प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार कर अपने हाथों की संख्या को बढाकर 65 कर लिया है.
मोदी की नजर में अनुभव से ज्यादा इस समय वोट बैंक प्राथिमकता में है. अपने मंत्रिमंडल विस्तार में आने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखा है:
झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल आैर उत्तर प्रदेश में अपना परचम फहराना उनकी हिट लिस्ट में शामिल हैं.
इसी के चलते झारखंड को चुनाव से पहले, जयंत सिंहा को फायनेंस मिनिस्ट्री में राज्य मंत्री बनाकर चुनावी वोट साधने का सीधा प्रयास किया है.
वहीं बिहार को गिरिराज सिंह जैसे विवादास्पद मंत्री को अपनी कैबिनेट में शामिल कर, बिहार में वोटों के भविष्य में होने वाले धुवीकरण को अप्रत्यक्ष रूप से सामने ला दिया है.
पिछले एक साल में बिहार में हुई सांप्रदाियक हिंसा इस बात की तरफ इशारा कर देती है कि आने वाले समय में बिहार में एेसी घटनाएं आैर देखने को मिल सकती है.
बिहार के यादव वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए राजद से बागी हुए सांसद राम कृपाल यादव का भी केंद्रीय राज्य मंत्री बना दिया है.
अगले साल बिहार में विधानसभा चुनावों में इसका असर चुनाव परिणामों में देखने को मिल सकता है.
43 साल के गैरअनुभवी सांसद बाबुल सुप्रियो को कैबिनेट मिनस्ट्री में शामिल करने का सीधा सा मतलब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के गढ़ में सेध लगाने से है. बीजेपी लोकसभा इलेक्शन के रिजल्ट के बाद से ही पश्चिम बंगाल में अपनी नई जमीन को तलाशने में लगी हुई है.
उत्तर प्रदेश में इनडायरेक्ट कब्ज़ा कर चुकी बीजेपी अब वहां डायरेक्ट कब्ज़ा करने की तैयारी में लगी है. अपने नए मंत्रिमंडल विस्तार में मनोहर पर्रिकर, मुख्तार अब्बास नक़वी, महेश शर्मा, राम शंकर कठेरिआ और साध्वी निरंजन ज्योति सभी को जगह को मिली है. रक्षा मंत्री मनोहर परिकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी कोटे की मात्र एक राज्यसभा सीट से राज्यसभा में एन्ट्री पा जाएंगे।
इस तरह से मोदी की कैबिनेट में 14 चेहरे सिर्फ़ उत्तर प्रदेश से ही आ गए है. मोदी के ये 14 चेहरे डायरेक्ट और इन डायरेक्ट दोनों तरीको से उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को घेरने की पूरी तैयारी करेगें।
मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार आने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया है. ये कैबिनेट विस्तार नरेंद्र मोदी का 'पूरे देश में बीजेपी का कब्ज़ा हो' वाली रणनीति का हिस्सा है।