शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

सब्जी वाले अब सब्जी के भाव किलो में नहीं ढाई सौ ग्राम में बताते




थोक बाजार में जहां भिंडी का भाव 18-22 रुपये प्रति किलो है वहीं फुटकर में यह 40 रुपये व रिटेल स्टोरों पर 28-30 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेची जा रही है।

दिल्ली और आसपास के उपनगरों में सब्जी वाले अब सब्जी के भाव किलो में नहीं ढाई सौ ग्राम (अधिकतर इस पाव कहते हैं) में बताते हैं। शायद उन्हें ग्राहकों की ढीली जेब का पहले से ही अंदाजा लग गया होता है। पिछले कुछ दिनों में राजधानी व एनसीआर शहरों में सब्जी की ऊंची कीमतों से उपभोक्ताओं का घरेलू बजट बिगड़ चुका है।

किसी भी स्थानीय मंडी में सब्जी के दाम 40 रुपये प्रति किलो के स्तर से कम नहीं रह गए हैं। मात्र 15-20 दिन में ही सब्जी के दाम लगभग दोगुने तक बढ़ गए हैं। मानसून की बारिश शुरू होते ही दिल्ली में आजादपुर, शाहदरा, ओखला व गाजीपुर और गाजियाबाद की साहिबाबाद सब्जी मंडियों में हर जगह सब्जियों के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं।

महंगी सब्जियों से परेशान उपभोक्ताओं के लिए असमंजस की स्थिति यह भी है कि फुटकर दुकानों और रिटेल स्टोरों पर सब्जियां अलग-अलग दामों पर बेची जा रही हैं जबकि आजादपुर मंडी में सब्जियों के थोक भाव समान हैं।

सब्जियों के थोक दाम की तुलना में करीब 50-60 फीसदी अधिक दामों पर स्थानीय फुटकर बाजारों व रिटेल स्टोरों पर सब्जियों की बिक्री हो रही है। थोक बाजार में जहां भिंडी का भाव 18-22 रुपये प्रति किलो है वहीं फुटकर में यह 40 रुपये प्रति किलो और रिटेल स्टोरों पर 28-30 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेची जा रही है।

इसी तरह आलू का थोक भाव 10 रुपये प्रति किलो है, जबकि यह फुटकर में 20 रुपये व रिटेल स्टोरों पर 16 रुपये के भाव पर बेचा जा रहा है। सब्जी कारोबारियों का तर्क है कि बारिश के कारण हरी सब्जियों के दाम बढऩे लगते हैं।

लेकिन इस बार मानसून में देरी के कारण अन्य सब्जियों की कीमतों में भी तेजी आई है। इनमें टमाटर जैसी सब्जियां हैं जो लंबी गर्मी के कारण सडऩे की कगार पर पहुंच गई थी। इसी तरह बारिश के असर से आलू में भी तेजी दर्ज की जा रही है। रिटेल स्टोर्स में कुछ सब्जियों के दाम भले ही स्थानीय फुटकर बाजार से कम हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता का स्तर भी फुटकर बाजार की तुलना में अच्छा नहीं है।

http://business.bhaskar.com/article/vegetable-prices-sky-come-rain-on-the-climb-3516671.html