मंगलवार, 25 मई 2010

धंधा है पर मंदा है ये

सचिन यादव नई दिल्ली
चावड़ी बाजार स्थित कागज के व्यापरियों में जहां खुशी का माहौल है वहीं दूसरी ओर ग्रीटिंग कार्ड का व्यापार करने वाले व्यापरियों का धंधा काफी मंदा चल रहा है। नए टेक्रोलाजी और मोबाइल क्रांति ने पूरी तरह से लोगों को अपना दिवाना बना लिया है जिससे ग्रीटिंग कार्ड की तरफ किसी का ध्यान भी नहीं है। ग्रीटिंग कार्ड का कारोबार करने वाले रंजन कहते हैं कि अब कौन कार्ड खरीदना चाहता है, लोग अपनी उंगलियों को मोबाइल या कंप्यूटर में खटपटा कर और थोड़ा सा कष्ट देकर कुछ ही समय में लोग अपनों से बातें कर रहे हैं। आखिर कौन ऐसे में धूप में बाजार आएगा, कौन ग्रीटिंग कार्ड का पोस्ट करने के झंझट में पड़ेगा। व्यापारी लक्ष्मी जैन कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि लोग ग्रीटिंग कार्ड खरीद नहीं रहे हैं लेकिन आजकल लोगों को ब्रांड पंसद आता है। इसलिए लोग ग्रीटिंग कार्ड की खरीदारी कर भी रहे हैं तो पहले उसकी कंपनी देख रहे हैं। व्यापारी सुंदर लाल कहते हैं कि ग्रीटिंग कार्ड के कारोबार में इतनी गिरावट है कि पिछले कई सालों से ही कार्डों के उत्पादन को कम कर दिया गया है।मॉडल टाउन के निवासी तरुण चौहान कहते हैं कि कार्ड लाओ, फिर चिपकाओ, पोस्ट आफिस जाओ, लाइन लगाओ और घंटों के बाद एक कार्ड पोस्ट करने के झंझट में अब कौन पडऩा चाहेगा। जब मोबाइल और ईमेल है तो कौन इस मुसीबत में पड़े। मीडियाकर्मी सिम्पल कहती हैं कि हमारा इतना बड़ा नेटवर्क है और सभी को कार्ड भेजना संभव नही है। जबकि मोबाइल और ईमेल से एक बार में एक निश्चित संख्या में लोगों को अपनी कोई भी बात पहुचाई जा सकती है। आप पैसे के साथ-साथ अपना बेशकीमती समय भी बचा सकते हैं।