इस को क्या कह सकते हैं जिंदगी में दोस्तों का साथ होना कितना जरूरी होता है. हम सभी अपने काम में बिजी होने के कारण अपने दोस्तों को समय नहीं दे पाते हैं. जिन्होंने हमारे कठिन मोड़ पर हमारा साथ दिया था उन सबको भूल जाते हैं. जिंदगी की उड़ान में दोस्त उन पंखों सरीखे होते हैं जिनके बिना कोई भी उड़ान पूरी नहीं की जा सकती है. शब्द कम पड़ सकते हैं लेकिन उस दोस्ती को किसी भी चीज़ से तौला नहीं जा सकता है...
गुरुवार, 31 जनवरी 2013
बुधवार, 30 जनवरी 2013
Now You can do LLM in one year only.
एक साल में कीजिए एलएलएम
सुविधा - सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज में ही शुरू हो सकेगा यह कोर्स
नए नियम
एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा का आयोजन करना होगा
इसमें तीन सेमेस्टर होंगे, एक सेमेस्टर के अंतर्गत 18 सप्ताह की पढ़ाई जरूरी
जानकारों की राय में इससे एलएलएम करने वालों की संख्या में होगा इजाफा
एलएलबी के बाद एलएलएम डिग्री कोर्स के प्रति छात्रों के रुझान को बढ़ाने के लिए एलएलएम कोर्स को एक साल का कर दिया गया है।
देश में एलएलएम कोर्स की अवधि अभी तक दो साल थी जबकि विदेशों में एक साल का होने के कारण लोग वहां चले जाते थे। जानकारों का कहना है कि एक साल का एलएलएम डिग्री कोर्स होने के चलते लोगों का रुझान एलएलएम के प्रति बढ़ेगा। इस बाबत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी मंजूरी दे दी है।
यूजीसी की एक्सपर्ट कमेटी के अनुसार सिर्फ उन्हीं विश्वविद्यालयों और संस्थानों में एक वर्षीय एलएलएम डिग्री कोर्स को शुरू किया जा सकेगा, जहां सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज होगा। एक वर्षीय एलएलएम डिग्री कोर्स शुरू होने से दो वर्षीय एलएलएम कोर्स पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
एक वर्षीय एलएलएम कोर्स में एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर व्यक्तिगत तौर पर या फिर सामूहिक तौर पर परीक्षा का आयोजन करना होगा। यूजीसी के मुतबिक इसमें तीन सेमेस्टर होंगे। एक सेमेस्टर के अंतर्गत 18 सप्ताह की पढ़ाई होनी चाहिए। एक वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों का मूल्यांकन सिर्फ ग्रेड दे कर किया जाएगा।
इस एलएलएम कोर्स के लिए इंटरनेशनल और कंपरेटिव कानून, कॉरपोरेट और कॉमर्शियल कानून, क्रिमिनल और सिक्योरिटी लॉ, फैमिली और सोशल सिक्योरिटी कानून, कांस्टीट्यूशनल और एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ को शामिल किया गया है।
बार कांउसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि यूजीसी के इस फैसले से एलएलएम करने के लिए एक बार फिर से छात्र आगे आ सकते हैं। अभी बहुत बड़ी संख्या में छात्र एलएलएम करने विदेश चले जाते थे क्योंकि वहां पर एलएलएम एक वर्षीय था।
देश में कम संख्या में लोग एलएलएम को वरीयता देते थे। इस निर्णय के बाद एलएलएम करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के सुझाव के बाद देश में कानून की पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए एक बढिय़ा निर्णय है।
पर वर्ष 2013-14 से एक वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम शुरू होने में कुछ दिक्कतें आ सकती है, क्योंकि नया शैक्षिक सत्र शुरू होने में कम ही समय बचा है जबकि विश्वविद्यालयों और संस्थानों को इस कोर्स की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तैयारियां करनी होंगी।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-llm-in-one-year-by-4164372-NOR.html
LLM, Bar Counil of india, UGC
नए नियम
एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा का आयोजन करना होगा
इसमें तीन सेमेस्टर होंगे, एक सेमेस्टर के अंतर्गत 18 सप्ताह की पढ़ाई जरूरी
जानकारों की राय में इससे एलएलएम करने वालों की संख्या में होगा इजाफा
एलएलबी के बाद एलएलएम डिग्री कोर्स के प्रति छात्रों के रुझान को बढ़ाने के लिए एलएलएम कोर्स को एक साल का कर दिया गया है।
देश में एलएलएम कोर्स की अवधि अभी तक दो साल थी जबकि विदेशों में एक साल का होने के कारण लोग वहां चले जाते थे। जानकारों का कहना है कि एक साल का एलएलएम डिग्री कोर्स होने के चलते लोगों का रुझान एलएलएम के प्रति बढ़ेगा। इस बाबत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी मंजूरी दे दी है।
यूजीसी की एक्सपर्ट कमेटी के अनुसार सिर्फ उन्हीं विश्वविद्यालयों और संस्थानों में एक वर्षीय एलएलएम डिग्री कोर्स को शुरू किया जा सकेगा, जहां सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज होगा। एक वर्षीय एलएलएम डिग्री कोर्स शुरू होने से दो वर्षीय एलएलएम कोर्स पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
एक वर्षीय एलएलएम कोर्स में एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर व्यक्तिगत तौर पर या फिर सामूहिक तौर पर परीक्षा का आयोजन करना होगा। यूजीसी के मुतबिक इसमें तीन सेमेस्टर होंगे। एक सेमेस्टर के अंतर्गत 18 सप्ताह की पढ़ाई होनी चाहिए। एक वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों का मूल्यांकन सिर्फ ग्रेड दे कर किया जाएगा।
इस एलएलएम कोर्स के लिए इंटरनेशनल और कंपरेटिव कानून, कॉरपोरेट और कॉमर्शियल कानून, क्रिमिनल और सिक्योरिटी लॉ, फैमिली और सोशल सिक्योरिटी कानून, कांस्टीट्यूशनल और एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ को शामिल किया गया है।
बार कांउसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि यूजीसी के इस फैसले से एलएलएम करने के लिए एक बार फिर से छात्र आगे आ सकते हैं। अभी बहुत बड़ी संख्या में छात्र एलएलएम करने विदेश चले जाते थे क्योंकि वहां पर एलएलएम एक वर्षीय था।
देश में कम संख्या में लोग एलएलएम को वरीयता देते थे। इस निर्णय के बाद एलएलएम करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के सुझाव के बाद देश में कानून की पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए एक बढिय़ा निर्णय है।
पर वर्ष 2013-14 से एक वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम शुरू होने में कुछ दिक्कतें आ सकती है, क्योंकि नया शैक्षिक सत्र शुरू होने में कम ही समय बचा है जबकि विश्वविद्यालयों और संस्थानों को इस कोर्स की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तैयारियां करनी होंगी।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-llm-in-one-year-by-4164372-NOR.html
LLM, Bar Counil of india, UGC
Review Functioning of Prasar Bharti
The Ministry of
Information & Broadcasting has constituted an Expert Committee for the
purpose of reviewing the institutional frame work of Prasar Bharati including
its relationship with Government, its continuing role as a public broadcaster
and measures needed to ensure technical upgradation
of the organization. The composition of the Expert Committee is as under:-
- Sam Pitroda,
Advisor to the Prime Minister of India on Public
Information
Infrastructure & Innovations - Chairman
- Asha Swaroop, IAS(Retd) and former Secretary to the Govt. of
India - Member
- Dr. B.K. Gairola,
Mission Director (e-Governance) - Member
- Sh. Shekhar Kapur, Member of the National Innovation Council -
Member.
- Prof. M.P. Gupta, IIT Delhi - Member
- Sh. Jitendra
Shankar Mathur, Additional
Secretary and nominated
member on Prasar Bharati Board.
- Shri Jawhar Sircar, Chief Executive, Prasar Bharati - Member
(Convenor)
The terms of reference
of the Committee are as follows:-
1-To suggest measures to sustain,
strengthen and amplify Prasar Bharati`s role as a
Public Broadcaster with special reference to its relationship with Government
in the emerging context.
2- To review the status of
implementation of the recommendations made by various committees that have
undertaken study of Prasar Bharati, namely, the Sengupta
committee, the Bakshi Committee and the Narayanamurthy committee and suggest a road map ahead for
enhancing the reach and potential of Prasar Bharati.
3-
To suggest measures to digitize
the archival material in the possession of Doordarshan (DD) and All India Radio
(AIR) including material from Independence Movement era, and develop enabling
infrastructure, in the form of data digitalization systems, data centers and
networks etc.
4-To suggest ways of using the
new media to deliver digital content - both in broadcast mode (DTH) and in a
demand-based mode (Free on social media like You-Tube, and on payment through
IPTV).
5-
To suggest a strategy for
creating a network of domestic and overseas business partners for ensuring
wider reach to a worldwide audience including creating an exclusive overseas
service.
Any other statutory issue that
the Committee may like to consider.
मंगलवार, 29 जनवरी 2013
Prabhat Khabar adds maximum readers in Q-3 2012-13
IRS Q3 2012: Cheerful quarter for Top 10 Hindi dailies
Seven out of top 10 Hindi dailies grow but there is no change in the pecking order. Dainik Jagran continues to be numero uno while Prabhat Khabar adds maximum readers
BestMediaInfo Bureau | Delhi | January 29, 2013
This
quarter has brought cheers to Hindi dailies also as seven out of the
top 10 Hindi dailies have registered growth in their Average Issue
Readership (AIR) in IRS Q3 2012 with no change in the pecking order.
India’s No. 1 Hindi daily, Dainik Jagran, added
45,000 readers in the third quarter of IRS 2012 after adding 17,000
readers in the previous quarter. The daily has recorded an AIR of
1,64,74,000 in IRS Q3 2012 compared with 1,64,29,000 in IRS Q2 2012 and
1,64,12,000 in IRS Q1 2012. Dainik Jagran had 1,64,10,000 readers in IRS
Q4 2011 and 1,64,58,000 readers in IRS Q3 2011. Thus it has added
16,000 readers over the year.
At No. 2, Dainik Bhaskar has
shown some recovery after losing readership in the last two quarters.
The daily has added 43,000 readers and recorded an AIR of 1,44,91,000 in
IRS Q3 2012 against 1,44,48,000 in the previous quarter, 1,45,53,000 in
IRS Q1 2012 and 1,46,02,000 in IRS Q4 2011.
Hindustan continues to be
the third largest read Hindi daily on the back of consistent growth over
the past several quarters. It has added 37,000 readers in IRS Q3 2012
to record an AIR of 1,22,42,000 compared with 1,22,05,000 in the
previous quarter, 1,21,57,000 in IRS Q1 2012 and 1,20,45,000 in IRS Q4
2011.
The fourth largest Hindi daily, Amar Ujala, has
lost 72,000 readers in the third quarter of IRS 2012. The daily has
recorded an AIR of 85.36 lakh in IRS Q3 2012 against 86.08 lakh in IRS
Q2 2012, 86.93 lakh in IRS Q1 2012 and 88.42 lakh in IRS Q4 2011.
At No. 5, Rajasthan Patrika has
shown some recovery in the current survey. It has recorded an AIR of
68.18 lakh in IRS Q3 20132 compared with 67.56 lakh in the previous
quarter, 68.07 lakh in IRS Q1 2012 and 68.47 lakh in IRS Q4 2011.
Punjab Kesri has also
added 17,000 readers to take its AIR to 33.64 lakh in IRS Q3 2012
against 33.47 lakh in the previous quarter, 33.86 lakh in RS Q1 2012 and
33.30 lakh in IRS Q4 2011.
Prabhat Khabar continues
to register high growth remaining at No. 7. The daily has added maximum
readers among Hindi dailies in IRS Q3 2012. By adding 1.40 lakh readers
in the current survey, it has recorded an AIR of 27.61 lakh against
26.21 lakh in the previous quarter, 24.37 lakh in IRS Q1 2012 and 21.87
lakh in IRS Q4 2012.
At No. 8, Navbharat Times has
registered growth in its readership in the third quarter of IRS 2012.
The daily has added 55,000 readers and recorded an AIR of 26.39 lakh in
IRS Q3 2012 compared with 25.84 lakh in IRS Q2 2012, 25.88 lakh in IRS
Q1 2012 and 25.73 lakh in IRS Q4 2012.
Patrika’s growth momentum
has come to a halt in the third quarter of IRS 2012. The daily has lost
21,000 readers and recorded an AIR of 20.51 lakh against 20.72 lakh in
the previous quarter, 19.46 lakh in IRS Q1 2012 and 17.87 lakh in IRS Q4
2011.
At No. 10, Nai Dunia has
lost a few readers. It has recorded an AIR of 15.53 lakh against 15.69
lakh in IRS Q2 2012, 16.88 lakh in IRS Q1 2012 and 16.49 lakh in IRS Q4
2011.
Top 10 Hindi Dailies | ||
Publication | IRS Q3 2012 | IRS Q2 2012 |
Dainik Jagran | 16474 | 16429 |
Dainik Bhaskar | 14491 | 14448 |
Hindustan | 12242 | 12205 |
Amar Ujala | 8536 | 8608 |
Rajasthan Patrika | 6818 | 6756 |
Punjab Kesri | 3364 | 3347 |
Prabhat Khabar | 2761 | 2621 |
Navbharat Times | 2639 | 2584 |
Patrika | 2051 | 2072 |
Nai Dunia | 1553 | 1569 |
(AIR numbers; All figures in ’000)
————————————————————-
Average Issue Readership (AIR) of a
publication is defined as the number of readers of that publication who
have claimed to have last read it within its periodicity, i.e., last
read a daily yesterday, a weekly within the last week, a monthly within
the last month, etc.
This measure is considered to be a more
relevant measure of ‘real’ or ‘regular’ readership, especially for
newspapers, most of which have been read/consumed as a matter of daily
habit. Conventionally, media planners even calculate and compare
cost-benefits of dailies based on the AIR figure. Hence, it is perhaps
the most relevant to study readership trends as well in terms of AIR.
The Hindu, has added the maximum readers in the third quarter
IRS Q3 2012: Good quarter for Top 10 English dailies
Seven out of the top 10 dailies
register growth in their Average Issue Readership (AIR). No change in
the pecking order. The Hindu adds maximum readers
BestMediaInfo Bureau | Delhi | January 29, 2013
Media
Research Users Council (MRUC) has released the third quarter results of
the Indian Readership Survey. According to IRS Q3 2012, there is no any
change in the pecking order of the top 10 English dailies. Seven out of
the top 10 dailies have registered growth in their Average Issue
Readership (AIR) in comparison to the second round of IRS in 2012.
India’s largest English daily, The Times of India, has
recovered its previous quarter’s loss by adding 10,000 readers in the
third quarter of IRS 2012. It has recorded an AIR of 76.53 lakh in this
survey compared with 76.43 lakh in the previous quarter, 76.52 lakh in
IRS Q1 2012 and 76.16 lakh in IRS Q4 2011.
The No. 2 English daily, Hindustan Times, has
also added 19,000 readers in IRS Q3 2012 recording an AIR of 37.86 lakh
compared with 37.67 lakh in IRS Q2 2012 and 38.05 lakh in IRS Q1 2012.
HT had lost 35,000 readers in IRS Q2 2012 but had added 14,000 readers
in IRS Q1 2012 and 58,000 readers in IRS Q4 2012.
The No. 3 English daily, The Hindu, has
added the maximum readers in the third quarter. The daily has added
50,000 readers in IRS Q3 2012 after losing 25,000 readers in IRS Q2 2012
and 7,000 readers in IRS Q1 2012. Its current AIR stands at 22.58 lakh
compared with 22.08 lakh in the previous quarter.
The Telegraph, from ABP Group, has
again registered a decline. By losing 21,000 readers in the current
survey, the daily has recorded and AIR of 12.54 lakh against 12.75 lakh
in IRS Q2 2012, 12.92 lakh in IRS Q1 2011, 12.73 lakh in IRS Q4 2011 and
12.66 lakh in IRS Q3 2011.
Deccan Chronicle has grown
in this quarter by adding 13,000 readers. It has recorded an AIR of
10.51 lakh in IRS Q3 2012 against 10.38 lakh in IRS Q2 2012, 10.27 lakh
in IRS Q1 2012, 10.34 in IRS Q4 2011 and 10.94 lakh in IRS Q3 2011.
DNA follows Deccan
Chronicle and continued on the growth path this quarter. The daily has
registered an AIR of 9.62 lakh in IRS Q3 2012 compared with 9.30 lakh in
IRS Q2 2012, 9.09 lakh in IRS Q1 2012 and 8.97 lakh in IRS Q4 2011. DNA
had 8.63 lakh readers in IRS Q3 2011 and 8.24 lakh readers in IRS Q2
2011.
Mumbai Mirror, from the TOI stable, also
added 12,000 readers this quarter. Its current AIR stands at 8.07 lakh
in IRS Q3 2012 compared with 7.95 lakh in Q2, 7.77 lakh in Q1 2012 and
8.03 in IRS Q4 2011.
The Economic Times continues
to be the No. 8 newspaper despite losing 36,000 readers in the current
survey. Its current AIR stands at 7.53 lakh against 7.89 lakh in Q2,
7.92 lakh in Q1 2012, 7.9 lakh in Q4 2011 and 8.12 lakh in IRS Q3 2011.
The New Indian Express has
witnessed a slight decline again. The daily has recorded an AIR of 6.64
lakh in IRS Q3 2012 compared with 6.67 lakh in the previous quarter and
6.78 lakh in Q1 2012. TNIE had 6.37 lakh readers in IRS Q4 2011, 5.93
lakh readers in IRS Q3 2011 and 5.59 lakh in IRS Q2 2011.
The Tribune has added a
few readers for the third consecutive round of IRS. The daily has added
13,000 readers to take its AIR at 6.53 lakh compared with 6.40 lakh in
the previous quarter and 6.24 lakh in IRS Q1 2012. The Tribune had 5.85
lakh readers in IRS Q4 2011, 5.99 lakh readers in IRS Q3 2011 and 5.67
lakh in IRS Q2 2011.
Top 10 English Dailies
|
||
Publication | IRS Q3 2012 | IRS Q2 2012 |
The Times of India | 7653 | 7643 |
Hindustan Times | 3786 | 3767 |
The Hindu | 2258 | 2208 |
The Telegraph | 1254 | 1275 |
Deccan Chronicle | 1051 | 1038 |
DNA | 962 | 930 |
Mumbai Mirror | 807 | 795 |
The Economic Times | 753 | 789 |
The New Indian Express | 664 | 667 |
The Tribune | 653 | 640 |
(AIR numbers; All figures in ’000)
————————————————————-
Average Issue Readership (AIR) of a
publication is defined as the number of readers of that publication who
have claimed to have last read it within its periodicity, i.e., last
read a daily yesterday, a weekly within the last week, a monthly within
the last month, etc.
This measure is considered to be a more
relevant measure of ‘real’ or ‘regular’ readership, especially for
newspapers, most of which have been read/consumed as a matter of daily
habit. Conventionally, media planners even calculate and compare
cost-benefits of dailies based on the AIR figure. Hence, it is perhaps
the most relevant to study readership trends as well in terms of AIR.
सोमवार, 28 जनवरी 2013
Government of india planning to increase Gross enrollment ratio in higher education
ज्यादा युवाओं को उच्च शिक्षा देने की कवायद
अभियान - राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2017
तक उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन 25.2 फीसदी के स्तर तक पहुंचाना है
जबकि वर्ष 2020-21 तक उच्च शिक्षा में छात्रों के पंजीकरण को बढ़ाकर 30
फीसदी करना है। अभी उच्च शिक्षा में नामांकन अनुपात 18.8 फीसदी है।
उच्च शिक्षा में नामांकन कराने में कमी आई
केन्द्र सरकार उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन बढ़ाने के लिए तैयारियां कर रही है। इस बाबत केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ.पल्लम राजू देश के अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों से राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के मसौदे पर 8 फरवरी को चर्चा करेंगे।
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2017 तक उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन 25.2 फीसदी के स्तर तक पहुंचाना है जबकि वर्ष 2020-21 तक उच्च शिक्षा में छात्रों के पंजीकरण को बढ़ाकर 30 फीसदी करना है।
अभी उच्च शिक्षा में नामांकन अनुपात 18.8 फीसदी है। मसौदे के अनुसार, वर्ष 2007 से 2010 तक 12वीं पास करने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है पर 12वीं के बाद उच्च शिक्षा में नामांकन कराने में कमी आई है।
वर्ष 2007-2008 में जहां प्रति 10,000 में से 6,566 छात्रों ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, वहीं कुल 4,036 छात्रों ने ही उच्च शिक्षा में नामांकन कराया। इसी तरह वर्ष 2009-10 में 7,496 पास होने वाले छात्रों में से 5,064 छात्रों ने ही उच्च शिक्षा में नामांकन कराया था।
मसौदे के अनुसार, एक ऐसी केन्द्रीय नीति का प्रस्ताव है जोकि बारहवीं और तेरहवीं पंचवर्षीय योजना दोनों में लागू होगी। इस स्कीम के मुताबिक राज्यों में उच्च शिक्षा संस्थानों पर फोकस किया जाएगा। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 1 करोड़ लोगों का उच्च शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य है।
इसमें 10 लाख छात्रों का दूरस्थ शिक्षा, 33 लाख छात्रों का स्किल्ड कार्यक्रम के डिप्लोमा और 57 लाख छात्रों का स्नातक कार्यक्रम में नामांकन कराने का लक्ष्य है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े 374 जिलों में मॉडल डिग्री कॉलेज खोलने की योजना है। इन डिग्री कॉलेज के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों संयुक्त रूप से प्रयास करेंगी।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उच्च शिक्षा में कुल नामांकन अनुपात में 4.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान उच्च शिक्षा में पंजीकरण कराने वाले छात्रों की संख्या बढ़कर 1.54 करोड़ से बढ़कर 2.02 करोड़ हो गई है।
मसौदे के मुताबिक, शैक्षिक संस्थानों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें फंड देने की योजना है। साथ ही, राज्यों में उच्च शिक्षा समिति के गठन की भी योजना है। अभी देश में 634 विश्वविद्यालय और 33,023 कॉलेज हैं।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-exercise-more-young-people-to-higher-education-4162221-NOR.html
उच्च शिक्षा में नामांकन कराने में कमी आई
केन्द्र सरकार उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन बढ़ाने के लिए तैयारियां कर रही है। इस बाबत केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ.पल्लम राजू देश के अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों से राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के मसौदे पर 8 फरवरी को चर्चा करेंगे।
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2017 तक उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन 25.2 फीसदी के स्तर तक पहुंचाना है जबकि वर्ष 2020-21 तक उच्च शिक्षा में छात्रों के पंजीकरण को बढ़ाकर 30 फीसदी करना है।
अभी उच्च शिक्षा में नामांकन अनुपात 18.8 फीसदी है। मसौदे के अनुसार, वर्ष 2007 से 2010 तक 12वीं पास करने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है पर 12वीं के बाद उच्च शिक्षा में नामांकन कराने में कमी आई है।
वर्ष 2007-2008 में जहां प्रति 10,000 में से 6,566 छात्रों ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, वहीं कुल 4,036 छात्रों ने ही उच्च शिक्षा में नामांकन कराया। इसी तरह वर्ष 2009-10 में 7,496 पास होने वाले छात्रों में से 5,064 छात्रों ने ही उच्च शिक्षा में नामांकन कराया था।
मसौदे के अनुसार, एक ऐसी केन्द्रीय नीति का प्रस्ताव है जोकि बारहवीं और तेरहवीं पंचवर्षीय योजना दोनों में लागू होगी। इस स्कीम के मुताबिक राज्यों में उच्च शिक्षा संस्थानों पर फोकस किया जाएगा। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 1 करोड़ लोगों का उच्च शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य है।
इसमें 10 लाख छात्रों का दूरस्थ शिक्षा, 33 लाख छात्रों का स्किल्ड कार्यक्रम के डिप्लोमा और 57 लाख छात्रों का स्नातक कार्यक्रम में नामांकन कराने का लक्ष्य है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े 374 जिलों में मॉडल डिग्री कॉलेज खोलने की योजना है। इन डिग्री कॉलेज के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों संयुक्त रूप से प्रयास करेंगी।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उच्च शिक्षा में कुल नामांकन अनुपात में 4.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान उच्च शिक्षा में पंजीकरण कराने वाले छात्रों की संख्या बढ़कर 1.54 करोड़ से बढ़कर 2.02 करोड़ हो गई है।
मसौदे के मुताबिक, शैक्षिक संस्थानों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें फंड देने की योजना है। साथ ही, राज्यों में उच्च शिक्षा समिति के गठन की भी योजना है। अभी देश में 634 विश्वविद्यालय और 33,023 कॉलेज हैं।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-exercise-more-young-people-to-higher-education-4162221-NOR.html
शनिवार, 19 जनवरी 2013
Ragging and Table No-21
Picture-Google
जनवरी माह में रिलीज हुई हिंदी फिल्म टेबल नंबर २१ और पिछले माह दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड अर्किटेक्चर में एक स्टूडेंट के साथ हुई रैगिंग की घटना का सामने आना, ये दोनों आते और जाते हुए विषय रहे। फिल्म टेबल नंबर २१ और स्टूडेंट के साथ हुई घटना एक जटिल मुद्दा है। फिल्म आती है और एक महत्वपूर्ण विषय पर अपनी बात कह कर चली जाती है। उसकी कोई चर्चा नहीं होती है वहीं दिल्ली में रैगिंग होती है और खबर कु छ चार महीनें बाद आती है। जब मामलें पर झारखंड हाइकोर्ट की फटकार लगती है। कुछ अखबारों की खबरें बनती हैं और बात आती-जाती रहती है। २२ वर्षीय लडक़े के साथ ऐसी रैगिंग हुई कि डॉक्टरों को सलाह देनी पड़ी- स्टूडेंंट कुछ महीने तक जमीन पर पैर तक न रखे। दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर कॉलेज में पिछले साल हुई घटना की जांच को लेकर कमेटी बना दी गई है। पर वास्तव में जिस स्टूडेंट के साथ यह घटना घटी और उसके कॅरियर का अब क्या होगा। इस पर बात नहीं हो पाती है। स्कूल प्रशासन पुलिस को खबर नहीं करता है।
टेबल नंबर-२१ फिल्म में भी रैगिंग के मुद्दे को एक बढिय़ा तरीके से दिखाया गया है लेकिन इस फिल्म समीक्षाओं से लेकर बड़े-बड़े फिल्म समीक्षकों के मुंह से फिल्म के महत्वपूर्ण विषयों पर पढऩे और सुनने को नहीं मिला। हां, अगर फिल्म समीक्षकों को देश में होने वाले अन्य घटनाक्रमों के बारे में कुछ मालूम होता तो शायद इस फिल्म की कुछ अच्छी समीक्षा हो सकती थी। कुल मिलाकर, अगर फिल्म खुद नहीं देखता तो पता भी नहीं चलता कि फिल्म का महत्वपूर्ण पहलू क्या था। और फिल्म क्यों एक महत्वपूर्ण घटना को कहती हैं। आने वाले एजुकेशन सीजन में शायद कई नए स्टूडेंट नए कॉलेज, यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट में दाखिला लेंगे। नए स्टूडेंट के लिए ऐसी फिल्म और घटना बहुत कुछ कहती हैं। साथ ही उन्हें आने वाले समय अपने आप को कैसे तैयार करना है और किस तरह की हरकतें देश के शैक्षिक संस्थानों में हो रही हैं, बताती हैं।
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-01-05/delhi/36161159_1_rajendra-kachroo-complaint-students
http://zeenews.india.com/news/delhi/delhi-college-student-ragged-suffers-serious-injuries_820850.html
http://ibnlive.in.com/news/delhi-student-from-jharkhand-ragged-in-spa-undergoes-surgery/314108-3-244.html
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-01-08/delhi/36215868_1_govt-orders-fresh-probe-rajendra-kachroo-hrd-ministry
जनवरी माह में रिलीज हुई हिंदी फिल्म टेबल नंबर २१ और पिछले माह दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड अर्किटेक्चर में एक स्टूडेंट के साथ हुई रैगिंग की घटना का सामने आना, ये दोनों आते और जाते हुए विषय रहे। फिल्म टेबल नंबर २१ और स्टूडेंट के साथ हुई घटना एक जटिल मुद्दा है। फिल्म आती है और एक महत्वपूर्ण विषय पर अपनी बात कह कर चली जाती है। उसकी कोई चर्चा नहीं होती है वहीं दिल्ली में रैगिंग होती है और खबर कु छ चार महीनें बाद आती है। जब मामलें पर झारखंड हाइकोर्ट की फटकार लगती है। कुछ अखबारों की खबरें बनती हैं और बात आती-जाती रहती है। २२ वर्षीय लडक़े के साथ ऐसी रैगिंग हुई कि डॉक्टरों को सलाह देनी पड़ी- स्टूडेंंट कुछ महीने तक जमीन पर पैर तक न रखे। दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर कॉलेज में पिछले साल हुई घटना की जांच को लेकर कमेटी बना दी गई है। पर वास्तव में जिस स्टूडेंट के साथ यह घटना घटी और उसके कॅरियर का अब क्या होगा। इस पर बात नहीं हो पाती है। स्कूल प्रशासन पुलिस को खबर नहीं करता है।
टेबल नंबर-२१ फिल्म में भी रैगिंग के मुद्दे को एक बढिय़ा तरीके से दिखाया गया है लेकिन इस फिल्म समीक्षाओं से लेकर बड़े-बड़े फिल्म समीक्षकों के मुंह से फिल्म के महत्वपूर्ण विषयों पर पढऩे और सुनने को नहीं मिला। हां, अगर फिल्म समीक्षकों को देश में होने वाले अन्य घटनाक्रमों के बारे में कुछ मालूम होता तो शायद इस फिल्म की कुछ अच्छी समीक्षा हो सकती थी। कुल मिलाकर, अगर फिल्म खुद नहीं देखता तो पता भी नहीं चलता कि फिल्म का महत्वपूर्ण पहलू क्या था। और फिल्म क्यों एक महत्वपूर्ण घटना को कहती हैं। आने वाले एजुकेशन सीजन में शायद कई नए स्टूडेंट नए कॉलेज, यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट में दाखिला लेंगे। नए स्टूडेंट के लिए ऐसी फिल्म और घटना बहुत कुछ कहती हैं। साथ ही उन्हें आने वाले समय अपने आप को कैसे तैयार करना है और किस तरह की हरकतें देश के शैक्षिक संस्थानों में हो रही हैं, बताती हैं।
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-01-05/delhi/36161159_1_rajendra-kachroo-complaint-students
http://zeenews.india.com/news/delhi/delhi-college-student-ragged-suffers-serious-injuries_820850.html
http://ibnlive.in.com/news/delhi-student-from-jharkhand-ragged-in-spa-undergoes-surgery/314108-3-244.html
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-01-08/delhi/36215868_1_govt-orders-fresh-probe-rajendra-kachroo-hrd-ministry
बुधवार, 16 जनवरी 2013
Aim to increase use of Renewable Energy up to 9% till year 2016-17
राजधानी में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने का लक्ष्य
सचिन यादव नई दिल्ली | Jan 17, 2013, 01:32AM IST
लक्ष्य- वर्ष 2016-17 तक 9 फीसदी आपूर्ति अक्षय ऊर्जा की होगी
बिजली वितरण कंपनियों को प्रत्येक वर्ष अक्षय ऊर्जा को अपनी बिजली वितरण में शामिल करना होगा
दिल्ली में वर्ष 2016-17 तक कुल बिजली वितरण में 9 फीसदी अक्षय ऊर्जा हिस्सेदारी को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा। इसके लिए बिजली वितरण कंपनियों को खुद अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करना होगा या फिर थर्ड पार्टी से अक्षय ऊर्जा की खरीद करनी होगी।
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के रिन्युएबल परचेज आब्लीगेशन एंड रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट फ्रेमवर्क इंप्लिमेंटेशन ड्राफ्ट के मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों को वर्ष 2016-17 तक बिजली वितरण में प्रयोग होने वाले वाली कुल बिजली में से 9 फीसदी बिजली अक्षय ऊर्जा के जरिए उत्पन्न होनी चाहिए।
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष पी.डी. सुधाकर ने बताया कि बिजली वितरण में अक्षय ऊर्जा को शामिल करने के लिए सौर ऊर्जा और गैर सौर ऊर्जा का उत्पादन होना जरूरी है। दिल्ली में अभी तक सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए किसी भी फर्म ने आवेदन नहीं किया है।
इसके अलावा अक्षय ऊर्जा की भागीदारी को बढ़ाने के लिए गैर सौर ऊर्जा की खरीद बाहर से करनी पड़ेगी। सौर ऊर्जा के उत्पादन में जमीन की कमी एक बहुत बड़ा रोड़ा है।
साथ ही गैर अक्षय ऊर्जा उत्पादन के स्रोत भी दिल्ली में बहुत अधिक नहीं है। रिन्यूएबल एनर्जी की बाजार में खरीद-फरोख्त किस कीमत पर होगी इसका निर्णय खुद डीईआरसी करेगी।
दिल्ली सरकार के एनर्जी एफिशिएंसी एंड रिन्यू बल एनर्जी मैनेजमेंट सेंटर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों को प्रत्येक वर्ष के हिसाब से अक्षय ऊर्जा को अपनी बिजली वितरण में शामिल करना होगा।
अभी एक किलोवाट सोलर ऊर्जा का प्लांट लगाने में 10 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत होती है। वहीं एक मेगावाट का सोलर पॉवर प्लांट लगाने के लिए 10 करोड़ रुपये का खर्चा आता है।
जो बिजली वितरण कंपनियां खुद अक्षय ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर सकती हैं, वह दूसरी बिजली कंपनियों से अक्षय ऊर्जा की खरीद कर सकती है। इसके अलावा अपने हर वर्ष अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए रिन्यू बल एनर्जी सर्टिफिकेट खरीदने होंगे।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-aims-to-increase-the-use-of-renewable-energy-in-the-capital-4150672-NOR.html
बिजली वितरण कंपनियों को प्रत्येक वर्ष अक्षय ऊर्जा को अपनी बिजली वितरण में शामिल करना होगा
दिल्ली में वर्ष 2016-17 तक कुल बिजली वितरण में 9 फीसदी अक्षय ऊर्जा हिस्सेदारी को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा। इसके लिए बिजली वितरण कंपनियों को खुद अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करना होगा या फिर थर्ड पार्टी से अक्षय ऊर्जा की खरीद करनी होगी।
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के रिन्युएबल परचेज आब्लीगेशन एंड रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट फ्रेमवर्क इंप्लिमेंटेशन ड्राफ्ट के मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों को वर्ष 2016-17 तक बिजली वितरण में प्रयोग होने वाले वाली कुल बिजली में से 9 फीसदी बिजली अक्षय ऊर्जा के जरिए उत्पन्न होनी चाहिए।
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष पी.डी. सुधाकर ने बताया कि बिजली वितरण में अक्षय ऊर्जा को शामिल करने के लिए सौर ऊर्जा और गैर सौर ऊर्जा का उत्पादन होना जरूरी है। दिल्ली में अभी तक सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए किसी भी फर्म ने आवेदन नहीं किया है।
इसके अलावा अक्षय ऊर्जा की भागीदारी को बढ़ाने के लिए गैर सौर ऊर्जा की खरीद बाहर से करनी पड़ेगी। सौर ऊर्जा के उत्पादन में जमीन की कमी एक बहुत बड़ा रोड़ा है।
साथ ही गैर अक्षय ऊर्जा उत्पादन के स्रोत भी दिल्ली में बहुत अधिक नहीं है। रिन्यूएबल एनर्जी की बाजार में खरीद-फरोख्त किस कीमत पर होगी इसका निर्णय खुद डीईआरसी करेगी।
दिल्ली सरकार के एनर्जी एफिशिएंसी एंड रिन्यू बल एनर्जी मैनेजमेंट सेंटर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों को प्रत्येक वर्ष के हिसाब से अक्षय ऊर्जा को अपनी बिजली वितरण में शामिल करना होगा।
अभी एक किलोवाट सोलर ऊर्जा का प्लांट लगाने में 10 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत होती है। वहीं एक मेगावाट का सोलर पॉवर प्लांट लगाने के लिए 10 करोड़ रुपये का खर्चा आता है।
जो बिजली वितरण कंपनियां खुद अक्षय ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर सकती हैं, वह दूसरी बिजली कंपनियों से अक्षय ऊर्जा की खरीद कर सकती है। इसके अलावा अपने हर वर्ष अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए रिन्यू बल एनर्जी सर्टिफिकेट खरीदने होंगे।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-aims-to-increase-the-use-of-renewable-energy-in-the-capital-4150672-NOR.html
सोमवार, 14 जनवरी 2013
UGC provides 300 Crore Rupee for Innovation University
इनोवेशन यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए 300 करोड़
सचिन यादव नई दिल्ली | Jan 14, 2013, 03:06AM IST
व्यवस्था - स्कीम के तहत विवि को तीन केटेगरी में वित्तीय सहायता
फंड
इनोवेटिव टीङ्क्षचग, एजुकेशनल प्रोग्राम, इनोवेटिव रिसर्च प्रोग्राम और आर्गनाइजेशनल इनोवेशन के लिए वित्तीय सहायता
यूजीसी इनोवेशन यूनिवर्सिटी के जरिए इनोवेशन को तीन भागों में बांट कर १९ बिंदुओं पर फोकस करना होगा
एडमिशन प्रक्रिया को बेहतर करना, रिसर्च सुविधाओं को अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के साथ बांटना
स्कीम के तहत केन्द्र विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालय आवेदन कर सकते हैं
अनुदान खर्च करने की समय सीमा पांच वर्ष तक की होगी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इनोवेशन यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए विश्वविद्यालयों को 300 करोड़ रुपये का फंड मुहैया कराएगा। देश में चल रहे विश्वविद्यालयों को इनोवेटिव टीङ्क्षचग, एजुकेशनल प्रोग्राम, इनोवेटिव रिसर्च प्रोग्राम और आर्गनाइजेशनल इनोवेशन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
यूजीसी इनोवेशन यूनिवर्सिटी के जरिए इनोवेटिव टीङ्क्षचग व एजुकेशनल प्रोग्राम, इनोवेटिव रिसर्च प्रोग्राम और आर्गनाइजेशनल इनोवेशन को तीन भागों में बांट कर १९ बिंदुओं पर फोकस करना होगा।
इसमें नए तरह के कोर्स और डिग्री, अध्यापन तरीके में बदलाव, शिक्षक के पढ़ाए हुए विषय का छात्रों से फीडबैक लेने का मैकेनिज्म, टीचिंग प्रोग्राम का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना शामिल है। साथ ही, एडमिशन प्रक्रिया को बेहतर करना, रिसर्च सुविधाओं को अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के साथ बांटना है।
इस स्कीम के तहत केन्द्र विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालय आवेदन कर सकते हैं। इन विश्वविद्यालयों को नैक की तरफ ए ग्रेड मिला होना चाहिए। साथ ही, आवेदन के समय विश्वविद्यालय की स्थापना को हुए दस साल पूरे हो चुके होने चाहिए।
इस स्कीम के तहत विश्वविद्यालयों को तीन केटेगरी में वित्तीय सहायता मिलेगी। इनोवेटिव प्रोजेक्ट के लिए एक समय में २५ करोड़ रुपये को अनुदान मिलेगा। यह अनुदान खर्च करने की समय सीमा पांच वर्ष तक की होगी। इस अनुदान के तहत विश्वविद्यालय के किसी एक विभाग या फैकल्टी को ही शामिल किया जा सकता है।
वहीं, इनोवेटिव प्रोग्राम के तहत विश्वविद्यालयों को २५-१०० करोड़ रुपये तक का फंड दिया जाएगा। यह फंड किसी विभाग या फैकल्टी तक सीमित नहीं रहेगा। इसके अलावा, इनोवेशन यूनिवर्सिटी के लिए १००-३०० करोड़ रुपये का फंड दिया जाएगा।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-300-million-for-the-establishment-of-university-innovation-4147763-NOR.html
फंड
इनोवेटिव टीङ्क्षचग, एजुकेशनल प्रोग्राम, इनोवेटिव रिसर्च प्रोग्राम और आर्गनाइजेशनल इनोवेशन के लिए वित्तीय सहायता
यूजीसी इनोवेशन यूनिवर्सिटी के जरिए इनोवेशन को तीन भागों में बांट कर १९ बिंदुओं पर फोकस करना होगा
एडमिशन प्रक्रिया को बेहतर करना, रिसर्च सुविधाओं को अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के साथ बांटना
स्कीम के तहत केन्द्र विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालय आवेदन कर सकते हैं
अनुदान खर्च करने की समय सीमा पांच वर्ष तक की होगी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इनोवेशन यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए विश्वविद्यालयों को 300 करोड़ रुपये का फंड मुहैया कराएगा। देश में चल रहे विश्वविद्यालयों को इनोवेटिव टीङ्क्षचग, एजुकेशनल प्रोग्राम, इनोवेटिव रिसर्च प्रोग्राम और आर्गनाइजेशनल इनोवेशन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
यूजीसी इनोवेशन यूनिवर्सिटी के जरिए इनोवेटिव टीङ्क्षचग व एजुकेशनल प्रोग्राम, इनोवेटिव रिसर्च प्रोग्राम और आर्गनाइजेशनल इनोवेशन को तीन भागों में बांट कर १९ बिंदुओं पर फोकस करना होगा।
इसमें नए तरह के कोर्स और डिग्री, अध्यापन तरीके में बदलाव, शिक्षक के पढ़ाए हुए विषय का छात्रों से फीडबैक लेने का मैकेनिज्म, टीचिंग प्रोग्राम का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना शामिल है। साथ ही, एडमिशन प्रक्रिया को बेहतर करना, रिसर्च सुविधाओं को अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के साथ बांटना है।
इस स्कीम के तहत केन्द्र विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालय आवेदन कर सकते हैं। इन विश्वविद्यालयों को नैक की तरफ ए ग्रेड मिला होना चाहिए। साथ ही, आवेदन के समय विश्वविद्यालय की स्थापना को हुए दस साल पूरे हो चुके होने चाहिए।
इस स्कीम के तहत विश्वविद्यालयों को तीन केटेगरी में वित्तीय सहायता मिलेगी। इनोवेटिव प्रोजेक्ट के लिए एक समय में २५ करोड़ रुपये को अनुदान मिलेगा। यह अनुदान खर्च करने की समय सीमा पांच वर्ष तक की होगी। इस अनुदान के तहत विश्वविद्यालय के किसी एक विभाग या फैकल्टी को ही शामिल किया जा सकता है।
वहीं, इनोवेटिव प्रोग्राम के तहत विश्वविद्यालयों को २५-१०० करोड़ रुपये तक का फंड दिया जाएगा। यह फंड किसी विभाग या फैकल्टी तक सीमित नहीं रहेगा। इसके अलावा, इनोवेशन यूनिवर्सिटी के लिए १००-३०० करोड़ रुपये का फंड दिया जाएगा।
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-300-million-for-the-establishment-of-university-innovation-4147763-NOR.html
शनिवार, 12 जनवरी 2013
तुझे आरज़ू कहूँ
तुझे आरज़ू कहूँ ,
या एक अधूरी खवाहिश मान लूँ
तुझे जिंदगी कहूँ
या फिर बेजान मान लूँ,
तुझे ख़ुशी कहूँ
या रास्तों में मिलने वाला दर्द मान लूँ
तुझे जीत कहूँ
या फिर हार मान लूँ
तुझे सांसें कहूँ
या फिर अधूरी आह मान लूँ
तुझे सरगम कहूँ
या अधूरी ताल मान लूँ... .Sachin Lakhnavi
या एक अधूरी खवाहिश मान लूँ
तुझे जिंदगी कहूँ
या फिर बेजान मान लूँ,
तुझे ख़ुशी कहूँ
या रास्तों में मिलने वाला दर्द मान लूँ
तुझे जीत कहूँ
या फिर हार मान लूँ
तुझे सांसें कहूँ
या फिर अधूरी आह मान लूँ
तुझे सरगम कहूँ
या अधूरी ताल मान लूँ... .Sachin Lakhnavi
शनिवार, 5 जनवरी 2013
Annual review of Ministry of Aviation 2012
नागर विमानन क्षेत्र को देश की आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधनों में शुमार किया जाता है। यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने और माल ढुलाई की सुविधा उपलब्ध कराने के अलावा यह व्यापार और वाणिज्यिक विकास, घरेलू एवं विदेशी निवेश, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, अवसंरचना निर्माण, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन एवं रोजगार सृजन में भी सहायक है।
भारत के हवाई यातायात में हाल में व्यापक वृद्धि हुई है। पिछले 10 साल में, विमान यात्रियों की समायोजित वार्षिक वृद्धि दर करीब 15 प्रतिशत रही है। भारतीय विमानन कम्पनियों के घरेलू संचालन के व्यापारिक मॉडल की प्रमुख प्रवृत्ति यह देखने को मिल रही है कि घरेलू ट्रैफिक तेजी से कम लागत वाली विमानन कम्पनियों (एलसीसी) का रुख कर रहा है। एलसीसी की बाजार में हिस्सेदारी वर्ष 2003-2004 के करीब एक प्रतिशत के स्तर से बढकर कुल घरेलू यातायात का 70 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है।
अगले बीस वर्ष में भारत, दुनिया के तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में शुमार हो सकता है। अनुमान के अनुसार अगले दस बरसों में घरेलू हवाई यातायात 16 करोड़ से 18 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष तथा अंतर्राष्ट्रीय यातायात 8 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष तक हो सकता है। इस समय देश में घरेलू यात्रियों की तादाद 6 करोड़ तथा अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की तादाद 4 करोड़ है। अंर्तराष्ट्रीय हवाई यातायात संगठन के विमानन उड्डयन पूर्वानुमान 2012-16 के अनुसार भारत के घरेलू हवाई यातायात का बाजार, दुनिया के पांच शीर्ष बाजारों में शामिल होगा तथा उच्च वृद्धि दर के लिहाज से यह दूसरा प्रमुख बाजार होगा।
इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने देश में विमानन उद्योग की वृद्धि की रफ्तार में तेजी लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। वे कदम निम्नलिखित हैं:
1.हवाई अड्डों का विस्तार एवं सुधार
इस समय पीपीपी के तहत देश में पांच प्रमुख हवाई अड्डे दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूर, हैदराबाद और कोचीन में चलाए जा रहे हैं। मुम्बई हवाई अड्डे में नए टर्मिनल की इमारत का निर्माण किया जा रहा है, जिसका फेज-1 अंतर्राष्ट्रीय संचालनों के लिए है और इसके अगस्त 2013 तक तैयार हो जाने की संभावना है, जबकि इस फेज-2 घरेलू संचालनों के लिए है और इसके अगस्त 2014 तक तैयार हो जाने की संभावना है। बैंगलूरू का मौजूदा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा क्षमता बढ़ाने की मांग पूरी करने के लिए इस समय विस्तार के दूसरे चरण में है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने कोलकाता और चेन्नई के हवाई अड्डो के विस्तार और सुधार दायित्व संभाला
है। भारत सरकार ने अपनी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नीति के तहत 15 अतिरिक्त हवाई अड्डों को मंजूरी दी है। इनमें से अधिकांश पीपीपी के तहत बनाए जाने हैं।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) चेन्नई, कोलकाता और महानगरों से हटकर कुछ हवाई अड्डों के सुधार और उनके बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के काम में जुटा हुआ है। वर्ष 2012 के दौरान हवाई अड्डों की अवसंरचना के विकास और सुधार के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :
·
इंदौर, लखनऊ और रायपुर हवाई अड्डों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त नए एकीकृत टर्मिनल्स को चालू किया गया।
·
भठिंडा और जैसलमेलर हवाई अड्डों पर नई सिविल एंक्लेव्स के विकास का कार्य सम्पन्न।
·
राजामुंदरी, पुड्डुचेरी और गोंडिया हवाई अड्डों पर नए घरेलू टर्मिनल्स का कार्य सम्पन्न/ विस्तार
·
जलगांव हवाई अड्डे के विकास का कार्य सम्पन्न और उसे एटीआर-72 प्रकार के विमान ऑपरेशन के लिए चालू किया गया।
·
चेन्नई, कोलकाता, जम्मू, सूरत और तिरूपति हवाई अड्डों पर एयरसाइड एप्रॉन क्षमता बढ़ाई गई है।
·
चेन्नई में एकीकृत कार्गो टर्मिनल 144.93 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हो चुका है। इसकी क्षमता बढ़कर 11 लाख मिलियन टन/सालाना हो चुकी है।
·
भुवनेश्वर और रांची हवाई अड्डों के नए टर्मिनलों का निर्माण पूरा हो चुका है और विभिन्न सेवाओं के शुरूआती परीक्षणों के जल्द बाद उन्हें
चालू कर दिया जाएगा।
·
चेन्नई और कोलकाता हवाई अड्डों के विस्तार और सुधार का कार्य क्रमशः 2015
करोड़ रुपये और
2325 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। नए टर्मिनल के माध्यम से परीक्षण संचालन सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया गया है और इसके जनवरी-फरवरी 2013, तक चालू होने की संभावना है।
·
चण्डीगढ़ हवाई अड्डे पर (मोहाली की ओर) नए सिविल एंक्लेव के विकास का काम शुरू हो चुका है।
·
टिकाऊ विकास पहल के तहत सोलर फोटो-वोल्टेक पॉवर प्लांट्स सफदरजंग हवाई अड्डे, जैसलमेर, गुवाहाटी और रायपुर हवाई अड्डे में कार्पोरेट हैडक्वार्टर्स में चालू किए जा चुके हैं।
तिरूचिरापल्ली, कोयम्बटूर, मंगलौर, वाराणसी और लखनऊ हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया गया: अब तब 17 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे थे। इस साल तिरूचिरापल्ली, कोयम्बटूर, मंगलौर, वाराणसी और लखनऊ स्थित पांच हवाई अड्डों को इस सूची में शामिल किया गया। इन हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किए जाने के बाद इनमें सीमा शुल्क, आव्रजन, स्वास्थ्य, पशु एवं पौधों को अलग रखने की व्यवस्था आदि जैसी सुविधाएं स्थायी आधार पर उपलब्ध होंगी। इससे विभिन्न गंतव्यों के लिए अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के द्वार खुल जाएंगे।
2 एयर इंडिया की कायाकल्प/वित्तीय पुनर्संरचना योजनाएंः
अगले दस वर्षों में तकरीबन
30,000 करोड़ रुपये की इक्विटी लगाने की योजना, 7400 करोड़ रुपये के अपरिवर्तनीय डिबेंचरों पर सरकार की गारंटी, मार्च 2016 तक 27 बी-787 (ड्रीमलाइनर) शामिल करने की योजना और विविध अन्य उपाय लागू करने की योजना है। हालांकि इक्विटी बिना शर्त न होकर एयर इंडिया के पेसेंजर लोड फैक्टर (पीएलएफ), समय पर किया गया कार्य (ओटीपी), विमानों का उपयोग, बाजार में हिस्सेदारी जैसे विविध स्तरों पर निर्धारित उपब्धियों के हासिल करने के आधार पर होगी।
एयर इंडिया के प्रदर्शन में सुधार
-वर्ष 2012-13 की पहली छमाही में एयर इंडिया की शुद्ध हानि में करीब 650 करोड़ रुपये की कमी आई।
-नवम्बर 2012 में एयर इंडिया का पीएलएफ टीएपी के 69.5 प्रतिशत के मानदंड के विपरीत 78.6
प्रतिशत तक पहुंच गया।
-धर्माधिकारी समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार इंडियन एयरलाइंस और एयरइंडिया के विलय की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी।
-फ्लाइट और केबिन क्रू प्रबंधन प्रणाली (ऑटो रोस्टर), के कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। यह जनवरी 2013 तक पायलटों के लिए और केबिन क्रू के लिए फरवरी-मार्च 2013 तक लागू हो जाएगा। ऑटो रोस्टर का लक्ष्य उड़ान के घंटों (पिछली अवधि अथवा रोस्टर अवधि), सेक्टर फ्लोन या उड़ान संख्या (उड़ानों की संख्या और उड़ान भरने की आखिरी तिथि), दिन और रात की उड़ानें (दैनिक वितरण), संचालित उड़ान का प्रकार (घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) आदि मानकों को एक समान करना है।
-तीन बी-787
ड्रीमलाइनर विमान पहले ही मिल चुके हैं और चालू वित्त वर्ष के दौरान पांच और मिल जाएंगे।
- पायलटों और केबिन क्रू के लिए फ्लाइट ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) लागू की जा चुकी है।
-सरकार की मंजूरी के बाद एयर इंडिया के रख-रखाव, मरम्मत तथा पुनर्विकास (एमआरओ) तथा ग्रांउड हैंडलिंग कारोबार को दो अलग अनुषंगियों में बांटने का कार्य जारी है। एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड अनुषंगी रख-रखाव, मरम्मत तथा पुनर्विकास (एमआरओ) का काम देखगी, जबकि एयर इंडिया ट्रांसपोट्र सर्विसेज लिमिटेड (एआईएटीएसएल) ग्रांउड हैंडलिंग कारोबार देखेगी।
-कर्मचारियों के नवम्बर 2012
तक के वेतन का भुगतान कर दिया गया है।
-एयर इंडिया में अब किसी को भी सामान तक निशुल्क पहुंच की इजाजत नहीं है।
3. भारतीय नागर विमानन में विदेशी एयरलाइंस द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई):
सरकार ने घरेलू विमानन कम्पनियों में विदेशी विमानन कम्पनियों को 49 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी है। इस कदम से घरेलू विमानन कम्पनियों के जरूरी इक्विटी मिलने की सम्भावना है। इस एफडीआई के लिए कुछ सुरक्षामानक होंगे जिनमें सरकार से मंजूरी लेना और सेबी के नियमों और कानूनों का पालन करना शामिल होगा। इसके लिए गृह मंत्रायल और एफआईपीबी से भी इजाजत लेनी होगी।
4. अंतर्राष्ट्रीय यातायात के अधिकारों का आवंटन
सरकार ने देश की निजी विमानन कम्पनियों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर यातायात के अधिकार आवंटित करने की व्यवहारिक नीति अपनाई है। नवम्बर 2012 में भारतीय विमानन सेवाओं को काफी पहले ही शीतकाल 2013
तक के लिए के लिए यातायात अधिकारों का आवंटन कर दिया गया, ताकि यातायात अधिकारों के बारे अनिश्चितताएं दूर हो सकें तथा उन्हें तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल सके। इनमें एयर इंडिया को ग्रीष्म 2012 तक
1074 उड़ाने प्रति सप्ताह के द्विपक्षीय यातायात के अधिकार था जब अगले शीतकाल 2013
तक 1695 के स्तर तक बढ़ा दिया गया है। यह तकरीबन 60 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि होगी।
इसके अलावा, भारतीय विमानन कम्पनियों के लिए अगले तीन सीजन के वास्ते निम्नलिखित नए अंतर्राष्ट्रीय मार्ग भी खुल गए हैं :-
-एयर इंडिया: दिल्ली-रोम-मेड्रिड/ बार्सिलोना, दिल्ली-मास्को, दिल्ली-सिडनी/मेलबर्न, मुम्बई-नैरोबी, मुम्बई-अल नजफ (इराक)
-जेट एयरवेजः मुम्बई-जकार्ता, दिल्ली-बार्सिलोना, मुम्बई-ज्यूरिख, दिल्ली-ताशकंद, मुम्बई-हो ची मिन्ह सिटी
स्पाइस जेट: लखनऊ--अल नजफ (इराक), वाराणसी--अल नजफ (इराक), दिल्ली-मकाउ, दिल्ली- हो ची मिन्ह सिटी
5. हवाई नेविगेशन प्रणालियों के क्षेत्र में पहल:
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण-एएआई ने हवाई यातायात में निरंतर हो रही वृद्धि से व्यापक सुरक्षा तथा कारगरता से निपटने के लिए हवाई अड्डे और हवाई क्षेत्र अवसंरचना में सुधार की दिशा में कई तरह की पहल की है। एयर नेविगेशन सेवा प्रदाता होने के नाते एएआई प्रदत्त हवाई क्षेत्र में एयर नेवीगेशन सेवाओं के प्रावधान के लिए जिम्मेदार है। उसने सुरक्षा, कारगरता, पर्यावरण के दीर्घकालिक लाभ और टिकाऊ आधार पर विमान संचालन की कम लागत सुनिश्चित करते हुए एएनएस अवसंरचना सुधार की रणनीति आरम्भ की है।
नेविगेशन: विमानों को नेविगेशन सम्बंधी दिशा-निर्देश देने क लिए एएआई ने 66 इंस्ट्रमेंटल लैंडिंग सिस्टम्स और 93 वीओआर/डीएमई लगाए हैं। इसके अलावा, जिओ संवर्धन नौवहन प्रणाली गगन के नाम से मशहूर उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली (एसबीएएस) एएआई तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित तथा लागू की जा रही है। यह प्रणाली जून 2013 से काम करने लगेगी। अमेरिका, जापान और यूरोप के बाद भारत दुनिया का चैथा ऐसा देश है जिसने क्षेत्रीय एसबीएएस नेविगेशन प्रणाली की स्थापना की चुनौती कबूल की है।
हवाई और जमीनी निगरानी में वृद्धि: 13 स्थलों पर मौजूदा राडारों के अलावा नौ अतिरिक्त सेकेंडरी सर्विलेंस राडार लगाए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियंत्रक विमान के उड़ान भरने से लेकर लक्ष्य तक पहुंचने तक उसे राडार डिस्प्लै पर देख सकें। इसके अलावा आठ और राडार लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा 14 एडीएस-बी प्रणालियां भी 14 हवाई अड्डों पर लगाई गई हैं।
एटीएम ऑटोमेशन: महानगरों के हवाई अड्डों के अलावा 38 हवाई अड्डों पर अत्याधुनिक एटीएम ऑटोमेशन प्रणालियां लागू की गई हैं, जो सुरक्षा और कुशलता बढ़ाने के लिए नियंत्रकों को अत्याधुनिक सेफ्टी नेट्स, उपकरण और विशेषताएं मुहैया कराएंगी।
ऑटोमेशन सिस्टम में राडार डाटा एकीकरण:
अहमदाबाद, भोपाल, पोरबंदर और उदयपुर राडार का डाटा अहमदाबाद के ऑटोमेशन सिस्टम में शामिल किया गया है।
एटीएम की प्रक्रियाओं में वृद्धि: सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर वैमानिकी एवं जमीनी अवसंरचना का इस्तेमाल करते हुए तथा विमानों को उनके प्रस्थान और आगमन के लिए उपयुक्त और सटीक उड़ान पथ उपलब्ध कराने के लिए प्रदर्शन पर आधारित नेविगेशन प्रक्रियाएं लागू की गई है। इस पहल से विमानों के संचालनों की सुरक्षा और कुशलता बढ़ी है।
सुरक्षा, कुशलता तथा हवाई क्षेत्र एवं हवाई अड्डों की क्षमता बढ़ाने से सम्बद्ध उपरोक्त पहलों के अलावा एएआई द्वारा एयर ट्रैफिक फ्लो मैनेजमेंट लागू किया जा रहा है। इससे हवाई यातायात की मांग और क्षमता में संतुलन तथा सुनिश्चित हो सकेगा हवा और जमीन पर विमान को होने वाला विलम्ब समाप्त हो सकेगा।
सुरक्षा के उपरोक्त प्रयासों की बदौलत एएआई को एमस्टरडम में इंटरनेशनल जेन्स एटीसी अवार्ड 2012 प्रदान किया गया। उसे यह अवार्ड दुनिया के बहुत से प्रमुख एएनएसपीएस के बीच बेहतरीन संचालन कारगरता हासिल करने के लिए दिया गया। यह क्षेत्र में एएआई की एएनएस उपलब्धियों का सबूत है।
6.हवाई अड्डे के आस-पास भवन निर्माण की अनुमति की प्रक्रिया का सरलीकरणः
सरकार ने हर बार भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेने की व्यवस्था समाप्त करने का फैसला किया है और हवाई अड्डों से विभिन्न दूरियों पर ऊंचाई तय की है, जिसके लिए स्थानीय नगर निगम अधिकारी को हवाई अड्डे के आसपास के इलाके के मानचित्र को मंजूरी देने का अधिकार होगा। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण प्रत्येक हवाई अड्डे के लिए एक ग्रिड प्रारूप में क्षेत्र का रंगों के संकेतों वाला नक्शा तैयार करेगा। क्षेत्र के नक्शे में ऊंचाई के संकेत से अधिक ऊंचाई वाले भवनों के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के निर्धारित अधिकारी/कार्यालय की ओर से प्रस्तावित भवन द्वारा होने वाली रूकावटों का मूल्यांकन किया जाएगा। यदि प्रस्तावित भवन का डिजाइन और अभिविन्यास नियमों के अनुरूप संशोधित किया जा सकता हो तो अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
7. घरेलू संचालन:
वर्ष 2012 में, अनुसूचित घरेलू विमानन कम्पनियों ने सप्ताह भर में 77 हवाई अड्डों को जोड़ते हुए 11,500 से ज्यादा उड़ाने संचालित कीं। दिल्ली-वाराणसी-आगरा-खजुराहो मार्ग पर एक नई दैनिक उड़ान 26 दिसम्बर 2012 से शुरू की गई है।
8. वृंदावन को हेलिकॉप्टर
सेवा से जोड़ा गयाः
वृंदावन को दिल्ली से हेलिकॉप्टर सेवा के माध्यम से 28 नवंबर 2012 को जोड़ दिया गया। यह सेवा पवन हंस हेलिकॉप्टर लिमिटेड द्वारा संचालित की जाएगी।
9. विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो:
सरकार ने एक विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की स्थापना की है ताकि दुर्घटनाओं की जांच प्रभावकारी तरीके से हो सके और सुधार के लिए प्रभावकारी उपायों की सिफारिश की जा सके।
10. एटीएफ के आयात की अनुमति:
सरकार ने भारतीय विमानन कम्पनियों को उड़ान टरबाईन ईंधन (एटीएफ) के आयात की इजाजत दे दी है। इससे तेल विपणन कम्पनियों में प्रतिस्पर्धा होगी तथा भारतीय विमानन कम्पनियों की लागत में काफी बचत होगी।
11. मंत्रालय के समक्ष अन्य प्राथमिक मसले
कम लागत वाले हवाई अड्डों का विकास: भारत के विभिन्न हिस्सों तक हवाई सम्पर्क बढ़ाने के प्रयास के तहत कम लागत वाले हवाई अड्डों का विकास बेहद महत्वपूर्ण घटक है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को छोटे हवाई अड्डों के विकास के लिए सबसे अनुकूल कम लागत वाले मॉडल की पहचान करने तथा छोटे शहरों में उस मॉडल पर आधारित हवाई अड्डों का विकास के निर्देश दे दिये गए हैं।
देश के छोटे और सुदूरवर्ती हिस्सों से संपर्क: सबसे प्रमुख प्राथमिकता देश के सुदूरवर्ती हिस्सों, पूर्वोत्तर क्षेत्र और श्रेणी-2 तथा श्रेणी-3 शहरों तथा अन्य छोटे शहरों में विमान सेवाएं उपलब्ध कराना है। प्रस्तावित संपर्क
में सामर्थ्य और यात्रा के खर्च के मामले में ग्राहकों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। मंत्रालय ने घरेलू सम्पर्क बढ़ाने की राह में बाधक कारकों और उनसे निपटने का तरीके का पता लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त एक परामर्शदाता की भी की सेवाएं ली हैं। धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों सहित छोटे स्थानों से संपर्क बेहतर बनाने के लिए हेलिकॉप्टरों के वर्तमान संचालनों में बढ़ोत्तरी और हेलीपोट्र्स का निर्माण शामिल होगा।
हेलिकॉप्टर सम्पर्क में वृद्धि: सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में हेलीपोटर्स के निर्माण करने की भी प्रक्रिया में है ताकि हेलिकॉप्टरों के माध्यम से धार्मिक, पर्यटन एवं मेडीकल उद्देश्य से हवाई सम्पर्क बढ़ाया जा सके। पवन हंस के पास अलग-अलग श्रेणी के करीब 50 हेलिकॉप्टर मौजूद हैं और उसके ग्राहक विभिन्न क्षेत्रों में हैं। वह माता वैष्णो देवी, केदारनाथ जी, अमरनाथ जी और बदरीनाथ जी सहित कई तीर्थ केन्द्रों के लिए सफलतापूर्वक हेलिकॉप्टर सेवा संचालित कर रहा है। वह असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में भी अपनी सेवाएं संचालित करता है तथा जल्द ही हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी अपनी सेवा आरंभ करने वाला है। पवन हंस की फिक्स्ड विंग वाले विमान तथा समुद्री विमान वाले अभियानों में भी प्रवेश की योजना है। उसने उत्तर प्रदेश के बौद्ध स्थलों को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ मिलकर हेलिकॉप्टर से जोड़ने के
लिए हाल में एक विस्तृत अध्ययन भी किया है। उसकी योजना भविष्य में इन गंतव्यों तक हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने की है।
नागर विमानन प्राधिकरण का गठन: हवाई यातायात में वृद्धि को देखते हुए सुरक्षा के साथ उसका प्रबंधन करने के वास्ते एक कारगर, स्वायत्त एवं व्यवसायिक नियामक संस्था की जरूरत है और इस बारे में जल्द ही संसद में विधेयक पेश किया जाएगा।
विमानन सुरक्षा बल: देश में नागर विमानन सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (इकाओ) के विशेषज्ञों की टीम को लगाया है, जो
हवाई अड्डों पर मौजूदा सुरक्षा प्रणाली का व्यापक अध्ययन करेगी और इसमें सुधार लाने के उपायों का सुझाव देगी। इकाओ की अध्ययन रिपोट, सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई है, इसमें नागर विमानन मंत्रालय की कमान और नियंत्रण के तहत एक समर्पित विमानन सुरक्षा बल (एएसएफ) की स्थापना करने का सुझाव दिया गया है, जो पूरे विश्व की परंपरा की तर्ज पर विमानन उद्योग के साथ पूर्णतः एकीकृत किया जाना है। इस मामले पर आगे की कार्यवाही के लिए नागर विमानन मंत्रालय द्वारा एक उप-समूह का गठन किया गया जो एक समर्पित, विशषेज्ञता प्राप्त एएसएफ के सृजन पर इकाओ के अध्ययन रिपोर्ट की सिफारिशों की जांच करेगा। इस उप-समूह ने भी नागर विमानन मंत्रालय की कमान एवं नियंत्रण में एक समर्पित, विशेषज्ञता प्राप्त एएसएफ के गठन की सिफारिश की है। साथ ही साथ उसका अनुमोदन प्राप्त करने के लिए मंत्रिमंडल सुरक्षा समिति से संपर्क स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई।
एटीएफ से सम्बद्ध मामले: भारत में विमानन कम्पनियों के संचालनात्मक व्ययों का लगभग 40 से 50 प्रतिशत भाग उड़ान टरबाईन ईंधन पर खर्च होता है। एटीएफ को पीएनजीआरबी अधिनियम के तहत अधिसूचित करके, इसे पीएनजीआर बोर्ड के दायरे में लाते हुए इसके मूल्य को तर्कसंगत बनाने के प्रयास जारी हैं। एटीएफ का मूल्य अधिक होने में सबसे ज्यादा योगदान विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले 4 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक के वैट का है। राज्य सरकारों को एटीएफ पर वैट घटाने के लिए राजी करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं और कई राज्यों से इस बारे में चर्चा पहले ही की जा चुकी है। नागर विमानन मंत्रालय ने एटीएफ को घोषित वस्तुओं की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।
नागर विमानन क्षेत्र में विश्वस्तरीय विमानन शिक्षा एवं प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल बढ़ाना: इस बारे में नागर विमानन विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
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