माननीय मुख्यमंत्री जी, नमस्ते
मेरा नाम प्रथम है और अभी फिफ्थ क्लास में पढ़ रहा हूं। हम लखनऊ में रहते हैं। हमारे पापा बैग के एक शोरूम मे काम करते हैं। पापा ज्यादा पढ़ नहीं पाए थे तो उन्होंने हमें पढ़ाने में कोई कसर न रह जाए, इसके लिए पूरी कोशिश करनी शुरू कर दी है। पापा की सैलरी कुछ हजार रूपयों में है। पर फिर भी उन्होंने हमें लखनऊ के सिटी मांटेसिरी स्कूल की अलीगंज ब्रांच में एडमिशन दिलवा दिया। हमें नहीं पता था कि स्कूल की फीस कितनी है और हमारे पापा कैसे इतनी फीस दे रहे हैं। हम तो बस पढ़ रहे थे। धीरे-धीरे कुछ साल निकले तो हम आगे की क्लास में पहुंचे। हमें स्कूल में अच्छा लगने लगा और हमारे कई दोस्त भी बन गए।
मैथ्स और आर्ट हमारे पसंदीदा सब्जेक्ट हैं। जैसे ही हम थर्ड क्लास में पहुंचे तब तक फीस कई हजार रूपए में पहुंच चुकी थी। इस दौरान हमारी मां ने भी किसी स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया जिससे हमारी स्कूल की फीस जमा करने में कोई दिक्कत न आएं। एक समय ऐसा आ गया कि पापा और मम्मी की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा हमारी स्कूल फीस में ही जाने लगा। उसके बाद बाकी खर्चों पर नियंत्रण करना पापा के बस में नहीं रहा। पापा-मम्मी स्कूल गए और उन्होंने स्कूल वालों से बात करते हुए कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। क्या आप हमारे बच्चे की फीस माफ नहीं कर सकते हैं? स्कूल प्रशासन ने इस बारे में मम्मी-पापा की बिल्कुल न सुनी। और चाहकर भी हम अपनी आगे की पढ़ाई वहां न कर सके।
स्कूल प्रशासन की एक मैडम का जवाब था कि बच्चे तो हमारे लिए कस्टमर जैसे हैं। मतलब कि सिटी मांटेसिरी स्कूल ने लखनऊ में अपनी एजुकेशन की दुकान खोल रखी है। क्या देश में जो राइट टू एजुकेशन कानून है वो सिर्फ इसलिए है? क्या राइट टू एजुकेशन कानून के तहत हमे वहां पढ़ने का कोई हक नही था? मुख्यमंत्री जी देश में कानून हैं, पर जब उन्हें लागू ही नहीं किया जाता तो वो किस काम के हैं।
जिनके पास पैसे नहीं हैं वो कहां पढ़ेगे? मुख्यमंत्री जी हम आप से कुछ नहीं मांग रहे हैं। बस अच्छी और सस्ती एजुकेशन मांग रहे हैं। वो भी हमें नहीं मिल पा रही है। आपके भी तो बच्चे हैं, वो भी तो इंगलिश मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं। हमारी विश है कि पढ़कर लिखकर वो भी कुछ अच्छा बन जाएं। क्या आप हमारे लिए विश नहीं नहीं करेंगे कि हम भी पढ़ लिखकर कुछ अच्छा कर सकें। मुख्यमंत्री जी हमारे जैसे बहुत से बच्चे उत्तर प्रदेश में हैं जो पढ़ना चाहते हैं। पर पढ़ नहीं पा रहे हैं क्योंकि उनके घरवालों के पास पैसे नहीं है। क्या आप उनके अभिभावक नहीं बन सकते हैं।
हमने अपने नाम के आगे अपनी कास्ट आपको नहीं बताई है। उसकी भी एक खास वजह है यह मान लीजिए कि यूपी में हर समाज, वर्ग, जाति, समुदाय और धर्म में पैदा हुआ बच्चा आप से अच्छी और सस्ती एजुकेशन मांग रहा है। उम्मीद है आप हमारी बात समझ पाएंगे और हम जैसे सभी बच्चों को उनका हक दिलवाएंगे।
आपका उत्तरप्रदेश निवासी
प्रथम