कहा जा रहा है कि तीसरा विश्व युद्घ पानी के लिए होगा. और इसका एहसास इस गर्मी में सभी भारत वाशियों ने कर भी लिया होगा. हाँ कुछ मुट्ठी भर लोग अभी भी इसको भयानक हालात नहीं मानते है. अभी में २७ जून को दिल्ली अपना भारतीय जनसंचार संस्थान का साछात्कार देने गया था. मैंने तो जेएनयू कैम्पस में रुका था. पर जब २८ तारीख का पेपर नवभारत टाईम्स पढ़ा, तो मेरे रोगंटे खड़े हो गए. नेहा लालचंदानी नाम कि रिपोर्टर ने पानी कि समस्या पर एक रिपोर्ट लिखी थी. जिसमे पानी कि खरीददारी देख कर दीमाग घूम गया. किस तरह से एक आदमी पानी के लिए ३०० रुपये देकर महीने भर का पानी खरीदता था. और उसको टेंकर में भर कर रखता था, और सिर्फ ६ लीटर पानी सप्ताह में अपने ऊपर खर्च करता था. और यहाँ लखनऊ में हम सिर्फ दिन भर में ६ लीटर पानी पी जाते हैं. पानी का आसामान्य वितरण भी एक मुख्या कारन है. फिर भी दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान के एक कर्मचारी की भूमिका पानी बचाने में बहुत महतवपूर्ण थी. वह कई बार संस्थान में घूमते थे और जहाँ कही भी पानी खुला मिलता था उससे बंद कर देते थे. वह वास्तव में एक सच्चे भारतीय है.
iimc mein likhi woh kuch is tarah thi
past is a waste paper
present is news paper
future is a question paper
and life is an answer paper, so carefully read and write. यह हमारे लिए कुछ ख़ास है
1 टिप्पणी:
pani 1 bari smasya banta jarha hai
sachine very gud
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