गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

Delhi shuns manufacturing, plan to revamp service industry

दिल्ली की अर्थव्यवस्था सर्विस इंडस्ट्री की ओर

बिजनेस ब्यूरो | Apr 25, 2013, 04:03AM IST






खास बातचीत - हारून युसुफ, दिल्ली के उद्योग मंत्री
तरक्की - डीएसआईडीसी की ओर से अभी 125 अवैध कॉलोनियों में विकास कार्य विभिन्न स्तरों पर जारी

1,800 करोड़ रुपये से बनने वाले नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के प्रोजेक्ट को चार वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा

राजधानी दिल्ली में बपरौला नॉलेज बेस्ड इंड्रस्ट्रियल पार्क कब तक बनेगा, औद्योगिक इलाकों का डेवलपमेंट करने के लिए क्या है योजनाएं। गर्मी के मौसम में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए ऊर्जा विभाग के क्या है इंतजाम और कैसा होना चाहिए दिल्ली की औद्योगिक इकाइयों का स्वरूप। इन मुद्दों पर दिल्ली के उद्योग, ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति मंत्री  हारून युसुफ ने  बिजनेस भास्कर के संवाददाता सचिन यादव को दिया साक्षात्कार।  पेश है साक्षात्कार के अंश-
दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री होने के नाते दिल्ली में इंडस्ट्री का स्वरूप कैसा देखना चाहते हैं?  
मैं दिल्ली को राष्ट्र की राजधानी होने के नाते इसे एक स्वच्छ, हरित, उच्च तकनीकी और उच्च कौशल युक्त उद्योगों की वैश्विक धुरी के रूप में देखना चाहता हूं।  इसके साथ ही उद्योगों को प्रोत्साहन देने का वातावरण का निर्माण करने वाली नीतियां बनाए जाने का पक्षधर हूं।
दिल्ली में औद्योगिक इकाइयों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है, क्या दिल्ली को मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र से हटाकर सर्विस इंडस्ट्री पर जोर देना चाहिए?
हां, बिल्कुल। दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था उत्तम होने के कारण यहां पर कुशल मानव संसाधनों की बहुलता है। इसके साथ ही देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली उद्योग, मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी का केन्द्र माना जाता है। इन्हीं विशेष कारणों से दिल्ली की अर्थव्यवस्था उत्पादन से हटकर सर्विस इंडस्ट्री की ओर बढ़ रही है।
दिल्ली के बहुप्रतीक्षित नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रीज पार्क के लिए वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में 1,800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन अभी तक यहां पार्क का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस पार्क का निर्माण कार्य कब शुरू और इसका निर्माण कार्य कितने समय में पूरा हो जाएगा।
नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क के संबंध में दिल्ली नगर निगम और अन्य संबंधित एजेंसियों से मंजूरी मिल चुकी है। इसकी ड्रांइग भी स्वीकृत हो चुकी है। इसके लिए मई, 2013 में टेंडर आमंत्रित किए जाने की संभावना है और यह परियोजना चार वर्षों में पूरी कर ली जाएगी।
पीपीपी मॉडल पर औद्योगिक इलाकों का डेवलपमेंट किया जाना था लेकिन इसके बावजूद अभी तक कोई ठोस सुधार देखने को नहीं मिला है। ऐसे में औद्योगिक इलाकों के डेवलपमेंट की क्या योजना है?  
कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को हस्तांतरण किया जाना बाकी है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक क्षेत्रों के सर्वेक्षण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है, इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों के रि-डेवलपमेंट के लिए डीएसआईआईडीसी ने 522 करोड़ रुपये के व्यय का अनुमान लगाया है।
पिछले वित्तीय वर्ष में दिल्ली सरकार द्वारा 50 करोड़ रुपये दिया जाना निश्चित किया गया था। इन क्षेत्रों के विकास के लिए लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। पीपीपी मॉडल पर औद्योगिक इलाकों के रिडेवलपेंट के प्रस्ताव को केबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी मिल चुकी है। नरेला औद्योगिक क्षेत्रों में विकास के कार्य लगभग 80 फीसदी और बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 60 फीसदी पूर्ण किए जा चुके हैं।
डीएसआईआईडीसी को वैध घोषित की गई कॉलोनियों के डेवलपमेंट का कार्य सौंपा गया है। अभी डीएसआईआईडीसी कितनी कॉलोनियों में डेवलपमेंट कार्य कर रहा है?
डीएसआईआईडीसी को 22 विधानसभा क्षेत्रों की 428 अवैध कॉलोनियों के विकास का कार्य सौपा गया था, इनमें से 252 कॉलोनियों में कार्य पूरा हो चुका था, इसके अतिरिक्त 125 कॉलोनियों में विकास कार्य विभिन्न स्तरों पर चल रहा है।
बवाना पॉवर प्लांट में पहले मॉड्यूल जिससे 750 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, इसको कम गैस मिलने के कारण पूरी बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पहले मॉड्यूल को पूरी तरह से चलाने के लिए गैस मिलने का कोई और विकल्प है।
गैस की कमी के कारण बवाना पावर प्लांट का उत्पादन पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। इसकी पूर्ति के विकल्प के रूप आरएलएनजी की उच्च दरों को देखते हुए भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय के माध्यम से आयात के लिए पत्राचार द्वारा बातचीत जारी है।
आपने कहा था कि आने वाली गर्मी में दिल्ली में बिजली की मांग 6200 मेगावाट के स्तर पर पहुंच जाएगी। इसके लिए ऊर्जा विभाग की तरफ से क्या इंतजाम किए गए हैं?  
वर्ष 2012 में गर्मी के दौरान दिल्ली की खपत की अधिकतम मांग 5,645 मेगावाट थी जिसकी आपूर्ति का इंतजाम बिजली कंपनियों ने सफलता पूर्वक पूरा किया था। वर्ष 2013 के लिए गर्मी में बिजली की संभावित  खपत 6000 मेगावाट होगी जिसकी आपूर्ति का भरोसा और आश्वासन डिस्कॉम कंपनियों ने अतिरिक्त बिजली खरीदने और इंतजाम करने लेकर दिया है। समय पर बिजली की आपूर्ति कर ली जाएगी।
दिल्ली सरकार ने लगातार दो सालों में बिजली कंपनियों को बेल-आउट पैकेज दिया है, जबकि कंपनियों का एटी एंड सी घाटा काफी कम हो गया है। ऐसे में क्या आगे भी बिजली वितरण कंपनियों को बेलआउट पैकेज दिया जाएगा।  
दिल्ली सरकार ने बिजली कंपनियों को कोई बेलआउट पैकेज नहीं दिया है लेकिन दिल्ली सरकार ने 49 फीसदी के अपने शेयर को बरकरार रखने के लिए कंपनी में इक्विटी डाली है।
बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच कराने की दिल्ली सरकार की क्या योजना है?  
दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल ने 26 दिसंबर, 2011 को अपनी मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया था कि बिजली कंपनियों का ऑडिट कैग द्वारा होना चाहिए लेकिन मामला अभी उच्च न्यायालय में लंबित है।