शनिवार, 28 अप्रैल 2012

दिल्ली में सौर ऊर्जा का उत्पादन मुश्किल


सचिन यादव  नई दिल्ली

दिल्ली में जमीन की किल्लत के चलते बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का उत्पादन होना मुश्किल है, जबकि राजस्थान और गुजरात में अधिक क्षेत्रफल में खाली पड़ी जमीनों पर ही बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। दिल्ली में जमीन की कीमतें पहले ही इतनी अधिक है कि सौर ऊर्जा का उत्पादन करना काफी महंगा पड़ेगा। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन पी.डी.सुधाकर ने बिजनेस भास्कर से विशेष बातचीत में कही।

सुधाकर ने बताया कि राजधानी दिल्ली में घरों की छतें भी इतनी बड़ी नहीं हैं कि सोलर पॉवर का एक साथ उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जा सके। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने नेशनल इलेक्ट्रिसिटी पॉलिसी को अधिसूचित कर दिया है। इस पॉलिसी के एक्ट ८६ (१)(ई) के तहत बिजली का वितरण करने वाली कंपनियां अपनी बिजली खरीद में अक्षय ऊर्जा के जरिए पैदा होने वाली बिजली की हिस्सेदारी को बढ़ाएंगे। शुरुआत में यह दो फीसदी के स्तर पर रहेगी जिसे पांच वर्षों के भीतर बढ़ाकर नौ फीसदी के स्तर पर ले जाना होगा।

उन्होंने बताया कि अधिनियम के तहत डीईआरसी को भी सोलर ऊर्जा का उत्पादन-वितरण, क्रय-विक्रय के लिए गाइड लाइंस तैयार करनी है। इसके लिए आयोग ने ग्रिड कनेंक्टेड सोलर फोटो वोल्टिक पॉवर प्रोजेक्ट से बिजली खरीद के लिए नियम व शर्ते तैयार करनी है जिसका स्टॉफ पेपर डीईआरसी पहले ही जारी कर चुकी है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से ईधन की उपलब्धता कम हो रही है, ऐसे में आने वाले समय में अक्षय ऊर्जा का महत्व बढ़ जाएगा लेकिन अक्षय ऊर्जा पर उत्पादन के लिए टेक्नोलॉजी को और अधिक आधुनिक करने की जरूरत है। अभी एक सौर ऊर्जा की एक यूनिट की कीमत १२ रुपये के स्तर पर है। अगर ईधन की कीमतें इसी तरह बढ़ती रही तो थर्मल, हाइड्रो व गैस पर आधरित बिजली संयंत्रों से पैदा होने वाली बिजली की कीमत, सौर ऊर्जा के जरिए उत्पादन होने वाली बिजली के स्तर पर पहुंच जाएगी।