इस को क्या कह सकते हैं जिंदगी में दोस्तों का साथ होना कितना जरूरी होता है. हम सभी अपने काम में बिजी होने के कारण अपने दोस्तों को समय नहीं दे पाते हैं. जिन्होंने हमारे कठिन मोड़ पर हमारा साथ दिया था उन सबको भूल जाते हैं. जिंदगी की उड़ान में दोस्त उन पंखों सरीखे होते हैं जिनके बिना कोई भी उड़ान पूरी नहीं की जा सकती है. शब्द कम पड़ सकते हैं लेकिन उस दोस्ती को किसी भी चीज़ से तौला नहीं जा सकता है...
बुधवार, 8 अगस्त 2012
सिब्बल के एक और प्रस्ताव के विरोध की तैयारी
बार काउंसिल का ऐतराज
कानून की पढ़ाई, शिक्षकों की योग्यता आदि तय करने का अधिकार बार काउंसिल के पास
विधेयक पास होने पर सरकारी कमेटी ही कानून की पढ़ाई के साथ अन्य मानक तय करेगी
इस कमेटी में सिर्फ सरकारी नुमाइंदे, बीसीआई की कमेटी में जजों के अलावा नामी वकील भी
उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक से लीगल एजुकेशन एंड एडवोकेट एक्ट को हटाने की मांग
कपिल सिब्बल के नेतृत्व वाले मानव संसाधन मंत्रालय के एक और प्रस्ताव के जबरदस्त विरोध की तैयारी है। उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक 2011 के विरोध में बार कांउसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) 13 अगस्त को राज्यों के बार काउंसिल के सदस्यों की बैठक करने जा रही है। बैठक में कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को भी आमंत्रित किया गया है। बीसीआई ने उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक से लीगल एजुकेशन और एडवोकेट एक्ट को हटाने की पुरजोर वकालत की है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि देश में कानून की शिक्षा के नियम, कानून की पढ़ाई, शिक्षकों की योग्यता आदि तय करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास ही है। इस विधेयक के पास हो जाने के बाद सरकार द्वारा बनाई जा रही कमेटी ही कानून की पढ़ाई के साथ-साथ अन्य मानकों को तय करेगी। इस कमेटी में सिर्फ सरकार के ही नुमाइंदे होंगे, जबकि बीसीआई की कमेटी में सुप्रीम कोर्ट, हाइकोर्ट के न्यायाधीशों के अलावा नामी वकील भी होते हैं।
उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक में से केन्द्र सरकार को लीगल एजुकेशन और एडवोकेट एक्ट को वापस लेना चाहिए। मानव संसाधन मंत्रालय के इस जनविरोधी उच्चतर शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक, 2011 के अलावा द फॉरेन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस बिल 2010 और नेशनल लॉ स्कूल बिल 2010 जो कि इस मानसून सत्र में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा संसद में लाया जाएगा, का हम पुरजोर विरोध करते हैं।
उन्होंने बताया कि विधेयक का मसौदा जिस तरह से तैयार किया गया है और मानव संसाधन मंत्रालय ने जिस तरह से इसे स्वीकृति दी है,
उससे साफ हो गया है कि इस विधेयक के जरिये कानूनी शिक्षा एवं कानूनी पेशे के मामले में देश के अधिवक्ताओं और उनके निर्वाचित संवैधानिक निकायों की अनदेखी तथा उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।