प्रावधान के लिए जिम्मेदार है। उसने सुरक्षा, कारगरता, पर्यावरण के दीर्घकालिक लाभ और टिकाऊ आधार पर विमान संचालन की कम लागत सुनिश्चित करते हुए एएनएस अवसंरचना सुधार की रणनीति आरम्भ की है।
नेविगेशन: विमानों को नेविगेशन सम्बंधी दिशा-निर्देश देने लिए एएआई ने 66 इंस्ट्रमेंटल लैंडिंग सिस्टम्स और 93 वीओआर/डीएमई लगाए हैं। इसके अलावा, जिओ संवर्धन नौवहन प्रणाली गगन के नाम से मशहूर उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली (एसबीएएस) एएआई तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित तथा लागू की जा रही है। यह प्रणाली जून 2013 से काम करने लगेगी। अमेरिका, जापान और यूरोप के बाद भारत दुनिया का चैथा ऐसा देश है जिसने क्षेत्रीय एसबीएएस नेविगेशन प्रणाली की स्थापना की चुनौती कबूल की है।
हवाई और जमीनी निगरानी में वृद्धि: 13 स्थलों पर मौजूदा राडारों के अलावा नौ अतिरिक्त सेकेंडरी सर्विलेंस राडार लगाए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियंत्रक विमान के उड़ान भरने से लेकर लक्ष्य तक पहुंचने तक उसे राडार डिस्प्लै पर देख सकें। इसके अलावा आठ और राडार लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा 14 एडीएस-बी प्रणालियां भी 14 हवाई अड्डों पर लगाई गई हैं।
एटीएम टोमेशन: महानगरों के हवाई अड्डों के अलावा 38 हवाई अड्डों पर अत्याधुनिक एटीएम टोमेशन प्रणालियां लागू की गई हैं, जो सुरक्षा और कुशलता बढ़ाने के लिए नियंत्रकों को अत्याधुनिक सेफ्टी नेट्स, उपकरण और विशेषताएं मुहैया कराएंगी।
टोमेशन सिस्टम में राडार डाटा एकीकरण: अहमदाबाद, भोपाल, पोरबंदर और उदयपुर राडार का डाटा अहमदाबाद के टोमेशन सिस्टम में शामिल किया गया है।
एटीएम की प्रक्रियाओं में वृद्धि: सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर वैमानिकी एवं जमीनी अवसंरचना का इस्तेमाल करते हुए तथा विमानों को उनके प्रस्थान और आगमन के लिए उपयुक्त और सटीक उड़ान पथ उपलब्ध कराने के लिए प्रदर्शन पर आधारित नेविगेशन प्रक्रियाएं लागू की गई है। इस पहल से विमानों के संचालनों की सुरक्षा और कुशलता बढ़ी है।
सुरक्षा, कुशलता तथा हवाई क्षेत्र एवं हवाई अड्डों की क्षमता बढ़ाने से सम्बद्ध उपरोक्त पहलों के अलावा एएआई द्वारा एयर ट्रैफिक फ्लो मैनेजमेंट लागू किया जा रहा है। इससे हवाई यातायात की मांग और क्षमता में संतुलन तथा सुनिश्चित हो सकेगा हवा और जमीन पर विमान को होने वाला विलम्ब समाप्त हो सकेगा।
सुरक्षा के उपरोक्त प्रयासों की बदौलत एएआई को एमस्टरडम में इंटरनेशनल जेन्स एटीसी अवार्ड 2012 प्रदान किया गया। उसे यह अवार्ड दुनिया के बहुत से प्रमुख एएनएसपीएस के बीच बेहतरीन संचालन कारगरता हासिल करने के लिए दिया गया। यह क्षेत्र में एएआई की एएनएस उपलब्धियों का सबूत है।
6.हवाई अड्डे के आस-पास भवन निर्माण की अनुमति की प्रक्रिया का सरलीकरणः
सरकार ने हर बार भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेने की व्यवस्था समाप्त करने का फैसला किया है और हवाई अड्डों से विभिन्न दूरियों पर ऊंचाई तय की है, जिसके लिए स्थानीय नगर निगम अधिकारी को हवाई अड्डे के आसपास के इलाके के मानचित्र को मंजूरी देने का अधिकार होगा। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण प्रत्येक हवाई अड्डे के लिए एक ग्रिड प्रारूप में क्षेत्र का रंगों के संकेतों वाला नक्शा तैयार करेगा। क्षेत्र के नक्शे में ऊंचाई के संकेत से अधिक ऊंचाई वाले भवनों के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के निर्धारित अधिकारी/कार्यालय की ओर से प्रस्तावित भवन द्वारा होने वाली रूकावटों का मूल्यांकन किया जाएगा। यदि प्रस्तावित भवन का डिजाइन और अभिविन्यास नियमों के अनुरूप संशोधित किया जा सकता हो तो अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
7. घरेलू संचालन:
वर्ष 2012 में, अनुसूचित घरेलू विमानन कम्पनियों ने सप्ताह भर में 77 हवाई अड्डों को जोड़ते हुए 11,500 से ज्यादा उड़ाने संचालित कीं। दिल्ली-वाराणसी-आगरा-खजुराहो मार्ग पर एक नई दैनिक उड़ान 26 दिसम्बर 2012 से शुरू की गई है।
 8. वृंदावन को हेलिकॉप्‍टर सेवा से जोड़ा गयाः
वृंदावन को दिल्ली से हेलिकॉप्टर सेवा के माध्यम से 28 नवंबर 2012 को जोड़ दिया गया। यह सेवा पवन हंस हेलिकॉप्टर लिमिटेड द्वारा संचालित की जाएगी।
9. विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो:
सरकार ने एक विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की स्थापना की है ताकि दुर्घटनाओं की जांच प्रभावकारी तरीके से हो सके और सुधार के लिए प्रभावकारी उपायों की सिफारिश की जा सके।
10. एटीएफ के आयात की अनुमति:
सरकार ने भारतीय विमानन कम्पनियों को उड़ान टरबाईन ईंधन (एटीएफ) के आयात की इजाजत दे दी है। इससे तेल विपणन कम्पनियों में प्रतिस्पर्धा होगी तथा भारतीय विमानन कम्पनियों की लागत में काफी बचत होगी।
11. मंत्रालय के समक्ष अन्य प्राथमिक मसले
कम लागत वाले हवाई अड्डों का विकास: भारत के विभिन्न हिस्सों तक हवाई सम्पर्क बढ़ाने के प्रयास के तहत कम लागत वाले हवाई अड्डों का विकास बेहद महत्वपूर्ण घटक है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को छोटे हवाई अड्डों के विकास के लिए सबसे अनुकूल कम लागत वाले मॉडल की पहचान करने तथा छोटे शहरों में उस मॉडल पर आधारित हवाई अड्डों का विकास के निर्देश दे दिये गए हैं।
देश के छोटे और सुदूरवर्ती हिस्सों से संपर्क: सबसे प्रमुख प्राथमिकता देश के सुदूरवर्ती हिस्सों, पूर्वोत्तर क्षेत्र और श्रेणी-2 तथा श्रेणी-3 शहरों तथा अन्य छोटे शहरों में विमान सेवाएं उपलब्ध कराना है। प्रस्तावित संपर्क में सामर्थ्‍य और यात्रा के खर्च के मामले में ग्राहकों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। मंत्रालय ने घरेलू सम्पर्क बढ़ाने की राह में बाधक कारकों और उनसे निपटने का तरीके का पता लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त एक परामर्शदाता की भी की सेवाएं ली हैं। धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों सहित छोटे स्थानों से संपर्क बेहतर बनाने के लिए हेलिकॉप्टरों के वर्तमान संचालनों में बढ़ोत्तरी और हेलीपोट्र्स का निर्माण शामिल होगा।
 हेलिकॉप्‍टर सम्पर्क में वृद्धि: सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में हेलीपोटर्स के निर्माण करने की भी प्रक्रिया में है ताकि हेलिकॉप्टरों के माध्यम से धार्मिक, पर्यटन एवं मेडीकल उद्देश्य से  हवाई सम्पर्क बढ़ाया जा सके। पवन हंस के पास अलग-अलग श्रेणी के करीब 50 हेलिकॉप्टर मौजूद हैं और उसके ग्राहक विभिन्न क्षेत्रों में हैं। वह माता वैष्णो देवी, केदारनाथ जी, अमरनाथ जी और बदरीनाथ जी सहित कई तीर्थ केन्द्रों के लिए सफलतापूर्वक हेलिकॉप्टर सेवा संचालित कर रहा है। वह असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में भी अपनी सेवाएं संचालित करता है तथा जल्द ही हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी अपनी सेवा आरंभ करने वाला है। पवन हंस की फिक्स्ड विंग वाले विमान तथा समुद्री विमान वाले अभियानों में भी प्रवेश की योजना है। उसने उत्तर प्रदेश के बौद्ध स्थलों को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ मिलकर हेलिकॉप्टर से जोड़ने के
लिए हाल में एक विस्तृत अध्ययन भी किया है। उसकी योजना भविष्य में इन गंतव्यों तक हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने की है।
नागर विमानन प्राधिकरण का गठन: हवाई यातायात में वृद्धि को देखते हुए सुरक्षा के साथ उसका प्रबंधन करने के वास्ते एक कारगर, स्वायत्त एवं व्यवसायिक नियामक संस्था की जरूरत है और इस बारे में जल्द ही संसद में विधेयक पेश किया जाएगा।
विमानन सुरक्षा बल: देश में नागर विमानन सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (इकाओ) के विशेषज्ञों की टीम को लगाया है, जो  हवाई अड्डों पर मौजूदा सुरक्षा प्रणाली का व्यापक अध्ययन करेगी और इसमें सुधार लाने के उपायों का सुझाव देगी। इकाओ की अध्ययन रिपोट, सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई है, इसमें नागर विमानन मंत्रालय की कमान और नियंत्रण के तहत एक समर्पित विमानन सुरक्षा बल (एएसएफ) की स्थापना करने का सुझाव दिया गया है, जो पूरे विश्व की परंपरा की तर्ज पर विमानन उद्योग के साथ पूर्णतः एकीकृत किया जाना है। इस मामले पर आगे की कार्यवाही के लिए नागर विमानन मंत्रालय द्वारा एक उप-समूह का गठन किया गया जो एक समर्पित, विशषेज्ञता प्राप्त एएसएफ के सृजन पर इकाओ के अध्ययन रिपोर्ट की सिफारिशों की जांच करेगा। इस उप-समूह ने भी नागर विमानन मंत्रालय की कमान एवं नियंत्रण में एक समर्पित, विशेषज्ञता प्राप्त एएसएफ के गठन की सिफारिश की है। साथ ही साथ उसका अनुमोदन प्राप्त करने के लिए मंत्रिमंडल सुरक्षा समिति से संपर्क स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई।
एटीएफ से सम्बद्ध मामले: भारत में विमानन कम्पनियों के  संचालनात्मक व्ययों का लगभग 40 से 50 प्रतिशत भाग उड़ान टरबाईन ईंधन पर खर्च होता है। एटीएफ को पीएनजीआरबी अधिनियम के तहत अधिसूचित करके, इसे पीएनजीआर बोर्ड के दायरे में लाते हुए इसके मूल्य को तर्कसंगत बनाने के प्रयास जारी हैं। एटीएफ का मूल्य अधिक होने में सबसे ज्यादा योगदान विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले 4 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक के वैट का है। राज्य सरकारों को एटीएफ पर वैट घटाने के लिए राजी करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं और कई राज्यों से इस बारे में चर्चा पहले ही की जा चुकी है। नागर विमानन मंत्रालय ने एटीएफ को घोषित वस्तुओं की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।
नागर विमानन क्षेत्र में विश्वस्तरीय विमानन शिक्षा एवं प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल बढ़ाना: इस बारे में नागर विमानन विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।