इस को क्या कह सकते हैं जिंदगी में दोस्तों का साथ होना कितना जरूरी होता है. हम सभी अपने काम में बिजी होने के कारण अपने दोस्तों को समय नहीं दे पाते हैं. जिन्होंने हमारे कठिन मोड़ पर हमारा साथ दिया था उन सबको भूल जाते हैं. जिंदगी की उड़ान में दोस्त उन पंखों सरीखे होते हैं जिनके बिना कोई भी उड़ान पूरी नहीं की जा सकती है. शब्द कम पड़ सकते हैं लेकिन उस दोस्ती को किसी भी चीज़ से तौला नहीं जा सकता है...
सोमवार, 4 मार्च 2013
सत्ता के एक वर्ष पूरा होने का जश्न नहीं मना पाएंगे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
पिछले वर्ष पूर्ण बहुमत के साथ 15 मार्च,२०१२ को उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई समाजवादी पार्टी को आगामी बुधवार को सत्ता के एक वर्ष पूरा होने का जश्न नहीं मना पाएगी। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से १४७ किलोमीटर दूर कुंडा में उीएसपी जिया-उल-हक की हुई हत्या ने सभी राजनीतिक दलों के साथ लोगों को भी चर्चा करने और उसकों भुनाने का एक मुद्दा दे दिया है। इस घटना में जब तक कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक समाजवादी पार्टी की नींद और चैन दोनों उड़े रहेंगे। एक पुलिस अधिकारी की हत्या ने खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासी हलचल ला दी है। यह घटना जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के नेताजी मुलायम सिंह यादव के वर्ष २०१४ में होने वाले लोकसभा चुनावों में अधिक सीट जीत कर दिल्ली तक पहुंचने के सपने को नींद में ही तोड़ सकती है। वहीं पुलिस महकमें के अलग-थलग लोगों पड़ गए लोगों को एक कर सकती है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के ठीक चार दिन पहले ऐसी घटना होना, उनके लिए एक सही नसीहत का काम करेगी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस अल्पसंख्यक समुदाय के लिए वित्त वर्ष २०१३-१४ के बजट में काफी प्रस्ताव रखें हैं, उसी अल्पसंख्यक समुदाय के एक होनहार पुलिस अधिकारी की हत्या से एक सवाल और उपज जाता है कि क्या देश के सबसे बड़े राज्य में जब एक अल्पसंख्यकअधिकारी महफूज नहीं है तो क्या एक कमजोर अल्पसंख्यक की क्या हालत होती होगी।
अखबारी पन्ने, टीवी के चैनल, ऑनलाइन मीडिया के हिट्स और सोशल नेटवर्किंग साइटस के टिवट-लाइक इस मुद्दे की अहमियत को और बढ़ा देते हैं। वास्तव में भले ही ये सब प्रेक्टिकल रूप से कोई काम न करें फिर भी ऐसे मौंकों पर अपना रोष दिखाना नहीं छोड़ते हैं। अगर कोई कड़ा निर्णय नहीं लिया गया तो सबसे बड़े राज्य के युवा मुख्यमंत्री को आने वाले समय में इस दुखद घटना का खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसका खमियाजा निश्चित तौर पर मुलायम सिंह को उठाना पड़ेगा क्योंकि साइकिल पर बैठकर कर दिल्ली पहुंचने की उनकी हसरत अगले वर्ष तक संशय के झटके खाती रहेगी। लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित होने तक उनकी हसरत बरकरार रहेगी और चुनावी परिणाम घोषित होने के साथ ही तस्वीर साफ हो जाएगी।
By- Sachin